अंसल API पर 19 करोड़ की पेनल्टी बकाया, UP रेरा ने 1234 आदेशों का पालन नहीं करने का लगाया अरोप

अंसल API पर 19 करोड़ की पेनल्टी बकाया, UP रेरा ने 1234 आदेशों का पालन नहीं करने का लगाया अरोप

<p style=”text-align: justify;”><strong>Ansal APU </strong> उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी रेरा) ने अंसल एपीआई लिमिटेड के खिलाफ एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के आदेश को चुनौती देने का फैसला किया है. इसके तहत यूपी रेरा नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी), दिल्ली में इंप्लीडमेंट एप्लिकेशन दाखिल करेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एनसीएलटी ने 25 फरवरी, 2025 को अंसल एपीआई के खिलाफ कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (CIRP) लागू करने और इसके खिलाफ किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश दिया था, जिससे रेरा के तहत होम बायर्स की शिकायतों का निपटारा मुश्किल हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>होम बायर्स के करोड़ों रुपये फंसे</strong><br />यूपी रेरा ने अंसल एपीआई के खिलाफ जारी किए गए सभी रिकवरी सर्टिफिकेट (RCs) को इनसॉल्वेंसी रिजोल्यूशन प्रोफेशनल (IRP) नवीन कुमार गुप्ता को भेज दिया है. इसके साथ ही, जिन होम बायर्स ने रेरा में शिकायत दर्ज कराई थी, उन्हें निर्धारित फॉर्म-सीए में अपनी दावेदारी दर्ज कराने के लिए कहा गया है. यूपी रेरा ने अब तक 2825 शिकायतों का निपटारा किया और 125.39 करोड़ रुपये की राशि होम बायर्स को दिलाने में सफल रहा. हालांकि, अभी भी हजारों होम बायर्स अपने घरों या भूखंडों की डिलीवरी का इंतजार कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यूपी रेरा के मुताबिक, अंसल एपीआई अब तक 1234 आदेशों का पालन नहीं कर पाया है. इसके अलावा, 619 रिकवरी सर्टिफिकेट अभी भी लंबित हैं, जिनके तहत 113 करोड़ रुपये की राशि होम बायर्स को मिलनी बाकी है. इसके अलावा, 27 मामलों में 19.73 करोड़ रुपये की पेनल्टी भी बकाया है, जो रेरा के आदेशों की अवहेलना और रेरा कानून के उल्लंघन के कारण लगाई गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यूपी रेरा के चेयरमैन ने क्या बोला?</strong><br />यूपी रेरा के चेयरमैन संजय भूसेड्डी ने कहा कि अंसल एपीआई लगातार अपने प्रोजेक्ट्स को पूरा करने और रेरा के आदेशों का पालन करने से बच रहा था. इसलिए रेरा ने एनसीएलएटी में आवेदन दाखिल करने का फैसला किया, ताकि होम बायर्स को न्याय मिल सके और अंसल एपीआई को उसकी जिम्मेदारियों से भागने न दिया जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने यह भी कहा कि रेरा के इतिहास में पहली बार, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के लागू होने के बाद, रेरा एनसीएलएटी में इंप्लीडमेंट एप्लीकेशन दायर कर रहा है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इस केस में हजारों होम बायर्स की जिंदगी भर की कमाई दांव पर लगी है. यूपी रेरा, आईआरपी पर दबाव बना रहा है कि वह होम बायर्स के हितों को प्राथमिकता दे और रेरा द्वारा जारी किए गए रिकवरी सर्टिफिकेट्स पर जल्द से जल्द भुगतान कराए.</p>
<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/OShLb4y9q5w?si=qUCmatNqmurnCY1_” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>होम बायर्स के लिए संदेश</strong><br />यूपी रेरा ने सभी प्रभावित होम बायर्स से अपील की है कि वे अपनी दावेदारी जल्द से जल्द फॉर्म-सीए के माध्यम से आईआरपी के पास दर्ज कराएं. साथ ही, रेरा ने 219 लंबित आदेशों की सूची भी आईआरपी को भेजी है, ताकि इन घरों और भूखंडों की डिलीवरी को प्राथमिकता दी जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यूपी रेरा ने जनवरी 2025 में छह मामलों में अंसल एपीआई पर 14.40 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, जब प्रमोटर को बिना जमीन के रेरा में रजिस्टर्ड कराए बिक्री के अवैध रजिस्ट्रेशन करते हुए पाया गया. इन सभी मामलों में रिकवरी के लिए जिलाधिकारी, लखनऊ को सर्टिफिकेट भेजे गए थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हजारों बायर्स की उम्मीद बना यूपी रेरा<br /></strong>यूपी रेरा की यह पहल हजारों होम बायर्स के लिए राहत की उम्मीद लेकर आई है, जो वर्षों से अपने घरों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. एनसीएलटी के आदेश से रेरा के अधिकार सीमित हो सकते हैं, लेकिन यूपी रेरा एनसीएलएटी में इसे चुनौती देकर यह सुनिश्चित करना चाहता है कि होम बायर्स के अधिकार सुरक्षित रहें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-cabinet-gave-nod-to-19-proposals-msp-on-wheat-in-uttar-pradesh-agra-hardoi-ballia-got-gift-2900954″>UP Cabinet ने इन 19 प्रस्तावों को दी मंजूरी, गेहूं के समर्थन मूल्य पर बड़ा ऐलान, आगरा, हरदोई, बलिया को भी सौगात</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Ansal APU </strong> उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी रेरा) ने अंसल एपीआई लिमिटेड के खिलाफ एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के आदेश को चुनौती देने का फैसला किया है. इसके तहत यूपी रेरा नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी), दिल्ली में इंप्लीडमेंट एप्लिकेशन दाखिल करेगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एनसीएलटी ने 25 फरवरी, 2025 को अंसल एपीआई के खिलाफ कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (CIRP) लागू करने और इसके खिलाफ किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश दिया था, जिससे रेरा के तहत होम बायर्स की शिकायतों का निपटारा मुश्किल हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>होम बायर्स के करोड़ों रुपये फंसे</strong><br />यूपी रेरा ने अंसल एपीआई के खिलाफ जारी किए गए सभी रिकवरी सर्टिफिकेट (RCs) को इनसॉल्वेंसी रिजोल्यूशन प्रोफेशनल (IRP) नवीन कुमार गुप्ता को भेज दिया है. इसके साथ ही, जिन होम बायर्स ने रेरा में शिकायत दर्ज कराई थी, उन्हें निर्धारित फॉर्म-सीए में अपनी दावेदारी दर्ज कराने के लिए कहा गया है. यूपी रेरा ने अब तक 2825 शिकायतों का निपटारा किया और 125.39 करोड़ रुपये की राशि होम बायर्स को दिलाने में सफल रहा. हालांकि, अभी भी हजारों होम बायर्स अपने घरों या भूखंडों की डिलीवरी का इंतजार कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यूपी रेरा के मुताबिक, अंसल एपीआई अब तक 1234 आदेशों का पालन नहीं कर पाया है. इसके अलावा, 619 रिकवरी सर्टिफिकेट अभी भी लंबित हैं, जिनके तहत 113 करोड़ रुपये की राशि होम बायर्स को मिलनी बाकी है. इसके अलावा, 27 मामलों में 19.73 करोड़ रुपये की पेनल्टी भी बकाया है, जो रेरा के आदेशों की अवहेलना और रेरा कानून के उल्लंघन के कारण लगाई गई थी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यूपी रेरा के चेयरमैन ने क्या बोला?</strong><br />यूपी रेरा के चेयरमैन संजय भूसेड्डी ने कहा कि अंसल एपीआई लगातार अपने प्रोजेक्ट्स को पूरा करने और रेरा के आदेशों का पालन करने से बच रहा था. इसलिए रेरा ने एनसीएलएटी में आवेदन दाखिल करने का फैसला किया, ताकि होम बायर्स को न्याय मिल सके और अंसल एपीआई को उसकी जिम्मेदारियों से भागने न दिया जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने यह भी कहा कि रेरा के इतिहास में पहली बार, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के लागू होने के बाद, रेरा एनसीएलएटी में इंप्लीडमेंट एप्लीकेशन दायर कर रहा है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इस केस में हजारों होम बायर्स की जिंदगी भर की कमाई दांव पर लगी है. यूपी रेरा, आईआरपी पर दबाव बना रहा है कि वह होम बायर्स के हितों को प्राथमिकता दे और रेरा द्वारा जारी किए गए रिकवरी सर्टिफिकेट्स पर जल्द से जल्द भुगतान कराए.</p>
<p><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/OShLb4y9q5w?si=qUCmatNqmurnCY1_” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>होम बायर्स के लिए संदेश</strong><br />यूपी रेरा ने सभी प्रभावित होम बायर्स से अपील की है कि वे अपनी दावेदारी जल्द से जल्द फॉर्म-सीए के माध्यम से आईआरपी के पास दर्ज कराएं. साथ ही, रेरा ने 219 लंबित आदेशों की सूची भी आईआरपी को भेजी है, ताकि इन घरों और भूखंडों की डिलीवरी को प्राथमिकता दी जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यूपी रेरा ने जनवरी 2025 में छह मामलों में अंसल एपीआई पर 14.40 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, जब प्रमोटर को बिना जमीन के रेरा में रजिस्टर्ड कराए बिक्री के अवैध रजिस्ट्रेशन करते हुए पाया गया. इन सभी मामलों में रिकवरी के लिए जिलाधिकारी, लखनऊ को सर्टिफिकेट भेजे गए थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हजारों बायर्स की उम्मीद बना यूपी रेरा<br /></strong>यूपी रेरा की यह पहल हजारों होम बायर्स के लिए राहत की उम्मीद लेकर आई है, जो वर्षों से अपने घरों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. एनसीएलटी के आदेश से रेरा के अधिकार सीमित हो सकते हैं, लेकिन यूपी रेरा एनसीएलएटी में इसे चुनौती देकर यह सुनिश्चित करना चाहता है कि होम बायर्स के अधिकार सुरक्षित रहें.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह भी पढ़ें- <strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-cabinet-gave-nod-to-19-proposals-msp-on-wheat-in-uttar-pradesh-agra-hardoi-ballia-got-gift-2900954″>UP Cabinet ने इन 19 प्रस्तावों को दी मंजूरी, गेहूं के समर्थन मूल्य पर बड़ा ऐलान, आगरा, हरदोई, बलिया को भी सौगात</a></strong></p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ‘मजबूत भारत के लिए…’, दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दिया महिला सशक्तिकरण पर जोर