हवा, मिट्टी और पानी तीनों सबसे बड़े खतरे में हैं। ऐसे हालात दुनियाभर में हैं। पानी गायब हो चुका है, ग्लेशियर मेल्ट हो रहे हैं और नदियां सूख गई हैं। हवा को देख लीजिए, हवा का स्तर बेहद खतरनाक लेवल पर पहुंच चुका है। जिसे प्राण वायु कहा जाता है, वही आपके लिए जानलेवा बन चुकी है। ये कहना है प्रख्यात पर्यावरणविद और पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. अनिल प्रकाश जोशी का। डॉ. जोशी ने कहा- रही बात मिट्टी की तो वो भी केमिकल फर्टिलाइजर यूज करने के कारण बेहद जहरीली हो चुकी है। इन तीनों ही चुनौतियों से निपटने में सक्षम जंगल हैं। वो भी खत्म हो रहे हैं। ऐसे में अब सबकी भागीदारी की जरूरत है। ये सिर्फ सरकार का ही हिस्सा नहीं रह गया। प्रकृति का तत्व हर किसी के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए सबको खुद जिम्मेदारी उठानी होगी। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 135वें एपिसोड में CIPET लखनऊ कैंपस पहुंचे पद्मभूषण और पद्मश्री से सम्मानित डॉ.अनिल प्रकाश जोशी से खास बातचीत… डॉ. जोशी कहते हैं कि अक्सर हम लोगों का प्लास्टिक को कोसते हैं। हम में से ऐसा कोई भी नहीं है, जिसका जीवन बिना प्लास्टिक के चलता हो। किसी गरीब की छत में जब पानी टपकता है तो प्लास्टिक ही काम आता है। उन्होंने कहा- बच्चे के जन्म होने पर भी सबसे पहले प्लास्टिक ही बिछाया जाता है। मेरा ये मानना है कि प्लास्टिक को लेकर जो पॉल्यूशन की बात कही जा रही है। उसके पीछे असल वजह विज्ञान का दोष नहीं, प्रबंधन का दोष है। यह एक बड़ी चुनौती है, जिससे हम सभी को निपटना होगा। तीन मूलमंत्र पर फोकस करना बेहद जरूरी हवा, मिट्टी और पानी तीनों सबसे बड़े खतरे में हैं। ऐसे हालात दुनियाभर में हैं। पानी गायब हो चुका है, ग्लेशियर मेल्ट हो रहे हैं और नदियां सूख गई हैं। हवा को देख लीजिए, हवा का स्तर बेहद खतरनाक लेवल पर पहुंच चुका है। जिसे प्राण वायु कहा जाता है, वही आपके लिए जानलेवा बन चुकी है। ये कहना है प्रख्यात पर्यावरणविद और पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. अनिल प्रकाश जोशी का। डॉ. जोशी ने कहा- रही बात मिट्टी की तो वो भी केमिकल फर्टिलाइजर यूज करने के कारण बेहद जहरीली हो चुकी है। इन तीनों ही चुनौतियों से निपटने में सक्षम जंगल हैं। वो भी खत्म हो रहे हैं। ऐसे में अब सबकी भागीदारी की जरूरत है। ये सिर्फ सरकार का ही हिस्सा नहीं रह गया। प्रकृति का तत्व हर किसी के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए सबको खुद जिम्मेदारी उठानी होगी। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 135वें एपिसोड में CIPET लखनऊ कैंपस पहुंचे पद्मभूषण और पद्मश्री से सम्मानित डॉ.अनिल प्रकाश जोशी से खास बातचीत… डॉ. जोशी कहते हैं कि अक्सर हम लोगों का प्लास्टिक को कोसते हैं। हम में से ऐसा कोई भी नहीं है, जिसका जीवन बिना प्लास्टिक के चलता हो। किसी गरीब की छत में जब पानी टपकता है तो प्लास्टिक ही काम आता है। उन्होंने कहा- बच्चे के जन्म होने पर भी सबसे पहले प्लास्टिक ही बिछाया जाता है। मेरा ये मानना है कि प्लास्टिक को लेकर जो पॉल्यूशन की बात कही जा रही है। उसके पीछे असल वजह विज्ञान का दोष नहीं, प्रबंधन का दोष है। यह एक बड़ी चुनौती है, जिससे हम सभी को निपटना होगा। तीन मूलमंत्र पर फोकस करना बेहद जरूरी उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
हवा, मिट्टी और पानी तीनों डेंजर जोन में:पद्म अवार्डी अनिल जोशी बोले- पर्यावरण के संरक्षण में सबकी भागीदारी की जरूरत
