हरियाणा के गुरुग्राम में लोकसभा, विधानसभा और अब नगर निगम चुनाव में बड़ी जीत के बाद जिलाध्यक्ष कमल यादव को बदलना राजनीतिक लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। न केवल केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, बल्कि बादशाहपुर के विधायक एवं कैबिनेट मंत्री राव नरबीर भी उनके नाराज चल रहे थे। इसलिए दोनों ही बड़े नेताओं ने उनके कार्यकाल के विस्तार के लिए पैरवी नहीं की। जिसका फायदा नवनियुक्त जिलाध्यक्ष सर्वप्रिय त्यागी ने उठा लिया। कार्यकर्ताओं से बना ली थी दूरी सर्वप्रिय त्यागी हरियाणा के पूर्व भाजपा प्रभारी बिप्लब देव के नजदीकी हैं और राव नरबीर ने निकाय चुनाव में उनकी पत्नी एकता त्यागी के पक्ष में प्रचार किया था। भाजपा सूत्रों का कहना है कि कमल यादव ने अपना अलग ही सिस्टम बना लिया था, जिसके कारण गिने चुने लोग ही भाजपा कार्यालय गुरु कमल में जाते थे और पुराने कार्यकर्ताओं ने दूरी बना ली थी। वह अपनी मर्जी के हिसाब से कार्य करते थे। वरिष्ठ नेता चल रहे थे नाराज मनमर्जी चलाने और वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी के सवाल पर कमल यादव ने मीडिया में खुलकर कहा कि कमल यादव किसी नेता को खुश करने के लिए नहीं बैठा। कमल यादव यहां किसी व्यक्ति विशेष की राजनीति चमकाने के लिए नहीं बैठा है। मैं यहां केवल और केवल पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए बैठा हूं। उन्होंने कहा कि कोई भी चीज स्थायी नहीं है और हमेशा बदलाव होता है। किसी के बनाने से न तो जिलाध्यक्ष बनता है और न ही किसी के कहने से हटाया जाता है। यह पार्टी के सामूहिक निर्णय होते हैं। व्यक्ति को किसी पर भी पर्सनल अटैक नहीं करना चाहिए- कमल विधानसभा चुनाव में बादशाहपुर से जीतने वाले राव नरबीर का साथ नहीं देने के सवाल पर कमल यादव ने कहा कि सभी प्रत्याशियों का साथ दिया गया था। उनके पास केवल बादशाहपुर का एक चुनाव नहीं था, बल्कि जिले की चार सीटों पर चुनाव संभाल रहा था। बादशाहपुर सीट हम जीत रहे थे और सोहना में चुनाव कुछ टाइट लग रहा था, इसलिए मैंने सोहना में ज्यादा ध्यान दिया। इसका मतलब ये नहीं कि मैंने बादशाहपुर में साथ नहीं दिया। निकाय चुनाव में राव नरबीर के बड़बोलेपन को लेकर उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को किसी पर भी पर्सनल अटैक नहीं करना चाहिए न जाति के ऊपर करना चाहिए और न किसी और विषय पर। इस प्रकार के कामों से नुकसान होता है। हरियाणा के गुरुग्राम में लोकसभा, विधानसभा और अब नगर निगम चुनाव में बड़ी जीत के बाद जिलाध्यक्ष कमल यादव को बदलना राजनीतिक लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। न केवल केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, बल्कि बादशाहपुर के विधायक एवं कैबिनेट मंत्री राव नरबीर भी उनके नाराज चल रहे थे। इसलिए दोनों ही बड़े नेताओं ने उनके कार्यकाल के विस्तार के लिए पैरवी नहीं की। जिसका फायदा नवनियुक्त जिलाध्यक्ष सर्वप्रिय त्यागी ने उठा लिया। कार्यकर्ताओं से बना ली थी दूरी सर्वप्रिय त्यागी हरियाणा के पूर्व भाजपा प्रभारी बिप्लब देव के नजदीकी हैं और राव नरबीर ने निकाय चुनाव में उनकी पत्नी एकता त्यागी के पक्ष में प्रचार किया था। भाजपा सूत्रों का कहना है कि कमल यादव ने अपना अलग ही सिस्टम बना लिया था, जिसके कारण गिने चुने लोग ही भाजपा कार्यालय गुरु कमल में जाते थे और पुराने कार्यकर्ताओं ने दूरी बना ली थी। वह अपनी मर्जी के हिसाब से कार्य करते थे। वरिष्ठ नेता चल रहे थे नाराज मनमर्जी चलाने और वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी के सवाल पर कमल यादव ने मीडिया में खुलकर कहा कि कमल यादव किसी नेता को खुश करने के लिए नहीं बैठा। कमल यादव यहां किसी व्यक्ति विशेष की राजनीति चमकाने के लिए नहीं बैठा है। मैं यहां केवल और केवल पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए बैठा हूं। उन्होंने कहा कि कोई भी चीज स्थायी नहीं है और हमेशा बदलाव होता है। किसी के बनाने से न तो जिलाध्यक्ष बनता है और न ही किसी के कहने से हटाया जाता है। यह पार्टी के सामूहिक निर्णय होते हैं। व्यक्ति को किसी पर भी पर्सनल अटैक नहीं करना चाहिए- कमल विधानसभा चुनाव में बादशाहपुर से जीतने वाले राव नरबीर का साथ नहीं देने के सवाल पर कमल यादव ने कहा कि सभी प्रत्याशियों का साथ दिया गया था। उनके पास केवल बादशाहपुर का एक चुनाव नहीं था, बल्कि जिले की चार सीटों पर चुनाव संभाल रहा था। बादशाहपुर सीट हम जीत रहे थे और सोहना में चुनाव कुछ टाइट लग रहा था, इसलिए मैंने सोहना में ज्यादा ध्यान दिया। इसका मतलब ये नहीं कि मैंने बादशाहपुर में साथ नहीं दिया। निकाय चुनाव में राव नरबीर के बड़बोलेपन को लेकर उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को किसी पर भी पर्सनल अटैक नहीं करना चाहिए न जाति के ऊपर करना चाहिए और न किसी और विषय पर। इस प्रकार के कामों से नुकसान होता है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
