भास्कर न्यूज | होशियारपुर लोगों को मृत्यु के बाद नेत्रदान करने के लिए नेत्रदान एसोसिएशन ने सिविल सर्जन कार्यालय में सेल्फी प्वाइंट स्थापित किया, जिसका शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ. पवन कुमार शगोत्रा ने किया। इस अवसर पर एसीएस डॉ. कमलेश कुमारी के अलावा नेत्रदान एसोसिएशन के संस्थापक सदस्य बहादुर सिंह सुनेत, अध्यक्ष मनमोहन सिंह, सचिव बलजीत सिंह, मैडम रचना कौर, संतोष सैनी, हरभजन सिंह, गुरपाल सिंह व एसोसिएशन के अन्य सदस्य उपस्थित थे। सिविल सर्जन ने कहा कि इस तरह की जागरूकता गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य लोगों को नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूक करना है, भारत में लाखों लोग अंधे हैं और उनमें से अधिकांश दान की आंखों से देख सकते है। लेकिन दु:ख की बात है कि हमारे देश में नेत्रदान करने वालों की संख्या बहुत कम है। उन्होंने जिलावासियों से अपील की कि वे नेत्रदान अभियान में आगे आकर योगदान दें तथा अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और मित्रों को भी इस नेक कार्य के लिए प्रेरित करें। बहादुर सिंह सुनेत ने बताया कि जब तक दान किए हुए नेत्र के लिए नेत्र बैंक की टीम न आ जाए, तब तक कमरे में पंखा बंद रखना चाहिए तथा आंखों की देखभाल के लिए आंखों पर गीला व साफ कपड़ा रखना चाहिए, आंखें निकालने में केवल 10-15 मिनट लगते हैं और इस प्रक्रिया से चेहरे पर कोई निशान या दाग नहीं पड़ता। भास्कर न्यूज | होशियारपुर लोगों को मृत्यु के बाद नेत्रदान करने के लिए नेत्रदान एसोसिएशन ने सिविल सर्जन कार्यालय में सेल्फी प्वाइंट स्थापित किया, जिसका शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ. पवन कुमार शगोत्रा ने किया। इस अवसर पर एसीएस डॉ. कमलेश कुमारी के अलावा नेत्रदान एसोसिएशन के संस्थापक सदस्य बहादुर सिंह सुनेत, अध्यक्ष मनमोहन सिंह, सचिव बलजीत सिंह, मैडम रचना कौर, संतोष सैनी, हरभजन सिंह, गुरपाल सिंह व एसोसिएशन के अन्य सदस्य उपस्थित थे। सिविल सर्जन ने कहा कि इस तरह की जागरूकता गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य लोगों को नेत्रदान के महत्व के बारे में जागरूक करना है, भारत में लाखों लोग अंधे हैं और उनमें से अधिकांश दान की आंखों से देख सकते है। लेकिन दु:ख की बात है कि हमारे देश में नेत्रदान करने वालों की संख्या बहुत कम है। उन्होंने जिलावासियों से अपील की कि वे नेत्रदान अभियान में आगे आकर योगदान दें तथा अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और मित्रों को भी इस नेक कार्य के लिए प्रेरित करें। बहादुर सिंह सुनेत ने बताया कि जब तक दान किए हुए नेत्र के लिए नेत्र बैंक की टीम न आ जाए, तब तक कमरे में पंखा बंद रखना चाहिए तथा आंखों की देखभाल के लिए आंखों पर गीला व साफ कपड़ा रखना चाहिए, आंखें निकालने में केवल 10-15 मिनट लगते हैं और इस प्रक्रिया से चेहरे पर कोई निशान या दाग नहीं पड़ता। पंजाब | दैनिक भास्कर
