KGMU के डॉक्टरों ने गंभीर रूप से चोटिल बाराबंकी के मरीज को नया जीवन दिया हैं। खेती करने के दौरान युवक का पैर अचानक से हार्वेस्टर की चपेट में आ गया। जिससे पैर का तलवा, बाकी शरीर के हिस्से से अलग हो गया। घटना के बाद गंभीर रूप से घायल मरीज को आनन फानन में परिजन जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए ट्रॉमा सेंटर रिफर कर दिया गया। KGMU में लाने के बाद डॉक्टरों ने तत्काल ये था पूरा मामला बाराबंकी में 30 साल के दिलीप कुमार 19 फरवरी को खेती कर रहे थे। इस दौरान आलू खोदने की मशीन हार्वेस्टर पर काम करने के दौरान उनके पैर के तलवे का हिस्सा अचानक से कट कर अलग हो गया। हादसे के बाद परिजन आनन फानन में उसे लेकर बाराबंकी जिला अस्पताल पहुंचे। जहां से उसे KGMU ट्रॉमा सेंटर रिफर कर दिया। जिसके बाद परिजन मरीज को सीधे ट्रॉमा सेंटर लेकर पहुंचे। गोल्डन ऑवर में मरीज पहुंचा अस्पताल घायल मरीज का ऑपरेशन करने वाले प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ.ब्रजेश मिश्र ने बताया कि घायल मरीज के साथ सबसे अच्छी बात ये रही कि गोल्डन ऑवर यानी महज 3 घंटे के भीतर परिजन उसे KGMU ट्रॉमा सेंटर लाने में सफल रहे। ऐसे मामलों में समय बेहद अहम होता हैं। यदि घटना के बाद समय जाया कर दिया गया तब दोबारा से कटे हुए हिस्से को शरीर में जोड़ना लगभग असंभव होता है। समय रहते परिजन मरीज को KGMU लेकर पहुंचे इस मामले में घटना के 3 घंटे के अंदर ही परिजन मरीज को ट्रॉमा सेंटर लाने में कामयाब रहे। साथ ही कटे हुए पैर के हिस्से को भी ठीक तरीके से लेकर पहुंचे थे। ट्रॉमा सेक्टर में मौजूद प्लास्टिक सर्जरी विभाग की टीम ने तत्काल एक्शन मोड में आते हुए मरीज को अटेंड किया शुरुआती जांच और तैयारी के बाद बिना देर किए ऑपरेशन शुरू किया गया। करीब 7 घंटे तक चले इस ऑपरेशन में 13 एक्सपर्ट डॉक्टरों समेत कुल 20 लोगों की मेडिकल टीम जुटी रही। माइक्रोस्कोप की निगरानी में हुई सर्जरी ऑपरेशन के दौरान कुछ चीजों का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी था। सर्जरी माइक्रोस्कोप की निगरानी में हुई।माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी के दौरान बेहद महीन धागों को जोड़ा जाता हैं। ऐसे धागे आमतौर पर आंख से नहीं दिखते। ऐसे में माइक्रोस्कोप की जरूरत पड़ती हैं। इस सर्जरी में भी इसी प्रक्रिया को अमल में लाया गया। 2 यूनिट ब्लड भी चढ़ाया गया कटे हुए भाग के हिस्से में मौजूद कुछ ब्लड को भी बाहर निकाला गया। इस दौरान 2 यूनिट ब्लड चढ़ाना भी पड़ा। पर राहत की बात ये रही कि सर्जरी सफल रही। मरीज तेजी से रिकवर कर रहा हैं। एक से दो दिनों में उसे छुट्टी दे दी जाएगी। डॉक्टरों की ये टीम रही शामिल डॉ. ब्रजेश मिश्रा, डॉ.रवि कुमार, डॉ. गौतम रेड्डी, डॉ.मेहवश खान, डॉ.कर्तिकेय शुक्ला, डॉ. गौरव जैन, डॉ. प्रतिभा राणा, डॉ. अभिनव नकरा और डॉ. राहुल राधाकृष्णन के अलावा एनेस्थीसिया टीम की अगुवाई में डॉ.तन्वी (कंसल्टेंट) ने किया। जिनके साथ डॉ. अनी (सीनियर रेजिडेंट), डॉ. शिखा और डॉ. कंचन (जूनियर रेजिडेंट) भी मौजूद रहीं। KGMU के डॉक्टरों ने गंभीर रूप से चोटिल बाराबंकी के मरीज को नया जीवन दिया हैं। खेती करने के दौरान युवक का पैर अचानक से हार्वेस्टर की चपेट में आ गया। जिससे पैर का तलवा, बाकी शरीर के हिस्से से अलग हो गया। घटना के बाद गंभीर रूप से घायल मरीज को आनन फानन में परिजन जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए ट्रॉमा सेंटर रिफर कर दिया गया। KGMU में लाने के बाद डॉक्टरों ने तत्काल ये था पूरा मामला बाराबंकी में 30 साल के दिलीप कुमार 19 फरवरी को खेती कर रहे थे। इस दौरान आलू खोदने की मशीन हार्वेस्टर पर काम करने के दौरान उनके पैर के तलवे का हिस्सा अचानक से कट कर अलग हो गया। हादसे के बाद परिजन आनन फानन में उसे लेकर बाराबंकी जिला अस्पताल पहुंचे। जहां से उसे KGMU ट्रॉमा सेंटर रिफर कर दिया। जिसके बाद परिजन मरीज को सीधे ट्रॉमा सेंटर लेकर पहुंचे। गोल्डन ऑवर में मरीज पहुंचा अस्पताल घायल मरीज का ऑपरेशन करने वाले प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ.ब्रजेश मिश्र ने बताया कि घायल मरीज के साथ सबसे अच्छी बात ये रही कि गोल्डन ऑवर यानी महज 3 घंटे के भीतर परिजन उसे KGMU ट्रॉमा सेंटर लाने में सफल रहे। ऐसे मामलों में समय बेहद अहम होता हैं। यदि घटना के बाद समय जाया कर दिया गया तब दोबारा से कटे हुए हिस्से को शरीर में जोड़ना लगभग असंभव होता है। समय रहते परिजन मरीज को KGMU लेकर पहुंचे इस मामले में घटना के 3 घंटे के अंदर ही परिजन मरीज को ट्रॉमा सेंटर लाने में कामयाब रहे। साथ ही कटे हुए पैर के हिस्से को भी ठीक तरीके से लेकर पहुंचे थे। ट्रॉमा सेक्टर में मौजूद प्लास्टिक सर्जरी विभाग की टीम ने तत्काल एक्शन मोड में आते हुए मरीज को अटेंड किया शुरुआती जांच और तैयारी के बाद बिना देर किए ऑपरेशन शुरू किया गया। करीब 7 घंटे तक चले इस ऑपरेशन में 13 एक्सपर्ट डॉक्टरों समेत कुल 20 लोगों की मेडिकल टीम जुटी रही। माइक्रोस्कोप की निगरानी में हुई सर्जरी ऑपरेशन के दौरान कुछ चीजों का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी था। सर्जरी माइक्रोस्कोप की निगरानी में हुई।माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी के दौरान बेहद महीन धागों को जोड़ा जाता हैं। ऐसे धागे आमतौर पर आंख से नहीं दिखते। ऐसे में माइक्रोस्कोप की जरूरत पड़ती हैं। इस सर्जरी में भी इसी प्रक्रिया को अमल में लाया गया। 2 यूनिट ब्लड भी चढ़ाया गया कटे हुए भाग के हिस्से में मौजूद कुछ ब्लड को भी बाहर निकाला गया। इस दौरान 2 यूनिट ब्लड चढ़ाना भी पड़ा। पर राहत की बात ये रही कि सर्जरी सफल रही। मरीज तेजी से रिकवर कर रहा हैं। एक से दो दिनों में उसे छुट्टी दे दी जाएगी। डॉक्टरों की ये टीम रही शामिल डॉ. ब्रजेश मिश्रा, डॉ.रवि कुमार, डॉ. गौतम रेड्डी, डॉ.मेहवश खान, डॉ.कर्तिकेय शुक्ला, डॉ. गौरव जैन, डॉ. प्रतिभा राणा, डॉ. अभिनव नकरा और डॉ. राहुल राधाकृष्णन के अलावा एनेस्थीसिया टीम की अगुवाई में डॉ.तन्वी (कंसल्टेंट) ने किया। जिनके साथ डॉ. अनी (सीनियर रेजिडेंट), डॉ. शिखा और डॉ. कंचन (जूनियर रेजिडेंट) भी मौजूद रहीं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
लखनऊ में KGMU के डॉक्टरों ने कटे पैर को जोड़ा:7 घंटे तक 13 डॉक्टरों ने जटिल सर्जरी की, माइक्रोस्कोप से ऑपेरशन हुआ
