काशी के भाजपा विधायक ने मस्जिद में लगाई झाड़ू:1 घंटे तक पूरे परिसर की धुलाई भी की; औरंगजेब ने बनवाई थी

काशी के भाजपा विधायक ने मस्जिद में लगाई झाड़ू:1 घंटे तक पूरे परिसर की धुलाई भी की; औरंगजेब ने बनवाई थी

वाराणसी दक्षिणी सीट से विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी सोमवार को अचानक धरहरा मस्जिद में घुस गए। समर्थकों के साथ पहले झाडू लगाई, फिर धुलाई की। विधायक ने करीब 1 घंटे तक मस्जिद की धुलाई भी की। इस दौरान मस्जिद में पीएम मोदी और योगी जिंदाबाद के नारे गूंजते रहे। भाजपा कार्यकर्ताओं ने हर हर महादेव का जयघोष भी किया। इसके बाद विधायक ने कहा-वार्ड में सफाई की तो यहां भी सफाई कर दी। 1669 में ‘आलमगीर’ उपाधि मिलने के बाद बिंदुमाधव वार्ड में आलमगीर मस्जिद का निर्माण कराया गया था। इसे धरहरा मस्जिद भी कहा जाता है। इस स्थान पर मंदिर का दावा किया गया था। दो केस कोर्ट में लंबित हैं। वर्तमान में इसकी देख रेख ASI के पास है। पहले देखिए 2 तस्वीरें अब पढ़िए पूरा मामला… सीढ़ियों से लेकर मस्जिद परिसर के अंदर तक सफाई की
पीएम मोदी का 11 अप्रैल को वाराणसी दौरा है। इससे पहले भाजपा कार्यकर्ता पूरे शहर में स्वच्छता अभियान चल रहे हैं। सोमवार को विधायक नीलकंठ तिवारी ने विधानसभा क्षेत्र के बिंदुमाधव वार्ड में झाडू लगाई। पंचगंगा घाट क्षेत्र और बिंदुमाधव के बाद विधायक समर्थकों के साथ ‘धरहरा मस्जिद’ में घुस गए। सबसे पहले उन्होंने सीढ़ियों पर झाडू लगाई। फिर अंदर परिसर में पहुंच गए। विधायक ने पहले मुख्य नमाज पढ़ने वाले स्थल पर झाडू लगाना शुरू किया। उनके साथ समर्थक भी झाडू लगाने में जुट गए। मस्जिद परिसर के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक झाडू लगाई। इसके बाद समर्थकों ने पूरे स्थल को धुला। विधायक ने करीब 1 घंटे तक परिसर का निरीक्षण भी किया।इस दौरान मस्जिद पर तैनात पुलिस बल, एएसआई अधिकारी और मस्जिद से जुड़े लोग बाहर चले गए। विधायक डा. नीलकंठ तिवारी ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र के बिंदुमाधव वार्ड में स्वच्छता अभियान चलाया, जो भी स्थल थे वहां साफ सफाई की। 1932 से एएसआई के पास संरक्षण
वाराणसी की धरहरा मस्जिद को को 1669 में बनाया गया था, जिसे 1932 में शासन की रिपोर्ट पर एएसआई के सुपुर्द कर दिया गया। ऐतिहासिक धरोहर के रूप में सहेजने के लिए प्राचीनता और मूल रूप को बनाए रखने के लिए एसएसआई ने संरक्षण शुरू कर दिया। काशी में बनी इस मस्जिद की दो मीनारों को लेकर यह दावा भी किया जाता है कि उन पर चढ़कर दिल्ली की कुतुब मीनार भी दिखाई पड़ती थी। हालांकि, अब से 100 साल पहले जर्जर होने के कारण इन्हें गिरा दिया गया था। इसके पास ही पंचगंगा घाट स्थित ‘बिंदु माधव का मंदिर है। धरहरा मस्जिद के मुज्जियन अली का कहना है, जिस समय विधायक नीलकंठ तिवारी मस्जिद में गए, उस समय वहां पर कोई नहीं था। एएसआई का गार्ड भी उन्हें देखकर चला गया। 400 साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई विधायक मस्जिद में गए हैं और झाडू लगाई। अंदर नारेबाजी और झंडे लहराना ठीक नहीं लगा। 1669 में तोड़ा गया था मंदिर
इतिहासकार डॉ. मोतीचंद्र ने ‘काशी के इतिहास’ में लिखा है कि 1669 में औरंगजेब के शाही फरमान से जब विश्वनाथ मंदिर तोड़ा गया उसके लपेटे में बिंदुमाधव मंदिर भी आ गया। बिंदुमाधव मंदिर पंचगंगा घाट से लेकर रामघाट तक फैला हुआ था। उसके अहाते में श्रीराम और मंगला गौरी के मंदिर के साथ ही पुजारियों के रहने के लिए मकान भी बने हुए थे। बिंदुमाधव मंदिर किसने बनवाया यह तो नहीं बताया जा सकता है, लेकिन तुलसीदास के समय वह जरूर था। हो सकता है कि मंदिर राजा मानसिंह ने बनवाया रहा हो, लेकिन इसके समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं हैं। 1665 में टैवर्नियर आया था बनारस
1665 में प्रयागराज से बनारस आए फ्रांसीसी यात्री जीन बैप्टिस्ट टैवर्नियर ने अपने यात्रा वृतांत में लिखा- बिंदुमाधव मंदिर की चर्चा पुरी के जगन्नाथ के मंदिर जैसी थी। मंदिर के एंट्रेस गेट से गंगा तक सीढ़ियां थी। बिंदुमाधव मंदिर स्वास्तिक या क्रॉस की शक्ल में था। इसकी चारों भुजाएं एक जैसी थीं। एक गुंबद के ऊपर नोंकदार शिखर था। बाहर से सीढ़ियां थी। गुंबद के नीचे और मंदिर के ठीक बीच में 7 से 8 फीट लंबी और 5 से 6 फीट चौड़ी एक वेदिका थी। वेदिका पर सुनहरे रंग थे। मंदिर के बाहर से मूर्तियां सीधी दिखाई देती थीं। वेदिका की मूर्तियों में से एक पांच-छह फीट की थी। मूर्ति का सिर छोड़ कर कुछ और नहीं दिखता था। मूर्ति के गले में मणिक, मोती और हीरे की माला थी। वेदिका के बायीं ओर गरुण की मूर्ति थी। ………………… ये खबर भी पढ़ें- प्रयागराज में गाजी की मजार पर भगवा झंडे फहराए:छत पर चढ़कर लगाए नारे, बोले- यहां आक्रांता कभी नहीं आया, दरगाह भी नहीं रहेगी प्रयागराज में रामनवमी पर महाराजा सुहेलदेव संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सालार मसूद गाजी की दरगाह पर भगवा झंडे फहराए। तीन युवक दीवारों के सहारे दरगाह की छत पर चढ़ गए। ॐ लिखे भगवा झंडा लहराते हुए नारेबाजी की। युवकों की अगुआई कर रहे मनेंद्र प्रताप सिंह ने खुद को भाजपा कार्यकर्ता बताया। उसने कहा- सालार मसूद गाजी आक्रांता था। ऐसे में तीर्थराज प्रयाग में उसकी कोई दरगाह नहीं होनी चाहिए। दरगाह को तुरंत ध्वस्त कर देना चाहिए। उस जगह को हिंदुओं को पूजा-पाठ के लिए सौंप देनी चाहिए। पढ़ें पूरी खबर वाराणसी दक्षिणी सीट से विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी सोमवार को अचानक धरहरा मस्जिद में घुस गए। समर्थकों के साथ पहले झाडू लगाई, फिर धुलाई की। विधायक ने करीब 1 घंटे तक मस्जिद की धुलाई भी की। इस दौरान मस्जिद में पीएम मोदी और योगी जिंदाबाद के नारे गूंजते रहे। भाजपा कार्यकर्ताओं ने हर हर महादेव का जयघोष भी किया। इसके बाद विधायक ने कहा-वार्ड में सफाई की तो यहां भी सफाई कर दी। 1669 में ‘आलमगीर’ उपाधि मिलने के बाद बिंदुमाधव वार्ड में आलमगीर मस्जिद का निर्माण कराया गया था। इसे धरहरा मस्जिद भी कहा जाता है। इस स्थान पर मंदिर का दावा किया गया था। दो केस कोर्ट में लंबित हैं। वर्तमान में इसकी देख रेख ASI के पास है। पहले देखिए 2 तस्वीरें अब पढ़िए पूरा मामला… सीढ़ियों से लेकर मस्जिद परिसर के अंदर तक सफाई की
पीएम मोदी का 11 अप्रैल को वाराणसी दौरा है। इससे पहले भाजपा कार्यकर्ता पूरे शहर में स्वच्छता अभियान चल रहे हैं। सोमवार को विधायक नीलकंठ तिवारी ने विधानसभा क्षेत्र के बिंदुमाधव वार्ड में झाडू लगाई। पंचगंगा घाट क्षेत्र और बिंदुमाधव के बाद विधायक समर्थकों के साथ ‘धरहरा मस्जिद’ में घुस गए। सबसे पहले उन्होंने सीढ़ियों पर झाडू लगाई। फिर अंदर परिसर में पहुंच गए। विधायक ने पहले मुख्य नमाज पढ़ने वाले स्थल पर झाडू लगाना शुरू किया। उनके साथ समर्थक भी झाडू लगाने में जुट गए। मस्जिद परिसर के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक झाडू लगाई। इसके बाद समर्थकों ने पूरे स्थल को धुला। विधायक ने करीब 1 घंटे तक परिसर का निरीक्षण भी किया।इस दौरान मस्जिद पर तैनात पुलिस बल, एएसआई अधिकारी और मस्जिद से जुड़े लोग बाहर चले गए। विधायक डा. नीलकंठ तिवारी ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र के बिंदुमाधव वार्ड में स्वच्छता अभियान चलाया, जो भी स्थल थे वहां साफ सफाई की। 1932 से एएसआई के पास संरक्षण
वाराणसी की धरहरा मस्जिद को को 1669 में बनाया गया था, जिसे 1932 में शासन की रिपोर्ट पर एएसआई के सुपुर्द कर दिया गया। ऐतिहासिक धरोहर के रूप में सहेजने के लिए प्राचीनता और मूल रूप को बनाए रखने के लिए एसएसआई ने संरक्षण शुरू कर दिया। काशी में बनी इस मस्जिद की दो मीनारों को लेकर यह दावा भी किया जाता है कि उन पर चढ़कर दिल्ली की कुतुब मीनार भी दिखाई पड़ती थी। हालांकि, अब से 100 साल पहले जर्जर होने के कारण इन्हें गिरा दिया गया था। इसके पास ही पंचगंगा घाट स्थित ‘बिंदु माधव का मंदिर है। धरहरा मस्जिद के मुज्जियन अली का कहना है, जिस समय विधायक नीलकंठ तिवारी मस्जिद में गए, उस समय वहां पर कोई नहीं था। एएसआई का गार्ड भी उन्हें देखकर चला गया। 400 साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई विधायक मस्जिद में गए हैं और झाडू लगाई। अंदर नारेबाजी और झंडे लहराना ठीक नहीं लगा। 1669 में तोड़ा गया था मंदिर
इतिहासकार डॉ. मोतीचंद्र ने ‘काशी के इतिहास’ में लिखा है कि 1669 में औरंगजेब के शाही फरमान से जब विश्वनाथ मंदिर तोड़ा गया उसके लपेटे में बिंदुमाधव मंदिर भी आ गया। बिंदुमाधव मंदिर पंचगंगा घाट से लेकर रामघाट तक फैला हुआ था। उसके अहाते में श्रीराम और मंगला गौरी के मंदिर के साथ ही पुजारियों के रहने के लिए मकान भी बने हुए थे। बिंदुमाधव मंदिर किसने बनवाया यह तो नहीं बताया जा सकता है, लेकिन तुलसीदास के समय वह जरूर था। हो सकता है कि मंदिर राजा मानसिंह ने बनवाया रहा हो, लेकिन इसके समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं हैं। 1665 में टैवर्नियर आया था बनारस
1665 में प्रयागराज से बनारस आए फ्रांसीसी यात्री जीन बैप्टिस्ट टैवर्नियर ने अपने यात्रा वृतांत में लिखा- बिंदुमाधव मंदिर की चर्चा पुरी के जगन्नाथ के मंदिर जैसी थी। मंदिर के एंट्रेस गेट से गंगा तक सीढ़ियां थी। बिंदुमाधव मंदिर स्वास्तिक या क्रॉस की शक्ल में था। इसकी चारों भुजाएं एक जैसी थीं। एक गुंबद के ऊपर नोंकदार शिखर था। बाहर से सीढ़ियां थी। गुंबद के नीचे और मंदिर के ठीक बीच में 7 से 8 फीट लंबी और 5 से 6 फीट चौड़ी एक वेदिका थी। वेदिका पर सुनहरे रंग थे। मंदिर के बाहर से मूर्तियां सीधी दिखाई देती थीं। वेदिका की मूर्तियों में से एक पांच-छह फीट की थी। मूर्ति का सिर छोड़ कर कुछ और नहीं दिखता था। मूर्ति के गले में मणिक, मोती और हीरे की माला थी। वेदिका के बायीं ओर गरुण की मूर्ति थी। ………………… ये खबर भी पढ़ें- प्रयागराज में गाजी की मजार पर भगवा झंडे फहराए:छत पर चढ़कर लगाए नारे, बोले- यहां आक्रांता कभी नहीं आया, दरगाह भी नहीं रहेगी प्रयागराज में रामनवमी पर महाराजा सुहेलदेव संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सालार मसूद गाजी की दरगाह पर भगवा झंडे फहराए। तीन युवक दीवारों के सहारे दरगाह की छत पर चढ़ गए। ॐ लिखे भगवा झंडा लहराते हुए नारेबाजी की। युवकों की अगुआई कर रहे मनेंद्र प्रताप सिंह ने खुद को भाजपा कार्यकर्ता बताया। उसने कहा- सालार मसूद गाजी आक्रांता था। ऐसे में तीर्थराज प्रयाग में उसकी कोई दरगाह नहीं होनी चाहिए। दरगाह को तुरंत ध्वस्त कर देना चाहिए। उस जगह को हिंदुओं को पूजा-पाठ के लिए सौंप देनी चाहिए। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर