उत्तराखंड: मदरसों और मस्जिदों को क्यों किया गया सील? मुस्लिम संगठनों ने लगाए बड़े आरोप

उत्तराखंड: मदरसों और मस्जिदों को क्यों किया गया सील? मुस्लिम संगठनों ने लगाए बड़े आरोप

<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड के देहरादून जिले में प्रशासन द्वारा अवैध रूप से संचालित कुछ मदरसों और मस्जिदों को सील करने की कार्रवाई की गई है. इस पर मुस्लिम संगठनों ने नाराजगी जताई है और प्रशासन पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है. वहीं, प्रशासन का कहना है कि यह कदम पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया के तहत उठाया गया है और नियमों का उल्लंघन करने वाले सभी संस्थानों पर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे किसी भी समुदाय से जुड़े हों.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रशासन के अनुसार, हाल ही में सील किए गए मदरसे उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त नहीं थे. इसके अलावा, इनका निर्माण बिना आवश्यक स्वीकृति के किया गया था. मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) से इन मदरसों के नक्शे स्वीकृत नहीं थे और कई मामलों में भूमि के उपयोग से जुड़े नियमों का उल्लंघन किया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>संचालित करने की अनुमति नहीं</strong><br />जिले में इस तरह के करीब 60 मदरसे हैं. प्रशासन के अनुसार, हमारी जांच में पाया गया कि कुछ मदरसे अवैध रूप से संचालित हो रहे थे. इसलिए नियमानुसार कार्रवाई की गई है. किसी भी संस्था को बिना आवश्यक स्वीकृति के शैक्षणिक कार्य संचालित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा, एमडीडीए ने देहरादून के एक पॉश इलाके में दो आवासीय फ्लैटों को जोड़कर बनाए गए मदरसे को भी सील कर दिया है. प्रशासन का कहना है कि यहां आवासीय अनुमति के बावजूद सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने और धार्मिक गतिविधियां संचालित करने की शिकायतें मिल रही थीं. मुस्लिम सेवा संगठन और अन्य समुदायिक संगठनों ने प्रशासन की इस कार्रवाई पर नाराजगी जताई है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्यों की गई कार्रवाई</strong><br />मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई बिना किसी पूर्व सूचना के की गई, जिससे समुदाय में असंतोष व्याप्त है. कुरैशी ने कहा, “मदरसा चलाने के लिए किसी मान्यता की अनिवार्यता नहीं है. हमें यह बताया जाए कि किन कानूनी प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गई है. हम अवैध निर्माण के पक्षधर नहीं हैं, लेकिन प्रशासन को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इन मदरसों में क्या अवैध था ताकि हम अपनी गलती सुधार सकें. यह हमारा संवैधानिक अधिकार है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>संगठन ने यह भी मांग की है कि यदि राज्य सरकार ने मदरसों की मान्यता को अनिवार्य किया है तो इसका स्पष्ट आदेश जारी किया जाए. साथ ही, यदि किसी मदरसे या मस्जिद में निर्माण संबंधी कोई खामी थी, तो पहले उसे सुधारने का अवसर दिया जाना चाहिए था. उत्तराखंड में शैक्षणिक संस्थानों के संचालन के लिए सरकार की ओर से विभिन्न नियम लागू किए गए हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/ghaziabad-news-dasna-mandir-mahant-yati-narsinghanand-supported-sambhal-co-anuj-chaudhary-ann-2900375″>संभल CO अनुज चौधरी के समर्थन में उतरे यति नरसिंहानंद, सीएम योगी से की बड़ी मांग</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या बोले विशेषज्ञ</strong><br />मान्यता प्राप्त मदरसों को उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद से संबद्ध होना आवश्यक होता है. इसके अलावा, किसी भी शैक्षणिक संस्थान को संचालित करने के लिए भवन निर्माण की स्वीकृति और भूमि उपयोग की अनुमति होनी जरूरी होती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कोई संस्थान बिना मान्यता के चल रहा है या भवन निर्माण के नियमों का उल्लंघन कर रहा है तो प्रशासन को उसे पहले नोटिस देकर सुधार का अवसर देना चाहिए. यदि उसके बाद भी अनियमितताएं पाई जाती हैं तो कार्रवाई की जा सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड में मदरसों और मस्जिदों की सीलिंग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. प्रशासन इसे कानून का पालन कराने की प्रक्रिया बता रहा है, जबकि मुस्लिम संगठन इसे पक्षपातपूर्ण कार्रवाई मान रहे हैं. इस मुद्दे का हल आपसी संवाद और कानूनी स्पष्टता के जरिए निकाला जा सकता है ताकि किसी भी समुदाय को यह न लगे कि उनके साथ अन्याय हो रहा है. साथ ही, अवैध निर्माण को रोकने और कानूनी प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को भी पारदर्शिता बनाए रखनी होगी.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड के देहरादून जिले में प्रशासन द्वारा अवैध रूप से संचालित कुछ मदरसों और मस्जिदों को सील करने की कार्रवाई की गई है. इस पर मुस्लिम संगठनों ने नाराजगी जताई है और प्रशासन पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है. वहीं, प्रशासन का कहना है कि यह कदम पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया के तहत उठाया गया है और नियमों का उल्लंघन करने वाले सभी संस्थानों पर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे किसी भी समुदाय से जुड़े हों.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रशासन के अनुसार, हाल ही में सील किए गए मदरसे उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त नहीं थे. इसके अलावा, इनका निर्माण बिना आवश्यक स्वीकृति के किया गया था. मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) से इन मदरसों के नक्शे स्वीकृत नहीं थे और कई मामलों में भूमि के उपयोग से जुड़े नियमों का उल्लंघन किया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>संचालित करने की अनुमति नहीं</strong><br />जिले में इस तरह के करीब 60 मदरसे हैं. प्रशासन के अनुसार, हमारी जांच में पाया गया कि कुछ मदरसे अवैध रूप से संचालित हो रहे थे. इसलिए नियमानुसार कार्रवाई की गई है. किसी भी संस्था को बिना आवश्यक स्वीकृति के शैक्षणिक कार्य संचालित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसके अलावा, एमडीडीए ने देहरादून के एक पॉश इलाके में दो आवासीय फ्लैटों को जोड़कर बनाए गए मदरसे को भी सील कर दिया है. प्रशासन का कहना है कि यहां आवासीय अनुमति के बावजूद सामूहिक रूप से नमाज पढ़ने और धार्मिक गतिविधियां संचालित करने की शिकायतें मिल रही थीं. मुस्लिम सेवा संगठन और अन्य समुदायिक संगठनों ने प्रशासन की इस कार्रवाई पर नाराजगी जताई है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्यों की गई कार्रवाई</strong><br />मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई बिना किसी पूर्व सूचना के की गई, जिससे समुदाय में असंतोष व्याप्त है. कुरैशी ने कहा, “मदरसा चलाने के लिए किसी मान्यता की अनिवार्यता नहीं है. हमें यह बताया जाए कि किन कानूनी प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गई है. हम अवैध निर्माण के पक्षधर नहीं हैं, लेकिन प्रशासन को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इन मदरसों में क्या अवैध था ताकि हम अपनी गलती सुधार सकें. यह हमारा संवैधानिक अधिकार है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>संगठन ने यह भी मांग की है कि यदि राज्य सरकार ने मदरसों की मान्यता को अनिवार्य किया है तो इसका स्पष्ट आदेश जारी किया जाए. साथ ही, यदि किसी मदरसे या मस्जिद में निर्माण संबंधी कोई खामी थी, तो पहले उसे सुधारने का अवसर दिया जाना चाहिए था. उत्तराखंड में शैक्षणिक संस्थानों के संचालन के लिए सरकार की ओर से विभिन्न नियम लागू किए गए हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/ghaziabad-news-dasna-mandir-mahant-yati-narsinghanand-supported-sambhal-co-anuj-chaudhary-ann-2900375″>संभल CO अनुज चौधरी के समर्थन में उतरे यति नरसिंहानंद, सीएम योगी से की बड़ी मांग</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या बोले विशेषज्ञ</strong><br />मान्यता प्राप्त मदरसों को उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद से संबद्ध होना आवश्यक होता है. इसके अलावा, किसी भी शैक्षणिक संस्थान को संचालित करने के लिए भवन निर्माण की स्वीकृति और भूमि उपयोग की अनुमति होनी जरूरी होती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कोई संस्थान बिना मान्यता के चल रहा है या भवन निर्माण के नियमों का उल्लंघन कर रहा है तो प्रशासन को उसे पहले नोटिस देकर सुधार का अवसर देना चाहिए. यदि उसके बाद भी अनियमितताएं पाई जाती हैं तो कार्रवाई की जा सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड में मदरसों और मस्जिदों की सीलिंग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. प्रशासन इसे कानून का पालन कराने की प्रक्रिया बता रहा है, जबकि मुस्लिम संगठन इसे पक्षपातपूर्ण कार्रवाई मान रहे हैं. इस मुद्दे का हल आपसी संवाद और कानूनी स्पष्टता के जरिए निकाला जा सकता है ताकि किसी भी समुदाय को यह न लगे कि उनके साथ अन्याय हो रहा है. साथ ही, अवैध निर्माण को रोकने और कानूनी प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को भी पारदर्शिता बनाए रखनी होगी.</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड गिर सोमनाथ में किसान की जान लेने वाली शेरनी अब जिंदगी भर के लिए हो सकती है क्वारंटीन, जानें क्या है वजह