हरियाणा में बिजली की दरों में की गई वृद्धि के विरोध में सोनीपत में प्रदर्शन किया गया। नागरिक अधिकार मंच के बैनर तले कई संगठनों के कर्मचारी एकत्रित हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा। प्रदर्शनकारियों ने बढ़ी हुई दरों को तुरंत वापस लेने की मांग की तथा चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो प्रदेश स्तर पर असहयोग आंदोलन शुरू किया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। इस प्रदर्शन में सीआईटीयू व सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के सदस्यों ने भी भाग लिया तथा सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। नागरिक अधिकार मंच और अन्य संगठनों का आरोप है कि सरकार ने चुनाव से पहले किए गए वादे के विपरीत बिजली की दरों में भारी बढ़ोतरी की है, जिससे आम आदमी पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। उनका यह भी आरोप है कि सरकार महंगी दरों पर बिजली खरीदकर उसका खामियाजा जनता से वसूल रही है। सुनीता देवी, प्रधान, सीटू ने कहा सरकार ने चुनाव से पहले बिजली के रेट कम करने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आते ही उन्होंने दरों में बढ़ोतरी कर दी है। आजकल घरों में बिजली की खपत भी ज्यादा है और ऐसे में बढ़े हुए रेट आम आदमी की कमर तोड़ देंगे। सिलक राम, नागरिक अधिकार मंच कार्यकर्ता ने कहा चुनाव के समय मुख्यमंत्री ने बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी न करने का दावा किया था, लेकिन अब 1 रुपये 10 पैसे प्रति यूनिट तक की भारी वृद्धि की गई है। पहले मामूली बढ़ोतरी होती थी, लेकिन अब आम आदमी पर बहुत बड़ा बोझ डाला गया है। आरोप लगाते कहा है कि अलग-अलग स्लैब बनाकर लोगों को और परेशान किया जा रहा है। उन्होंने पावर बिल 2020 को संशोधित कर बिजली बिल 2023 करने पर भी सवाल उठाया और कहा कि सरकार गुजरात से महंगी दरों पर बिजली खरीदकर आम जनता पर उसका बोझ डाल रही है। अब आम आदमी के लिए कोई राहत नहीं है, इसलिए आज यह प्रोटेस्ट किया गया है। अगर सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी तो असहयोग आंदोलन शुरू किया जाएगा और गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा। गरीब आदमी के लिए बढ़ी हुई कीमतों के साथ बिल भरना मुश्किल है, और यह आम आदमी के अधिकार पर हमला है। प्रति यूनिट की दरें हरियाणा बिजली विनियामक आयोग (HERC) की ओर से जारी नए टैरिफ के हिसाब से दरों में 20 से 40 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ाए गए हैं। उपभोक्ताओं के यूनिट खर्च के लिहाज से बनाए गए स्लैब के दामों में भी बदलाव किया गया है। अब 300 यूनिट तक मासिक बिजली खपत वाले घरेलू उपभोक्ताओं पर कोई तय शुल्क नहीं लगेगा। जबकि, पहले यह शुल्क अलग-अलग श्रेणियों में 125 से 135 रुपए तक था। घरेलू उपभोक्ताओं के अलावा इंडस्ट्री को मिलने वाली बिजली की दरों में भी वृद्धि हुई है। आयोग ने हाई टेंशन लाइन सप्लाई में 30 से 35 पैसे और छोटे कारखानों की एलटी सप्लाई में 10 से 15 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की है। वहीं, बल्क सप्लाई की दरें 40 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ाई गई हैं। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि हरियाणा सरकार तुरंत प्रभाव से बिजली की दरों में की गई वृद्धि को वापस ले। उनका कहना है कि यह वृद्धि आम आदमी के लिए असहनीय है और सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। हरियाणा में बिजली की दरों में की गई वृद्धि के विरोध में सोनीपत में प्रदर्शन किया गया। नागरिक अधिकार मंच के बैनर तले कई संगठनों के कर्मचारी एकत्रित हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा। प्रदर्शनकारियों ने बढ़ी हुई दरों को तुरंत वापस लेने की मांग की तथा चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो प्रदेश स्तर पर असहयोग आंदोलन शुरू किया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी। इस प्रदर्शन में सीआईटीयू व सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के सदस्यों ने भी भाग लिया तथा सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। नागरिक अधिकार मंच और अन्य संगठनों का आरोप है कि सरकार ने चुनाव से पहले किए गए वादे के विपरीत बिजली की दरों में भारी बढ़ोतरी की है, जिससे आम आदमी पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। उनका यह भी आरोप है कि सरकार महंगी दरों पर बिजली खरीदकर उसका खामियाजा जनता से वसूल रही है। सुनीता देवी, प्रधान, सीटू ने कहा सरकार ने चुनाव से पहले बिजली के रेट कम करने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आते ही उन्होंने दरों में बढ़ोतरी कर दी है। आजकल घरों में बिजली की खपत भी ज्यादा है और ऐसे में बढ़े हुए रेट आम आदमी की कमर तोड़ देंगे। सिलक राम, नागरिक अधिकार मंच कार्यकर्ता ने कहा चुनाव के समय मुख्यमंत्री ने बिजली की दरों में कोई बढ़ोतरी न करने का दावा किया था, लेकिन अब 1 रुपये 10 पैसे प्रति यूनिट तक की भारी वृद्धि की गई है। पहले मामूली बढ़ोतरी होती थी, लेकिन अब आम आदमी पर बहुत बड़ा बोझ डाला गया है। आरोप लगाते कहा है कि अलग-अलग स्लैब बनाकर लोगों को और परेशान किया जा रहा है। उन्होंने पावर बिल 2020 को संशोधित कर बिजली बिल 2023 करने पर भी सवाल उठाया और कहा कि सरकार गुजरात से महंगी दरों पर बिजली खरीदकर आम जनता पर उसका बोझ डाल रही है। अब आम आदमी के लिए कोई राहत नहीं है, इसलिए आज यह प्रोटेस्ट किया गया है। अगर सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानी तो असहयोग आंदोलन शुरू किया जाएगा और गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा। गरीब आदमी के लिए बढ़ी हुई कीमतों के साथ बिल भरना मुश्किल है, और यह आम आदमी के अधिकार पर हमला है। प्रति यूनिट की दरें हरियाणा बिजली विनियामक आयोग (HERC) की ओर से जारी नए टैरिफ के हिसाब से दरों में 20 से 40 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ाए गए हैं। उपभोक्ताओं के यूनिट खर्च के लिहाज से बनाए गए स्लैब के दामों में भी बदलाव किया गया है। अब 300 यूनिट तक मासिक बिजली खपत वाले घरेलू उपभोक्ताओं पर कोई तय शुल्क नहीं लगेगा। जबकि, पहले यह शुल्क अलग-अलग श्रेणियों में 125 से 135 रुपए तक था। घरेलू उपभोक्ताओं के अलावा इंडस्ट्री को मिलने वाली बिजली की दरों में भी वृद्धि हुई है। आयोग ने हाई टेंशन लाइन सप्लाई में 30 से 35 पैसे और छोटे कारखानों की एलटी सप्लाई में 10 से 15 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की है। वहीं, बल्क सप्लाई की दरें 40 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ाई गई हैं। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि हरियाणा सरकार तुरंत प्रभाव से बिजली की दरों में की गई वृद्धि को वापस ले। उनका कहना है कि यह वृद्धि आम आदमी के लिए असहनीय है और सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। हरियाणा | दैनिक भास्कर
