संभल हिंसा मामले में सांसद जियाउर्रहमान बर्क लखनऊ में न्यायिक जांच आयोग के सामने पेश हुए। उनसे करीब 4 घंटे तक पूछताछ की गई। इसके बाद बाहर निकले बर्क ने कहा- आयोग ने जो सवाल पूछे। उनके जवाब दे दिए हैं। अपने ऊपर दर्ज क्रिमिनल मुकदमों की जानकारी नहीं दे सकता। क्या सवाल-जवाब हुए, यह भी नहीं बता सकता। यह मेरी मजबूरी है। बर्क बोले- मेरे ऊपर लगाए गए आरोप गलत
बर्क ने कहा- मेरे ऊपर जो आरोप लगाए गए, वो गलत हैं। देश की जनता की ओर से चुना गया हूं। देश की सबसे बड़ी पंचायत का सदस्य हूं। मेरा काम कानून पर भरोसा करते हुए देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाना है। कानून, संविधान और माननीय न्यायालय पर पूरा भरोसा है। मुझे इंसाफ मिलेगा। बर्क ने कहा- मीडिया के सम्मानित साथियों से गुजारिश है कि वो मामले का ट्रायल न करें। कोर्ट के अंदर पूरे मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। आयोग में इसी उम्मीद के साथ आया हूं कि मुझे और मेरी जनता को इंसाफ मिलेगा। कोर्ट में हमारे लोगों का संरक्षण होगा
उन्होंने कहा- वक्फ मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय कल 2 बजे से फिर सुनवाई करेगा। आज काफी सख्त टिप्पणी की है। हम इसी उम्मीद के साथ सर्वोच्च न्यायालय गए हैं कि हमारे लोगों का संरक्षण होगा। इस देश के अंदर सांसद को इंसाफ पाने के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे तो आम जनता के लिए यह चिंता का विषय है। मैं जवाब देने के लिए जा रहा हूं
पेशी से पहले बर्क ने कहा था- मेरे खिलाफ जो भी आरोप लगे हैं, वे पूरी तरह बेबुनियाद हैं। जिस दिन हिंसा हुई, उस दिन मैं वहां था ही नहीं। मेरी कोई वॉयस रिकॉर्डिंग भी नहीं है, जिसे आधार बनाकर मुझे फंसाया जा रहा है। मैंने पहले भी जांच में पूरा सहयोग किया है। SIT ने मुझसे तीन घंटे की पूछताछ थी। मैंने हर सवाल का जवाब दिए थे। पुलिस ने मेरे खिलाफ रिपोर्ट में जो बातें लिखी है, वे पूरी तरह गलत हैं। बर्क ने कहा- पुलिस के कहने पर अगर सच्चाई सामने आ जाती तो फिर अदालतों की जरूरत ही क्यों पड़ती? मुझे पूरी उम्मीद है कि कोर्ट से मुझे इंसाफ मिलेगा। जफर साहब ने पुलिस के सामने कोई ऐसा बयान नहीं दिया, जैसा पुलिस दावा कर रही है। मैं कभी हिंसा में विश्वास नहीं करता। देश में कानून व्यवस्था का राज होना चाहिए। सांसद बर्क के साथ सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल भी आयोग के सामने पेश होकर अपना पक्ष रखेंगे। इससे पहले, संभल के एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई आयोग के सामने पेश हो चुके हैं। उन्होंने आयोग को रिपोर्ट और अन्य साक्ष्य सौंपे थे। सरकार के आदेश पर तीन सदस्यीय आयोग संभल हिंसा की जांच कर रहा है। आयोग की अध्यक्षता रिटायर्ड जज देवेंद्र अरोड़ा कर रहे हैं, जबकि पूर्व डीजीपी एके जैन और पूर्व आईएएस अमित मोहन प्रसाद सदस्य के रूप में शामिल हैं। आगे बढ़ने से पहले पोल में हिस्सा लेकर राय दें- 8 दिन पहले SIT ने बर्क से की थी पूछताछ
8 अप्रैल को सांसद बर्क SIT के 12 वकील के साथ पेश हुए थे। इस दौरान संभल के नखासा थाने में उसने 3 घंटे पूछताछ की थी। बर्क से 50 सवाल पूछे गए थे। सांसद ने करीब 20-25 सवालों के सीधे जवाब दिए थे। लेकिन, करीब 30 सवालों पर या तो चुप्पी साध ली या गोलमोल जवाब दिए। पूरे समय तनाव में दिखे। बर्क को दिल्ली जाकर दिया था नोटिस
संभल पुलिस ने 26 मार्च को दिल्ली जाकर सांसद बर्क को नोटिस दिया था। सांसद को 8 अप्रैल को SIT के सामने पेश होने के लिए कहा गया था। 4 अप्रैल को जामा मस्जिद के सदर जफर अली एडवोकेट ने SIT को बताया था- सांसद बर्क ने उन्हें जामा मस्जिद के सर्वे रोकने के लिए कहा था। बर्क ने कहा था- शाही जामा मस्जिद हमारी है और हमारी ही रहेगी। जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई थी हिंसा
संभल में कोर्ट के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर 24 नवंबर, 2024 की सुबह 6.30 बजे जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंचे थे। टीम देखकर मुस्लिम समुदाय के लोग भड़क गए। कुछ ही देर में तीन हजार से ज्यादा लोग जामा मस्जिद के बाहर पहुंच गए। पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो कुछ लोगों ने पथराव कर दिया।
इसके बाद भगदड़ जैसे हालात हो गए। अचानक पथराव शुरू हो गया, पुलिस को भागना पड़ा। बवाल इतना बढ़ गया कि पुलिस ने पहले आंसू गैस के गोले दागे फिर लाठीचार्ज करके भीड़ को खदेड़ा। उग्र भीड़ ने 3 चौपहिया और 5 बाइकों में आग लगा दी। हालात कई घंटे बेकाबू रहे। सड़कों से 4 ट्रॉली पत्थर हटाए गए। हिंसा में गोली लगने से 4 युवकों की मौत हुई। सीओ अनुज चौधरी और एसपी के PRO के पैर में गोली लगी। एसपी समेत 15 अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हुए। सांसद, विधायक का बेटा और 800 अज्ञात आरोपी
हिंसा के बाद संभल पुलिस ने सांसद जियाउर्रहमान बर्क, सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल समेत 800 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया था। अब तक मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली समेत 80 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। घटना की जांच के लिए 3 सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था। तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग में रिटायर्ड जज देवेंद्र अरोड़ा अध्यक्ष, रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी और पूर्व डीजीपी एके जैन, और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद सदस्य के रूप में शामिल हैं। आयोग की टीम अब तक संभल में चार बार जांच के लिए जा चुकी है। एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई 11 अप्रैल को लखनऊ में आयोग के सामने पेश होकर अपना बयान देंगे और सबूत भी सौंपेंगे। 23 मार्च को मस्जिद के सदर की हुई थी गिरफ्तारी
23 मार्च को संभल पुलिस ने जामा मस्जिद के सदर जफर अली को घर से उठाकर कोतवाली ले गई थी। करीब 4 घंटे कोतवाली में पूछताछ की। पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। जेल जाते वक्त जफर ने कहा था- हिंसा के बाद मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसलिए मुझे जेल भेजा गया। मुझे फंसाया गया है, क्योंकि मैंने पुलिस वालों की पोल खोल दी थी। मैंने बता दिया था कि बच्चों को इन्होंने मारा है। हिंसा में जितने भी लोग मारे हैं, उन्हें पुलिस और प्रशासन ने मारा है। 12 दिन पहले यानी 4 अप्रैल को SIT ने संभल ADJ द्वितीय कोर्ट में केस डायरी दाखिल की थी। इसमें 24 नवंबर को हुई हिंसा को लेकर कई बातें सामने आई थीं। इसके बाद अपर जिला शासकीय अधिवक्ता हरिओम प्रकाश सैनी ने बताया था- जफर अली के फोन की डिटेल जब खंगाली गई तो पाया गया कि इसमें सपा सांसद बर्क ही मुख्य साजिशकर्ता हैं। उन्होंने बताया था- जब जफर अली से SIT ने पूछा कि क्या सपा सांसद को सर्वे के बारे में जानकारी नहीं थी। इस पर सदर ने कहा, उनको पूरी जानकारी थी। उन्होंने 23 नवंबर की रात मुझे फोन करके सर्वे के बारे में बात की थी। सांसद ने जामा मस्जिद के आस-पास भीड़ जमा करने के लिए बोला था। उन्होंने यह भी कहा था, मैं अभी संभल के बाहर हूं। ये काम तुम्हें ही करना है। किसी भी हाल में ये सर्वे नहीं होना चाहिए। हरिओम प्रकाश सैनी ने बताया, सपा सांसद बर्क ने जफर अली को 23 नवंबर की रात 12 बजकर 32 मिनट पर फोन किया था। कहा था, मैं बेंगलुरु में हूं, मैं मौके पर नहीं हूं। तुम वहां पर हो, तुम जामा सदर हो, तुम लोगों को इकट्ठा कर सकते हो। लोगों को जमा करो। सर्वे किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए। 24 नवंबर को 7 बजकर 1 मिनट से 8 बजे तक फोन पर बात की है। भीड़ को इकट्ठा करने के लिए मैसेज किए हैं। सपा सांसद ने अपने फोन से भी बात की है। पीआरओ के फोन से भी बात की है। हिंसा होने के बाद बर्क ने जफर से कहा था- आप पीसी करिए और बताइए कि जितने भी लोग मरे हैं, वो पुलिस की गोली से मरे हैं। पुलिस ने अवैध तमंचे से गोली चलाई है। ———————————– ये खबर भी पढ़ें- संभल हिंसा में जितने मरे, सबको पुलिस ने मारा, जेल जाते वक्त चिल्लाकर जफर अली बोले- मैंने पोल खोल दी, इसलिए फंसाया संभल हिंसा के 4 महीने बाद जामा मस्जिद के सदर जफर अली को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। रविवार रात साढ़े 9 बजे मुरादाबाद जेल भेज दिया गया। जीप से उतरते ही जफर ने कहा- हिंसा के बाद मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसलिए मुझे जेल भेजा गया। पढ़ें पूरी खबर संभल हिंसा मामले में सांसद जियाउर्रहमान बर्क लखनऊ में न्यायिक जांच आयोग के सामने पेश हुए। उनसे करीब 4 घंटे तक पूछताछ की गई। इसके बाद बाहर निकले बर्क ने कहा- आयोग ने जो सवाल पूछे। उनके जवाब दे दिए हैं। अपने ऊपर दर्ज क्रिमिनल मुकदमों की जानकारी नहीं दे सकता। क्या सवाल-जवाब हुए, यह भी नहीं बता सकता। यह मेरी मजबूरी है। बर्क बोले- मेरे ऊपर लगाए गए आरोप गलत
बर्क ने कहा- मेरे ऊपर जो आरोप लगाए गए, वो गलत हैं। देश की जनता की ओर से चुना गया हूं। देश की सबसे बड़ी पंचायत का सदस्य हूं। मेरा काम कानून पर भरोसा करते हुए देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाना है। कानून, संविधान और माननीय न्यायालय पर पूरा भरोसा है। मुझे इंसाफ मिलेगा। बर्क ने कहा- मीडिया के सम्मानित साथियों से गुजारिश है कि वो मामले का ट्रायल न करें। कोर्ट के अंदर पूरे मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। आयोग में इसी उम्मीद के साथ आया हूं कि मुझे और मेरी जनता को इंसाफ मिलेगा। कोर्ट में हमारे लोगों का संरक्षण होगा
उन्होंने कहा- वक्फ मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय कल 2 बजे से फिर सुनवाई करेगा। आज काफी सख्त टिप्पणी की है। हम इसी उम्मीद के साथ सर्वोच्च न्यायालय गए हैं कि हमारे लोगों का संरक्षण होगा। इस देश के अंदर सांसद को इंसाफ पाने के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे तो आम जनता के लिए यह चिंता का विषय है। मैं जवाब देने के लिए जा रहा हूं
पेशी से पहले बर्क ने कहा था- मेरे खिलाफ जो भी आरोप लगे हैं, वे पूरी तरह बेबुनियाद हैं। जिस दिन हिंसा हुई, उस दिन मैं वहां था ही नहीं। मेरी कोई वॉयस रिकॉर्डिंग भी नहीं है, जिसे आधार बनाकर मुझे फंसाया जा रहा है। मैंने पहले भी जांच में पूरा सहयोग किया है। SIT ने मुझसे तीन घंटे की पूछताछ थी। मैंने हर सवाल का जवाब दिए थे। पुलिस ने मेरे खिलाफ रिपोर्ट में जो बातें लिखी है, वे पूरी तरह गलत हैं। बर्क ने कहा- पुलिस के कहने पर अगर सच्चाई सामने आ जाती तो फिर अदालतों की जरूरत ही क्यों पड़ती? मुझे पूरी उम्मीद है कि कोर्ट से मुझे इंसाफ मिलेगा। जफर साहब ने पुलिस के सामने कोई ऐसा बयान नहीं दिया, जैसा पुलिस दावा कर रही है। मैं कभी हिंसा में विश्वास नहीं करता। देश में कानून व्यवस्था का राज होना चाहिए। सांसद बर्क के साथ सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल भी आयोग के सामने पेश होकर अपना पक्ष रखेंगे। इससे पहले, संभल के एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई आयोग के सामने पेश हो चुके हैं। उन्होंने आयोग को रिपोर्ट और अन्य साक्ष्य सौंपे थे। सरकार के आदेश पर तीन सदस्यीय आयोग संभल हिंसा की जांच कर रहा है। आयोग की अध्यक्षता रिटायर्ड जज देवेंद्र अरोड़ा कर रहे हैं, जबकि पूर्व डीजीपी एके जैन और पूर्व आईएएस अमित मोहन प्रसाद सदस्य के रूप में शामिल हैं। आगे बढ़ने से पहले पोल में हिस्सा लेकर राय दें- 8 दिन पहले SIT ने बर्क से की थी पूछताछ
8 अप्रैल को सांसद बर्क SIT के 12 वकील के साथ पेश हुए थे। इस दौरान संभल के नखासा थाने में उसने 3 घंटे पूछताछ की थी। बर्क से 50 सवाल पूछे गए थे। सांसद ने करीब 20-25 सवालों के सीधे जवाब दिए थे। लेकिन, करीब 30 सवालों पर या तो चुप्पी साध ली या गोलमोल जवाब दिए। पूरे समय तनाव में दिखे। बर्क को दिल्ली जाकर दिया था नोटिस
संभल पुलिस ने 26 मार्च को दिल्ली जाकर सांसद बर्क को नोटिस दिया था। सांसद को 8 अप्रैल को SIT के सामने पेश होने के लिए कहा गया था। 4 अप्रैल को जामा मस्जिद के सदर जफर अली एडवोकेट ने SIT को बताया था- सांसद बर्क ने उन्हें जामा मस्जिद के सर्वे रोकने के लिए कहा था। बर्क ने कहा था- शाही जामा मस्जिद हमारी है और हमारी ही रहेगी। जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई थी हिंसा
संभल में कोर्ट के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर 24 नवंबर, 2024 की सुबह 6.30 बजे जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंचे थे। टीम देखकर मुस्लिम समुदाय के लोग भड़क गए। कुछ ही देर में तीन हजार से ज्यादा लोग जामा मस्जिद के बाहर पहुंच गए। पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो कुछ लोगों ने पथराव कर दिया।
इसके बाद भगदड़ जैसे हालात हो गए। अचानक पथराव शुरू हो गया, पुलिस को भागना पड़ा। बवाल इतना बढ़ गया कि पुलिस ने पहले आंसू गैस के गोले दागे फिर लाठीचार्ज करके भीड़ को खदेड़ा। उग्र भीड़ ने 3 चौपहिया और 5 बाइकों में आग लगा दी। हालात कई घंटे बेकाबू रहे। सड़कों से 4 ट्रॉली पत्थर हटाए गए। हिंसा में गोली लगने से 4 युवकों की मौत हुई। सीओ अनुज चौधरी और एसपी के PRO के पैर में गोली लगी। एसपी समेत 15 अन्य पुलिसकर्मी भी घायल हुए। सांसद, विधायक का बेटा और 800 अज्ञात आरोपी
हिंसा के बाद संभल पुलिस ने सांसद जियाउर्रहमान बर्क, सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल समेत 800 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया था। अब तक मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली समेत 80 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। घटना की जांच के लिए 3 सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था। तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग में रिटायर्ड जज देवेंद्र अरोड़ा अध्यक्ष, रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी और पूर्व डीजीपी एके जैन, और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद सदस्य के रूप में शामिल हैं। आयोग की टीम अब तक संभल में चार बार जांच के लिए जा चुकी है। एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई 11 अप्रैल को लखनऊ में आयोग के सामने पेश होकर अपना बयान देंगे और सबूत भी सौंपेंगे। 23 मार्च को मस्जिद के सदर की हुई थी गिरफ्तारी
23 मार्च को संभल पुलिस ने जामा मस्जिद के सदर जफर अली को घर से उठाकर कोतवाली ले गई थी। करीब 4 घंटे कोतवाली में पूछताछ की। पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। जेल जाते वक्त जफर ने कहा था- हिंसा के बाद मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसलिए मुझे जेल भेजा गया। मुझे फंसाया गया है, क्योंकि मैंने पुलिस वालों की पोल खोल दी थी। मैंने बता दिया था कि बच्चों को इन्होंने मारा है। हिंसा में जितने भी लोग मारे हैं, उन्हें पुलिस और प्रशासन ने मारा है। 12 दिन पहले यानी 4 अप्रैल को SIT ने संभल ADJ द्वितीय कोर्ट में केस डायरी दाखिल की थी। इसमें 24 नवंबर को हुई हिंसा को लेकर कई बातें सामने आई थीं। इसके बाद अपर जिला शासकीय अधिवक्ता हरिओम प्रकाश सैनी ने बताया था- जफर अली के फोन की डिटेल जब खंगाली गई तो पाया गया कि इसमें सपा सांसद बर्क ही मुख्य साजिशकर्ता हैं। उन्होंने बताया था- जब जफर अली से SIT ने पूछा कि क्या सपा सांसद को सर्वे के बारे में जानकारी नहीं थी। इस पर सदर ने कहा, उनको पूरी जानकारी थी। उन्होंने 23 नवंबर की रात मुझे फोन करके सर्वे के बारे में बात की थी। सांसद ने जामा मस्जिद के आस-पास भीड़ जमा करने के लिए बोला था। उन्होंने यह भी कहा था, मैं अभी संभल के बाहर हूं। ये काम तुम्हें ही करना है। किसी भी हाल में ये सर्वे नहीं होना चाहिए। हरिओम प्रकाश सैनी ने बताया, सपा सांसद बर्क ने जफर अली को 23 नवंबर की रात 12 बजकर 32 मिनट पर फोन किया था। कहा था, मैं बेंगलुरु में हूं, मैं मौके पर नहीं हूं। तुम वहां पर हो, तुम जामा सदर हो, तुम लोगों को इकट्ठा कर सकते हो। लोगों को जमा करो। सर्वे किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए। 24 नवंबर को 7 बजकर 1 मिनट से 8 बजे तक फोन पर बात की है। भीड़ को इकट्ठा करने के लिए मैसेज किए हैं। सपा सांसद ने अपने फोन से भी बात की है। पीआरओ के फोन से भी बात की है। हिंसा होने के बाद बर्क ने जफर से कहा था- आप पीसी करिए और बताइए कि जितने भी लोग मरे हैं, वो पुलिस की गोली से मरे हैं। पुलिस ने अवैध तमंचे से गोली चलाई है। ———————————– ये खबर भी पढ़ें- संभल हिंसा में जितने मरे, सबको पुलिस ने मारा, जेल जाते वक्त चिल्लाकर जफर अली बोले- मैंने पोल खोल दी, इसलिए फंसाया संभल हिंसा के 4 महीने बाद जामा मस्जिद के सदर जफर अली को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। रविवार रात साढ़े 9 बजे मुरादाबाद जेल भेज दिया गया। जीप से उतरते ही जफर ने कहा- हिंसा के बाद मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसलिए मुझे जेल भेजा गया। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
सांसद बर्क से लखनऊ में 4 घंटे पूछताछ:संभल हिंसा का कोर्ट में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, मुझे इंसाफ मिलेगा
