दिल्ली की अदालत का IRFC घोटाले में बड़ा फैसला, पूर्व CMD को आरोपों से किया बरी, कहा- ‘सिर्फ…’

दिल्ली की अदालत का IRFC घोटाले में बड़ा फैसला, पूर्व CMD को आरोपों से किया बरी, कहा- ‘सिर्फ…’

<div id=”:yg” class=”Am aiL Al editable LW-avf tS-tW tS-tY” style=”text-align: justify;” tabindex=”1″ role=”textbox” spellcheck=”false” aria-label=”Message Body” aria-multiline=”true” aria-owns=”:10u” aria-controls=”:10u” aria-expanded=”false”><strong>IRFC Scam:</strong> भारतीय रेल वित्त निगम (IRFC) में कथित महंगे उपहार घोटाले में दिल्ली की एक अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (CMD) अमिताभ बनर्जी को सभी आरोपों से बरी कर दिया. अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनके खिलाफ न तो कोई गंभीर संदेह है और न ही उन्हें मुकदमे का सामना कराने के लिए बाध्य करने का कोई औचित्य है. <br /><br />राउज एवेन्यू कोर्ट की स्पेशल जज विजेता सिंह रावत ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में उपलब्ध साक्ष्य इतने कमजोर हैं कि पहली नजर में यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी के खिलाफ कोई गंभीर संदेह है. इस मामले में आगे बढ़ना न सिर्फ न्यायिक व्यवस्था पर बोझ डालेगा बल्कि न्यायिक समय की बर्बादी भी होगी.<br /><br /><strong>CBI की जांच पर अहम सवाल</strong><br /><br />दिल्ली की अदालत ने CBI की उस जांच पर भी अप्रत्यक्ष रूप से सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसमें बनर्जी पर करोड़ों रुपये के उपहार, जिनमें सोने के सिक्के भी शामिल थे खरीदने और उनके वितरण में अनियमितता का आरोप लगाया गया था. CBI का कहना था कि IRFC अधिकारियों ने इन महंगे उपहारों के प्राप्तकर्ताओं की सूची तक मुहैया नहीं कराई और ना ही खरीद के लिए कोई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) मौजूद थी.<br /><br /><strong>क्या IRFC घोटाला?</strong><br /><br />रेलवे सतर्कता विभाग को सूचना मिली थी कि IRFC के फंड से बेतहाशा खर्च कर उपहार (खासतौर पर सोने के सिक्के) खरीदे गए और अनियमित तरीके से वितरित किए गए. जांच का दायरा बढ़ने पर अमिताभ बनर्जी को संदेह के घेरे में लिया गया. बाद में उन्हें पद से हटा दिया गया. रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव की अनुमति के बाद इस मामले की जांच CBI को सौंपी गई थी. <br /><br />इस बीच अदालत के ताजा फैसले ने अमिताभ बनर्जी को राहत दी है, लेकिन इस पूरे प्रकरण ने सरकारी कंपनियों में जवाबदेही और पारदर्शिता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘सिर्फ आरोप लगाने से किसी की प्रतिष्ठा को ठेस नहीं पहुंचाई जा सकती. जब तक आरोपी के खिलाफ ठोस और पुख्ता सबूत न हों.<br /><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/wcocD42X-hU?si=PedCb138LDB94i_I” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe><br /><br /></div> <div id=”:yg” class=”Am aiL Al editable LW-avf tS-tW tS-tY” style=”text-align: justify;” tabindex=”1″ role=”textbox” spellcheck=”false” aria-label=”Message Body” aria-multiline=”true” aria-owns=”:10u” aria-controls=”:10u” aria-expanded=”false”><strong>IRFC Scam:</strong> भारतीय रेल वित्त निगम (IRFC) में कथित महंगे उपहार घोटाले में दिल्ली की एक अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (CMD) अमिताभ बनर्जी को सभी आरोपों से बरी कर दिया. अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनके खिलाफ न तो कोई गंभीर संदेह है और न ही उन्हें मुकदमे का सामना कराने के लिए बाध्य करने का कोई औचित्य है. <br /><br />राउज एवेन्यू कोर्ट की स्पेशल जज विजेता सिंह रावत ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में उपलब्ध साक्ष्य इतने कमजोर हैं कि पहली नजर में यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी के खिलाफ कोई गंभीर संदेह है. इस मामले में आगे बढ़ना न सिर्फ न्यायिक व्यवस्था पर बोझ डालेगा बल्कि न्यायिक समय की बर्बादी भी होगी.<br /><br /><strong>CBI की जांच पर अहम सवाल</strong><br /><br />दिल्ली की अदालत ने CBI की उस जांच पर भी अप्रत्यक्ष रूप से सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसमें बनर्जी पर करोड़ों रुपये के उपहार, जिनमें सोने के सिक्के भी शामिल थे खरीदने और उनके वितरण में अनियमितता का आरोप लगाया गया था. CBI का कहना था कि IRFC अधिकारियों ने इन महंगे उपहारों के प्राप्तकर्ताओं की सूची तक मुहैया नहीं कराई और ना ही खरीद के लिए कोई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) मौजूद थी.<br /><br /><strong>क्या IRFC घोटाला?</strong><br /><br />रेलवे सतर्कता विभाग को सूचना मिली थी कि IRFC के फंड से बेतहाशा खर्च कर उपहार (खासतौर पर सोने के सिक्के) खरीदे गए और अनियमित तरीके से वितरित किए गए. जांच का दायरा बढ़ने पर अमिताभ बनर्जी को संदेह के घेरे में लिया गया. बाद में उन्हें पद से हटा दिया गया. रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव की अनुमति के बाद इस मामले की जांच CBI को सौंपी गई थी. <br /><br />इस बीच अदालत के ताजा फैसले ने अमिताभ बनर्जी को राहत दी है, लेकिन इस पूरे प्रकरण ने सरकारी कंपनियों में जवाबदेही और पारदर्शिता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘सिर्फ आरोप लगाने से किसी की प्रतिष्ठा को ठेस नहीं पहुंचाई जा सकती. जब तक आरोपी के खिलाफ ठोस और पुख्ता सबूत न हों.<br /><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/wcocD42X-hU?si=PedCb138LDB94i_I” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe><br /><br /></div>  दिल्ली NCR मोतिहारी साइबर पुलिस ने 6 अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड को किया गिरफ्तार, पाकिस्तान से है कनेक्शन