लोकसभा में वक्फ बिल के संसोधन को लेकर प्रस्ताव के बाद कानपुर में वक्फ संपत्तियों पर सवाल उठने लगे हैं। कानपुर में कुल 1669 संपत्तियां वक्फ के पास हैं। इनमें सुन्नी समुदाय के पास वक्फ संपत्तियों की संख्या 1635 और शिया समुदाय के पास 34 संपत्तियां हैं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा संपत्तियों को लेकर ये सर्वे कराया गया है। बेशकीमती जमीनों पर सबसे ज्यादा कब्जे
कानपुर में वीआईपी रोड किनारे बेशकीमती जमीनें भी वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आती हैं। इनमें ज्यादातर में कब्रिस्तान और अन्य पर अवैध कब्जे हैं। इसमें 548 प्रॉपर्टी हैं, जो विवादित हैं। यानि कि नजूल लैंड होने के बाद भी वक्फ संपत्ति के रूप में शामिल किया गया है। नई प्रॉपर्टी को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं
ऐसी जमीनें जो सरकार के स्तर से हों और सार्वजनिक रूप से उपयोग की जा रही हैं, जैसे कब्रिस्तान, दरगाह और मस्जिदें आदि उनके नाम वक्फ के धारा 37 के रजिस्टर में दर्ज हैं। पर इनमें 548 वक्फ ऐसे हैं जिन्हें लेकर भ्रम है। इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। शासन स्तर से निर्देश के बाद इन पर कोई निर्णय होगा। 548 संपत्तियां ऐसी हैं जो धारा 37 में दर्ज
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी पवन कुमार ने बताया कि वक्फ की धारा 37 के आधार पर सर्वे कराया गया था। 548 संपत्तियां ऐसी हैं जो धारा 37 में दर्ज हैं। यह संपत्तियां उपयोग के आधार पर वक्फ रजिस्टर 37 में दर्ज हैं। यह सरकारी अभिलेखों में भी दर्ज हैं। ईदगाह, मस्जिद, कब्रिस्तान शामिल
ग्वालटोली, परेड के आसपास के क्षेत्रों में कई सम्पत्तियां वक्फ बोर्ड की है। इसमें ईदगाह, मस्जिद, कब्रिस्तान, मुस्लिम यतीमखाना समेत कई सम्पत्तियां शामिल हैं। लोकसभा में वक्फ कानून में संशोधन के लिए बिल पेश किया गया है। कानपुर में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक सम्पत्तियां हैं। सुन्नी वक्फ के नाम यहां हैं संपत्तियां
मुस्लिम यतीमखाना, नवाबगंज स्थित मस्जिद खैरात अली, नील वाली गली में एक सम्पत्ति, परेड स्थित वक्फ मस्जिद खलवा, कब्रिस्तान मकबरा और दरगाह पार्वती बागला रोड, फजलगंज स्थित हाता फजल हुसैन, अनवरगंज शेख अब्दुल रहीम। शिया वक्फ के नाम यहां हैं संपत्तियां
ग्वालटोली स्थित नवाब बहादर, कर्नलगंज स्थित हादी बेगम व सरदार बेगम, ग्वालटोली सुटरगंज स्थित वक्फ हाजी मोहम्मद अली खां। वक्फ संपत्तियां दो प्रकार की होती हैं
इस सर्वे के बाद यह बात सामने आई है कि सभी सम्पत्तियां धारा 37 में दर्ज हैं। वक्फ की धारा 37 का अर्थ है कि जो भी वक्फ संपत्तियां हैं उसके अभिलेखों का इसमें इंद्राज होना जरूरी है। वक्फ को दो आधार पर गिना गया। एक तो जो किसी ने वक्फ के रूप में दान की थी और दूसरे जो भू उपयोग के आधार पर होती हैं। जो संपत्तियां दान के रूप में होते हैं उनका पूरा ब्योरा यानी अभिलेख डीड आदि के रूप में होता है। लोकसभा में वक्फ बिल के संसोधन को लेकर प्रस्ताव के बाद कानपुर में वक्फ संपत्तियों पर सवाल उठने लगे हैं। कानपुर में कुल 1669 संपत्तियां वक्फ के पास हैं। इनमें सुन्नी समुदाय के पास वक्फ संपत्तियों की संख्या 1635 और शिया समुदाय के पास 34 संपत्तियां हैं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा संपत्तियों को लेकर ये सर्वे कराया गया है। बेशकीमती जमीनों पर सबसे ज्यादा कब्जे
कानपुर में वीआईपी रोड किनारे बेशकीमती जमीनें भी वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आती हैं। इनमें ज्यादातर में कब्रिस्तान और अन्य पर अवैध कब्जे हैं। इसमें 548 प्रॉपर्टी हैं, जो विवादित हैं। यानि कि नजूल लैंड होने के बाद भी वक्फ संपत्ति के रूप में शामिल किया गया है। नई प्रॉपर्टी को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं
ऐसी जमीनें जो सरकार के स्तर से हों और सार्वजनिक रूप से उपयोग की जा रही हैं, जैसे कब्रिस्तान, दरगाह और मस्जिदें आदि उनके नाम वक्फ के धारा 37 के रजिस्टर में दर्ज हैं। पर इनमें 548 वक्फ ऐसे हैं जिन्हें लेकर भ्रम है। इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। शासन स्तर से निर्देश के बाद इन पर कोई निर्णय होगा। 548 संपत्तियां ऐसी हैं जो धारा 37 में दर्ज
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी पवन कुमार ने बताया कि वक्फ की धारा 37 के आधार पर सर्वे कराया गया था। 548 संपत्तियां ऐसी हैं जो धारा 37 में दर्ज हैं। यह संपत्तियां उपयोग के आधार पर वक्फ रजिस्टर 37 में दर्ज हैं। यह सरकारी अभिलेखों में भी दर्ज हैं। ईदगाह, मस्जिद, कब्रिस्तान शामिल
ग्वालटोली, परेड के आसपास के क्षेत्रों में कई सम्पत्तियां वक्फ बोर्ड की है। इसमें ईदगाह, मस्जिद, कब्रिस्तान, मुस्लिम यतीमखाना समेत कई सम्पत्तियां शामिल हैं। लोकसभा में वक्फ कानून में संशोधन के लिए बिल पेश किया गया है। कानपुर में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक सम्पत्तियां हैं। सुन्नी वक्फ के नाम यहां हैं संपत्तियां
मुस्लिम यतीमखाना, नवाबगंज स्थित मस्जिद खैरात अली, नील वाली गली में एक सम्पत्ति, परेड स्थित वक्फ मस्जिद खलवा, कब्रिस्तान मकबरा और दरगाह पार्वती बागला रोड, फजलगंज स्थित हाता फजल हुसैन, अनवरगंज शेख अब्दुल रहीम। शिया वक्फ के नाम यहां हैं संपत्तियां
ग्वालटोली स्थित नवाब बहादर, कर्नलगंज स्थित हादी बेगम व सरदार बेगम, ग्वालटोली सुटरगंज स्थित वक्फ हाजी मोहम्मद अली खां। वक्फ संपत्तियां दो प्रकार की होती हैं
इस सर्वे के बाद यह बात सामने आई है कि सभी सम्पत्तियां धारा 37 में दर्ज हैं। वक्फ की धारा 37 का अर्थ है कि जो भी वक्फ संपत्तियां हैं उसके अभिलेखों का इसमें इंद्राज होना जरूरी है। वक्फ को दो आधार पर गिना गया। एक तो जो किसी ने वक्फ के रूप में दान की थी और दूसरे जो भू उपयोग के आधार पर होती हैं। जो संपत्तियां दान के रूप में होते हैं उनका पूरा ब्योरा यानी अभिलेख डीड आदि के रूप में होता है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
कानपुर में 1669 वक्फ संपत्तियां, 548 पर विवाद:शिया के पास 1635, सुन्नी समुदाय के पास 34 वक्फ संपत्ति; कई बेशकीमती जमीनों पर अवैध कब्जे
