शासन ने बुधवार देर रात 7 आईपीएस अफसरों के तबादले कर दिए। इसमें दो आईजी, दो डीआईजी और तीन एसपी रैंक के अफसर शामिल हैं। पुलिस कमिश्नरेट कानपुर में विनोद कुमार सिंह को ज्वाइंट सीपी अपराध एवं मुख्यालय की जिम्मेदारी दी गई है। वह अभी तक आईजी सुरक्षा की जिम्मेदारी देख रहे थे। आईजी ईओडब्ल्यू उपेंद्र अग्रवाल को आईजी सुरक्षा बनाया गया है। लखनऊ में दोनों संयुक्त पुलिस आयुक्त की जिम्मेदारी में फेरबदल किया गया है। कानून व्यवस्था देख रहे अमित वर्मा को अपराध एवं मुख्यालय बना दिया गया है और अपराध एवं मुख्यालय देख रहे बब्बलू कुमार को ज्वाइंट सीपी कानून एवं व्यवस्था बना दिया गया है। कासिम आब्दी बने कानपुर पुलिस कमिश्नरेट में डीसीपी एसपी विजलेंस का काम देख रहे कासिम आब्दी को कानपुर नगर में डीसीपी बनाकर भेजा गया है। वहीं एएनटीएफ में एसपी प्रदीप कुमार को आर्थिक अपराध अनुसंधान का एसपी बनाकर वाराणसी भेजा गया है। अपर पुलिस अधीक्षक से पुलिस अधीक्षक के पद पर प्रमोशन पा चुके शाहजहांपुर में तैनात मनोज कुमार अवस्थी को डीजीपी मुख्यालय पर एसपी कानून व्यवस्था बनाया गया है। शासन ने बुधवार देर रात 7 आईपीएस अफसरों के तबादले कर दिए। इसमें दो आईजी, दो डीआईजी और तीन एसपी रैंक के अफसर शामिल हैं। पुलिस कमिश्नरेट कानपुर में विनोद कुमार सिंह को ज्वाइंट सीपी अपराध एवं मुख्यालय की जिम्मेदारी दी गई है। वह अभी तक आईजी सुरक्षा की जिम्मेदारी देख रहे थे। आईजी ईओडब्ल्यू उपेंद्र अग्रवाल को आईजी सुरक्षा बनाया गया है। लखनऊ में दोनों संयुक्त पुलिस आयुक्त की जिम्मेदारी में फेरबदल किया गया है। कानून व्यवस्था देख रहे अमित वर्मा को अपराध एवं मुख्यालय बना दिया गया है और अपराध एवं मुख्यालय देख रहे बब्बलू कुमार को ज्वाइंट सीपी कानून एवं व्यवस्था बना दिया गया है। कासिम आब्दी बने कानपुर पुलिस कमिश्नरेट में डीसीपी एसपी विजलेंस का काम देख रहे कासिम आब्दी को कानपुर नगर में डीसीपी बनाकर भेजा गया है। वहीं एएनटीएफ में एसपी प्रदीप कुमार को आर्थिक अपराध अनुसंधान का एसपी बनाकर वाराणसी भेजा गया है। अपर पुलिस अधीक्षक से पुलिस अधीक्षक के पद पर प्रमोशन पा चुके शाहजहांपुर में तैनात मनोज कुमार अवस्थी को डीजीपी मुख्यालय पर एसपी कानून व्यवस्था बनाया गया है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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विहिप नेता बग्गा कत्ल केस में NIA को कामयाबी:हथियार देने वाला लुधियाना से काबू; बब्बर खालसा के दो आतंकियों की तलाश जारी
विहिप नेता बग्गा कत्ल केस में NIA को कामयाबी:हथियार देने वाला लुधियाना से काबू; बब्बर खालसा के दो आतंकियों की तलाश जारी पंजाब में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता विकास प्रभाकर उर्फ विकास बग्गा की हत्या में इस्तेमाल किए गए अवैध हथियारों की आपूर्ति करने वाले प्रमुख आरोपी को लुधियाना से अरेस्ट कर लिया गया। रविवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के साथ संयुक्त अभियान में ये सफलता हासिल की। आरोपी की पहचान धर्मिंदर कुमार उर्फ कुणाल के तौर पर हुई है। 13 अप्रैल 2024 को विकास बग्गा की हत्या के बाद 9 मई 2024 को ये मामला एनआईए ने अपने हाथों में ले लिया। जिसके बाद एनआईए की तरफ से आरसी-06/2024 एनआईए डीएलआई केस तैयार किया गया था। रविवार सुबह एनआईए और दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीमों ने पंजाब के लुधियाना में रेड कर धर्मिंदर कुमार को गिरफ्तार कर लिया। उसे IPC के UAPA और आर्म्स एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत हिरासत में लिया गया है। जांच में खालिस्तान लिंक आया था सामने इसी साल विकास बग्गा की 13 अप्रैल 2024 को पंजाब के रूपनगर जिले के नंगल में गोलियां मार हत्या कर दी गई थी। विकास बग्गा विश्व हिंदू परिषद के नंगल के जिला अध्यक्ष थे। जिस समय उन्हें गोलियां मारी गई, वे अपनी हलवाई की दुकान में बैठे हुए थे। 9 मई 2024 को मामला एनआईए ने अपने हाथों में लिया और घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के साथ मिलकर लगातार काम कर रही थी। जांच में पता चला था कि विदेश में बैठे खालिस्तानी आतंकियों ने इस घटना को प्लान किया था। मध्य-प्रदेश से खरीदे गए थे अवैध हथियार एनआईए जांच में पता चला था कि आरोपी धर्मिंदर ने मध्य प्रदेश से अवैध हथियार और गोला-बारूद खरीदा था। विदेश में रहने वाले खालिस्तानी आतंकवादी हरविंदर कुमार उर्फ सोनू के निर्देश पर हथियार शूटरों को सप्लाई किए गए थे। शूटरों की पहचान मंदीप कुमार उर्फ मंगली और सुरिंदर कुमार उर्फ रीका के रूप में हुई है, जो दोनों पंजाब के शहीद भगत सिंह नगर के निवासी हैं। उन्हें 16 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था और वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। बीकेआई के दो गुर्गों की तलाश जारी वहीं, दो अन्य आरोपियों बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के गुर्गों हरजीत सिंह उर्फ लाधी निवासी नवांशहर पंजाब और कुलबीर सिंह उर्फ सिद्धू निवासी यमुना नगर हरियाणा की तलाश जारी है। एनआईए की तरफ से इन दोनों गुर्गों के लिए 10-10 लाख रुपये का नकद इनाम भी जारी किया गया है।

New India Co-Operative Bank Scam: EOW ने किए नए खुलासे, फरार दंपत्ति की संपत्तियों की खुली पोल!
New India Co-Operative Bank Scam: EOW ने किए नए खुलासे, फरार दंपत्ति की संपत्तियों की खुली पोल! <p style=”text-align: justify;”><strong>New India Co-operative Bank:</strong> मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में हुए 122 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच में एक बड़े खुलासे तक पहुंची है. जांच में पता चला है कि इस मामले में वांटेड पूर्व अध्यक्ष हिरेन भानु और उनकी पत्नी गौरी भानु ने 2019 से 2024 के बीच कई महंगी संपत्तियां खरीदी हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>EOW को शक है कि ये संपत्तियां घोटाले से जुड़े काले धन से खरीदी गई हो सकती हैं. एक अधिकारी के अनुसार, जिस अवधि में बैंक से 122 करोड़ रुपये गबन किए गए, उसी दौरान इन संपत्तियों की खरीद भी हुई. ऐसे में पुलिस इसे “अपराध की आय” (Proceeds of Crime) मानकर इनकी जब्ती की संभावनाओं पर विचार कर रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>संपत्तियों की जब्ती के लिए नए कानूनी प्रावधानों की तलाश</strong><br />EOW इस घोटाले में बीएनएसएस (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) की धारा 107 (संपत्ति की कुर्की, जब्ती या बहाली) को जोड़ने पर विचार कर रही है, ताकि पुलिस संपत्तियों को जब्त कर सके. फिलहाल, इस केस में महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स (MPID) अधिनियम लागू नहीं किया जा सकता, इसलिए EOW नए कानूनी रास्ते तलाश रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>देश छोड़कर भागने से पहले करोड़ों की संपत्ति खरीदी</strong><br />सूत्रों के अनुसार, जांच में यह भी सामने आया कि बैंक घोटाले का खुलासा होने से कुछ ही दिन पहले हिरेन भानु और गौरी भानु मुंबई और आसपास के इलाकों में करीब 10-12 करोड़ रुपये की संपत्तियां खरीद चुके थे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अब तक चार गिरफ्तारियां, मुख्य आरोपी फरार</strong><br />इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इनमें न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व CEO अभिमन्यु भोआन, SRA डेवलपर धर्मेश पौन, और फरार आरोपी उन्नावन अरुणाचलम का बेटा मनोहर अरुणाचलम शामिल हैं. भानु दंपति भी इस केस में मुख्य आरोपी हैं, लेकिन एफआईआर दर्ज होने से कुछ दिन पहले ही वे देश छोड़कर भाग गए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>EOW को मिली जानकारी के अनुसार, हिरेन भानु अबू धाबी में छिपा हुआ है. उसने भारतीय नागरिकता छोड़कर ब्रिटिश नागरिकता ले ली है. वहीं, गौरी भानु एफआईआर दर्ज होने के दो दिन पहले ही थाईलैंड भाग गई थी. EOW ने दोनों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी कर दिया है. इसके बाद ब्लू कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया है. यदि आरोपी भारत वापस नहीं लौटते हैं, तो चार्जशीट दाखिल होने के बाद उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>वहीं EOW ने मंगलवार (11 मार्च) को एक और मुख्य आरोपी हितेश मेहता का पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जिसकी रिपोर्ट तीन से चार दिन में आ सकती है. इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में पुलिस आगे की जांच में जुटी हुई है और जल्द ही कुछ और बड़े खुलासे होने की संभावना है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें – <a title=”Malhar Certification: महाराष्ट्र में ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ पर नई तकरार! खंडोबा मंदिर के ट्रस्टी बोले- ‘हमारे देवता…'” href=”https://www.abplive.com/states/maharashtra/maharashtra-malhar-certification-controversy-malhari-martand-khandoba-mandir-trustees-reaction-2902971″ target=”_self”>Malhar Certification: महाराष्ट्र में ‘मल्हार सर्टिफिकेशन’ पर नई तकरार! खंडोबा मंदिर के ट्रस्टी बोले- ‘हमारे देवता…'</a></strong></p>

कांग्रेस के पूर्व विधायक 44.55 करोड़ की संपत्ति कुर्क:गुरुग्राम में 3700 लोगों को नहीं दिए घर, 500 करोड़ की हेराफेरी के आरोप
कांग्रेस के पूर्व विधायक 44.55 करोड़ की संपत्ति कुर्क:गुरुग्राम में 3700 लोगों को नहीं दिए घर, 500 करोड़ की हेराफेरी के आरोप प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गुरुग्राम जोनल कार्यालय की टीम ने पानीपत जिले की समालखा सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक धर्म सिंह छोक्कर और उसके दोनों बेटे सिकंदर छोक्कर और विकास छोक्कर की कंपनियों मेसर्स साईं आइना फार्मर्स प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित 44.55 करोड़ रुपए की संपत्ति को कुर्क किया है। यह कार्रवाई ईडी की टीम ने पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत 3700 से अधिक घर खरीदारों को धोखा देने और 500 करोड़ रुपए से अधिक की हेराफेरी के मामले में अस्थायी रूप से की है। पिछले साल छापेमारी की थी पिछले वर्ष ईडी ने कई बार पूर्व विधायक के ठिकानों पर छापेमारी भी की थी। विधायक धर्मसिंह छोक्कर और उनका बेटा विकास छोक्कर फरार है, जबकि सिकंदर छोकर जमानत पर है। ईडी की टीम द्वारा कुर्क की गई संपत्तियों में दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद और पानीपत में स्थित 13 अचल संपत्तियां शामिल हैं। इन संपत्तियों में करीब तीन एकड़ की कृषि भूमि, 2 हजार 487 वर्ग मीटर की व्यवसायिक भूमि और 8 आवासीय फ्लैट के अलावा विभिन्न व्यक्तियों से संबंधित लगभग 96 लाख रुपए की चल संपत्तियां, फिक्स्ड डिपॉजिट रसीदें (एफडीआर) और बैंक खातों में धन के रूप में शामिल हैं। घर खरीदारों का पैसे का निजी उपयोग इस मामले में माहिरा इंफोटेक, सीजर बिल्डवेल और माहिरा बिल्ड टेक ने गुरुग्राम के सेक्टर-68, सेक्टर-103 और सेक्टर-104 में मकान उपलब्ध कराने के वादे पर किफायती आवास योजना के तहत 3 हजार 700 से अधिक घर खरीदारों से लगभग 616.41 करोड़ रुपए एकत्र किए थे। ये सभी कंपनियां पीड़ितों को मकान देने में विफल रहीं। जबकि, घर खरीदारों से एकत्र किए गए धन को पूर्व विधायक और उनके बेटों ने अपने निजी फायदे के लिए पैसा डायवर्ट किया था। ईडी के रिकॉर्ड में फरार है धर्मसिंह छोक्कर उनके खिलाफ कई गैर-जमानती वारंट जारी होने के बावजूद धर्मसिंह छोक्कर और विकास कोर्ट में पेश नहीं हुए। नतीजतन, कोर्ट ने उन्हें 19 मई को पेश होने का निर्देश दिया है। ईडी ने गुरुग्राम पुलिस द्वारा साईं आइना फार्म्स और संबंधित संस्थाओं के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की। समय सीमा में घर नहीं दिए आरोपों में बाहरी और आंतरिक विकास कार्यों के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए फर्जी बैंक गारंटी सहित जाली दस्तावेज जमा करना शामिल है। यह धोखाधड़ी गतिविधि गुरुग्राम के सेक्टर 68, 103 और 104 में वादा किए गए किफायती आवास परियोजनाओं के संबंध में की गई थी। जहां कंपनी ने 3,700 घर खरीदारों से रुपए तो ले लिए, लेकिन समय सीमा के भीतर घर देने में विफल रही और कथित तौर पर धन का दुरुपयोग किया।