उत्तराखंड: पर्वतीय होली पर बंद रहेंगे स्कूल-कॉलेज और सरकारी दफ्तर, धामी सरकार ने किया छुट्टी का ऐलान

उत्तराखंड: पर्वतीय होली पर बंद रहेंगे स्कूल-कॉलेज और सरकारी दफ्तर, धामी सरकार ने किया छुट्टी का ऐलान

<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड सरकार ने प्रदेशवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पर्वतीय होली के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार, 15 मार्च 2025 (शनिवार) को राज्य के सभी सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों एवं विद्यालयों में अवकाश रहेगा.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पर्वतीय होली उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और इसे पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में होली को विशिष्ट परंपराओं के साथ मनाने की परंपरा रही है. यहां की होली केवल रंगों का पर्व नहीं, बल्कि संगीत, नृत्य और मेल-मिलाप का भी प्रतीक है. इसे ‘बैठकी होली’ और ‘खड़ी होली’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें पारंपरिक वाद्ययंत्रों और लोकगीतों की विशेष भूमिका होती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकारी-गैर सरकारी दफ़्तर और शिक्षण संस्थानों में छुट्टी</strong><br />प्रदेश सरकार द्वारा घोषित इस अवकाश का लाभ सभी सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों और विद्यालयों को मिलेगा, हालांकि यह अवकाश बैंकों, कोषागारों और उप कोषागारों पर लागू नहीं होगा। सरकार के इस फैसले को स्थानीय जनता और सांस्कृतिक संगठनों ने सराहा है. उनका कहना है कि यह निर्णय पर्वतीय संस्कृति को बढ़ावा देने और नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जोड़ने में सहायक होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में होली का विशेष महत्व है. यहां के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में इसे विभिन्न रूपों में मनाया जाता है. बैठकी होली में होली के गीतों का आयोजन घरों और मंदिरों में किया जाता है, जबकि खड़ी होली में लोग पारंपरिक वेशभूषा में समूह बनाकर नृत्य व गायन करते हैं. साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में लोग एक-दूसरे के घरों में जाकर होली मिलन करते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>[yt]https://www.youtube.com/watch?v=D0AGEIhZuvc[/yt]</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्य सरकार के इस फैसले से पर्वतीय क्षेत्रों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. लोगों का कहना है कि इससे उन्हें अपनी परंपरागत होली को पूरे उत्साह के साथ मनाने का अवसर मिलेगा. मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित रखना सरकार की प्राथमिकता है और इसी दिशा में यह कदम उठाया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सरकार के इस निर्णय से राज्य में सांस्कृतिक पर्वों को और अधिक मान्यता मिलेगी तथा प्रदेशवासियों को अपने पारंपरिक त्योहारों को मनाने का अधिक अवसर प्राप्त होगा सीएम धामी भी अपने खटीमा वाले आवास में अपने परिजनों के साथ आज होली बना रहे है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/ganga-jamuni-tehzeeb-in-basti-on-holi-jumma-nazam-muslim-community-welcomes-procession-ann-2903933″>बस्ती में गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल, होली के जुलूस का मुस्लिम समुदाय ने किया स्वागत</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड सरकार ने प्रदेशवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पर्वतीय होली के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार, 15 मार्च 2025 (शनिवार) को राज्य के सभी सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों एवं विद्यालयों में अवकाश रहेगा.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि पर्वतीय होली उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और इसे पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में होली को विशिष्ट परंपराओं के साथ मनाने की परंपरा रही है. यहां की होली केवल रंगों का पर्व नहीं, बल्कि संगीत, नृत्य और मेल-मिलाप का भी प्रतीक है. इसे ‘बैठकी होली’ और ‘खड़ी होली’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें पारंपरिक वाद्ययंत्रों और लोकगीतों की विशेष भूमिका होती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकारी-गैर सरकारी दफ़्तर और शिक्षण संस्थानों में छुट्टी</strong><br />प्रदेश सरकार द्वारा घोषित इस अवकाश का लाभ सभी सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों और विद्यालयों को मिलेगा, हालांकि यह अवकाश बैंकों, कोषागारों और उप कोषागारों पर लागू नहीं होगा। सरकार के इस फैसले को स्थानीय जनता और सांस्कृतिक संगठनों ने सराहा है. उनका कहना है कि यह निर्णय पर्वतीय संस्कृति को बढ़ावा देने और नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जोड़ने में सहायक होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में होली का विशेष महत्व है. यहां के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में इसे विभिन्न रूपों में मनाया जाता है. बैठकी होली में होली के गीतों का आयोजन घरों और मंदिरों में किया जाता है, जबकि खड़ी होली में लोग पारंपरिक वेशभूषा में समूह बनाकर नृत्य व गायन करते हैं. साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में लोग एक-दूसरे के घरों में जाकर होली मिलन करते हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>[yt]https://www.youtube.com/watch?v=D0AGEIhZuvc[/yt]</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्य सरकार के इस फैसले से पर्वतीय क्षेत्रों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. लोगों का कहना है कि इससे उन्हें अपनी परंपरागत होली को पूरे उत्साह के साथ मनाने का अवसर मिलेगा. मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित रखना सरकार की प्राथमिकता है और इसी दिशा में यह कदम उठाया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सरकार के इस निर्णय से राज्य में सांस्कृतिक पर्वों को और अधिक मान्यता मिलेगी तथा प्रदेशवासियों को अपने पारंपरिक त्योहारों को मनाने का अधिक अवसर प्राप्त होगा सीएम धामी भी अपने खटीमा वाले आवास में अपने परिजनों के साथ आज होली बना रहे है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/ganga-jamuni-tehzeeb-in-basti-on-holi-jumma-nazam-muslim-community-welcomes-procession-ann-2903933″>बस्ती में गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल, होली के जुलूस का मुस्लिम समुदाय ने किया स्वागत</a></strong></p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड Punjab: ‘पंथिक’ सभा नए जत्थेदारों की नियुक्ति से नाराज, SGPC से की पुराने जत्थेदारों को बहाल करने की मांग