अजमेर दरगाह का मामला हाई कोर्ट पहुंचा, मंदिर के दावों को खारिज करने पर सुनवाई, आया बड़ा अपडेट

अजमेर दरगाह का मामला हाई कोर्ट पहुंचा, मंदिर के दावों को खारिज करने पर सुनवाई, आया बड़ा अपडेट

<p style=”text-align: justify;”><strong>Ajmer Dargah News:</strong> अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. गुरुवार (17 अप्रैल) को जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की कोर्ट में खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान की याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका में कहा गया है कि मंदिर के दावे की सुनवाई पर रोक लगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्यों उठी सुनवाई पर रोक की मांग?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कमेटी के वकील आशीष कुमार सिंह और वागीश कुमार सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के किसी भी वाद पर किसी भी कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा रखी है. ये आदेश प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की कानूनी मान्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर दिया गया था. उसके बाद भी अजमेर सिविल कोर्ट इस वाद को सुन रही हैं. ऐसे में इसकी सुनवाई पर रोक लगाई जाए. निचली अदालत में दाखिल याचिका में दावा किया गया है किअजमेर दरगाह में मंदिर है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकार ने क्या कहा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी ने अंजुमन कमेटी की याचिका का विरोध करते हुए कहा- कमेटी वाद में पार्टी नहीं है. ऐसे में वह हाईकोर्ट में याचिका दायर नहीं कर सकती है. यह याचिका चलने योग्य नहीं हैं. कोर्ट अब मामले में एक सप्ताह बाद फिर से सुनवाई करेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है हिंदू संगठन का दावा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि मंदिर का दावा करते हुए याचिका में कहा गया है कि दरगाह परिसर में मौजूद तीन छतरियां, जो वर्तमान में एक गेट के पास स्थित हैं, संभवतः हिंदू धर्म से संबंधित भवनों के अवशेष हैं. याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि इन छतरियों में जो सामग्री और वास्तुकला दिखाई देती है, वह हिंदू धर्म के प्रतीकों से मेल खाती है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ता का कहना है कि तहखाना जहां ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के अवशेष रखे जाने की बात कही जाती है, दरअसल, ऐतिहासिक परंपराओं के अनुसार वहां महादेव की छवि भी मौजूद थी. इस छवि पर चंदन अभिषेक करने की परंपरा एक ब्राह्मण परिवार द्वारा निभाई जाती थी, जो आज भी जारी है, लेकिन अब इसे दरगाह के धार्मिक रीति-रिवाजों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है.&nbsp;</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Ajmer Dargah News:</strong> अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. गुरुवार (17 अप्रैल) को जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की कोर्ट में खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान की याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका में कहा गया है कि मंदिर के दावे की सुनवाई पर रोक लगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्यों उठी सुनवाई पर रोक की मांग?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कमेटी के वकील आशीष कुमार सिंह और वागीश कुमार सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के किसी भी वाद पर किसी भी कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा रखी है. ये आदेश प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की कानूनी मान्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर दिया गया था. उसके बाद भी अजमेर सिविल कोर्ट इस वाद को सुन रही हैं. ऐसे में इसकी सुनवाई पर रोक लगाई जाए. निचली अदालत में दाखिल याचिका में दावा किया गया है किअजमेर दरगाह में मंदिर है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सरकार ने क्या कहा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी ने अंजुमन कमेटी की याचिका का विरोध करते हुए कहा- कमेटी वाद में पार्टी नहीं है. ऐसे में वह हाईकोर्ट में याचिका दायर नहीं कर सकती है. यह याचिका चलने योग्य नहीं हैं. कोर्ट अब मामले में एक सप्ताह बाद फिर से सुनवाई करेगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्या है हिंदू संगठन का दावा?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि मंदिर का दावा करते हुए याचिका में कहा गया है कि दरगाह परिसर में मौजूद तीन छतरियां, जो वर्तमान में एक गेट के पास स्थित हैं, संभवतः हिंदू धर्म से संबंधित भवनों के अवशेष हैं. याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि इन छतरियों में जो सामग्री और वास्तुकला दिखाई देती है, वह हिंदू धर्म के प्रतीकों से मेल खाती है.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>याचिकाकर्ता का कहना है कि तहखाना जहां ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के अवशेष रखे जाने की बात कही जाती है, दरअसल, ऐतिहासिक परंपराओं के अनुसार वहां महादेव की छवि भी मौजूद थी. इस छवि पर चंदन अभिषेक करने की परंपरा एक ब्राह्मण परिवार द्वारा निभाई जाती थी, जो आज भी जारी है, लेकिन अब इसे दरगाह के धार्मिक रीति-रिवाजों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है.&nbsp;</p>  राजस्थान गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच घट जाएगी दूरी, अंतिम ब्लास्ट के बाद खुला रास्ता, अब टनल होगी तैयार