यूपी में RTO ऑफिस पर दलालों का कब्जा:सरकारी फीस से 5 गुना वसूली; दलालों से मिलकर अफसर हर साल कमा रहे 3-4 करोड़

यूपी में RTO ऑफिस पर दलालों का कब्जा:सरकारी फीस से 5 गुना वसूली; दलालों से मिलकर अफसर हर साल कमा रहे 3-4 करोड़

24 मार्च, 2025 को झांसी में स्कूल बस पलट गई। हादसे में 15 स्टूडेंट्स गंभीर रूप से घायल हो गए। यूपी में बीते 3 महीने में स्कूल बसों के 6 बड़े हादसे हुए। इनमें 50 से ज्यादा बच्चे घायल हुए। इन हादसों में एक बात कॉमन थी कि ड्राइवर तेज रफ्तार से बस चला रहा था, कंट्रोल नहीं कर पाया। कुछ बसें खटारा थीं। ऐसे ड्राइवरों को हैवी ड्राइविंग लाइसेंस और खटारा बसों को फिटनेस सर्टिफिकेट कैसे मिल जाता है? दैनिक भास्कर की टीम ने यूपी के RTO दफ्तरों में 20 दिन तक इन्वेस्टिगेशन किया। ज्यादातर RTO दफ्तर में दलाल हावी दिखे। ये बाहर नहीं, अंदर ही कब्जा जमाए मिले। ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी फिटनेस, परमिट, गाड़ी ट्रांसफर, RC रिन्युअल आदि सभी के रेट फिक्स हैं। लोगों से सरकारी फीस से 5 गुना ज्यादा पैसे वसूले जा रहे। दलालों के जरिए हो रही वसूली में अफसरों का भी हिस्सा होता है। पढ़िए कैसे दलालों के कब्जे में हैं आरटीओ दफ्तर… सीतापुर में दलाल बोला- डरने की बात नहीं, सभी लेते पैसा हैं
हमने अपनी इन्वेस्टिगेशन की शुरुआत लखनऊ से सटे जिले सीतापुर के RTO दफ्तर से की। यहां दफ्तर के बाहर फोटोस्टेट, भर्तियों के फॉर्म, कापी-पेन बेचने की करीब 50 दुकानें हैं। ये दुकानदार लोगों को दफ्तर के बाहर ही रोक लेते हैं। काम करवाने की गारंटी लेते हैं। RTO दफ्तर में दाखिल होते ही हमारी मुलाकात एक दलाल से हुई। उसने हमें RTO और RI के चैंबर के सामने बैठे दलाल रमेश राठौर से मिलवाया। हमने खुद को एक स्कूल का संचालक बताया। उससे दो बसों का फिटनेस और परमिट बनवाने के लिए कहा। दलाल बोला- काम हो जाएगा। यहां सभी अफसर पैसे लेते हैं, उसके बाद काम करते हैं। हम सभी काम करवा देंगे। बातचीत के दौरान रमेश ने दलालों और अधिकारियों की कमाई और नेक्सस के बारे में खुलकर बताया। पढ़िए दलाल से बातचीत के मुख्य अंश रिपोर्टर: यहीं बात करोगे, सामने अधिकारी का कमरा है? दलाल रमेश राठौर: हां, कोई बात नहीं। रिश्वत लेते हैं, रिश्वत देते हैं। चोरी काहे की। यहां डर नहीं भैया, पैसे लेते हैं, पैसे देते हैं। रिपोर्टर- दो गाड़ियों का मोटा-मोटा फिटनेस का खर्च बताओ?
दलाल रमेश राठौर: दोनों गाड़ी का 8 हजार लगेगा। दो हजार और खर्च मान लो। कुल 10 हजार लगेगा। (भारी वाहन की सरकारी फीस 800 रुपए है।) रिपोर्टर: मेरे ड्राइवर का हैवी लाइसेंस होना है। अभी लाइट है।
दलाल रमेश राठौर: 13,500 रुपए आज का रेट है। आगे बढ़ सकता है। (सरकारी फीस हैवी लाइसेंस लर्निंग–150 और परमानेंट की 1000 रुपए है।) रिपोर्टर: एक दिक्कत है, मार्कशीट नहीं है।
दलाल रमेश राठौर: कोई बात नहीं। रिपोर्टर: तो ड्राइविंग सर्टिफिकेट कैसे बनेगा?
दलाल रमेश राठौर: वो सब इसी में बन जाएगा। रिपोर्टर: पर वो ट्रेनिंग लेने नहीं जाएगा।
दलाल: कोई बात नहीं, सब हो जाएगा। लखनऊ: पैसे नहीं देंगे, तो चक्कर कटवाएंगे मार्च की शुरुआत में लखनऊ के डीएम विशाख जी. ने पुलिस अधिकारियों के साथ RTO दफ्तर में छापेमारी की थी, लेकिन फिर भी दलाल एक्टिव हैं। लखनऊ RTO दफ्तर के बाहर हमारी मुलाकात गोरखपुर के मूल निवासी शरद दुबे से हुई। दलाल ने एक बस के फिटनेस-परमिट के लिए 18 हजार और हैवी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 15 हजार रुपए का खर्च बताया। दलाल के मुताबिक, हैवी लाइसेंस के लिए मोटर स्कूल ट्रेनिंग सेंटर का सर्टिफिकेट बनवाना पड़ेगा, जो रायबरेली से बनता है। उसका दावा है, पहले ये काम 3 दिन में करवा देता था। लेकिन, बवाल (डीएम का छापा) होने के बाद अब 8 दिन लग जाएंगे। रिपोर्टर: फिटनेस और परमिट 5 से 6 हजार में हो जाएगा? दलाल: कम से कम 18 हजार रुपए में होगा। (सरकारी फीस 800 रुपए है) रिपोर्टर: इतना पैसा कहां लगेगा, अंदर तो अब देना नहीं है? दलाल: दस हजार तो फिटनेस में ही चला जाएगा। 8 हजार में बाकी सारा काम होना है। बिना पैसे लिए कोई करेगा नहीं। 72 बार दौड़ा देंगे, क्या फायदा? रिपोर्टर: गाड़ी बिना सीखे ट्रेनिंग सर्टिंफिकेट कैसे मिलेगा? दलाल: सब मिल जाएगा। लखीमपुर में हैवी लाइसेंस का 11 हजार मांगे, 500 में फर्जी मार्कशीट हम अपनी इन्वेस्टिगेशन के दूसरे पड़ाव में लखीमपुर खीरी पहुंचे। सीतापुर की तरह यहां भी दलाल घूम रहे थे। हमें RTO अखिलेश द्विवेदी के चैंबर के सामने दलाल सुरेंद्र त्रिवेदी मिला। हमने स्कूल बस का फिटनेस और ड्राइवर का हैवी व्हीकल का डीएल बनवाने की बात कही। दलाल ने बगैर शैक्षणिक प्रमाण पत्र (मार्कशीट) के हैवी लाइसेंस बनवाने की जिम्मेदारी ले ली। सुरेंद्र त्रिवेदी ने हैवी लाइसेंस के लिए 11 हजार रुपए मांगे, जबकि हैवी लाइसेंस की सरकारी फीस 1 हजार रुपए है। हमने कहा कि ड्राइवर के पास मार्कशीट और ट्रेनिंग सर्टिफिकेट नहीं है। इस पर उसने कहा कि कोई बात नहीं, सब बन जाएगा। 5 मिनट का काम है। मार्कशीट का 500 रुपए अलग से लगेगा। हमने सुरेंद्र त्रिवेदी से ज्यादा रुपए लेने की बात कही, तो उसने कहा कि ज्यादा कहां है? 5 हजार ले रहे हैं। इसमें 4500 अंदर देते हैं, 500 मेरा बचता है। RTO ऑफिस में घुमाया, बोला- हमसे ही काम करवाना
हमें शक था कि ऐसा न हो दलाल काम ही न करवा पाए। हमने कहा- ऐसा तो नहीं पैसे लेकर गायब हो जाओ, काम भी न हो। कैसे भरोसा करें? हमारा काम ऐसा है, आखिरी मुहर और साइन RI और RTO के होते हैं। दलाल सुरेंद्र त्रिवेदी हमें एक-एक करके बाबू, RI और RTO के चैंबर में ले गया। लेकिन, वो मौजूद नहीं थे। हमने पूछा सभी कहां हैं? दलाल बोला- जबसे लखनऊ में छापा पड़ा, सब भागे घूम रहे हैं। बहराइच RTO: दलाल बोला- फोटो भेज देना, सब करवा देंगे बहराइच RTO दफ्तर के गेट के बाहर हमें लाला नाम का दलाल मिला। हमने पूछा 2 स्कूल बसों की फिटनेस होनी है। दलाल ने पूरी प्रोसेस बताई। कहा- इंश्योरेंस और प्रदूषण लगेगा, तभी कागज ऑनलाइन होंगे। उसके बाद फिटनेस करवा देंगे। हमने प्रदूषण सर्टिफिकेट खत्म होने की बात कही। इस पर दलाल लाला ने कहा- गाड़ी के आगे पीछे का फोटो वॉट्सऐप करना बन जाएगा। उसने कुल 10 हजार रुपए खर्चा बताया। दलाल हमें फिटनेस बाबू अतीक के चैंबर ले गया। यहां फरियादियों की भीड़ लगी थी। दलाल लाला ने एक कागज की पर्ची दी। बाबू अतीक ने दलाल का काम करके वापस भेज दिया। लाला के जाने के बाद हमने बाबू से अपने काम के बारे में बात की। हमने बाबू अतीक से पूछा कि लाला कैसा आदमी है? इससे दो स्कूल बसों का फिटनेस और एक का परमिट बनना है, काम करा लें। इस पर बाबू अतीक ने कहा कहा कि हां, ठीक आदमी है। काम कराता रहता है। इससे काम करवा लेना। बाबू बोला- सब काम करवा देंगे
हम दफ्तर से बाहर निकल रहे थे, तभी दलाल आदिल मिला। वह खुद को संविदा पर तैनात बाबू बताता है। आदिल ने पूछा- बताइए, क्या काम है? हम यही संविदा पर नौकरी करते हैं। सब काम करवा देंगे। उसने पूरी रेट लिस्ट बताई। हमको भरोसे में लेने के लिए रिकॉर्ड रूम समेत दफ्तर के कई केबिन में बैठने की बात भी हमारे हिडन कैमरे पर बताई। उसने दो बसों की फिटनेस के लिए 10 हजार मांगे। कहा- अंदर 2800 रुपए देने पड़ते हैं, जबकि हैवी लाइसेंस के लिए नौ हजार रुपए मांगे। बाराबंकी में सख्ती: फोन पर डील, बाबू बोला- कमलेश से मिल लीजिए हम पड़ताल करने लखनऊ से सटे बाराबंकी पहुंचे। यहां हमें एक आदमी मिला, जिसने RTO दफ्तर के बाबू रवि का नाम बताया। रवि इस दफ्तर में फिटनेस बाबू है। कार्यालय के दो गेट हैं। हमको बताया गया कि लखनऊ में रेड के बाद सभी दलाल गेट नंबर-2 पर एक्टिव हैं। लेकिन, दफ्तर के अंदर नहीं जाते। हम गेट नंबर- 2 से दफ्तर के अंदर पहुंचे। फिटनेस बाबू रवि से मुलाकात की। 2 बसों की फिटनेस करवाने के लिए कहा। बाबू ने दो-टूक जवाब दिया, नीचे कमलेश जनसेवा वालों से मिल लीजिए। दलाल बोला- सभी हमारी राइटिंग पहचानते है, काम हो जाएगा
हम कमलेश की दुकान की तरफ जा रहे थे। तभी RTO दफ्तर के अंदर बनी पूछताछ खिड़की पर कमलेश मिल गया। हमें अपनी दुकान पर ले गया, जहां दूसरे दलाल रितेश से मिलवाया। हमने स्कूल बसों की फिटनेस और एक गाड़ी ट्रांसफर करवाने को कहा। सारे नियम-कानून बताने के बाद उसने 23 हजार रुपए में दो बसों की फिटनेस बनवाने की जिम्मेदारी ले ली। जबकि सरकारी फीस 800 रुपए प्रति बस है। हमने खुद रवि को पैसे देने की बात कही। इस पर दलाल ने कहा, अंदर आप समझेंगे तो हम लोग किसी काम में हाथ नहीं लगाएंगे। क्योंकि, अंदर सभी लोग हमारी राइटिंग (लिखावट) पहचानते हैं। काम हमसे करवाओ या उनसे करवा लीजिए। एटा और कासगंज में भी यही हाल नई गाड़ियों की RC हम ही बनवाते हैं, अब सेटिंग का खेल है
पूर्वी उत्तर प्रदेश के 5 जिलों में दलालों का दफ्तरों में कब्जा देखने के बाद हम राज्य के पश्चिम हिस्से एटा और कासगंज पहुंचे। एटा RTO ऑफिस के बाहर बैठे दलाल कालीचरण अग्रवाल ने बताया- हम लोग यहां 19 साल से दुकान चला रहे हैं। हमने नया ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के बारे में पूछा। वह बोला-पहले लर्निंग बनेगा, जो हम एक घंटे में बगैर किसी टेस्ट के बना देंगे। जब परमानेंट बनेगा, उस समय तुमको केवल फोटो खिंचवाने के लिए आना पड़ेगा। नए लाइसेंस के 3400 रुपए लगेंगे और हैवी के 6500 रुपए लगेंगे। एटा में जितनी नए वाहन की एजेंसी हैं, उनके कागज (RC) हम ही बनवाते हैं। कासगंज में दलाल बोला- वॉट्सऐप पर कागज भेजो-घर बैठे लाइसेंस पाओ
कासगंज RTO दफ्तर के बाहर छोटी-सी दुकान रखकर बृज यादव नाम का दलाल सक्रिय है। उसने हमको लाइसेंस बनवाने के 3800 रुपए बताए। पहले लर्निंग के 1200 बताए। हमने कहा, फिर कभी बनवाएंगे और चलने लगे। दलाल ने कहा- दो ऑप्शन होते हैं, लर्निंग तो मैं आपका बगैर आए हुए बनवा दूंगा। किसी का भी हो, वहां से पैसे फोन पे (यूपीआई) कर दिए। आधार कार्ड वॉट्सऐप कर दिया, यहां से आपका लर्निंग बन जाएगा। लाइट में कंपलसरी है आना-जाना। एक पासवर्ड पहुंचता है, वहां से जनरेट हो जाता है। जो लोग बाहर रहते है, दिल्ली-नोएडा, ऐसे ही तो बनवाते हैं। यहां आने की जरूरत नहीं, लर्निंग अपना हाथों-हाथ लेते जाइए। सालभर में RTO अफसरों की कमाई 3 से 4 करोड़
इसे हम सीतापुर ARTO दफ्तर में सक्रिय दलाल रमेश राठौर के दावे से समझते हैं। रमेश राठौर के मुताबिक, एक बड़ी गाड़ी (ट्रक, बस, कार आदि) की फिटनेस और एक हैवी लाइसेंस के लिए दफ्तर में 2000-2000 रुपए दिए जाते हैं। रमेश के मुताबिक, आज कुल 37 गाड़ियों की फिटनेस होनी है। इस तरह से देखें, तो फिटनेस से ही एक दिन की कमाई 74 हजार रुपए है। अगर डीएल और परमिट जैसे कामों का हिस्सा भी जोड़ लिया जाए, तो यह रोजाना का 1 से सवा लाख रुपए बनता है। इस तरह अफसर महीने का 25 से 35 लाख रुपए और साल का 3 से 4 करोड़ रुपए कमा रहे हैं। दलाल एक फिटनेस और लाइसेंस पर 1-1 हजार रुपए कमाते हैं। अगर रोजाना एक फिटनेस ओर लाइसेंस बनवाते हैं, तो 60 हजार रुपए महीने की कमाई है। रिपोर्टर: लेन-देन में अंदर कितना जाता है?
दलाल रमेश राठौर: 2 गाड़ी में 4 हजार रुपए दिए जाते हैं। रिपोर्टर: हैवी लाइसेंस में कितना?
दलाल रमेश राठौर: 2 हजार। रिपोर्टर: तो तुम लोगों को क्या मिलता है?
दलाल रमेश राठौर: 1 हजार रुपए बनता है। रिपोर्टर: दिन भर में कितना बनता है?
दलाल रमेश राठौर: आज करीब 37 गाड़ियां फिटनेस की लगी हैं। रिपोर्टर: अधिकारियों की दिन भर में कितनी कमाई होती होगी?
दलाल रमेश राठौर: 1 लाख 20 हजार रोज की कमाई है। ये तो अभी फिटनेस का है। इसके अलावा लाइसेंस और रिन्यूवल अलग है। दलालों के चंगुल में क्यों फंसते हैं लोग?
बाबू-अफसर कागजी कार्रवाई के लिए लंबी प्रक्रिया बताते हैं। दलाल इन्हीं कर्मचारियों से सेटिंग कर काम जल्दी करा देते हैं। हमारी इन्वेस्टिगेशन में यह बात सामने आई कि बाबू लोगों को दलालों के पास भेज देते हैं। दलालों ने भी कबूल किया कि अगर आप सीधे जाते हैं, तो अफसर आपको चक्कर कटवाएंगे। —————————- ये खबर भी पढ़ें… क्या डीएम से विधायक इतना कमजोर कि पैर छूने पड़ें?, पूर्व सांसद बृजभूषण के बयान से उठे सवाल; DM-MLA में कौन पावरफुल यूपी के अफसर नेताओं की नहीं सुनते। भाजपा नेताओं का यह दर्द अक्सर सामने आता रहा है। अब भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण सिंह ने अपने बयान से इसे और तूल दे दिया है। बृजभूषण ने यहां तक कह डाला कि विधायकों की औकात जीरो हो गई है। काम निकलवाने के लिए डीएम के पैर छूकर नमस्ते करते हैं। बृजभूषण का पूरा बयान क्या है? उन्होंने ऐसा क्यों कहा? विधायक और डीएम के पावर क्या होते हैं? पढ़ें पूरी खबर 24 मार्च, 2025 को झांसी में स्कूल बस पलट गई। हादसे में 15 स्टूडेंट्स गंभीर रूप से घायल हो गए। यूपी में बीते 3 महीने में स्कूल बसों के 6 बड़े हादसे हुए। इनमें 50 से ज्यादा बच्चे घायल हुए। इन हादसों में एक बात कॉमन थी कि ड्राइवर तेज रफ्तार से बस चला रहा था, कंट्रोल नहीं कर पाया। कुछ बसें खटारा थीं। ऐसे ड्राइवरों को हैवी ड्राइविंग लाइसेंस और खटारा बसों को फिटनेस सर्टिफिकेट कैसे मिल जाता है? दैनिक भास्कर की टीम ने यूपी के RTO दफ्तरों में 20 दिन तक इन्वेस्टिगेशन किया। ज्यादातर RTO दफ्तर में दलाल हावी दिखे। ये बाहर नहीं, अंदर ही कब्जा जमाए मिले। ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी फिटनेस, परमिट, गाड़ी ट्रांसफर, RC रिन्युअल आदि सभी के रेट फिक्स हैं। लोगों से सरकारी फीस से 5 गुना ज्यादा पैसे वसूले जा रहे। दलालों के जरिए हो रही वसूली में अफसरों का भी हिस्सा होता है। पढ़िए कैसे दलालों के कब्जे में हैं आरटीओ दफ्तर… सीतापुर में दलाल बोला- डरने की बात नहीं, सभी लेते पैसा हैं
हमने अपनी इन्वेस्टिगेशन की शुरुआत लखनऊ से सटे जिले सीतापुर के RTO दफ्तर से की। यहां दफ्तर के बाहर फोटोस्टेट, भर्तियों के फॉर्म, कापी-पेन बेचने की करीब 50 दुकानें हैं। ये दुकानदार लोगों को दफ्तर के बाहर ही रोक लेते हैं। काम करवाने की गारंटी लेते हैं। RTO दफ्तर में दाखिल होते ही हमारी मुलाकात एक दलाल से हुई। उसने हमें RTO और RI के चैंबर के सामने बैठे दलाल रमेश राठौर से मिलवाया। हमने खुद को एक स्कूल का संचालक बताया। उससे दो बसों का फिटनेस और परमिट बनवाने के लिए कहा। दलाल बोला- काम हो जाएगा। यहां सभी अफसर पैसे लेते हैं, उसके बाद काम करते हैं। हम सभी काम करवा देंगे। बातचीत के दौरान रमेश ने दलालों और अधिकारियों की कमाई और नेक्सस के बारे में खुलकर बताया। पढ़िए दलाल से बातचीत के मुख्य अंश रिपोर्टर: यहीं बात करोगे, सामने अधिकारी का कमरा है? दलाल रमेश राठौर: हां, कोई बात नहीं। रिश्वत लेते हैं, रिश्वत देते हैं। चोरी काहे की। यहां डर नहीं भैया, पैसे लेते हैं, पैसे देते हैं। रिपोर्टर- दो गाड़ियों का मोटा-मोटा फिटनेस का खर्च बताओ?
दलाल रमेश राठौर: दोनों गाड़ी का 8 हजार लगेगा। दो हजार और खर्च मान लो। कुल 10 हजार लगेगा। (भारी वाहन की सरकारी फीस 800 रुपए है।) रिपोर्टर: मेरे ड्राइवर का हैवी लाइसेंस होना है। अभी लाइट है।
दलाल रमेश राठौर: 13,500 रुपए आज का रेट है। आगे बढ़ सकता है। (सरकारी फीस हैवी लाइसेंस लर्निंग–150 और परमानेंट की 1000 रुपए है।) रिपोर्टर: एक दिक्कत है, मार्कशीट नहीं है।
दलाल रमेश राठौर: कोई बात नहीं। रिपोर्टर: तो ड्राइविंग सर्टिफिकेट कैसे बनेगा?
दलाल रमेश राठौर: वो सब इसी में बन जाएगा। रिपोर्टर: पर वो ट्रेनिंग लेने नहीं जाएगा।
दलाल: कोई बात नहीं, सब हो जाएगा। लखनऊ: पैसे नहीं देंगे, तो चक्कर कटवाएंगे मार्च की शुरुआत में लखनऊ के डीएम विशाख जी. ने पुलिस अधिकारियों के साथ RTO दफ्तर में छापेमारी की थी, लेकिन फिर भी दलाल एक्टिव हैं। लखनऊ RTO दफ्तर के बाहर हमारी मुलाकात गोरखपुर के मूल निवासी शरद दुबे से हुई। दलाल ने एक बस के फिटनेस-परमिट के लिए 18 हजार और हैवी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 15 हजार रुपए का खर्च बताया। दलाल के मुताबिक, हैवी लाइसेंस के लिए मोटर स्कूल ट्रेनिंग सेंटर का सर्टिफिकेट बनवाना पड़ेगा, जो रायबरेली से बनता है। उसका दावा है, पहले ये काम 3 दिन में करवा देता था। लेकिन, बवाल (डीएम का छापा) होने के बाद अब 8 दिन लग जाएंगे। रिपोर्टर: फिटनेस और परमिट 5 से 6 हजार में हो जाएगा? दलाल: कम से कम 18 हजार रुपए में होगा। (सरकारी फीस 800 रुपए है) रिपोर्टर: इतना पैसा कहां लगेगा, अंदर तो अब देना नहीं है? दलाल: दस हजार तो फिटनेस में ही चला जाएगा। 8 हजार में बाकी सारा काम होना है। बिना पैसे लिए कोई करेगा नहीं। 72 बार दौड़ा देंगे, क्या फायदा? रिपोर्टर: गाड़ी बिना सीखे ट्रेनिंग सर्टिंफिकेट कैसे मिलेगा? दलाल: सब मिल जाएगा। लखीमपुर में हैवी लाइसेंस का 11 हजार मांगे, 500 में फर्जी मार्कशीट हम अपनी इन्वेस्टिगेशन के दूसरे पड़ाव में लखीमपुर खीरी पहुंचे। सीतापुर की तरह यहां भी दलाल घूम रहे थे। हमें RTO अखिलेश द्विवेदी के चैंबर के सामने दलाल सुरेंद्र त्रिवेदी मिला। हमने स्कूल बस का फिटनेस और ड्राइवर का हैवी व्हीकल का डीएल बनवाने की बात कही। दलाल ने बगैर शैक्षणिक प्रमाण पत्र (मार्कशीट) के हैवी लाइसेंस बनवाने की जिम्मेदारी ले ली। सुरेंद्र त्रिवेदी ने हैवी लाइसेंस के लिए 11 हजार रुपए मांगे, जबकि हैवी लाइसेंस की सरकारी फीस 1 हजार रुपए है। हमने कहा कि ड्राइवर के पास मार्कशीट और ट्रेनिंग सर्टिफिकेट नहीं है। इस पर उसने कहा कि कोई बात नहीं, सब बन जाएगा। 5 मिनट का काम है। मार्कशीट का 500 रुपए अलग से लगेगा। हमने सुरेंद्र त्रिवेदी से ज्यादा रुपए लेने की बात कही, तो उसने कहा कि ज्यादा कहां है? 5 हजार ले रहे हैं। इसमें 4500 अंदर देते हैं, 500 मेरा बचता है। RTO ऑफिस में घुमाया, बोला- हमसे ही काम करवाना
हमें शक था कि ऐसा न हो दलाल काम ही न करवा पाए। हमने कहा- ऐसा तो नहीं पैसे लेकर गायब हो जाओ, काम भी न हो। कैसे भरोसा करें? हमारा काम ऐसा है, आखिरी मुहर और साइन RI और RTO के होते हैं। दलाल सुरेंद्र त्रिवेदी हमें एक-एक करके बाबू, RI और RTO के चैंबर में ले गया। लेकिन, वो मौजूद नहीं थे। हमने पूछा सभी कहां हैं? दलाल बोला- जबसे लखनऊ में छापा पड़ा, सब भागे घूम रहे हैं। बहराइच RTO: दलाल बोला- फोटो भेज देना, सब करवा देंगे बहराइच RTO दफ्तर के गेट के बाहर हमें लाला नाम का दलाल मिला। हमने पूछा 2 स्कूल बसों की फिटनेस होनी है। दलाल ने पूरी प्रोसेस बताई। कहा- इंश्योरेंस और प्रदूषण लगेगा, तभी कागज ऑनलाइन होंगे। उसके बाद फिटनेस करवा देंगे। हमने प्रदूषण सर्टिफिकेट खत्म होने की बात कही। इस पर दलाल लाला ने कहा- गाड़ी के आगे पीछे का फोटो वॉट्सऐप करना बन जाएगा। उसने कुल 10 हजार रुपए खर्चा बताया। दलाल हमें फिटनेस बाबू अतीक के चैंबर ले गया। यहां फरियादियों की भीड़ लगी थी। दलाल लाला ने एक कागज की पर्ची दी। बाबू अतीक ने दलाल का काम करके वापस भेज दिया। लाला के जाने के बाद हमने बाबू से अपने काम के बारे में बात की। हमने बाबू अतीक से पूछा कि लाला कैसा आदमी है? इससे दो स्कूल बसों का फिटनेस और एक का परमिट बनना है, काम करा लें। इस पर बाबू अतीक ने कहा कहा कि हां, ठीक आदमी है। काम कराता रहता है। इससे काम करवा लेना। बाबू बोला- सब काम करवा देंगे
हम दफ्तर से बाहर निकल रहे थे, तभी दलाल आदिल मिला। वह खुद को संविदा पर तैनात बाबू बताता है। आदिल ने पूछा- बताइए, क्या काम है? हम यही संविदा पर नौकरी करते हैं। सब काम करवा देंगे। उसने पूरी रेट लिस्ट बताई। हमको भरोसे में लेने के लिए रिकॉर्ड रूम समेत दफ्तर के कई केबिन में बैठने की बात भी हमारे हिडन कैमरे पर बताई। उसने दो बसों की फिटनेस के लिए 10 हजार मांगे। कहा- अंदर 2800 रुपए देने पड़ते हैं, जबकि हैवी लाइसेंस के लिए नौ हजार रुपए मांगे। बाराबंकी में सख्ती: फोन पर डील, बाबू बोला- कमलेश से मिल लीजिए हम पड़ताल करने लखनऊ से सटे बाराबंकी पहुंचे। यहां हमें एक आदमी मिला, जिसने RTO दफ्तर के बाबू रवि का नाम बताया। रवि इस दफ्तर में फिटनेस बाबू है। कार्यालय के दो गेट हैं। हमको बताया गया कि लखनऊ में रेड के बाद सभी दलाल गेट नंबर-2 पर एक्टिव हैं। लेकिन, दफ्तर के अंदर नहीं जाते। हम गेट नंबर- 2 से दफ्तर के अंदर पहुंचे। फिटनेस बाबू रवि से मुलाकात की। 2 बसों की फिटनेस करवाने के लिए कहा। बाबू ने दो-टूक जवाब दिया, नीचे कमलेश जनसेवा वालों से मिल लीजिए। दलाल बोला- सभी हमारी राइटिंग पहचानते है, काम हो जाएगा
हम कमलेश की दुकान की तरफ जा रहे थे। तभी RTO दफ्तर के अंदर बनी पूछताछ खिड़की पर कमलेश मिल गया। हमें अपनी दुकान पर ले गया, जहां दूसरे दलाल रितेश से मिलवाया। हमने स्कूल बसों की फिटनेस और एक गाड़ी ट्रांसफर करवाने को कहा। सारे नियम-कानून बताने के बाद उसने 23 हजार रुपए में दो बसों की फिटनेस बनवाने की जिम्मेदारी ले ली। जबकि सरकारी फीस 800 रुपए प्रति बस है। हमने खुद रवि को पैसे देने की बात कही। इस पर दलाल ने कहा, अंदर आप समझेंगे तो हम लोग किसी काम में हाथ नहीं लगाएंगे। क्योंकि, अंदर सभी लोग हमारी राइटिंग (लिखावट) पहचानते हैं। काम हमसे करवाओ या उनसे करवा लीजिए। एटा और कासगंज में भी यही हाल नई गाड़ियों की RC हम ही बनवाते हैं, अब सेटिंग का खेल है
पूर्वी उत्तर प्रदेश के 5 जिलों में दलालों का दफ्तरों में कब्जा देखने के बाद हम राज्य के पश्चिम हिस्से एटा और कासगंज पहुंचे। एटा RTO ऑफिस के बाहर बैठे दलाल कालीचरण अग्रवाल ने बताया- हम लोग यहां 19 साल से दुकान चला रहे हैं। हमने नया ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के बारे में पूछा। वह बोला-पहले लर्निंग बनेगा, जो हम एक घंटे में बगैर किसी टेस्ट के बना देंगे। जब परमानेंट बनेगा, उस समय तुमको केवल फोटो खिंचवाने के लिए आना पड़ेगा। नए लाइसेंस के 3400 रुपए लगेंगे और हैवी के 6500 रुपए लगेंगे। एटा में जितनी नए वाहन की एजेंसी हैं, उनके कागज (RC) हम ही बनवाते हैं। कासगंज में दलाल बोला- वॉट्सऐप पर कागज भेजो-घर बैठे लाइसेंस पाओ
कासगंज RTO दफ्तर के बाहर छोटी-सी दुकान रखकर बृज यादव नाम का दलाल सक्रिय है। उसने हमको लाइसेंस बनवाने के 3800 रुपए बताए। पहले लर्निंग के 1200 बताए। हमने कहा, फिर कभी बनवाएंगे और चलने लगे। दलाल ने कहा- दो ऑप्शन होते हैं, लर्निंग तो मैं आपका बगैर आए हुए बनवा दूंगा। किसी का भी हो, वहां से पैसे फोन पे (यूपीआई) कर दिए। आधार कार्ड वॉट्सऐप कर दिया, यहां से आपका लर्निंग बन जाएगा। लाइट में कंपलसरी है आना-जाना। एक पासवर्ड पहुंचता है, वहां से जनरेट हो जाता है। जो लोग बाहर रहते है, दिल्ली-नोएडा, ऐसे ही तो बनवाते हैं। यहां आने की जरूरत नहीं, लर्निंग अपना हाथों-हाथ लेते जाइए। सालभर में RTO अफसरों की कमाई 3 से 4 करोड़
इसे हम सीतापुर ARTO दफ्तर में सक्रिय दलाल रमेश राठौर के दावे से समझते हैं। रमेश राठौर के मुताबिक, एक बड़ी गाड़ी (ट्रक, बस, कार आदि) की फिटनेस और एक हैवी लाइसेंस के लिए दफ्तर में 2000-2000 रुपए दिए जाते हैं। रमेश के मुताबिक, आज कुल 37 गाड़ियों की फिटनेस होनी है। इस तरह से देखें, तो फिटनेस से ही एक दिन की कमाई 74 हजार रुपए है। अगर डीएल और परमिट जैसे कामों का हिस्सा भी जोड़ लिया जाए, तो यह रोजाना का 1 से सवा लाख रुपए बनता है। इस तरह अफसर महीने का 25 से 35 लाख रुपए और साल का 3 से 4 करोड़ रुपए कमा रहे हैं। दलाल एक फिटनेस और लाइसेंस पर 1-1 हजार रुपए कमाते हैं। अगर रोजाना एक फिटनेस ओर लाइसेंस बनवाते हैं, तो 60 हजार रुपए महीने की कमाई है। रिपोर्टर: लेन-देन में अंदर कितना जाता है?
दलाल रमेश राठौर: 2 गाड़ी में 4 हजार रुपए दिए जाते हैं। रिपोर्टर: हैवी लाइसेंस में कितना?
दलाल रमेश राठौर: 2 हजार। रिपोर्टर: तो तुम लोगों को क्या मिलता है?
दलाल रमेश राठौर: 1 हजार रुपए बनता है। रिपोर्टर: दिन भर में कितना बनता है?
दलाल रमेश राठौर: आज करीब 37 गाड़ियां फिटनेस की लगी हैं। रिपोर्टर: अधिकारियों की दिन भर में कितनी कमाई होती होगी?
दलाल रमेश राठौर: 1 लाख 20 हजार रोज की कमाई है। ये तो अभी फिटनेस का है। इसके अलावा लाइसेंस और रिन्यूवल अलग है। दलालों के चंगुल में क्यों फंसते हैं लोग?
बाबू-अफसर कागजी कार्रवाई के लिए लंबी प्रक्रिया बताते हैं। दलाल इन्हीं कर्मचारियों से सेटिंग कर काम जल्दी करा देते हैं। हमारी इन्वेस्टिगेशन में यह बात सामने आई कि बाबू लोगों को दलालों के पास भेज देते हैं। दलालों ने भी कबूल किया कि अगर आप सीधे जाते हैं, तो अफसर आपको चक्कर कटवाएंगे। —————————- ये खबर भी पढ़ें… क्या डीएम से विधायक इतना कमजोर कि पैर छूने पड़ें?, पूर्व सांसद बृजभूषण के बयान से उठे सवाल; DM-MLA में कौन पावरफुल यूपी के अफसर नेताओं की नहीं सुनते। भाजपा नेताओं का यह दर्द अक्सर सामने आता रहा है। अब भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण सिंह ने अपने बयान से इसे और तूल दे दिया है। बृजभूषण ने यहां तक कह डाला कि विधायकों की औकात जीरो हो गई है। काम निकलवाने के लिए डीएम के पैर छूकर नमस्ते करते हैं। बृजभूषण का पूरा बयान क्या है? उन्होंने ऐसा क्यों कहा? विधायक और डीएम के पावर क्या होते हैं? पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर