100 करोड़ के रुद्राक्ष बिके। 30 करोड़ के चंदन के टीके लगे। ऐसा महाकुंभ मेले में नहीं, बल्कि काशी में हुआ। 45 दिन में कुल 4.32 करोड़ श्रद्धालु काशी पहुंचे। महाकुंभ के दौरान हर रोज करीब 5 लाख लोगों ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। शहर नो-व्हीकल जोन था। 5-स्टार और 3-स्टार होटलों ने कस्टमर्स को बाइक पर लाने-ले जाने की सुविधा दी। जनरल स्टोर चलाने वाले ढाबा चलाने लगे। पहली बार महाशिवरात्रि पर 43 घंटे तक बाबा विश्वनाथ के दर्शन हुए। श्रद्धालुओं की संख्या, कमाई और बाबा विश्वनाथ से जुड़े कई बड़े रिकॉर्ड बने। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 14 देश, 24 राज्यों से श्रद्धालु काशी आए
14 देशों से 1 लाख विदेशी श्रद्धालु काशी आए। इनमें मलेशिया, ब्रिटेन, रूस, यूक्रेन, इंग्लैंड, नेपाल, बांग्लादेश के लोग सबसे ज्यादा आए। भारत के 24 राज्यों के श्रद्धालु काशी पहुंचे। सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से लोग पहुंचे। पिछली शिवरात्रि यानी 8 मार्च, 2024 को 11.55 लाख श्रद्धालु काशी आए थे। 2025 में दोगुने से ज्यादा श्रद्धालु (करीब 25 लाख) पहुंचे। स्टाफ को बाइक से भेजकर होटल तक कस्टमर लाए
परेड कोठी के 3-स्टार होटल गौतम ग्रांड के GM विपिन सिंह ने बताया- हमारे पास टूरिस्ट और कॉर्पोरेट गेस्ट ज्यादा रहे। 14 से 15 स्टेट से गेस्ट आए। ऑनलाइन बुकिंग ज्यादा हुई। हमने कस्टमर को सुविधाएं दीं। उनकी गाड़ियां शहर के बाहर ही रोक दी गई थीं, इसलिए अपने स्टाफ को बाइक से भेजकर कस्टमर को होटल तक लाए। उन्होंने कहा- महाकुंभ की जितनी भीड़ थी, आप समझिए कि उसकी आधी भीड़ काशी में भी थी। बड़ा होटल हो या छोटा, सब 100% बुक रहे। किसी ने नहीं सोचा था कि इतने लोग काशी पहुंचेंगे। टॉफी-बिस्कुट की दुकान छोड़, भोजनालय खोला
आरती माहेश्वरी कहती हैं- हम पहले जनरल स्टोर चलाते थे, टॉफी-बिस्कुट वगैरह बेचते थे। हमारी दुकान पर लोग घर जैसा खाना ढूंढते हुए पहुंचते थे। हम उन्हें किसी दूसरे भोजनालय में भेज देते थे। फिर हमने जनरल स्टोर बंद कर दिया। अब हम सुबह से लेकर रात 12 बजे तक लोगों को खाना खिलाते हैं। 100 रुपए एक थाली का रेट है। कस्टमर बोले- कई लोग घर के बाहर कमरे में खाना खिला रहे
दुकान के बाहर खड़े मुनीश कुमार मिश्रा कहते हैं- महाकुंभ के साथ महाशिवरात्रि की वजह से श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा है। लोग ज्यादा आएंगे, तो उन्हें अच्छा भोजन चाहिए। काशी में ढेरों लोग ऐसे हैं, जिन्होंने घर के आगे वाले कमरे में शटर लगवा लिया है। खाना खिला रहे हैं। यहां मैं खाना खाने आया हूं, इन्होंने अपनी दुकान बदली है। रात में भी दुकानें खोलीं
काशी विश्वनाथ धाम परिक्षेत्र में 400 दुकानों पर रुद्राक्ष, स्फटिक, पीतल की मूर्तियां बिकती हैं। मंदिर से 200 मीटर की दूरी पर कारोबारी सदन यादव ने बताया- कस्टमर तो पहले भी आ रहे थे, मगर ऐसा पहली बार हुआ कि स्टॉक ही कम पड़ गया। रात में भी दुकान खोल रहे हैं। दक्षिण भारत के कस्टमर ज्यादा आए। काउंटर पर 60% कस्टमर बढ़े हैं। उन्होंने कहा- सबसे ज्यादा रुद्राक्ष की जीरो नंबर माला बिक रही है। इसकी कीमत 400 रुपए है। आम दिनों में हर रोज 50 लोग खरीद रहे थे, आज 100 से 150 लोग खरीदते हैं। 45 दिन में सिर्फ ये मालाएं ही 36 लाख रुपए की बिक गईं। माता अन्नपूर्णा और कुबेर की पीतल की प्रतिमा, शिवलिंग, रुद्राक्ष सबसे ज्यादा बिके। सब अन्नपूर्णा माता की कृपा है…। अजय माझी बोले- रेट कम ले रहे, फिर भी ज्यादा कमा रहे
अस्सी घाट पर नाविक अजय माझी ने कहा- किसी ने सोचा नहीं था कि काशी में इतने लोग आएंगे। यहां से नमो घाट तक नाव से जाने के रेट 375 रुपए प्रशासन ने तय किए हैं। लेकिन, हम 200 रुपए में लेकर जा रहे हैं। मणिकर्णिका घाट तक 175 रुपए के रेट तय है। लेकिन, नाविक सिर्फ 100 रुपए ले रहे हैं। फिर भी सामान्य से ज्यादा कमा रहे हैं। जो नाविक पहले 4-5 चक्कर लगाते थे, वे 8-10 चक्कर लगा रहे हैं। क्रूज से घूमने के लिए 500 रुपए तक लिए जा रहे हैं। नाव घाट पर लगते ही भर जाती है
गोरखनाथ साहनी ‘मुन्ना’ कहते हैं- किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि इतनी भीड़ आएगी। नाव जैसे ही घाट पर लगती है, वैसे ही फुल हो जाती है। नगर निगम ने जो रेट तय किए हैं, उससे कम में ही नाव चलाई जा रही है। 3 दोस्तों के साथ आए, प्रसाद के 8-8 पैकेट खरीदे
काशी विश्वनाथ मंदिर में गांधीनगर (गुजरात) के अश्वनी कुमार ने कहा- मैं अपने 3 दोस्तों के साथ मंदिर आया हूं। बांटने के लिए हम लोगों ने 8-8 पैकेट प्रसाद के खरीदे। प्रसाद का स्वाद भी बिल्कुल अलग है। उनके दोस्त राहुल ने कहा- महाप्रसाद हमको मंदिर के अंदर ही मिला। हमारे रिश्तेदारों की खास डिमांड थी कि वापस आते वक्त प्रसाद जरूर लेकर आना। वैसे यहां आने के बाद पता चला कि मंदिर के अंदर प्रसाद नहीं चढ़ाया जाता। भोलेनाथ की कृपा से दर्शन अच्छे से हुए। चंदन का टीका 10 रुपए में लगा रहे
काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर पुणे के डॉ. विश्वराज निगम ने कहा- हमारे पैर में चोट लगी है। यहां पुलिस बहुत सपोर्ट कर रही है। मंदिर के बाहर हमने टीका लगवाया, पंडितजी ने सिर्फ 10 रुपए लिए। आप समझिए कि शिवलिंग की चढ़ी हुई माला मुझे पहना दी गई। दिनेश खटवानी ने कहा- हम प्रयागराज में स्नान करने के बाद काशी आए हैं। हमने ऑनलाइन बुकिंग नहीं ली थी। हमने जहां खाना खाया, उसने कहा कि हमारे कमरे अच्छे हैं, आप देख लीजिए। हम वहीं ठहर गए। सीजनल के हिसाब से ठीक ही था। सूरत की अतिका राणा ने कहा- हम लोग प्रयागराज में स्नान करने के बाद काशी विश्वनाथ में दर्शन करने आए हैं। रात 3 बजे हम काशी पहुंचे, लेकिन होटल में रूम मिल गया। 200 रुपए वाली फूलों की डलिया, 700 में बिकी
श्रीकाशी विश्वनाथ गेट नंबर-4 के सामने फूल-माला-प्रसाद के दुकानदार विजय कुमार ने कहा- कॉरिडोर बनने के बाद 100 से लेकर 500 रुपए तक फूल और पूजा सामग्री बेच रहे थे। हर रोज 150 से 200 फूल की डलिया बिक जाती थी। लेकिन, महाकुंभ के दौरान हर रोज 500 से 700 डलिया आराम से बिक रही हैं। सबसे ज्यादा गेंदा और मदार की माला लोग खरीदते हैं। उन्होंने कहा- काशी में शिव ही सब करते हैं। महाकुंभ में इतना कारोबार दिला दिए हैं कि हम लोग धन्य हो गए। दुकान के बाहर फूल खरीदने वालों की कतार खत्म ही नहीं होती। CEO को अनुरोध करना पड़ा, भीड़ ज्यादा, ऑनलाइन दर्शन करें
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के CEO विश्व भूषण मिश्र ने कहा- भक्तों से अपील की गई कि बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चों को मंदिर न लाकर उन्हें ऑनलाइन दर्शन कराएं। क्योंकि भीड़ बहुत ज्यादा हो गई थी। चूंकि लाइनें में 5 से 6 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा था। इसीलिए हमने कहा कि खाली पेट न आएं, कुछ न कुछ खाकर ही आएं। हमने यह भी अनुरोध किया कि लोग मोबाइल, बैग, स्मार्ट वॉच को होटल या अपनी गाड़ी में छोड़कर आएं। ताकि मंदिर या उसके आसपास के क्षेत्र में क्राउड मैनेजमेंट में दिक्कत न आए। शिव की काशी में बने कई रिकॉर्ड के बीच यहां रहने वालों के जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक आनंद मिला। इस सार हमें द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम के इस श्लोक में मिलता है… ———————– यह खबर भी पढ़ें : काशी में महाकुंभ से महाशिवरात्रि तक भक्तों का सैलाब, नागा साधुओं ने महादेव को शिव तांडव सुनाया; 45 दिन में 4.32 करोड़ लोग पहुंचे, देखें VIDEO महाकुंभ से भगवान शिव की काशी में भक्तों का सैलाब उमड़ा। 45 दिनों में 4.32 करोड़ लोग वाराणसी पहुंचे। महाशिवरात्रि पर 7 शैव अखाड़ों के साधु-संत गदा, तलवारें लहराते हुए निकले। बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। भक्तों पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए गए। पढ़िए पूरी खबर… 100 करोड़ के रुद्राक्ष बिके। 30 करोड़ के चंदन के टीके लगे। ऐसा महाकुंभ मेले में नहीं, बल्कि काशी में हुआ। 45 दिन में कुल 4.32 करोड़ श्रद्धालु काशी पहुंचे। महाकुंभ के दौरान हर रोज करीब 5 लाख लोगों ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। शहर नो-व्हीकल जोन था। 5-स्टार और 3-स्टार होटलों ने कस्टमर्स को बाइक पर लाने-ले जाने की सुविधा दी। जनरल स्टोर चलाने वाले ढाबा चलाने लगे। पहली बार महाशिवरात्रि पर 43 घंटे तक बाबा विश्वनाथ के दर्शन हुए। श्रद्धालुओं की संख्या, कमाई और बाबा विश्वनाथ से जुड़े कई बड़े रिकॉर्ड बने। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 14 देश, 24 राज्यों से श्रद्धालु काशी आए
14 देशों से 1 लाख विदेशी श्रद्धालु काशी आए। इनमें मलेशिया, ब्रिटेन, रूस, यूक्रेन, इंग्लैंड, नेपाल, बांग्लादेश के लोग सबसे ज्यादा आए। भारत के 24 राज्यों के श्रद्धालु काशी पहुंचे। सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से लोग पहुंचे। पिछली शिवरात्रि यानी 8 मार्च, 2024 को 11.55 लाख श्रद्धालु काशी आए थे। 2025 में दोगुने से ज्यादा श्रद्धालु (करीब 25 लाख) पहुंचे। स्टाफ को बाइक से भेजकर होटल तक कस्टमर लाए
परेड कोठी के 3-स्टार होटल गौतम ग्रांड के GM विपिन सिंह ने बताया- हमारे पास टूरिस्ट और कॉर्पोरेट गेस्ट ज्यादा रहे। 14 से 15 स्टेट से गेस्ट आए। ऑनलाइन बुकिंग ज्यादा हुई। हमने कस्टमर को सुविधाएं दीं। उनकी गाड़ियां शहर के बाहर ही रोक दी गई थीं, इसलिए अपने स्टाफ को बाइक से भेजकर कस्टमर को होटल तक लाए। उन्होंने कहा- महाकुंभ की जितनी भीड़ थी, आप समझिए कि उसकी आधी भीड़ काशी में भी थी। बड़ा होटल हो या छोटा, सब 100% बुक रहे। किसी ने नहीं सोचा था कि इतने लोग काशी पहुंचेंगे। टॉफी-बिस्कुट की दुकान छोड़, भोजनालय खोला
आरती माहेश्वरी कहती हैं- हम पहले जनरल स्टोर चलाते थे, टॉफी-बिस्कुट वगैरह बेचते थे। हमारी दुकान पर लोग घर जैसा खाना ढूंढते हुए पहुंचते थे। हम उन्हें किसी दूसरे भोजनालय में भेज देते थे। फिर हमने जनरल स्टोर बंद कर दिया। अब हम सुबह से लेकर रात 12 बजे तक लोगों को खाना खिलाते हैं। 100 रुपए एक थाली का रेट है। कस्टमर बोले- कई लोग घर के बाहर कमरे में खाना खिला रहे
दुकान के बाहर खड़े मुनीश कुमार मिश्रा कहते हैं- महाकुंभ के साथ महाशिवरात्रि की वजह से श्रद्धालुओं की भीड़ ज्यादा है। लोग ज्यादा आएंगे, तो उन्हें अच्छा भोजन चाहिए। काशी में ढेरों लोग ऐसे हैं, जिन्होंने घर के आगे वाले कमरे में शटर लगवा लिया है। खाना खिला रहे हैं। यहां मैं खाना खाने आया हूं, इन्होंने अपनी दुकान बदली है। रात में भी दुकानें खोलीं
काशी विश्वनाथ धाम परिक्षेत्र में 400 दुकानों पर रुद्राक्ष, स्फटिक, पीतल की मूर्तियां बिकती हैं। मंदिर से 200 मीटर की दूरी पर कारोबारी सदन यादव ने बताया- कस्टमर तो पहले भी आ रहे थे, मगर ऐसा पहली बार हुआ कि स्टॉक ही कम पड़ गया। रात में भी दुकान खोल रहे हैं। दक्षिण भारत के कस्टमर ज्यादा आए। काउंटर पर 60% कस्टमर बढ़े हैं। उन्होंने कहा- सबसे ज्यादा रुद्राक्ष की जीरो नंबर माला बिक रही है। इसकी कीमत 400 रुपए है। आम दिनों में हर रोज 50 लोग खरीद रहे थे, आज 100 से 150 लोग खरीदते हैं। 45 दिन में सिर्फ ये मालाएं ही 36 लाख रुपए की बिक गईं। माता अन्नपूर्णा और कुबेर की पीतल की प्रतिमा, शिवलिंग, रुद्राक्ष सबसे ज्यादा बिके। सब अन्नपूर्णा माता की कृपा है…। अजय माझी बोले- रेट कम ले रहे, फिर भी ज्यादा कमा रहे
अस्सी घाट पर नाविक अजय माझी ने कहा- किसी ने सोचा नहीं था कि काशी में इतने लोग आएंगे। यहां से नमो घाट तक नाव से जाने के रेट 375 रुपए प्रशासन ने तय किए हैं। लेकिन, हम 200 रुपए में लेकर जा रहे हैं। मणिकर्णिका घाट तक 175 रुपए के रेट तय है। लेकिन, नाविक सिर्फ 100 रुपए ले रहे हैं। फिर भी सामान्य से ज्यादा कमा रहे हैं। जो नाविक पहले 4-5 चक्कर लगाते थे, वे 8-10 चक्कर लगा रहे हैं। क्रूज से घूमने के लिए 500 रुपए तक लिए जा रहे हैं। नाव घाट पर लगते ही भर जाती है
गोरखनाथ साहनी ‘मुन्ना’ कहते हैं- किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि इतनी भीड़ आएगी। नाव जैसे ही घाट पर लगती है, वैसे ही फुल हो जाती है। नगर निगम ने जो रेट तय किए हैं, उससे कम में ही नाव चलाई जा रही है। 3 दोस्तों के साथ आए, प्रसाद के 8-8 पैकेट खरीदे
काशी विश्वनाथ मंदिर में गांधीनगर (गुजरात) के अश्वनी कुमार ने कहा- मैं अपने 3 दोस्तों के साथ मंदिर आया हूं। बांटने के लिए हम लोगों ने 8-8 पैकेट प्रसाद के खरीदे। प्रसाद का स्वाद भी बिल्कुल अलग है। उनके दोस्त राहुल ने कहा- महाप्रसाद हमको मंदिर के अंदर ही मिला। हमारे रिश्तेदारों की खास डिमांड थी कि वापस आते वक्त प्रसाद जरूर लेकर आना। वैसे यहां आने के बाद पता चला कि मंदिर के अंदर प्रसाद नहीं चढ़ाया जाता। भोलेनाथ की कृपा से दर्शन अच्छे से हुए। चंदन का टीका 10 रुपए में लगा रहे
काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर पुणे के डॉ. विश्वराज निगम ने कहा- हमारे पैर में चोट लगी है। यहां पुलिस बहुत सपोर्ट कर रही है। मंदिर के बाहर हमने टीका लगवाया, पंडितजी ने सिर्फ 10 रुपए लिए। आप समझिए कि शिवलिंग की चढ़ी हुई माला मुझे पहना दी गई। दिनेश खटवानी ने कहा- हम प्रयागराज में स्नान करने के बाद काशी आए हैं। हमने ऑनलाइन बुकिंग नहीं ली थी। हमने जहां खाना खाया, उसने कहा कि हमारे कमरे अच्छे हैं, आप देख लीजिए। हम वहीं ठहर गए। सीजनल के हिसाब से ठीक ही था। सूरत की अतिका राणा ने कहा- हम लोग प्रयागराज में स्नान करने के बाद काशी विश्वनाथ में दर्शन करने आए हैं। रात 3 बजे हम काशी पहुंचे, लेकिन होटल में रूम मिल गया। 200 रुपए वाली फूलों की डलिया, 700 में बिकी
श्रीकाशी विश्वनाथ गेट नंबर-4 के सामने फूल-माला-प्रसाद के दुकानदार विजय कुमार ने कहा- कॉरिडोर बनने के बाद 100 से लेकर 500 रुपए तक फूल और पूजा सामग्री बेच रहे थे। हर रोज 150 से 200 फूल की डलिया बिक जाती थी। लेकिन, महाकुंभ के दौरान हर रोज 500 से 700 डलिया आराम से बिक रही हैं। सबसे ज्यादा गेंदा और मदार की माला लोग खरीदते हैं। उन्होंने कहा- काशी में शिव ही सब करते हैं। महाकुंभ में इतना कारोबार दिला दिए हैं कि हम लोग धन्य हो गए। दुकान के बाहर फूल खरीदने वालों की कतार खत्म ही नहीं होती। CEO को अनुरोध करना पड़ा, भीड़ ज्यादा, ऑनलाइन दर्शन करें
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के CEO विश्व भूषण मिश्र ने कहा- भक्तों से अपील की गई कि बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चों को मंदिर न लाकर उन्हें ऑनलाइन दर्शन कराएं। क्योंकि भीड़ बहुत ज्यादा हो गई थी। चूंकि लाइनें में 5 से 6 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा था। इसीलिए हमने कहा कि खाली पेट न आएं, कुछ न कुछ खाकर ही आएं। हमने यह भी अनुरोध किया कि लोग मोबाइल, बैग, स्मार्ट वॉच को होटल या अपनी गाड़ी में छोड़कर आएं। ताकि मंदिर या उसके आसपास के क्षेत्र में क्राउड मैनेजमेंट में दिक्कत न आए। शिव की काशी में बने कई रिकॉर्ड के बीच यहां रहने वालों के जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक आनंद मिला। इस सार हमें द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम के इस श्लोक में मिलता है… ———————– यह खबर भी पढ़ें : काशी में महाकुंभ से महाशिवरात्रि तक भक्तों का सैलाब, नागा साधुओं ने महादेव को शिव तांडव सुनाया; 45 दिन में 4.32 करोड़ लोग पहुंचे, देखें VIDEO महाकुंभ से भगवान शिव की काशी में भक्तों का सैलाब उमड़ा। 45 दिनों में 4.32 करोड़ लोग वाराणसी पहुंचे। महाशिवरात्रि पर 7 शैव अखाड़ों के साधु-संत गदा, तलवारें लहराते हुए निकले। बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। भक्तों पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए गए। पढ़िए पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
काशी में 150 करोड़ के रुद्राक्ष-कुबेर बिके:30 करोड़ के चंदन के टीके लगे, महाकुंभ के 45 दिन में कई रिकॉर्ड बने
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