पुलिस हिरासत में मौत, 17 पुलिसकर्मी फंसे:7 साल पुराने केस में CID ने लगाई चार्जशीट, एकलौते बेटे के गम में मां भी दुनिया छोड़ गईं

पुलिस हिरासत में मौत, 17 पुलिसकर्मी फंसे:7 साल पुराने केस में CID ने लगाई चार्जशीट, एकलौते बेटे के गम में मां भी दुनिया छोड़ गईं

आगरा में 7 साल पहले पुलिस हिरासत में बेरहमी से पिटाई से राजू गुप्ता की मौत हो गई थी। जिसके कारण अब यह मामला फिर सुर्खियों में है। सीआईडी ने घटना के समय सिकंदरा थाने में मौजूद 17 पुलिस कर्मियों को दोषी माना है। इसमें एक इंस्पेक्टर, दो दरोगा, चार हेड कांस्टेबल शामिल हैं। सभी पर गैर इरादतन हत्या और अवैध हिरासत का दोषी पाया है। सीआईडी ने चार्जशीट लगाई है। अभियोजन स्वीकृति के लिए फाइल शासन को भेजी गई है। जिसके बाद से पुलिसकर्मियों में खलबली मची है। पहले जानिए क्या था पूरा मामला….
गैलाना मार्ग स्थित नरेंद्र एन्क्लेव निवासी रेनू गुप्ता अपने इकलौते बेटे 30 वर्षीय राजू गुप्ता के साथ रहती थीं। यहीं कालोनी में रहने वाले अंशुल प्रताप के घर से जेवरात का बैग चोरी हुआ था। अंशुल ने चोरी का शक राजू पर जताया था। पहले अपने घर में बंधक बनाकर उसे पीटा था। इस दौरान पड़ोसी विवेक भी मौजूद था। बाद में इन लोगों ने पुलिस से शिकायत की। जिसमें 21 नवंबर की शाम बिना मुकदमा लिखे सिकंदरा पुलिस राजू गुप्ता को उठाकर ले गई थी। अवैध रूप से हिरासत में रखकर मां के सामने बेरहमी से पीटा गया था। विधवा मां बेटे को बचाने के लिए पुलिस वालों के सामने गिड़गिड़ाती रही थी, लेकिन पुलिसकर्मी उसे पीटते रहे।
दूसरे दिन 22 नवंबर को पुलिस की पिटाई से राजू गुप्ता की हालत बिगड़ी थी। पुलिस उसे अस्पताल लेकर गई थी। डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था। राजू की मौत के बाद सभी पुलिसकर्मी थाना छोड़कर भाग गए। मानवाधिकार आयोग ने सीआईडी जांच कराई
पोस्टमार्टम में राजू गुप्ता के शरीर पर गंभीर चोट के निशान मिले थे। जिसके बाद सिकंदरा थाने में मां की और से हत्या का मुकदमा लिखाया गया था। मुकदमे में अंशुल प्रताप, विवेक और अज्ञात पुलिस कर्मियों को आरोपी बनाया गया था। मुकदमे की विवेचना लोहामंडी थाने से कराई गई थी। जिसमें पुलिस ने दरोगा अनुज सिरोही, अंशुल प्रताप और विवेक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धारा के तहत चार्जशीट लगाई थी। मानवाधिकार आयोग ने जांच CID से कराई, 17 दोषी मिले मामले में काफी बवाल के बाद मानवाधिकार आयोग आगरा पहुंचा। उसने मां की शिकायत के बाद विवेचना सीआईडी से कराने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद से सीआईडी मामले की जांच कर ही थी।
SP CID राजेंद्र यादव ने बताया कि राजू गुप्ता की पिटाई के समय सिकंदरा थाने में जो भी पुलिस कर्मी मौजूद था उसको गैर इरादतन हत्या और अवैध हिरासत का दोषी बनाया गया है। अभियोजन स्वीकृति के बाद पुलिस कर्मियों के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक जाएगी। सभी को अपनी जमानत करानी पड़ेगी। पुलिस ने जिन तीन लोगों के खिलाफ चार्जशीट लगाई थी। वे भी मुकदमे में आरोपी हैं। प्रभारी इंस्पेक्टर सहित 17 पुलिस कर्मी फंसे
घटना के समय तत्कालीन इंस्पेक्टर सिकंदरा अजय कौशल अवकाश पर थे। थाने का चार्ज इंस्पेक्टर ऋषिपाल सिंह पर था। चार्जशीट में इंस्पेक्टर ऋषि पाल सिंह, दरोगा ज्ञानेंद्र शर्मा, दरोगा तेजवीर सिंह, मुख्य आरक्षी राम किशन, देवेंद्र सिंह, राकेश कुमार, रणजीत, आरक्षी हरीश चंद्र, बृजेश कुमार, कंप्यूटर ऑपरेटर हिमांक कुमार, आरक्षी संजीव कुमार, राजेश, सतेंद्र सिंह, संजीव, अनिल कुमार, जोगेश कुमार और आरक्षी चालक संजय कुमार आरोपित बनाए गए हैं। कुछ पुलिस कर्मियों की आगरा से बाहर तैनाती है। कुछ अभी भी कमिश्नरेट में तैनात हैं। बाद में बेटे के गम में मां ने तोड़ा था दम
राजू गुप्ता अपनी विधवा मां का इकलौता सहारा था। राजू की मौत के बाद मां ने सिकंदरा क्षेत्र से मकान छोड़ दिया था। जगदीशपुरा इलाके में वह किराए पर मकान लेकर रहने लगीं थी। वह काफी अकेली रह गई थीं। उनकी कोई देखभाल करने वाला नहीं था। बेटे की याद में हमेशा रोती रहती थीं। बाद में उनकी भी मौत हो गई थी। सीआईडी ने पूछे थे सवाल ————– यह खबर भी पढ़िए बहन मां बनती, रिश्ता तय और फिर दूल्हा लुटता:यूपी में लुटेरी दुल्हन ने 13 युवकों को लूटा; दूसरी रेप में फंसाकर रुपए ऐंठती मासूम चेहरा और सुंदर नयन-नक्श वाली लड़की की तस्वीर। ऐसी तस्वीर, जिसे देखते ही युवक शादी के लिए हां बोल देते। फिर यहीं से तैयार होता लूटने का प्लान। इस गैंग में 5 लोग शामिल थे। लुटेरी दुल्हन की बहन और पिता भी इसमें शामिल थे। इस गैंग ने 13 युवकों को इसी तरह से लूटा। यह पहला मामला नहीं है। हरदोई में ही एक दूसरा गैंग भी सामने आया है। यूपी में हर महीने लुटेरी दुल्हन के मामले सामने आ रहे हैं। इस बार संडे बिग स्टोरी में दूल्हों को लूटने के तरीके, ऐसे किरदारों की कहानी…पूरी खबर पढ़िए आगरा में 7 साल पहले पुलिस हिरासत में बेरहमी से पिटाई से राजू गुप्ता की मौत हो गई थी। जिसके कारण अब यह मामला फिर सुर्खियों में है। सीआईडी ने घटना के समय सिकंदरा थाने में मौजूद 17 पुलिस कर्मियों को दोषी माना है। इसमें एक इंस्पेक्टर, दो दरोगा, चार हेड कांस्टेबल शामिल हैं। सभी पर गैर इरादतन हत्या और अवैध हिरासत का दोषी पाया है। सीआईडी ने चार्जशीट लगाई है। अभियोजन स्वीकृति के लिए फाइल शासन को भेजी गई है। जिसके बाद से पुलिसकर्मियों में खलबली मची है। पहले जानिए क्या था पूरा मामला….
गैलाना मार्ग स्थित नरेंद्र एन्क्लेव निवासी रेनू गुप्ता अपने इकलौते बेटे 30 वर्षीय राजू गुप्ता के साथ रहती थीं। यहीं कालोनी में रहने वाले अंशुल प्रताप के घर से जेवरात का बैग चोरी हुआ था। अंशुल ने चोरी का शक राजू पर जताया था। पहले अपने घर में बंधक बनाकर उसे पीटा था। इस दौरान पड़ोसी विवेक भी मौजूद था। बाद में इन लोगों ने पुलिस से शिकायत की। जिसमें 21 नवंबर की शाम बिना मुकदमा लिखे सिकंदरा पुलिस राजू गुप्ता को उठाकर ले गई थी। अवैध रूप से हिरासत में रखकर मां के सामने बेरहमी से पीटा गया था। विधवा मां बेटे को बचाने के लिए पुलिस वालों के सामने गिड़गिड़ाती रही थी, लेकिन पुलिसकर्मी उसे पीटते रहे।
दूसरे दिन 22 नवंबर को पुलिस की पिटाई से राजू गुप्ता की हालत बिगड़ी थी। पुलिस उसे अस्पताल लेकर गई थी। डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था। राजू की मौत के बाद सभी पुलिसकर्मी थाना छोड़कर भाग गए। मानवाधिकार आयोग ने सीआईडी जांच कराई
पोस्टमार्टम में राजू गुप्ता के शरीर पर गंभीर चोट के निशान मिले थे। जिसके बाद सिकंदरा थाने में मां की और से हत्या का मुकदमा लिखाया गया था। मुकदमे में अंशुल प्रताप, विवेक और अज्ञात पुलिस कर्मियों को आरोपी बनाया गया था। मुकदमे की विवेचना लोहामंडी थाने से कराई गई थी। जिसमें पुलिस ने दरोगा अनुज सिरोही, अंशुल प्रताप और विवेक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धारा के तहत चार्जशीट लगाई थी। मानवाधिकार आयोग ने जांच CID से कराई, 17 दोषी मिले मामले में काफी बवाल के बाद मानवाधिकार आयोग आगरा पहुंचा। उसने मां की शिकायत के बाद विवेचना सीआईडी से कराने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद से सीआईडी मामले की जांच कर ही थी।
SP CID राजेंद्र यादव ने बताया कि राजू गुप्ता की पिटाई के समय सिकंदरा थाने में जो भी पुलिस कर्मी मौजूद था उसको गैर इरादतन हत्या और अवैध हिरासत का दोषी बनाया गया है। अभियोजन स्वीकृति के बाद पुलिस कर्मियों के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक जाएगी। सभी को अपनी जमानत करानी पड़ेगी। पुलिस ने जिन तीन लोगों के खिलाफ चार्जशीट लगाई थी। वे भी मुकदमे में आरोपी हैं। प्रभारी इंस्पेक्टर सहित 17 पुलिस कर्मी फंसे
घटना के समय तत्कालीन इंस्पेक्टर सिकंदरा अजय कौशल अवकाश पर थे। थाने का चार्ज इंस्पेक्टर ऋषिपाल सिंह पर था। चार्जशीट में इंस्पेक्टर ऋषि पाल सिंह, दरोगा ज्ञानेंद्र शर्मा, दरोगा तेजवीर सिंह, मुख्य आरक्षी राम किशन, देवेंद्र सिंह, राकेश कुमार, रणजीत, आरक्षी हरीश चंद्र, बृजेश कुमार, कंप्यूटर ऑपरेटर हिमांक कुमार, आरक्षी संजीव कुमार, राजेश, सतेंद्र सिंह, संजीव, अनिल कुमार, जोगेश कुमार और आरक्षी चालक संजय कुमार आरोपित बनाए गए हैं। कुछ पुलिस कर्मियों की आगरा से बाहर तैनाती है। कुछ अभी भी कमिश्नरेट में तैनात हैं। बाद में बेटे के गम में मां ने तोड़ा था दम
राजू गुप्ता अपनी विधवा मां का इकलौता सहारा था। राजू की मौत के बाद मां ने सिकंदरा क्षेत्र से मकान छोड़ दिया था। जगदीशपुरा इलाके में वह किराए पर मकान लेकर रहने लगीं थी। वह काफी अकेली रह गई थीं। उनकी कोई देखभाल करने वाला नहीं था। बेटे की याद में हमेशा रोती रहती थीं। बाद में उनकी भी मौत हो गई थी। सीआईडी ने पूछे थे सवाल ————– यह खबर भी पढ़िए बहन मां बनती, रिश्ता तय और फिर दूल्हा लुटता:यूपी में लुटेरी दुल्हन ने 13 युवकों को लूटा; दूसरी रेप में फंसाकर रुपए ऐंठती मासूम चेहरा और सुंदर नयन-नक्श वाली लड़की की तस्वीर। ऐसी तस्वीर, जिसे देखते ही युवक शादी के लिए हां बोल देते। फिर यहीं से तैयार होता लूटने का प्लान। इस गैंग में 5 लोग शामिल थे। लुटेरी दुल्हन की बहन और पिता भी इसमें शामिल थे। इस गैंग ने 13 युवकों को इसी तरह से लूटा। यह पहला मामला नहीं है। हरदोई में ही एक दूसरा गैंग भी सामने आया है। यूपी में हर महीने लुटेरी दुल्हन के मामले सामने आ रहे हैं। इस बार संडे बिग स्टोरी में दूल्हों को लूटने के तरीके, ऐसे किरदारों की कहानी…पूरी खबर पढ़िए   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर