जेईई मेंस के परीक्षा परिणाम में जींद जिला के होनहारों ने शानदार प्रदर्शन किया है। जुलाना के पास करेला गांव निवासी यश ने 98.35 प्रतिशत व अहिरका गांव निवासी किरण ने 96 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। यश के पिता खेती करते हैं और मां गृहिणी हैं। वहीं किरण के पिता होमगार्ड में हैं और मां गृहिणी हैं। यश के पिता संजय कुमार ने बताया कि यश को शुरू से ही इंजीनियर बनने का चाव रहा है। ऐसे में शुरू से ही उसने तैयारी की। इसके लिए जींद में निजी कोचिंग सेंटर में रहा। एक साल से वहीं पर रह कर पढ़ाई कर रहा था। यश की मां गृहिणी हैं। उसका दूसरा भाई अभी दसवीं में पढ़ रहा है। पिता होमगार्ड, बेटी को दी अच्छी शिक्षा संजय कुमार के अनुसार वे अधिक पढ़े लिखे नहीं है और अपनी करीब ढाई एकड़ की खेती करते हैं। बेटे से ही पूरे परिवार को आस है। वहीं अमरहेड़ी गांव निवासी किरण के पिता होमगार्ड में कार्यरत हैं। किरण के पिता रोहताश ने बताया कि उसकी तीन बेटियां हैं। बेटियों की अच्छी शिक्षा के लिए वे शुरू से ही प्रयासरत रहे हैं। रात 12 बजे तक की पढाई किरण पहले से ही पढ़ाई में अच्छी रही है। दसवीं में भी अच्छे अंक आए तो एक एकेडमी में दाखिला दिलवाया गया। वह सुबह आठ से शाम पांच बजे तक एकेडमी में रहती। शाम को आकर कुछ देर विश्राम करती और रात 12 बजे तक पढ़ाई करती थी। सुबह चार बजे उठा कर फिर से पढ़ाई करती थी। इस दौरान किरण ने ऑनलाइन भी काफी मदद ली। ऐसा नहीं है कि वह मोबाइल फोन से बिल्कुल ही कट गई थी। मोबाइल फोन का प्रयोग सिर्फ पढ़ाई के लिए किया। जेईई मेंस के परीक्षा परिणाम में जींद जिला के होनहारों ने शानदार प्रदर्शन किया है। जुलाना के पास करेला गांव निवासी यश ने 98.35 प्रतिशत व अहिरका गांव निवासी किरण ने 96 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं। यश के पिता खेती करते हैं और मां गृहिणी हैं। वहीं किरण के पिता होमगार्ड में हैं और मां गृहिणी हैं। यश के पिता संजय कुमार ने बताया कि यश को शुरू से ही इंजीनियर बनने का चाव रहा है। ऐसे में शुरू से ही उसने तैयारी की। इसके लिए जींद में निजी कोचिंग सेंटर में रहा। एक साल से वहीं पर रह कर पढ़ाई कर रहा था। यश की मां गृहिणी हैं। उसका दूसरा भाई अभी दसवीं में पढ़ रहा है। पिता होमगार्ड, बेटी को दी अच्छी शिक्षा संजय कुमार के अनुसार वे अधिक पढ़े लिखे नहीं है और अपनी करीब ढाई एकड़ की खेती करते हैं। बेटे से ही पूरे परिवार को आस है। वहीं अमरहेड़ी गांव निवासी किरण के पिता होमगार्ड में कार्यरत हैं। किरण के पिता रोहताश ने बताया कि उसकी तीन बेटियां हैं। बेटियों की अच्छी शिक्षा के लिए वे शुरू से ही प्रयासरत रहे हैं। रात 12 बजे तक की पढाई किरण पहले से ही पढ़ाई में अच्छी रही है। दसवीं में भी अच्छे अंक आए तो एक एकेडमी में दाखिला दिलवाया गया। वह सुबह आठ से शाम पांच बजे तक एकेडमी में रहती। शाम को आकर कुछ देर विश्राम करती और रात 12 बजे तक पढ़ाई करती थी। सुबह चार बजे उठा कर फिर से पढ़ाई करती थी। इस दौरान किरण ने ऑनलाइन भी काफी मदद ली। ऐसा नहीं है कि वह मोबाइल फोन से बिल्कुल ही कट गई थी। मोबाइल फोन का प्रयोग सिर्फ पढ़ाई के लिए किया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
