अब माइक्रोवेव में बांस के बर्तनों में पकेगा खाना, IIT Kanpur में स्टार्टअप हुआ विकसित

अब माइक्रोवेव में बांस के बर्तनों में पकेगा खाना, IIT Kanpur में स्टार्टअप हुआ विकसित

<p style=”text-align: justify;”><strong>IIT Kanpur News:</strong> बांस का प्रयोग खाना खाने के अलावा अब खाना पकाने में भी प्रयोग किया जा सकेगा. कानपुर आईआईटी के स्टार्टअप में ऐसी तकनीक विकसित की गई है जिसके चलते अब माइक्रोवेव में बांस के बर्तन में खाना पकाया जा सकेगा और फिर उसी में खाया भी जायेगा यहां तक कि इन बांस के बने बर्तनों को डिशवॉशर में साफ भी जा सकता है. मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए इस प्रयोग को बहुत ही अहम माना जा रहा है. अभी तक मिट्टी के बर्तनों में खाना खाया और पकाया जाता रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कानपुर आईआईटी में आयोजित एक स्टार्टअप में बांस की बने बर्तनों को सामने रखा गया जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इन बर्तनों से अर्थ फ्रेंडली साबित होंगे. जहां एक ओर फाइवर और प्लास्टिक के बर्तनों से तमाम तरह की &nbsp;मानव शरीर में समस्याएं जन्म ले रही है. वहीं सरकार की ओर से भी प्लास्टिक के बर्तनों और उपयोग पर प्रतिबंध भी लगाया गया है. अब इन्हीं समस्याओं को देखते हुए इस बांस के बर्तन को इस तकनीक के साथ इजात किया गया है कि इन बर्तनों में खाना पकाया भी जा सके.</p>
<p>&lt;<iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/S7zK4UhfowM?si=9GejQpGesmirg_gy” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’इन बर्तनों में खाना पकाया और खाया जा सकेगा'</strong><br />आईआईटी के स्टार्टअप के पेजिंग ग्रास के फाउंडर संतोष कुमार ने बताया कि बांस के रॉ मटेरियल और चावल के साथ अन्य मटेरियल से तैयार किया गया है जोकि हर तरह से इकोफ्रेंडली साबित हो रहा है. वहीं इसके उपयोग और इसे बनाने में या खाना पकाते समय इसमें से किसी भी प्रकार का कोई भी कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है. इसके साथ ही ये बर्तन नमी रोधक हैं जिसके चलते इनमें खाना पकाया भी जा सकता है और इसमें खाया भी का सकता है. संतोष कुमार ने बताया कि वो बिहार के रहने वाले हैं और अक्सर पढ़ाई के चलते एक शहर से दूसरे शहर में ट्रेन से आया जाया करते थे. खाना खाते समय उन्हें हर बार प्लास्टिक के बर्तनों में ही खाना खाना पड़ता था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके बाद उन्होंने ये खयाल किया कि ऐसे बर्तन को बनाया जाए जो इंसान के शरीर को नुकसान न पहुंचाए. तभी से कानपुर आईएआईटी के एक प्रोफेसर की मदद से इस तरह के बर्तन को बनाने की तकनीक से इसे इजात किया है. वहीं कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर दीपू फिलिप की मदद से इसे बनाया गया है. उन्होंने बताया कि ये बेहद हल्के वजन में तैयार किए गए बर्तन है, जिन्हें अधिक तापमान पर भी प्रयोग किया जा सकता है. ये बर्तन और तकनीक प्लास्टिक ओर फाइवर के बर्तनों से अच्छा विकल्प है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-minister-pratibha-shukla-wrote-letter-for-corruption-in-anganwadi-recruitment-2891188″><strong>योगी की मंत्री ने की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती में भ्रष्टाचार की शिकायत, मचा हड़कंप</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>IIT Kanpur News:</strong> बांस का प्रयोग खाना खाने के अलावा अब खाना पकाने में भी प्रयोग किया जा सकेगा. कानपुर आईआईटी के स्टार्टअप में ऐसी तकनीक विकसित की गई है जिसके चलते अब माइक्रोवेव में बांस के बर्तन में खाना पकाया जा सकेगा और फिर उसी में खाया भी जायेगा यहां तक कि इन बांस के बने बर्तनों को डिशवॉशर में साफ भी जा सकता है. मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए इस प्रयोग को बहुत ही अहम माना जा रहा है. अभी तक मिट्टी के बर्तनों में खाना खाया और पकाया जाता रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कानपुर आईआईटी में आयोजित एक स्टार्टअप में बांस की बने बर्तनों को सामने रखा गया जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इन बर्तनों से अर्थ फ्रेंडली साबित होंगे. जहां एक ओर फाइवर और प्लास्टिक के बर्तनों से तमाम तरह की &nbsp;मानव शरीर में समस्याएं जन्म ले रही है. वहीं सरकार की ओर से भी प्लास्टिक के बर्तनों और उपयोग पर प्रतिबंध भी लगाया गया है. अब इन्हीं समस्याओं को देखते हुए इस बांस के बर्तन को इस तकनीक के साथ इजात किया गया है कि इन बर्तनों में खाना पकाया भी जा सके.</p>
<p>&lt;<iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/S7zK4UhfowM?si=9GejQpGesmirg_gy” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’इन बर्तनों में खाना पकाया और खाया जा सकेगा'</strong><br />आईआईटी के स्टार्टअप के पेजिंग ग्रास के फाउंडर संतोष कुमार ने बताया कि बांस के रॉ मटेरियल और चावल के साथ अन्य मटेरियल से तैयार किया गया है जोकि हर तरह से इकोफ्रेंडली साबित हो रहा है. वहीं इसके उपयोग और इसे बनाने में या खाना पकाते समय इसमें से किसी भी प्रकार का कोई भी कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है. इसके साथ ही ये बर्तन नमी रोधक हैं जिसके चलते इनमें खाना पकाया भी जा सकता है और इसमें खाया भी का सकता है. संतोष कुमार ने बताया कि वो बिहार के रहने वाले हैं और अक्सर पढ़ाई के चलते एक शहर से दूसरे शहर में ट्रेन से आया जाया करते थे. खाना खाते समय उन्हें हर बार प्लास्टिक के बर्तनों में ही खाना खाना पड़ता था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके बाद उन्होंने ये खयाल किया कि ऐसे बर्तन को बनाया जाए जो इंसान के शरीर को नुकसान न पहुंचाए. तभी से कानपुर आईएआईटी के एक प्रोफेसर की मदद से इस तरह के बर्तन को बनाने की तकनीक से इसे इजात किया है. वहीं कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर दीपू फिलिप की मदद से इसे बनाया गया है. उन्होंने बताया कि ये बेहद हल्के वजन में तैयार किए गए बर्तन है, जिन्हें अधिक तापमान पर भी प्रयोग किया जा सकता है. ये बर्तन और तकनीक प्लास्टिक ओर फाइवर के बर्तनों से अच्छा विकल्प है.</p>
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