नूंह जिले में पुलिस और किसानों के बीच झड़प हो गई। धरने पर बैठे 9 गांवों के किसानों को पुलिस गिरफ्तार कर हरियाणा रोडवेज की 4 बसों से थाने ले गई। HSIIDC के कर्मचारी भारी पुलिस बल के साथ जेसीबी मशीनों को लेकर नालियों और रास्तों के कार्य करने को लेकर मौके पर पहुंचे थे। उसी समय हजारों किसान,महिलाओं और बच्चों के साथ कार्य स्थल पर पहुंच गए। गांव धीरदूका में पुलिस और किसानों का आमना-सामना हुआ। किसानों ने कार्य को रुकवाते हुए कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होगी, तब तक वह काम नहीं होने देंगे। वहीं पुलिस प्रशासन किसानों को शांति करने की अपील कर रहा है। सोमवार को भी रुकवाया था कार्य HSIIDC के कर्मचारी सोमवार को भी जेसीबी मशीनें लेकर पहुंचे थे। लेकिन किसानों ने मौके पर पहुंचकर जेसीबी मशीनों पर चढ़कर काम को रोक दिया। किसानों ने साफ तौर पर कहा है कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होगी, तब तक किसी भी कीमत पर काम नहीं चलने दिया जाएगा। काफी समझाने के बाद किसान अपनी मांगों को लेकर अडिग रहे और काम कर रही जेसीबी मशीनों को रुकवाकर उन पर बैठ गए। किसानों ने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक इसी तरह धरना चलेगा और यही रोजे की बात शहरी और इफ्तारी यहीं पर की जाएगी। इस दौरान एक बुजुर्ग महिला भी बेहोश हो गई, जिसे आनन–फानन में अस्पताल पहुंचाया गया। बुजुर्ग महिला ने रोजा रखा हुआ था, जो गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाई और बेहोश होकर गिर गई। पुलिस कर रही शांति की अपील हजारों की संख्या में किसानों ने चारों तरफ से मशीनों को घेर लिया है। किसान कह रहे हैं कि वह आर पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं। चाहे उन्हें जेल जाना पड़े। लेकिन वह काम नहीं होने देंगे। पुलिस के आला अधिकारी किसानों को समझते रहे है और शांति की अपील की। फिलहाल किसानों का मामला गरमाया हुआ है। पुलिस कह रही है काम होने दो। वहीं किसान कह रहे हैं कि काम नहीं होने देंगे। ये है पूरा मामला बता दें कि आईएमटी रोजकामेव के लिए 9 गांव खेड़ली कंकर, मेहरोला, बडेलाकी, कंवरसीका, रोजकामेव, धीरदोका, रूपाहेड़ी, खोड (बहादरी) और रेवासन के किसानों की साल 2010 में 1600 एकड़ जमीन अधिग्रहण की गई थी। उस दौरान किसानों की जमीन को सरकार द्वारा 25 लाख रुपए का मुआवजा देकर प्रति एकड़ अधिग्रहण किया गया था। इसके बाद सरकार ने फरीदाबाद के चंदावली, मच्छगर गांवों की जमीन को भी अधिग्रहण किया। वहां के किसानों ने कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी जमीन को सस्ते दामों में सरकार पर लेने का आरोप लगाकर मुआवजा बढ़ाने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने किसानों को प्रति एकड़ दो करोड़ की राशि देने के आदेश दिए थे। इस दौरान जब 9 गांवों के किसानों को पता चला कि गांवों के किसानों को दो करोड़ प्रति एकड़ मिले हैं, तो उन्होंने भी लंबी लड़ाई लड़कर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। जिस पर सरकार ने किसानों से बातचीत करते हुए उनकी जमीन को 46 लाख रुपए प्रति एकड़ देने की बात कही। उनसे एफिडेविट पर साइन करा लिए, ताकि किसान कोर्ट में ना जा सकें और सभी किसानों को 21- 21 लाख रुपए देकर कहा कि आगे आपको 25-25 लाख रुपए ओर दे दिए जाएंगे, लेकिन आज तक भी किसानों को 25-25 लाख रुपए नहीं दिए गए हैं। इसी के चलते किसान धीरदूका गांव में 29 फरवरी से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। नूंह जिले में पुलिस और किसानों के बीच झड़प हो गई। धरने पर बैठे 9 गांवों के किसानों को पुलिस गिरफ्तार कर हरियाणा रोडवेज की 4 बसों से थाने ले गई। HSIIDC के कर्मचारी भारी पुलिस बल के साथ जेसीबी मशीनों को लेकर नालियों और रास्तों के कार्य करने को लेकर मौके पर पहुंचे थे। उसी समय हजारों किसान,महिलाओं और बच्चों के साथ कार्य स्थल पर पहुंच गए। गांव धीरदूका में पुलिस और किसानों का आमना-सामना हुआ। किसानों ने कार्य को रुकवाते हुए कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होगी, तब तक वह काम नहीं होने देंगे। वहीं पुलिस प्रशासन किसानों को शांति करने की अपील कर रहा है। सोमवार को भी रुकवाया था कार्य HSIIDC के कर्मचारी सोमवार को भी जेसीबी मशीनें लेकर पहुंचे थे। लेकिन किसानों ने मौके पर पहुंचकर जेसीबी मशीनों पर चढ़कर काम को रोक दिया। किसानों ने साफ तौर पर कहा है कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होगी, तब तक किसी भी कीमत पर काम नहीं चलने दिया जाएगा। काफी समझाने के बाद किसान अपनी मांगों को लेकर अडिग रहे और काम कर रही जेसीबी मशीनों को रुकवाकर उन पर बैठ गए। किसानों ने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक इसी तरह धरना चलेगा और यही रोजे की बात शहरी और इफ्तारी यहीं पर की जाएगी। इस दौरान एक बुजुर्ग महिला भी बेहोश हो गई, जिसे आनन–फानन में अस्पताल पहुंचाया गया। बुजुर्ग महिला ने रोजा रखा हुआ था, जो गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाई और बेहोश होकर गिर गई। पुलिस कर रही शांति की अपील हजारों की संख्या में किसानों ने चारों तरफ से मशीनों को घेर लिया है। किसान कह रहे हैं कि वह आर पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं। चाहे उन्हें जेल जाना पड़े। लेकिन वह काम नहीं होने देंगे। पुलिस के आला अधिकारी किसानों को समझते रहे है और शांति की अपील की। फिलहाल किसानों का मामला गरमाया हुआ है। पुलिस कह रही है काम होने दो। वहीं किसान कह रहे हैं कि काम नहीं होने देंगे। ये है पूरा मामला बता दें कि आईएमटी रोजकामेव के लिए 9 गांव खेड़ली कंकर, मेहरोला, बडेलाकी, कंवरसीका, रोजकामेव, धीरदोका, रूपाहेड़ी, खोड (बहादरी) और रेवासन के किसानों की साल 2010 में 1600 एकड़ जमीन अधिग्रहण की गई थी। उस दौरान किसानों की जमीन को सरकार द्वारा 25 लाख रुपए का मुआवजा देकर प्रति एकड़ अधिग्रहण किया गया था। इसके बाद सरकार ने फरीदाबाद के चंदावली, मच्छगर गांवों की जमीन को भी अधिग्रहण किया। वहां के किसानों ने कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी जमीन को सस्ते दामों में सरकार पर लेने का आरोप लगाकर मुआवजा बढ़ाने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने किसानों को प्रति एकड़ दो करोड़ की राशि देने के आदेश दिए थे। इस दौरान जब 9 गांवों के किसानों को पता चला कि गांवों के किसानों को दो करोड़ प्रति एकड़ मिले हैं, तो उन्होंने भी लंबी लड़ाई लड़कर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। जिस पर सरकार ने किसानों से बातचीत करते हुए उनकी जमीन को 46 लाख रुपए प्रति एकड़ देने की बात कही। उनसे एफिडेविट पर साइन करा लिए, ताकि किसान कोर्ट में ना जा सकें और सभी किसानों को 21- 21 लाख रुपए देकर कहा कि आगे आपको 25-25 लाख रुपए ओर दे दिए जाएंगे, लेकिन आज तक भी किसानों को 25-25 लाख रुपए नहीं दिए गए हैं। इसी के चलते किसान धीरदूका गांव में 29 फरवरी से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
