केंद्रीय कानून मंत्रालय के प्रस्तावित एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025 के विरोध में शिमला के वकील आज राजभवन के लिए मार्च कर रहे हैं। वकीलों ने गुरुवार को हिमाचल की सभी अदालतों में काम काज का बहिष्कार किया। ठियोग, रामपुर, किन्नौर, बिलासपुर, मंडी, धर्मशाला, कांगड़ा, सोलन और हमीरपुर सहित सभी जिलों में वकील दो दिन से केंद्रीय कानून मंत्रालय द्वारा लाए गए संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। आज राज्यपाल के माध्यम से केंद्र को ज्ञापन भेजकर प्रस्तावित बिल को वापस लेने की मांग वकील करेंगे। हिमाचल की समन्वय समिति ने 5 और 6 मार्च को अदालतों के काम का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। आज दोबारा समन्वय समिति की मीटिंग में आंदोलन की आगामी रणनीति बनाई जाएगी। वकीलों का कहना है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया में केंद्र सरकार तीन प्रतिनिधि भेजना चाहती है। इससे बार काउंसिल की स्वायत्तता खत्म होगी। सरकारी हस्तक्षेप बढ़ने की आशंका है। एडवोकेट अधिनियम 1961 में संशोधन कर रही केंद्र सरकार बता दें कि केंद्र सरकार एडवोकेट अधिनियम 1961 में संशोधन करने जा रही है। इसके खिलाफ देशभर में वकील प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज शिमला में राजभवन के लिए मार्च निकाला गया। वकीलों का कहना है कि यह काला कानून वकीलों के लिए कई समस्याएं पैदा करेगा। इसे देखते हुए अधिवक्ताओं ने इस संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग की। हिमाचल के वकील प्रस्तावित बिल को होल्ड करने के बाद कृषि कानूनों की तर्ज पर वापस लेने की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार कानून में सुधार के लिए बिल ला रही केंद्र सरकार 1961 के एडवोकेट एक्ट में बदलाव करने के लिए अमेंडमेंट बिल लाने की तैयारी में है। लोगों के सुझाव के लिए बिल का फाइनल ड्राफ्ट सामने रखा गया है। वकीलों के विरोध के कारण नए बिल की धारा 35A वकील या वकीलों के संगठन को कोर्ट का बहिष्कार करने, हड़ताल करने या वर्क सस्पेंड करने से रोकती है। इसका उल्लंघन वकालत के पेशे का मिसकंडक्ट माना जाएगा और इसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकेगी। जबकि वर्तमान व्यवस्था के अनुसार, हड़ताल करने पर रोक नहीं है। इसे प्रोफेशनल मिसकंडक्ट माना जाता है। नए बिल में कानूनी व्यवसायी (धारा 2) की परिभाषा व्यापक बनेगी। इसमें कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस के साथ ही कार्पोरेट वकीलों, इन-हाउस परामर्शदाताओं, वैधानिक निकायों और विदेशी कानूनी फर्मों में कानूनी काम में लगे लोगों को भी कानूनी व्यवसायी माना जाएगा। जबकि कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस करने वालों को ही कानूनी व्यवसायी माना जाता है। बिल में नई धारा 33A जोड़ने की तैयारी बिल में एक नई धारा 33A जोड़ी गई है। इसके मुताबिक अदालतों, ट्रिब्यूनल और अन्य प्राधिकरणों में वकालत करने वाले सभी वकीलों को उस बार एसोसिएशन में पंजीकरण कराना होगा। जहां पर वे वकालत की प्रैक्टिस करते हैं। इस तरह के कुछ नए प्रावधान संशोधन करके जोड़े जा रहे हैं। केंद्रीय कानून मंत्रालय के प्रस्तावित एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025 के विरोध में शिमला के वकील आज राजभवन के लिए मार्च कर रहे हैं। वकीलों ने गुरुवार को हिमाचल की सभी अदालतों में काम काज का बहिष्कार किया। ठियोग, रामपुर, किन्नौर, बिलासपुर, मंडी, धर्मशाला, कांगड़ा, सोलन और हमीरपुर सहित सभी जिलों में वकील दो दिन से केंद्रीय कानून मंत्रालय द्वारा लाए गए संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। आज राज्यपाल के माध्यम से केंद्र को ज्ञापन भेजकर प्रस्तावित बिल को वापस लेने की मांग वकील करेंगे। हिमाचल की समन्वय समिति ने 5 और 6 मार्च को अदालतों के काम का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। आज दोबारा समन्वय समिति की मीटिंग में आंदोलन की आगामी रणनीति बनाई जाएगी। वकीलों का कहना है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया में केंद्र सरकार तीन प्रतिनिधि भेजना चाहती है। इससे बार काउंसिल की स्वायत्तता खत्म होगी। सरकारी हस्तक्षेप बढ़ने की आशंका है। एडवोकेट अधिनियम 1961 में संशोधन कर रही केंद्र सरकार बता दें कि केंद्र सरकार एडवोकेट अधिनियम 1961 में संशोधन करने जा रही है। इसके खिलाफ देशभर में वकील प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज शिमला में राजभवन के लिए मार्च निकाला गया। वकीलों का कहना है कि यह काला कानून वकीलों के लिए कई समस्याएं पैदा करेगा। इसे देखते हुए अधिवक्ताओं ने इस संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग की। हिमाचल के वकील प्रस्तावित बिल को होल्ड करने के बाद कृषि कानूनों की तर्ज पर वापस लेने की मांग कर रहे हैं। केंद्र सरकार कानून में सुधार के लिए बिल ला रही केंद्र सरकार 1961 के एडवोकेट एक्ट में बदलाव करने के लिए अमेंडमेंट बिल लाने की तैयारी में है। लोगों के सुझाव के लिए बिल का फाइनल ड्राफ्ट सामने रखा गया है। वकीलों के विरोध के कारण नए बिल की धारा 35A वकील या वकीलों के संगठन को कोर्ट का बहिष्कार करने, हड़ताल करने या वर्क सस्पेंड करने से रोकती है। इसका उल्लंघन वकालत के पेशे का मिसकंडक्ट माना जाएगा और इसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकेगी। जबकि वर्तमान व्यवस्था के अनुसार, हड़ताल करने पर रोक नहीं है। इसे प्रोफेशनल मिसकंडक्ट माना जाता है। नए बिल में कानूनी व्यवसायी (धारा 2) की परिभाषा व्यापक बनेगी। इसमें कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस के साथ ही कार्पोरेट वकीलों, इन-हाउस परामर्शदाताओं, वैधानिक निकायों और विदेशी कानूनी फर्मों में कानूनी काम में लगे लोगों को भी कानूनी व्यवसायी माना जाएगा। जबकि कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस करने वालों को ही कानूनी व्यवसायी माना जाता है। बिल में नई धारा 33A जोड़ने की तैयारी बिल में एक नई धारा 33A जोड़ी गई है। इसके मुताबिक अदालतों, ट्रिब्यूनल और अन्य प्राधिकरणों में वकालत करने वाले सभी वकीलों को उस बार एसोसिएशन में पंजीकरण कराना होगा। जहां पर वे वकालत की प्रैक्टिस करते हैं। इस तरह के कुछ नए प्रावधान संशोधन करके जोड़े जा रहे हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
