30 महीने में 25 बच्चे पैदा किए, 5 बार नसबंदी:आगरा में बड़ा घोटाला; महिला बोली- भाई कागज पर अंगूठा लगवाता था

30 महीने में 25 बच्चे पैदा किए, 5 बार नसबंदी:आगरा में बड़ा घोटाला; महिला बोली- भाई कागज पर अंगूठा लगवाता था

‘मेरे दो बेटे हैं। पहला 2014 में हुआ, दूसरी डिलीवरी 2017 में हुई। इसके बाद मैंने नसबंदी करा ली। मुझे 8 अप्रैल को पता चला कि मेरी ढाई साल में 25 बार डिलीवरी हुई है। ऐसा कैसे हो सकता है?’ यह सवाल है आगरा के फतेहाबाद में रहने वाली कृष्णा कुमारी का। उन्होंने कहा- जो कागज मुझे दिखाए गए, उसके मुताबिक 5 बार मेरी नसबंदी भी करवा दी गई। यह काम मेरे बुआ के बेटे ने किया है। वह कागजों पर मेरा अंगूठा लगवाता था। किस बैंक में मेरे नाम से अकाउंट खुलवाया? कब और कितना पैसा निकाला, ये मुझे कभी पता नहीं चला। 3 से 6 महीने में वह 500 रुपए और एक थैले में चावल-चीनी दे जाता था। स्वास्थ्य विभाग में यह घोटाला कैसे हुआ? इस खेल में अधिकारियों से लेकर कौन-कौन शामिल है? यह सब जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप की टीम आगरा मुख्यालय से 38 Km दूर फतेहाबाद ब्लॉक पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… कृष्णा के घर के बाहर भीड़, 25 डिलीवरी की चर्चा
आगरा-इटावा रोड पर फतेहाबाद गांव का बोर्ड लगा दिखा। इससे अंदर सिंगल रोड पर चलते हुए हम कृष्णा कुमारी के घर तक पहुंचे। यहां ठीक-ठाक लोगों का जमावड़ा लगा था। गांव वालों को कागजों में उनकी 2.5 साल में 25 बार डिलीवरी दिखाने की बात पता चल गई थी। हमने कृष्णा कुमारी से बातचीत शुरू की। वह कहती हैं- 13 साल पहले मेरी शादी पप्पू उर्फ छोटू से हुई। वह पहले गुरुग्राम में नौकरी करते थे, अब यहीं आगरा में अपनी बुआ के कारखाने में जूते के सोल बनाने का काम करने लगे हैं। आपके बेटे कब और कहां पैदा हुए? इस पर वह बताती हैं- 2014 में बड़े बेटे लवकुश का जन्म डौकी के उप स्वास्थ्य केंद्र में हुआ। फिर 2017 में छोटा बेटा आदित्य फतेहाबाद के प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में पैदा हुआ। इसके बाद ही मायके बरौली अहीर में मैंने नसबंदी करवा ली। आपके परिवार में कौन-कौन हैं? वह कहती हैं- मेरे पति छोटू उर्फ पप्पू के 5 भाई और 4 बहनें हैं। सभी 6 भाई इसी गांव में आसपास रहते हैं। हमारे माता-पिता भी इसी गांव में रहते हैं। पूरा परिवार खेती किसानी करता है। मेरे छोटे देवर की शादी 14 अप्रैल को होनी है। घर में इसकी तैयारियां चल रही हैं। कृष्णा बोलीं- अशोक कागज पर अंगूठा लगवाता, बदले में राशन देता
हमने पूछा- आपके नाम पर जो बैंक अकाउंट मिला है, वो किसने खुलवाया? कृष्णा कहती हैं- यह सब अशोक ने किया है। वह मेरी बुआ का बेटा है। वह महिला समूह चलाता है। करीब 8 साल पहले अशोक मेरे घर आया था। उसने कहा था कि तुमको सरकारी योजनाओं से पैसा दिला देंगे। बस बैंक में खाता खुलवा लो। अशोक ने मेरा आधार कार्ड लिया था। कुछ कागजों पर मेरा अंगूठा लगवाया था। मेरी तरह कुछ और महिलाओं से भी कागजों पर अंगूठा लगवाया था। इसके बाद से वह हर तीसरे या 6 महीने पर एक बार महिलाओं को अपने घर बुलाता था। कागजों पर अंगूठा लगवा कर बदले में 500 रुपए का घर का राशन देता था। हमने पूछा- आपके पास बैंक अकाउंट की कोई जानकारी है? वह कहती हैं- नहीं, मेरे पास पासबुक और खाते से जुड़ी कोई जानकारी नहीं। जो अधिकारी हमारे घर आए थे, उन्होंने बताया कि मेरे नाम पर बैंक ऑफ इंडिया में खाता खुलवाया गया था। खाते में मेरा मोबाइल नंबर अटैच नहीं किया गया, इसलिए पैसे जमा करने और निकालने के मैसेज नहीं मिलते थे। गांव वाले बोले- 50-60 महिलाओं के खाते खुलवाए
हमने गांव के लोगों से बातचीत शुरू की। सामने आया कि अशोक ने गांव की 50-60 महिलाओं के खाते खुलवाए हैं। वह सबको तीन या 6 महीने में बुलाकर राशन देता था। कृष्णा के जेठ ने बताया- अशोक जब महिलाओं को अंगूठा लगवाने के लिए बुलाता, तब उसके साथ एक और आदमी होता था। उसके पास एक मशीन रहती, वो पूरे कागज और फाइल लेकर बैठता था। अशोक कहता था कि ये इलाहाबाद से आए हैं, मगर बाद में हमें पता चला कि वो यहीं गोबर चौकी से आता था। वह अशोक का ही रिश्तेदार है। गांव के एक दूसरे व्यक्ति ने मुझे बताया कि उनकी पत्नी के साथ भी फर्जीवाड़ा हुआ। उसके खाते से 6 हजार रुपए निकलवा लिए थे। तब से मेरी पत्नी ने अशोक के पास जाना बंद कर दिया। उसके पास सिर्फ नगला कदम की ही नहीं, फतेहाबाद, बाह और जरार से 100 से ज्यादा महिलाएं आती थीं। जानिए, कहां से शुरू हुआ मामला
स्वास्थ्य विभाग ने वित्तीय वर्ष 2021–22 और 2022–23 में भुगतानों के ऑडिट कराए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी की प्रोत्साहन राशि में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया। आगरा जिले के 18 CHC, लेडी लायल महिला अस्पताल और SN मेडिकल कॉलेज में योजना के तहत किए गए 38.95 लाख के भुगतान में गड़बड़ी मिलीं। इसमें प्रसव के लिए 27.54 लाख और नसबंदी के लिए 11.41 लाख रुपए का भुगतान किया गया। CHC फतेहाबाद का ऑडिट करने के दौरान टीम को कृष्णा कुमारी के नाम से कई रिकॉर्ड मिले। इनमें अलग-अलग कोड जनरेट कर 45 हजार रुपए का भुगतान किया गया था। NHM के तहत प्रसव कराने पर आर्थिक मदद मिलती है। यह इस तरह से है… (यह धनराशि महिला के बैंक अकाउंट में भेजी जाती है।) अधिकारी, एएनएम, डेटा ऑपरेटर पर होगी FIR
मंगलवार को CMO डॉ. अरुण श्रीवास्तव फतेहाबाद गांव पहुंचे थे। उन्होंने कहा- इस मामले में जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ FIR होगी। कृष्णा कुमारी के बयान दर्ज हुए। मौजूदा अधीक्षक प्रमोद कुशवाहा, ब्लॉक अकाउंट मैनेजर नीरज अवस्थी, डेटा ऑपरेटर गौतम और गौरव थापा के बयान भी दर्ज कराए गए। CHC पर डिलीवरी और नसबंदी के भुगतान के लिए अधीक्षक, डॉक्टर, एएनएम, डेटा ऑपरेटर और आशा द्वारा सत्यापन किया जाता है। इसके बाद ही भुगतान होता है। फतेहाबाद CHC पर 2021-22, 2022-23 में डॉ. वीके सोनी, डॉ. देवेंद्र और डॉ. एके सिंह अधीक्षक रहे हैं। उनसे भी पूछताछ होगी। फतेहाबाद सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के अधीक्षक प्रमोद कुशवाहा ने कहा- कई केस सामने आने के बाद अब लिस्ट तैयार की जा रही है। इस लिस्ट में दो, पांच से ज्यादा और 10 से ज्यादा डिलीवरी और नसबंदी वाली महिलाओं के नाम दर्ज किए जा रहे हैं। —————————- यह खबर भी पढ़ें… गाजी मजार पर हिंदू चढ़ाते हैं हलवा-पूड़ी, मुस्लिम नॉनवेज:प्रयागराज में दो पीढ़ी पुरानी परंपरा पर संकट, छात्र नेता के कारण बिगड़े हालात ‘मैं 20 साल से मजार पर आ रहा हूं। गांव में हिंदू-मुस्लिम जैसा कुछ नहीं है। यहां एक मजार गाजी मियां की है। बाकी 4 हिंदू बुजुर्गों की समाधि हैं, जिन्हें लोग मजार ही कहते हैं। प्रसाद में कोई मांस चढ़ाता है, कोई हलवा-पूड़ी।’ ये कहना है राम प्रसाद केसरवानी का। वह सिकंदरा गांव में सैयद सालार मसूद गाजी की मजार पर पूजा करने पहुंचे थे। यूपी में अचानक यह मजार इसलिए सुर्खियों में आ गई, क्योंकि 6 अप्रैल को मजार पर छात्र नेता मनेंद्र प्रताप सिंह ने भगवा झंडा फहरा दिया। पढृिए पूरी खबर… ‘मेरे दो बेटे हैं। पहला 2014 में हुआ, दूसरी डिलीवरी 2017 में हुई। इसके बाद मैंने नसबंदी करा ली। मुझे 8 अप्रैल को पता चला कि मेरी ढाई साल में 25 बार डिलीवरी हुई है। ऐसा कैसे हो सकता है?’ यह सवाल है आगरा के फतेहाबाद में रहने वाली कृष्णा कुमारी का। उन्होंने कहा- जो कागज मुझे दिखाए गए, उसके मुताबिक 5 बार मेरी नसबंदी भी करवा दी गई। यह काम मेरे बुआ के बेटे ने किया है। वह कागजों पर मेरा अंगूठा लगवाता था। किस बैंक में मेरे नाम से अकाउंट खुलवाया? कब और कितना पैसा निकाला, ये मुझे कभी पता नहीं चला। 3 से 6 महीने में वह 500 रुपए और एक थैले में चावल-चीनी दे जाता था। स्वास्थ्य विभाग में यह घोटाला कैसे हुआ? इस खेल में अधिकारियों से लेकर कौन-कौन शामिल है? यह सब जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप की टीम आगरा मुख्यालय से 38 Km दूर फतेहाबाद ब्लॉक पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… कृष्णा के घर के बाहर भीड़, 25 डिलीवरी की चर्चा
आगरा-इटावा रोड पर फतेहाबाद गांव का बोर्ड लगा दिखा। इससे अंदर सिंगल रोड पर चलते हुए हम कृष्णा कुमारी के घर तक पहुंचे। यहां ठीक-ठाक लोगों का जमावड़ा लगा था। गांव वालों को कागजों में उनकी 2.5 साल में 25 बार डिलीवरी दिखाने की बात पता चल गई थी। हमने कृष्णा कुमारी से बातचीत शुरू की। वह कहती हैं- 13 साल पहले मेरी शादी पप्पू उर्फ छोटू से हुई। वह पहले गुरुग्राम में नौकरी करते थे, अब यहीं आगरा में अपनी बुआ के कारखाने में जूते के सोल बनाने का काम करने लगे हैं। आपके बेटे कब और कहां पैदा हुए? इस पर वह बताती हैं- 2014 में बड़े बेटे लवकुश का जन्म डौकी के उप स्वास्थ्य केंद्र में हुआ। फिर 2017 में छोटा बेटा आदित्य फतेहाबाद के प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में पैदा हुआ। इसके बाद ही मायके बरौली अहीर में मैंने नसबंदी करवा ली। आपके परिवार में कौन-कौन हैं? वह कहती हैं- मेरे पति छोटू उर्फ पप्पू के 5 भाई और 4 बहनें हैं। सभी 6 भाई इसी गांव में आसपास रहते हैं। हमारे माता-पिता भी इसी गांव में रहते हैं। पूरा परिवार खेती किसानी करता है। मेरे छोटे देवर की शादी 14 अप्रैल को होनी है। घर में इसकी तैयारियां चल रही हैं। कृष्णा बोलीं- अशोक कागज पर अंगूठा लगवाता, बदले में राशन देता
हमने पूछा- आपके नाम पर जो बैंक अकाउंट मिला है, वो किसने खुलवाया? कृष्णा कहती हैं- यह सब अशोक ने किया है। वह मेरी बुआ का बेटा है। वह महिला समूह चलाता है। करीब 8 साल पहले अशोक मेरे घर आया था। उसने कहा था कि तुमको सरकारी योजनाओं से पैसा दिला देंगे। बस बैंक में खाता खुलवा लो। अशोक ने मेरा आधार कार्ड लिया था। कुछ कागजों पर मेरा अंगूठा लगवाया था। मेरी तरह कुछ और महिलाओं से भी कागजों पर अंगूठा लगवाया था। इसके बाद से वह हर तीसरे या 6 महीने पर एक बार महिलाओं को अपने घर बुलाता था। कागजों पर अंगूठा लगवा कर बदले में 500 रुपए का घर का राशन देता था। हमने पूछा- आपके पास बैंक अकाउंट की कोई जानकारी है? वह कहती हैं- नहीं, मेरे पास पासबुक और खाते से जुड़ी कोई जानकारी नहीं। जो अधिकारी हमारे घर आए थे, उन्होंने बताया कि मेरे नाम पर बैंक ऑफ इंडिया में खाता खुलवाया गया था। खाते में मेरा मोबाइल नंबर अटैच नहीं किया गया, इसलिए पैसे जमा करने और निकालने के मैसेज नहीं मिलते थे। गांव वाले बोले- 50-60 महिलाओं के खाते खुलवाए
हमने गांव के लोगों से बातचीत शुरू की। सामने आया कि अशोक ने गांव की 50-60 महिलाओं के खाते खुलवाए हैं। वह सबको तीन या 6 महीने में बुलाकर राशन देता था। कृष्णा के जेठ ने बताया- अशोक जब महिलाओं को अंगूठा लगवाने के लिए बुलाता, तब उसके साथ एक और आदमी होता था। उसके पास एक मशीन रहती, वो पूरे कागज और फाइल लेकर बैठता था। अशोक कहता था कि ये इलाहाबाद से आए हैं, मगर बाद में हमें पता चला कि वो यहीं गोबर चौकी से आता था। वह अशोक का ही रिश्तेदार है। गांव के एक दूसरे व्यक्ति ने मुझे बताया कि उनकी पत्नी के साथ भी फर्जीवाड़ा हुआ। उसके खाते से 6 हजार रुपए निकलवा लिए थे। तब से मेरी पत्नी ने अशोक के पास जाना बंद कर दिया। उसके पास सिर्फ नगला कदम की ही नहीं, फतेहाबाद, बाह और जरार से 100 से ज्यादा महिलाएं आती थीं। जानिए, कहां से शुरू हुआ मामला
स्वास्थ्य विभाग ने वित्तीय वर्ष 2021–22 और 2022–23 में भुगतानों के ऑडिट कराए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत जननी सुरक्षा योजना और महिला नसबंदी की प्रोत्साहन राशि में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया। आगरा जिले के 18 CHC, लेडी लायल महिला अस्पताल और SN मेडिकल कॉलेज में योजना के तहत किए गए 38.95 लाख के भुगतान में गड़बड़ी मिलीं। इसमें प्रसव के लिए 27.54 लाख और नसबंदी के लिए 11.41 लाख रुपए का भुगतान किया गया। CHC फतेहाबाद का ऑडिट करने के दौरान टीम को कृष्णा कुमारी के नाम से कई रिकॉर्ड मिले। इनमें अलग-अलग कोड जनरेट कर 45 हजार रुपए का भुगतान किया गया था। NHM के तहत प्रसव कराने पर आर्थिक मदद मिलती है। यह इस तरह से है… (यह धनराशि महिला के बैंक अकाउंट में भेजी जाती है।) अधिकारी, एएनएम, डेटा ऑपरेटर पर होगी FIR
मंगलवार को CMO डॉ. अरुण श्रीवास्तव फतेहाबाद गांव पहुंचे थे। उन्होंने कहा- इस मामले में जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ FIR होगी। कृष्णा कुमारी के बयान दर्ज हुए। मौजूदा अधीक्षक प्रमोद कुशवाहा, ब्लॉक अकाउंट मैनेजर नीरज अवस्थी, डेटा ऑपरेटर गौतम और गौरव थापा के बयान भी दर्ज कराए गए। CHC पर डिलीवरी और नसबंदी के भुगतान के लिए अधीक्षक, डॉक्टर, एएनएम, डेटा ऑपरेटर और आशा द्वारा सत्यापन किया जाता है। इसके बाद ही भुगतान होता है। फतेहाबाद CHC पर 2021-22, 2022-23 में डॉ. वीके सोनी, डॉ. देवेंद्र और डॉ. एके सिंह अधीक्षक रहे हैं। उनसे भी पूछताछ होगी। फतेहाबाद सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के अधीक्षक प्रमोद कुशवाहा ने कहा- कई केस सामने आने के बाद अब लिस्ट तैयार की जा रही है। इस लिस्ट में दो, पांच से ज्यादा और 10 से ज्यादा डिलीवरी और नसबंदी वाली महिलाओं के नाम दर्ज किए जा रहे हैं। —————————- यह खबर भी पढ़ें… गाजी मजार पर हिंदू चढ़ाते हैं हलवा-पूड़ी, मुस्लिम नॉनवेज:प्रयागराज में दो पीढ़ी पुरानी परंपरा पर संकट, छात्र नेता के कारण बिगड़े हालात ‘मैं 20 साल से मजार पर आ रहा हूं। गांव में हिंदू-मुस्लिम जैसा कुछ नहीं है। यहां एक मजार गाजी मियां की है। बाकी 4 हिंदू बुजुर्गों की समाधि हैं, जिन्हें लोग मजार ही कहते हैं। प्रसाद में कोई मांस चढ़ाता है, कोई हलवा-पूड़ी।’ ये कहना है राम प्रसाद केसरवानी का। वह सिकंदरा गांव में सैयद सालार मसूद गाजी की मजार पर पूजा करने पहुंचे थे। यूपी में अचानक यह मजार इसलिए सुर्खियों में आ गई, क्योंकि 6 अप्रैल को मजार पर छात्र नेता मनेंद्र प्रताप सिंह ने भगवा झंडा फहरा दिया। पढृिए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर