<p style=”text-align: justify;”><strong>Pollution in Yamuna:</strong> दिल्ली की यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर फरवरी महीने में अब तक के सबसे खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. दिल्ली पोल्यूशन कंट्रोल कमेटी (DPCC) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, असगरपुर इलाके में यमुना नदी के 100 मिलीलीटर पानी में फीकल कोलीफॉर्म का स्तर 1 करोड़ 60 लाख से भी ज्यादा दर्ज किया गया, जो जनवरी में 79 लाख था. यानी महज एक महीने में प्रदूषण स्तर दोगुना हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>DPCC की रिपोर्ट में दिल्ली में यमुना नदी के आठ स्थानों पर जल गुणवत्ता की स्थिति का खुलासा हुआ है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पल्ला गांव में पानी सबसे साफ, लेकिन प्रदूषण बढ़ा</strong><br />रिपोर्ट के अनुसार, यमुना जब हरियाणा से पल्ला गांव के जरिए दिल्ली में प्रवेश करती है, तब पानी सबसे साफ होता है. फरवरी में यहां 100 मिलीलीटर पानी में फीकल कोलीफॉर्म का स्तर 1300 दर्ज किया गया, जबकि जनवरी में यह 950 था. हालांकि, नदी में इस बैक्टीरिया का अधिकतम सुरक्षित स्तर 2500 से अधिक नहीं होना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ओखला बैराज और वजीराबाद में हालात गंभीर</strong><br />यमुना का सबसे ज्यादा प्रदूषित हिस्सा ओखला बैराज के आसपास देखा जाता है. रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी में यहां 100 मिलीलीटर पानी में फीकल कोलीफॉर्म का स्तर 4 लाख था, जो फरवरी में बढ़कर 9 लाख हो गया. इसी तरह, वजीराबाद बैराज में 3500 फीकल कोलीफॉर्म का स्तर दर्ज किया गया, लेकिन नजफगढ़ नाले के यमुना में मिलने के बाद, ISBT क्षेत्र में यह बढ़कर 54 लाख हो गया. कालिंदी कुंज के आसपास भी स्थिति गंभीर बनी हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है फीकल कोलीफॉर्म?</strong><br />फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया मुख्य रूप से इंसानों और जानवरों के मल में पाए जाते हैं. जब ये जल स्रोतों में मिलते हैं, तो इसका मतलब होता है कि बिना ट्रीटमेंट के सीवेज और नाले सीधे नदी में गिर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यमुना सफाई अभियान का असर अगली रिपोर्ट में दिखेगा</strong><br />दिल्ली में नई सरकार बनने के बाद 16 फरवरी से यमुना की सफाई का कार्य शुरू किया गया था. हालांकि, DPCC द्वारा जारी यह रिपोर्ट 10 फरवरी को लिए गए सैंपल के आधार पर बनी है, जिसे 25 फरवरी को तैयार किया गया और अब सार्वजनिक किया गया. अब मार्च की रिपोर्ट में साफ-सफाई के असर को देखना अहम होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/hWyVAU24oK0?si=XoIjznOMWthnmMWO” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें – <a title=”Delhi: दिल्ली पुलिस ने ‘डॉलर गैंग’ का किया भंडाफोड़, इन कोड वर्ड से करते था ठगी” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-police-busts-dollar-gang-arrests-four-for-duping-people-with-fake-us-dollars-ann-2902986″ target=”_self”>Delhi: दिल्ली पुलिस ने ‘डॉलर गैंग’ का किया भंडाफोड़, इन कोड वर्ड से करते था ठगी</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Pollution in Yamuna:</strong> दिल्ली की यमुना नदी में प्रदूषण का स्तर फरवरी महीने में अब तक के सबसे खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. दिल्ली पोल्यूशन कंट्रोल कमेटी (DPCC) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, असगरपुर इलाके में यमुना नदी के 100 मिलीलीटर पानी में फीकल कोलीफॉर्म का स्तर 1 करोड़ 60 लाख से भी ज्यादा दर्ज किया गया, जो जनवरी में 79 लाख था. यानी महज एक महीने में प्रदूषण स्तर दोगुना हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>DPCC की रिपोर्ट में दिल्ली में यमुना नदी के आठ स्थानों पर जल गुणवत्ता की स्थिति का खुलासा हुआ है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पल्ला गांव में पानी सबसे साफ, लेकिन प्रदूषण बढ़ा</strong><br />रिपोर्ट के अनुसार, यमुना जब हरियाणा से पल्ला गांव के जरिए दिल्ली में प्रवेश करती है, तब पानी सबसे साफ होता है. फरवरी में यहां 100 मिलीलीटर पानी में फीकल कोलीफॉर्म का स्तर 1300 दर्ज किया गया, जबकि जनवरी में यह 950 था. हालांकि, नदी में इस बैक्टीरिया का अधिकतम सुरक्षित स्तर 2500 से अधिक नहीं होना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ओखला बैराज और वजीराबाद में हालात गंभीर</strong><br />यमुना का सबसे ज्यादा प्रदूषित हिस्सा ओखला बैराज के आसपास देखा जाता है. रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी में यहां 100 मिलीलीटर पानी में फीकल कोलीफॉर्म का स्तर 4 लाख था, जो फरवरी में बढ़कर 9 लाख हो गया. इसी तरह, वजीराबाद बैराज में 3500 फीकल कोलीफॉर्म का स्तर दर्ज किया गया, लेकिन नजफगढ़ नाले के यमुना में मिलने के बाद, ISBT क्षेत्र में यह बढ़कर 54 लाख हो गया. कालिंदी कुंज के आसपास भी स्थिति गंभीर बनी हुई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है फीकल कोलीफॉर्म?</strong><br />फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया मुख्य रूप से इंसानों और जानवरों के मल में पाए जाते हैं. जब ये जल स्रोतों में मिलते हैं, तो इसका मतलब होता है कि बिना ट्रीटमेंट के सीवेज और नाले सीधे नदी में गिर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यमुना सफाई अभियान का असर अगली रिपोर्ट में दिखेगा</strong><br />दिल्ली में नई सरकार बनने के बाद 16 फरवरी से यमुना की सफाई का कार्य शुरू किया गया था. हालांकि, DPCC द्वारा जारी यह रिपोर्ट 10 फरवरी को लिए गए सैंपल के आधार पर बनी है, जिसे 25 फरवरी को तैयार किया गया और अब सार्वजनिक किया गया. अब मार्च की रिपोर्ट में साफ-सफाई के असर को देखना अहम होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/hWyVAU24oK0?si=XoIjznOMWthnmMWO” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
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