हरियाणा के यमुनानगर में जिस 800 मेगावाट के नए थर्मल प्लांट की PM नरेंद्र मोदी ने आधारशिला रखी, कभी प्रधानमंत्री ने ही इसे झारखंड में लगाने का आदेश दिया था। ये बात जून 2023 की है उस दिन दिल्ली में पावर प्लांट्स को लेकर PM मोदी की अध्यक्षता में बड़ी बैठक हुई। बैठक में हरियाणा के पावर सेक्टर के तत्कालीन चेयरमैन पीके दास भी शामिल हुए। PM का आदेश मिला- “यमुनानगर का प्लांट झारखंड के पिटहेड में शिफ्ट किया जाए।” अचानक आया यह आदेश हरियाणा सरकार के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि ये प्लांट हरियाणा के यमुनानगर में प्रस्तावित हुआ था। हरियाणा सरकार यमुनानगर में प्लांट लगाने की पूरी तैयारी करके बैठी थी, इसके लिए टेंडर भी जारी कर दिया गया था। इसे लेकर सूबे में सियासी घमासान मच गया था। विपक्षी दलों ने तत्कालीन BJP-JJP गठबंधन की सरकार पर जमकर हमला बोल दिया था। इसके बाद शुरू हुई प्रस्ताव को बचाने की कोशिश। थर्मल प्लांट हरियाणा में ही कैसे लगा, इसकी पूरी कहानी…. 5 पाइंट्स में पढ़िए प्लांट को बचाने के लिए क्या-क्या हुआ… 1. खट्टर ने डिटेल्ड रिपोर्ट तैयार करवाई
जिस वक्त प्लांट झारखंड शिफ्ट करने के आदेश हुए, मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के सीएम थे। उन्हें इसका पता लगा तो उन्होंने तुरंत प्लांट के लिए प्रपोजल रिपोर्ट तैयार कराई। फिर केंद्र सरकार से बात करने का फैसला किया। इसके बाद सूबे की टॉप ब्यूरोक्रेसी और बिजली कंपनियों से जुड़े अफसरों ने एक डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की। तब खट्टर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजदीकियां काफी काम आई। हरियाणा सरकार की ओर से PM मोदी के सामने अपना पक्ष रखा। 2. प्लांट शिफ्ट होने से सालाना 180 करोड़ का नुकसान
हरियाणा सरकार की तरफ से केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपी गई। इसमें बताया गया कि झारखंड में बिजली प्लांट लगाने से हरियाणा पर सालाना 180 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। दलील दी गई कि यमुनानगर में प्लांट लगने से लगभग 4,500 करोड़ रुपए की बचत सरकार को होगी। इससे राज्य उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा। इन्हीं आर्थिक कारणों को बताते हुए केंद्र से इस प्लांट को हरियाणा के यमुनानगर में ही लगाने की सिफारिश की गई। 3. झारखंड में प्लांट लगाने से लागत बढ़ेगी
इसके अलावा इस रिपोर्ट में यह भी तर्क दिया गया कि चूंकि झारखंड एक पिटहेड लोकेशन है, वहां से हरियाणा तक बिजली की आपूर्ति ग्रिड के माध्यम से करने में भारी खर्च आएगा, जिससे न केवल बिजली महंगी होगी, बल्कि उसकी आपूर्ति में भी तकनीकी चुनौतियां आएंगी। इस आधार पर हरियाणा सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया कि यह थर्मल पावर प्लांट यमुनानगर में ही स्थापित किया जाए, ताकि राज्य को सस्ती और स्थायी बिजली मिलती रहे। 4. मंजूरी के बाद BHEL को मिला टेंडर
राज्य सरकार की दलीलों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2023 में ही प्लांट के विस्तार को हरियाणा में ही मंजूरी दे दी। इसके बाद फरवरी 2024 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई हाईपावर परचेज कमेटी (HPGCL) की बैठक में 800 मेगावाट यूनिट की क्षमता की नई यूनिट के लिए टेंडर जारी करने पर मुहर लगी। दीनबंधु छोटू राम थर्मल पावर प्लांट, यमुनानगर में ही यूनिट बनाने के लिए टेंडर का कार्य भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) को 6900 करोड़ रुपए में देने की अनुमति दी। बीएचईएल इस काम को 57 महीने में पूरा करेगी। 5. NOC नहीं मिलने से नाराज हो गए थे खट्टर
करीब 10 महीने पहले फरवरी में टेंडर अलॉट होने के बावजूद थर्मल प्लांट का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका था। इसकी वजह प्लांट को लेकर पर्यावरण विभाग की NOC को बताया गया था। इस खुलासे के बाद खट्टर नाराज हो गए थे। उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के प्रति अधिकारियों की ढिलाई को देखकर जमकर फटकार लगाई थी। इसके बाद अधिकारी हरकत में आए और 2025 में NOC का काम पूरा हुआ था। 4 इन्फोग्राफिक्स से थर्मल प्लांट के बारे में जानिए हरियाणा के यमुनानगर में जिस 800 मेगावाट के नए थर्मल प्लांट की PM नरेंद्र मोदी ने आधारशिला रखी, कभी प्रधानमंत्री ने ही इसे झारखंड में लगाने का आदेश दिया था। ये बात जून 2023 की है उस दिन दिल्ली में पावर प्लांट्स को लेकर PM मोदी की अध्यक्षता में बड़ी बैठक हुई। बैठक में हरियाणा के पावर सेक्टर के तत्कालीन चेयरमैन पीके दास भी शामिल हुए। PM का आदेश मिला- “यमुनानगर का प्लांट झारखंड के पिटहेड में शिफ्ट किया जाए।” अचानक आया यह आदेश हरियाणा सरकार के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि ये प्लांट हरियाणा के यमुनानगर में प्रस्तावित हुआ था। हरियाणा सरकार यमुनानगर में प्लांट लगाने की पूरी तैयारी करके बैठी थी, इसके लिए टेंडर भी जारी कर दिया गया था। इसे लेकर सूबे में सियासी घमासान मच गया था। विपक्षी दलों ने तत्कालीन BJP-JJP गठबंधन की सरकार पर जमकर हमला बोल दिया था। इसके बाद शुरू हुई प्रस्ताव को बचाने की कोशिश। थर्मल प्लांट हरियाणा में ही कैसे लगा, इसकी पूरी कहानी…. 5 पाइंट्स में पढ़िए प्लांट को बचाने के लिए क्या-क्या हुआ… 1. खट्टर ने डिटेल्ड रिपोर्ट तैयार करवाई
जिस वक्त प्लांट झारखंड शिफ्ट करने के आदेश हुए, मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के सीएम थे। उन्हें इसका पता लगा तो उन्होंने तुरंत प्लांट के लिए प्रपोजल रिपोर्ट तैयार कराई। फिर केंद्र सरकार से बात करने का फैसला किया। इसके बाद सूबे की टॉप ब्यूरोक्रेसी और बिजली कंपनियों से जुड़े अफसरों ने एक डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की। तब खट्टर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजदीकियां काफी काम आई। हरियाणा सरकार की ओर से PM मोदी के सामने अपना पक्ष रखा। 2. प्लांट शिफ्ट होने से सालाना 180 करोड़ का नुकसान
हरियाणा सरकार की तरफ से केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपी गई। इसमें बताया गया कि झारखंड में बिजली प्लांट लगाने से हरियाणा पर सालाना 180 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। दलील दी गई कि यमुनानगर में प्लांट लगने से लगभग 4,500 करोड़ रुपए की बचत सरकार को होगी। इससे राज्य उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा। इन्हीं आर्थिक कारणों को बताते हुए केंद्र से इस प्लांट को हरियाणा के यमुनानगर में ही लगाने की सिफारिश की गई। 3. झारखंड में प्लांट लगाने से लागत बढ़ेगी
इसके अलावा इस रिपोर्ट में यह भी तर्क दिया गया कि चूंकि झारखंड एक पिटहेड लोकेशन है, वहां से हरियाणा तक बिजली की आपूर्ति ग्रिड के माध्यम से करने में भारी खर्च आएगा, जिससे न केवल बिजली महंगी होगी, बल्कि उसकी आपूर्ति में भी तकनीकी चुनौतियां आएंगी। इस आधार पर हरियाणा सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया कि यह थर्मल पावर प्लांट यमुनानगर में ही स्थापित किया जाए, ताकि राज्य को सस्ती और स्थायी बिजली मिलती रहे। 4. मंजूरी के बाद BHEL को मिला टेंडर
राज्य सरकार की दलीलों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2023 में ही प्लांट के विस्तार को हरियाणा में ही मंजूरी दे दी। इसके बाद फरवरी 2024 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई हाईपावर परचेज कमेटी (HPGCL) की बैठक में 800 मेगावाट यूनिट की क्षमता की नई यूनिट के लिए टेंडर जारी करने पर मुहर लगी। दीनबंधु छोटू राम थर्मल पावर प्लांट, यमुनानगर में ही यूनिट बनाने के लिए टेंडर का कार्य भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) को 6900 करोड़ रुपए में देने की अनुमति दी। बीएचईएल इस काम को 57 महीने में पूरा करेगी। 5. NOC नहीं मिलने से नाराज हो गए थे खट्टर
करीब 10 महीने पहले फरवरी में टेंडर अलॉट होने के बावजूद थर्मल प्लांट का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका था। इसकी वजह प्लांट को लेकर पर्यावरण विभाग की NOC को बताया गया था। इस खुलासे के बाद खट्टर नाराज हो गए थे। उन्होंने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के प्रति अधिकारियों की ढिलाई को देखकर जमकर फटकार लगाई थी। इसके बाद अधिकारी हरकत में आए और 2025 में NOC का काम पूरा हुआ था। 4 इन्फोग्राफिक्स से थर्मल प्लांट के बारे में जानिए हरियाणा | दैनिक भास्कर
