प्रयागराज में लाखों श्रद्धालु ‘रोड अरेस्ट’:10-15 घंटे सिर्फ गाड़ियों में बैठे रहे, 300 किलोमीटर पहले पुलिस की हिदायत- मत जाइए पहली नजर में लोगों की परेशानियां देखिए… यह सिर्फ 5 लोगों की बात नहीं है। यहां 5 लाख लोग इसी स्थिति में हैं। प्रयागराज महाकुंभ में शामिल होने आए श्रद्धालु रोड अरेस्ट हो गए हैं। सुनने में अजीब लगेगा, लेकिन हकीकत यही है। लोग अपनी ही गाड़ियों में कैद हो गए हैं। जो खाना लेकर चले, वह खत्म हो गया। छोटे बच्चे रो रहे हैं। बुजुर्ग परेशान हैं। महिलाएं वॉशरूम तलाश रही हैं। गाड़ी चलाने वाले अब परेशान हो गए। ये सभी लोग कुंभ को लेकर घर से जो सोचकर निकले, वह जाम के झाम में फंसकर भूल गए हैं। प्रयागराज में उमड़े इस जन-सैलाब से शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पटरी से उतर गई। सड़कें जाम हैं। गलियां जाम हैं। हाईवे जाम हैं। हालत यह है कि 300 किलोमीटर दूर कटनी में पुलिस को लाउड स्पीकर के जरिए श्रद्धालुओं से कहना पड़ रहा कि प्रयागराज अभी मत जाइए। दैनिक भास्कर ने 10 रिपोर्टर ग्राउंड पर उतार दिए। शहर के अंदर और शहर के बाहर क्या स्थिति है, आइए जानते हैं… शहर में आने के सात रास्ते, सभी पर भीषण जाम प्रयागराज महाकुंभ आधे से ज्यादा बीत गया। तीनों अमृत स्नान हो चुके। प्रशासन उम्मीद कर रहा था कि अब सीमित संख्या में श्रद्धालु आएंगे। लेकिन, पिछले 3 दिनों से उमड़ी भीड़ ने सबको चौंका दिया। प्रयागराज शहर में आने के 7 रास्ते हैं, सभी पर भीषण जाम लगा है। लखनऊ-अयोध्या-प्रतापगढ़ साइड से आने वाली गाड़ियां मलाका से शहर में एंट्री करती हैं। यहीं, बेला कछार में इनकी पार्किंग बनाई गई है। मौजूदा स्थिति यह है कि पिछले 24 घंटे मलाका और इसके आसपास 20 किलोमीटर के पूरे एरिया में भयंकर जाम है। अयोध्या के बगल गोंडा जिले से रीमा शनिवार की शाम साढ़े सात बजे अपनी कार से चली थीं। रविवार की सुबह 11 बजे भी वह संगम नहीं पहुंच पाईं। बेला कछार में ही जाम के बीच फंसी रहीं। हमने पूछा कि क्या जाम की जानकारी नहीं थी? वह कहती हैं, हमें जाम की कोई जानकारी नहीं थी, हमें तो बस यह पता था कि सबकुछ सही है। राजस्थान के सीकर जिले से चले पंचम कहते हैं, हम 7 फरवरी को महाकुंभ के लिए निकले थे। अब तक संगम नहीं पहुंच पाए हैं। आगे पहुंचना बहुत मुश्किल है। रास्ते में खाने-पीने और बाथरूम को लेकर बहुत दिक्कत है। 4 किलोमीटर का शहर 6 घंटे में पूरा हो रहा दिल्ली और कानपुर की तरफ से जो गाड़ियां आ रही हैं, उन्हें नेहरू पार्क साइड रोका जा रहा। यहां हमें कई लोग मिले। राजस्थान के डींग से आए मनोज जैन कहते हैं, पहले तो हमें कानपुर में ही रोक दिया गया। डेढ़ घंटे तक रुके रहे। फिर आगे जाने दिया। प्रयागराज में जब एंट्री की तो 4 किलोमीटर ही जाने के लिए हमें 6 घंटे लग गए। नेहरू पार्क पर गाड़ी खड़ी करवाई गई। उसके बाद हम सभी वहां से पैदल ही 10-12 किलोमीटर चलकर संगम पहुंचे। कानपुर से ही महाकुंभ के लिए गौरव गुप्ता शनिवार की रात 12 बजे झकरकट्टी बस अड्डे से बस पर बैठे। आम तौर पर बस सुबह 4 से 5 के बीच प्रयागराज पहुंच जाती है। लेकिन, जाम ऐसा कि यह बस रविवार की दोपहर 12 बजे पहुंची। रीवा-प्रयागराज मार्ग पर 50 किलोमीटर तक जाम एमपी के रीवा से आने वाली सड़कें पूरी तरह से पैक्ड हैं। करीब 20 किलोमीटर तक सड़क जाम है। इस रूट से ही मुंबई और एमपी की भी गाड़ियां आ रही हैं। महाराष्ट्र के अमरावती से आई दीक्षा साहू कहती हैं, पिछले 49 घंटे से हम लोग जाम के बीच चल रहे हैं। हालांकि जिन लोगों ने व्यवस्था की है उनका धन्यवाद रहेगा, बहुत सारे लोग आने से व्यवस्था संभालना मुश्किल हो रहा है। हैदराबाद से आए दो लोग अपनी गाड़ी में बैठे जाम खुलने का इंतजार कर रहे। वह कहते हैं, 36 घंटे से हम लोग जाम में फंसे हैं। हर 30 किलोमीटर पर गाड़ियां रोक दी जा रही हैं। एटा से आए अमित कुमार कहते हैं, हम लोग 6 घंटे से नैनी पुल से पहले ही फंसे हुए हैं। सोचा था कि सुबह 5 बजे संगम में स्नान कर लेंगे। लेकिन, अब 9 बज गए और हम मेला तक पहुंच ही नहीं पाए हैं। शहर के अंदर अब पुलिस से नोकझोंक अचानक उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच पुलिस ने शहर के अंदर जगह-जगह बैरिकेड्स लगा दिए हैं। सिविल लाइंस से संगम जाने वाले रास्ते पर भी पुलिस ने कई जगहों पर बैरिकेड्स लगा दिया है। हर जगह पर तैनात पुलिसकर्मियों और श्रद्धालुओं के बीच झड़प की स्थिति बन जा रही है। सिविल लाइंस के पास तैनात एक एसआई और बाइक सवार में भी ऐसा ही कुछ हुआ, जो हमारे कैमरे में रिकॉर्ड हो गया। चुंगी व सोहबतियाबाग में भी स्थिति ऐसी ही दिखी। कई गाड़ियां 2-2 घंटे से एक ही जगह पर खड़ी रहीं। तीन दिन में 15 लाख गाड़ियां प्रयागराज पहुंची 5 फरवरी को पीएम मोदी के कुंभ से लौटने के बाद लोगों का आना शुरू हुआ। 7-8 और 9 फरवरी को बड़ी संख्या में लोग निजी गाड़ियों से प्रयागराज के लिए निकले। एक अधिकारी ऑफ कैमरा बताते हैं, पिछले तीन दिनों में करीब 15 लाख गाड़ियां शहर में आईं। जिस गति से गाड़ियां शहर में आई उस गति से वह बाहर नहीं गई। इसलिए पार्किंग पहले से ही फुल रहा। सबसे बड़ी पार्किंग बेला कछार में है, उसकी स्थिति यह है कि वह भी फुल है। बेला कछार में डेढ़ लाख गाड़ियां खड़ी की जा सकती हैं। हर रूट्स से आने वाली गाड़ियों के लिए प्रशासन ने पार्किंग तय की है। इसमें भी दो आधार बनाए हैं, जैसे भारी वाहन के लिए अलग और हल्के वाहन के लिए अलग पार्किंग बनाई गई है। जैसे कोई व्यक्ति लखनऊ, रायबरेली, प्रतापगढ़, अयोध्या के रास्ते प्रयागराज आता है तो उसे संगम से करीब 20 किलोमीटर पहले मलाका एरिया में रोका जाता है। यहां बेला कछार, चंपतपुर, घाटमपुर और आदमपुर में रोका जाता है। मौजूदा स्थिति यह है कि पूरा कछार एरिया भरा हुआ है। इस रूट से आने वाली छोटी गाड़ियों के लिए भारत स्काउट, एनसीसी, एमएनआईटी को पार्किंग स्थल बनाया गया था, लेकिन वहां तक अब गाड़ियां नहीं पहुंच पा रही हैं। जो गाड़ियां प्रतापगढ़ और अयोध्या के रास्ते आ रही हैं, उन्हें तो शिवगढ़ और भावापुर में ही रोकने की कोशिश की जा रही है। जौनपुर की तरफ से जो गाड़ियां आ रही हैं, उन्हें गारापुर, हरिनाथ धाम, कमलेश डिग्री कॉलेज व ग्रीन लैंड के पास रोका जाना है। इसके आगे से भी गाड़ियों का लंबा जाम लगा हुआ है। छोटी गाड़ियां आम दिनों पर चीनी मिल, पूरे सूरदास व समयामाई तक आ जाती थीं, लेकिन अभी वह भी गारापुर से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। इसी रूट पर झारखंड और बिहार से आने वाली गाड़ियां भी रोकी जा रही हैं। कानपुर और रीवा रूट की हालत सबसे ज्यादा खराब सबसे ज्यादा हालत खराब रीवा और कानपुर की तरफ से आने वाले लोगों के हैं। रीवा की तरफ गौहनिया तक जाम लगा हुआ है। 25 किलोमीटर तक व्यक्ति फंसा हुआ है। धनुहा, इंदलपुर व एफसीआई के पास बड़ी गाड़ियों के लिए पार्किंग तय की गई थीं, ये भरी हुई हैं, छोटी गाड़ियों के लिए नव प्रयागम एग्रीकल्चर और लेप्रोसी के पास पार्किंग बनाई गई हैं, लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि यहां तक गाड़ियां ही नहीं आने दी जा रही है। कानपुर से आने वाली गाड़ियों को नेहरू पार्क में पार्क करवाया जाता है, पिछले 2 दिन से पूरा मैदान भरा हुआ है। पहले यहां गाड़ियां पार्क होती थीं, तब उन्हें शटल बस व पब्लिक वाहन मिल जाते थे, लेकिन रविवार की स्थिति यह रही कि यहीं से लोगों को 15 किलोमीटर दूर संगम तक पैदल जाना पड़ा है। जो लोग पुलिस को कन्वेंस करके आगे बढ़ रहे हैं, उनकी गाड़ियां काली एक्सटेंशन, गल्ला मंडी तक आने दी जा रही है, हालांकि यहां भी पार्किंग पूरी तरह से फुल है। जिन लोगों ने वाराणसी के जरिए प्रयागराज संगम का रास्ता पकड़ा, वह भी बुरी तरह से प्रभावित हैं। पहले इनकी गाड़ियां महुआबाग, पटेलबाग, छतनाग तक आ जाती थी। लेकिन, अभी 20 किलोमीटर पहले तक पूरी सड़क जाम है। रविवार दोपहर में हंड़िया तक जाम की स्थिति बनी रही। दूसरी तरफ जिन्होंने मिर्जापुर का रास्ता पकड़ा, वह अभी भी सरस्वती हाईटेक पश्चिम व पूर्व में बनी पार्किंग तक नहीं पहुंच पाए हैं। लेन बदलकर कुछ लोग दूसरी तरफ आ जा रहे, इसकी वजह से ज्यादा जाम लग रहा। पुलिस अधिकारियों की अपील, प्रयागराज मत जाइए प्रयागराज से करीब 300 किलोमीटर दूर कटनी में एमपी पुलिस एसआई राहुल पांडेय लोगों से अपील कर रहे कि प्रयागराज की तरफ न जाएं। वह लाउड स्पीकर के जरिए लोगों से कहते हैं, अगर हो सके तो वापस अपने घर चले जाइए। जो कटनी बॉर्डर है, वहां बहुत ज्यादा जाम लग चुका है। हमने वहां के अधिकारियों से बात की, उन्होंने हमसे कहा कि आप लोगों से निवेदन करिए कि वह किसी तरह से वापस लौट जाएं। पुलिस बिल्कुल नहीं चाहती कि आप किसी भी तरह की मुसीबत में फंसे। निजी वाहनों से ज्यादा लोग आए: महाकुंभ में शामिल होने के लिए ज्यादातर लोग निजी वाहन से आ रहे हैं। शहर के बाहर और अंदर जो पार्किंग बनाई गई है। उसकी क्षमता 5 से 6 लाख गाड़ियों की है, लेकिन इस वक्त उससे भी ज्यादा गाड़ियां प्रयागराज के लिए आ रही हैं। लोग सिफारिश लगाकर आगे बढ़ रहे: पुलिस लोगों को शहर के बाहर पार्किंग के लिए रोक रही है, लेकिन ज्यादातर लोग सिफारिश के जरिए वहां से आगे बढ़ जा रहे हैं। हालांकि उन्हें शहर में रोका जा रहा, ऐसे में जाम की स्थिति और विकट हो रही। जगह-जगह पुलिस बैरिकेड्स: पुलिस ने पूरे शहर में जगह-जगह बैरिकेड्स लगा रखे हैं। उदाहरण के लिए बालसन चौराहा ले लीजिए। यहां से लोग गाड़ियां घुमाकर जार्जटाउन एरिया में जा रहे, वहां की हर गली जाम हो गई। जबकि लोगों के लिए वहां भी कोई रास्ता नहीं बनाया गया है। अब निदान पर बात… शहर के बाहर ज्यादा सुरक्षा बल तैनात हों: मेला प्रशासन ने 112 जगहों पर पार्किंग बनाई है। इसमें आधी पार्किंग शहर के अंदर और आधी शहर के बाहर है। शहर के बाहर की पार्किंग पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती कम है। अगर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती वहां ज्यादा बढ़ाई जाए और गाड़ियां वहीं पार्क करवाया जाए तो शहर जाम नहीं होगा। शटल बसों की संख्या बढ़ाई जाए: जहां गाड़ियों को पार्क करवाया जा रहा है, वहां शटल बसों की संख्या कम है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी कम है। वहां इन गाड़ियों की संख्या बढ़ाया जाना चाहिए। वीआईपी कल्चर को कम से कम करना चाहिए: मेले में अभी भी वीआईपी कल्चर जारी है। बड़ी संख्या में गाड़ियां हर दिन सायरन बजाती हुई शहर और फिर मेले में प्रवेश कर रही हैं। पैदल जा रहे श्रद्धालुओं के मन में इसे लेकर नाराजगी है। लोगों से अपील…प्रमुख स्नान पर्व व रविवार को आने से बचें ————————————— ये खबर भी पढ़ें… अमृत स्नान कर कहां चले जाते हैं नागा साधु?:शास्त्र और शस्त्रधारी नागाओं की रहस्यमय दुनिया, देश के बाहर भी डेरा नागा संन्यासी, महाकुंभ में सभी अमृत स्नान के बाद अब वापस जाने लगे हैं। अब ये काशी जाएंगे। फिर वहां लौट जाएंगे, जहां से आए थे। नागा संन्यासियों का जीवन कई रहस्यों से भरा है। ऐसे में ये जानना कठिन है कि संन्यासी कहां चले जाते हैं? पढ़ें पूरी खबर…