तारीख : 16 फरवरी, 2025। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने ‘X’ पर पोस्ट करते हुए लिखा- बसपा का वास्तविक उत्तराधिकारी वही होगा, जो कांशीराम की तरह हर दुख-तकलीफ उठाकर पार्टी के लिए आखिरी सांस तक जी-जान लगाकर लड़े। पार्टी मूवमेंट को आगे बढ़ाता रहे। तारीख : 2 मार्च, 2025। मायावती ने लखनऊ में बसपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में कहा- मैं बताना चाहती हूं कि अब हमने अपने बच्चों के रिश्ते गैर-राजनीतिक परिवारों में ही करने का फैसला किया। इतना ही नहीं, मैंने खुद भी यह निर्णय लिया है कि मेरे जीते-जी और आखिरी सांस तक पार्टी में मेरा कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। मेरे लिए पार्टी और आंदोलन सबसे पहले हैं, परिवार और रिश्ते बाद में आते हैं। जब तक मैं जीवित रहूंगी, तब तक पूरी ईमानदारी से पार्टी को आगे बढ़ाती रहूंगी। 15 दिन पहले दिए गए अल्टीमेटम के रविवार (2 मार्च) को बसपा सुप्रीमो मायावती ने कड़ी बात कहते हुए भतीजे आकाश आनंद को न सिर्फ अपने उत्तराधिकारी, बल्कि पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया। इससे पहले 12 फरवरी को मायावती ने उनके ससुर एवं दक्षिणी राज्यों के प्रभारी रहे डॉ. अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। उन पर गुटबाजी को बढ़ाने और पार्टी विरोधी गतिविधियों का गंभीर आरोप लगाया था। मायावती ने दूसरी बार भतीजे आकाश आनंद के पर कतरे हैं। इससे पहले लोकसभा चुनाव में भी वह आकाश को हटा चुकी हैं। लेकिन, 43 दिनाें बाद ही उन्हें वापस लाते हुए अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था। सवाल है कि आखिर 8 महीने में ऐसा क्या हुआ, जिसकी वजह से मायावती को अपना फैसला बदलना पड़ा। आकाश आनंद का आगे क्या भविष्य है? यह जानने के लिए हमने बसपा के करीबी रहे सीनियर नेताओं और पार्टी को नजदीक से समझने वाले जानकारों से बात की। इसमें 3 कारण समझ में आए… दलित युवाओं में आकाश की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही
बसपा में अपने वर्चस्व के बाद से मायावती ने किसी भी दूसरे नेता को अपनी अलग पहचान बनाने नहीं दी। बसपा के संस्थापक कांशीराम के बाद मायावती ने पार्टी में एकतरफा फैसले लिए। पार्टी में अपनी अलग पहचान बना चुके स्वामी प्रसाद मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, ब्रजेश पाठक, लालजी वर्मा, राम अचल राजभर, बाबू सिंह कुशवाहा, नकुल दुबे, लालजी निर्मल, केके गौतम, इंद्रजीत सरोज, सुनील चित्तौड़, बृजलाल खाबरी जैसे नेताओं को एक झटके में निकाल बाहर किया। दलित चिंतक एवं लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रो. रविकांत कहते हैं- आकाश तेजी से दलित समाज को प्रभावित कर रहे थे। अपनी अलग इमेज बना रहे थे। वह पार्टी को आगे ले जा सकते थे। इसी बात को वरिष्ठ पत्रकार सैयद कासिम समझाते हैं। कहते हैं- आकाश आनंद तेज तर्रार हैं। मायावती को जी-हुजूरी वाले नेता पसंद हैं। सवाल आकाश का नहीं, बसपा का है कि उसका क्या होगा? आकाश के ससुर सिद्धार्थ गौतम को हटाने के बाद परिवार में ही कलह
खुद मायावती ने लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में आकाश को कोऑर्डिनेटर पद से हटाने की जो वजह बताई। वह साफ इशारा है कि किस तरह से अशोक सिद्धार्थ को लेकर परिवार में ही कलह थी। उन्होंने कहा- आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ ने यूपी सहित पूरे देश में पार्टी को दो गुटों में बांटकर गुटबाजी बढ़ाई थी। उनका ‘अति घिनौना कार्य’ ही उनके बाहर किए जाने की वजह बनी। अशोक सिद्धार्थ के निष्कासित किए जाने के बाद से वह बेटी के जरिए आकाश को प्रभावित कर रहा था। आकाश आनंद के पॉलिटिकल करियर को खराब करने के लिए पूरी तरह से इनके ससुर अशोक सिद्धार्थ जिम्मेदार हैं। वहीं, कभी बसपा में रहे और मायावती को करीब से समझने वाले सपा नेता त्रिभुवन दत्त कहते हैं- कांशीराम के मिशन से मायावती भटक चुकी हैं। अपने परिवारवाद में उलझी हुई हैं। इससे मिशन का काम खत्म हो चुका है। मुझे कोई उम्मीद नहीं दिखाई देती कि बसपा आगे कुछ रिस्पांस कर पाएगी। किसी दबाव में निर्णय ले रही हैं मायावती
त्रिभुवन दत्त कहते हैं- मायावती पिछले कुछ साल से जिस तरीके से निर्णय ले रही हैं, उससे उनके ही समर्थक हैरान हैं। मायावती को मुखर नेता माना जाता है, लेकिन वे पिछले कुछ समय से भाजपा पर सीधे हमले करने से बचती रही हैं। इसकी तुलना में सपा-कांग्रेस पर उनका रुख हमलावर रहता है। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जैसे ही भतीजे आकाश आनंद ने भाजपा पर हमला करना शुरू किया, उन्होंने झट से उन्हें चुप करा दिया। प्रो. रविकांत कहते हैं- मुझे लगता है कि मायावती किसी के दबाव या प्रभाव में फैसले ले रही हैं। क्योंकि, आकाश तेजी से समाज को प्रभावित कर रहे थे। वे बसपा को आगे ले जा सकते थे। उन्हें हटाने का मतलब है कि वह कहीं से कंप्रोमाइज हैं। बसपा को एक्टिव नहीं करना चाहतीं। वहीं, बामसेफ के संस्थापक सदस्य रहे आरके चौधरी कहते हैं- मायावती ने बसपा को संपत्ति समझ लिया है। उन्हें डर लगता है कि ये किसी के नाम न हो जाए, इसलिए फैसले बदलती रहती हैं। मायावती सतीश मिश्रा पर आश्रित हैं। यही वजह है कि जो लोग मूवमेंट से जुडे़ हुए थे वह किनारे लगते चले गए। आगे क्या? : आकाश के सामने सिर्फ तीन विकल्प आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटाए जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि उनका भविष्य क्या होगा? तो तीन तरह की प्रतिक्रिया सामने आईं। पहला कि वे पार्टी में बने रहें। भविष्य में हो सकता है कि मायावती फिर से उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी सौंप दें। दूसरा, पार्टी से अलग होकर अपनी राजनीतिक पारी शुरू कर सकते हैं। तीसरा,पूरी तरह से राजनीति से अलग हो जाएं और अपने बिजनेस पर ध्यान दें। अब मायावती के वे तीन फैसले, जो उन्होंने लखनऊ बैठक में लिए
मायावती ने रविवार को लखनऊ स्थित पार्टी प्रदेश मुख्यालय में देश भर के पदाधिकारियों, प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों की बैठक ली। उन्होंने इस बैठक में तीन फैसले लिए। पहला- भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया। दूसरा- बसपा के उपाध्यक्ष और अपने छोटे भाई आनंद को उपाध्यक्ष और नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी। तीसरा- इस बार उन्होंने पार्टी में दो नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाए। ये दूसरा पद राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को सौंपा। आनंद कुमार : उपाध्यक्ष के साथ नेशनल कोऑर्डिनेटर का दायित्व संभालेंगे। उनकी गैर-हाजिरी में और उनके दिशा-निर्देश में पार्टी का पूरा पेपर-वर्क देखते रहेंगे। इसमें पार्टी का इनकम टैक्स और कोर्ट-कचहरी से संबंधित काम भी शामिल है। पूरे देश में चुनाव के दौरान मायावती के चुनावी दौरे आदि का भी पूरा प्रबंध देखेंगे। अब वह ज्यादातर दिल्ली में ही रहकर पूरे देश में पार्टी के लोगों से संपर्क भी बनाकर रखेंगे। मायावती से दिल्ली में मिलने के लिए अपना पूरा समय भी देंगे। रामजी गौतम : राज्यसभा सांसद हैं। आनंद कुमार को पूरा सहयोग देंगे और पूरे देश में पार्टी को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। पूरे देश में हर स्टेट में जाकर पार्टी की प्रगति रिपोर्ट लेंगे। साथ ही पार्टी के जनाधार को भी बढ़ाने के लिए मायावती के समय-समय पर दिए गए जरूरी दिशा-निर्देशों को लागू करवाएंगे। जहां-जहां चुनाव नजदीक होंगे, तो वहां वह अपना ज्यादा समय देंगे। अब मायावती के परिवार में किसी की शादी राजनीतिक घराने में नहीं होगी
मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार की तरफ से यह भी बताया कि उन्होंने अपने बच्चों का रिश्ता भी गैर-राजनीतिक परिवार के साथ ही जोड़ने का फैसला लिया है। इससे अशोक सिद्धार्थ की तरह अब आगे कभी भी अपनी पार्टी को किसी भी तरह से कोई नुकसान नहीं हो। मायावती के फैसले पर राजनीतिक दलों और फॉलोअर्स की प्रतिक्रियाएं
आकाश आनंद को पद से हटाने पर राजनीतिक दलों के साथ बसपा के समर्थकों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। ———————- ये खबर भी पढ़ें.. मायावती ने भतीजे आकाश को उत्तराधिकारी पद से हटाया, एक साल में दूसरी बार सभी पद छीने; बोलीं- जीते-जी किसी को जिम्मेदारी नहीं दूंगी बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद से सभी जिम्मेदारियां छीन ली हैं। एक साल में दूसरी बार आकाश आनंद को उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया है। उन्होंने कहा- जीते-जी किसी को भी अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करूंगी। मायावती ने यह ऐलान रविवार को लखनऊ में बसपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में किया। मायावती ने दो नए नेशनल को-ऑर्डिनेटर नियुक्त किए हैं। आकाश के पिता आनंद कुमार और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को जिम्मेदारी सौंपी है। पढ़ें पूरी खबर तारीख : 16 फरवरी, 2025। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने ‘X’ पर पोस्ट करते हुए लिखा- बसपा का वास्तविक उत्तराधिकारी वही होगा, जो कांशीराम की तरह हर दुख-तकलीफ उठाकर पार्टी के लिए आखिरी सांस तक जी-जान लगाकर लड़े। पार्टी मूवमेंट को आगे बढ़ाता रहे। तारीख : 2 मार्च, 2025। मायावती ने लखनऊ में बसपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में कहा- मैं बताना चाहती हूं कि अब हमने अपने बच्चों के रिश्ते गैर-राजनीतिक परिवारों में ही करने का फैसला किया। इतना ही नहीं, मैंने खुद भी यह निर्णय लिया है कि मेरे जीते-जी और आखिरी सांस तक पार्टी में मेरा कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। मेरे लिए पार्टी और आंदोलन सबसे पहले हैं, परिवार और रिश्ते बाद में आते हैं। जब तक मैं जीवित रहूंगी, तब तक पूरी ईमानदारी से पार्टी को आगे बढ़ाती रहूंगी। 15 दिन पहले दिए गए अल्टीमेटम के रविवार (2 मार्च) को बसपा सुप्रीमो मायावती ने कड़ी बात कहते हुए भतीजे आकाश आनंद को न सिर्फ अपने उत्तराधिकारी, बल्कि पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया। इससे पहले 12 फरवरी को मायावती ने उनके ससुर एवं दक्षिणी राज्यों के प्रभारी रहे डॉ. अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। उन पर गुटबाजी को बढ़ाने और पार्टी विरोधी गतिविधियों का गंभीर आरोप लगाया था। मायावती ने दूसरी बार भतीजे आकाश आनंद के पर कतरे हैं। इससे पहले लोकसभा चुनाव में भी वह आकाश को हटा चुकी हैं। लेकिन, 43 दिनाें बाद ही उन्हें वापस लाते हुए अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था। सवाल है कि आखिर 8 महीने में ऐसा क्या हुआ, जिसकी वजह से मायावती को अपना फैसला बदलना पड़ा। आकाश आनंद का आगे क्या भविष्य है? यह जानने के लिए हमने बसपा के करीबी रहे सीनियर नेताओं और पार्टी को नजदीक से समझने वाले जानकारों से बात की। इसमें 3 कारण समझ में आए… दलित युवाओं में आकाश की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही
बसपा में अपने वर्चस्व के बाद से मायावती ने किसी भी दूसरे नेता को अपनी अलग पहचान बनाने नहीं दी। बसपा के संस्थापक कांशीराम के बाद मायावती ने पार्टी में एकतरफा फैसले लिए। पार्टी में अपनी अलग पहचान बना चुके स्वामी प्रसाद मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, ब्रजेश पाठक, लालजी वर्मा, राम अचल राजभर, बाबू सिंह कुशवाहा, नकुल दुबे, लालजी निर्मल, केके गौतम, इंद्रजीत सरोज, सुनील चित्तौड़, बृजलाल खाबरी जैसे नेताओं को एक झटके में निकाल बाहर किया। दलित चिंतक एवं लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रो. रविकांत कहते हैं- आकाश तेजी से दलित समाज को प्रभावित कर रहे थे। अपनी अलग इमेज बना रहे थे। वह पार्टी को आगे ले जा सकते थे। इसी बात को वरिष्ठ पत्रकार सैयद कासिम समझाते हैं। कहते हैं- आकाश आनंद तेज तर्रार हैं। मायावती को जी-हुजूरी वाले नेता पसंद हैं। सवाल आकाश का नहीं, बसपा का है कि उसका क्या होगा? आकाश के ससुर सिद्धार्थ गौतम को हटाने के बाद परिवार में ही कलह
खुद मायावती ने लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में आकाश को कोऑर्डिनेटर पद से हटाने की जो वजह बताई। वह साफ इशारा है कि किस तरह से अशोक सिद्धार्थ को लेकर परिवार में ही कलह थी। उन्होंने कहा- आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ ने यूपी सहित पूरे देश में पार्टी को दो गुटों में बांटकर गुटबाजी बढ़ाई थी। उनका ‘अति घिनौना कार्य’ ही उनके बाहर किए जाने की वजह बनी। अशोक सिद्धार्थ के निष्कासित किए जाने के बाद से वह बेटी के जरिए आकाश को प्रभावित कर रहा था। आकाश आनंद के पॉलिटिकल करियर को खराब करने के लिए पूरी तरह से इनके ससुर अशोक सिद्धार्थ जिम्मेदार हैं। वहीं, कभी बसपा में रहे और मायावती को करीब से समझने वाले सपा नेता त्रिभुवन दत्त कहते हैं- कांशीराम के मिशन से मायावती भटक चुकी हैं। अपने परिवारवाद में उलझी हुई हैं। इससे मिशन का काम खत्म हो चुका है। मुझे कोई उम्मीद नहीं दिखाई देती कि बसपा आगे कुछ रिस्पांस कर पाएगी। किसी दबाव में निर्णय ले रही हैं मायावती
त्रिभुवन दत्त कहते हैं- मायावती पिछले कुछ साल से जिस तरीके से निर्णय ले रही हैं, उससे उनके ही समर्थक हैरान हैं। मायावती को मुखर नेता माना जाता है, लेकिन वे पिछले कुछ समय से भाजपा पर सीधे हमले करने से बचती रही हैं। इसकी तुलना में सपा-कांग्रेस पर उनका रुख हमलावर रहता है। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान जैसे ही भतीजे आकाश आनंद ने भाजपा पर हमला करना शुरू किया, उन्होंने झट से उन्हें चुप करा दिया। प्रो. रविकांत कहते हैं- मुझे लगता है कि मायावती किसी के दबाव या प्रभाव में फैसले ले रही हैं। क्योंकि, आकाश तेजी से समाज को प्रभावित कर रहे थे। वे बसपा को आगे ले जा सकते थे। उन्हें हटाने का मतलब है कि वह कहीं से कंप्रोमाइज हैं। बसपा को एक्टिव नहीं करना चाहतीं। वहीं, बामसेफ के संस्थापक सदस्य रहे आरके चौधरी कहते हैं- मायावती ने बसपा को संपत्ति समझ लिया है। उन्हें डर लगता है कि ये किसी के नाम न हो जाए, इसलिए फैसले बदलती रहती हैं। मायावती सतीश मिश्रा पर आश्रित हैं। यही वजह है कि जो लोग मूवमेंट से जुडे़ हुए थे वह किनारे लगते चले गए। आगे क्या? : आकाश के सामने सिर्फ तीन विकल्प आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटाए जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि उनका भविष्य क्या होगा? तो तीन तरह की प्रतिक्रिया सामने आईं। पहला कि वे पार्टी में बने रहें। भविष्य में हो सकता है कि मायावती फिर से उन्हें कोई अहम जिम्मेदारी सौंप दें। दूसरा, पार्टी से अलग होकर अपनी राजनीतिक पारी शुरू कर सकते हैं। तीसरा,पूरी तरह से राजनीति से अलग हो जाएं और अपने बिजनेस पर ध्यान दें। अब मायावती के वे तीन फैसले, जो उन्होंने लखनऊ बैठक में लिए
मायावती ने रविवार को लखनऊ स्थित पार्टी प्रदेश मुख्यालय में देश भर के पदाधिकारियों, प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों की बैठक ली। उन्होंने इस बैठक में तीन फैसले लिए। पहला- भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया। दूसरा- बसपा के उपाध्यक्ष और अपने छोटे भाई आनंद को उपाध्यक्ष और नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी सौंपी। तीसरा- इस बार उन्होंने पार्टी में दो नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाए। ये दूसरा पद राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को सौंपा। आनंद कुमार : उपाध्यक्ष के साथ नेशनल कोऑर्डिनेटर का दायित्व संभालेंगे। उनकी गैर-हाजिरी में और उनके दिशा-निर्देश में पार्टी का पूरा पेपर-वर्क देखते रहेंगे। इसमें पार्टी का इनकम टैक्स और कोर्ट-कचहरी से संबंधित काम भी शामिल है। पूरे देश में चुनाव के दौरान मायावती के चुनावी दौरे आदि का भी पूरा प्रबंध देखेंगे। अब वह ज्यादातर दिल्ली में ही रहकर पूरे देश में पार्टी के लोगों से संपर्क भी बनाकर रखेंगे। मायावती से दिल्ली में मिलने के लिए अपना पूरा समय भी देंगे। रामजी गौतम : राज्यसभा सांसद हैं। आनंद कुमार को पूरा सहयोग देंगे और पूरे देश में पार्टी को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। पूरे देश में हर स्टेट में जाकर पार्टी की प्रगति रिपोर्ट लेंगे। साथ ही पार्टी के जनाधार को भी बढ़ाने के लिए मायावती के समय-समय पर दिए गए जरूरी दिशा-निर्देशों को लागू करवाएंगे। जहां-जहां चुनाव नजदीक होंगे, तो वहां वह अपना ज्यादा समय देंगे। अब मायावती के परिवार में किसी की शादी राजनीतिक घराने में नहीं होगी
मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार की तरफ से यह भी बताया कि उन्होंने अपने बच्चों का रिश्ता भी गैर-राजनीतिक परिवार के साथ ही जोड़ने का फैसला लिया है। इससे अशोक सिद्धार्थ की तरह अब आगे कभी भी अपनी पार्टी को किसी भी तरह से कोई नुकसान नहीं हो। मायावती के फैसले पर राजनीतिक दलों और फॉलोअर्स की प्रतिक्रियाएं
आकाश आनंद को पद से हटाने पर राजनीतिक दलों के साथ बसपा के समर्थकों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। ———————- ये खबर भी पढ़ें.. मायावती ने भतीजे आकाश को उत्तराधिकारी पद से हटाया, एक साल में दूसरी बार सभी पद छीने; बोलीं- जीते-जी किसी को जिम्मेदारी नहीं दूंगी बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद से सभी जिम्मेदारियां छीन ली हैं। एक साल में दूसरी बार आकाश आनंद को उत्तराधिकारी और नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया है। उन्होंने कहा- जीते-जी किसी को भी अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करूंगी। मायावती ने यह ऐलान रविवार को लखनऊ में बसपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में किया। मायावती ने दो नए नेशनल को-ऑर्डिनेटर नियुक्त किए हैं। आकाश के पिता आनंद कुमार और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को जिम्मेदारी सौंपी है। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
क्या आकाश की पॉपुलैरिटी से डर गईं मायावती:परिवार में दिखने लगी थी पार्टी की गुटबाजी; भतीजे को किनारे करने के 3 बड़े कारण
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