चंडीगढ़ स्थित सारंगपुर थाना क्षेत्र में 17 वर्षीय नाबालिग लड़की से रेप के मामले में दोषी करार दिए गए 13 वर्षीय लड़के की माफी याचिका को चंडीगढ़ जिला कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (PMJJB) द्वारा 19 फरवरी को सुनाए गए आदेश को सही ठहराते हुए सजा और सुधार अवधि को बरकरार रखा है। अब उसे सेक्टर-25 स्थित बाल सुधार गृह में रहकर सजा पूरी करनी होगी। कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म के आरोपी की वर्तमान उम्र 16 साल 3 महीने 11 दिन है और केस रिकॉर्ड व स्कूल सर्टिफिकेट से यह तथ्य स्पष्ट है। सीएफएसएल रिपोर्ट (PX) में दर्ज डीएनए विश्लेषण से यह पुष्टि होती है कि पीड़िता के गर्भ में पल रहे भ्रूण का जैविक पिता वही है। कोर्ट ने कहा कि यह रिपोर्ट अपने आप में उसके जघन्य अपराध को प्रमाणित करती है। ऐसे में उसे सुधारगृह भेजने का आदेश यथावत रहेगा। दोषी पक्ष ने दिया ये तर्क युवक के वकील ने दलील दी थी कि लड़की की उम्र उससे अधिक थी और उसने ही आरोपी को बहलाया-फुसलाया। आरोप लगाया कि लड़की गंदे वीडियो दिखाकर युवक को अपने घर बुलाती थी और उसके कोमल मन को इस अपराध के लिए उकसाया गया। साथ ही यह भी कहा कि आरोपी उस समय केवल 13 साल का था और पीड़िता की उम्र लगभग 17 साल थी, ऐसे में धमकी देने का आरोप भी झूठा है। वकील ने याचिका में सुधार अवधि रद्द कर आरोपी को बरी करने की मांग की थी। सरकारी पक्ष ने दिया तर्क सरकारी पक्ष के वकील ने कहा कि पीड़िता ने अदालत में सही तरीके से गवाही दी है और आरोपों की पूरी कहानी के अनुसार अपने बयान दिए हैं। उन्होंने अपीलकर्ता के खिलाफ सभी आरोपों को साबित किया। वकील ने यह भी कहा कि पीड़िता, उसकी मां, सरकारी गवाहों और मेडिकल रिपोर्ट से आरोपों की पुष्टि होती है। अपीलकर्ता ने कोई नया तर्क नहीं दिया है, जिससे उसके खिलाफ दिए गए आदेश को रद्द किया जा सके। इसलिए, अपीलकर्ता को सही तरीके से दोषी ठहराया गया है और उसे विशेष गृह में भेजने का आदेश दिया गया है। चंडीगढ़ स्थित सारंगपुर थाना क्षेत्र में 17 वर्षीय नाबालिग लड़की से रेप के मामले में दोषी करार दिए गए 13 वर्षीय लड़के की माफी याचिका को चंडीगढ़ जिला कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (PMJJB) द्वारा 19 फरवरी को सुनाए गए आदेश को सही ठहराते हुए सजा और सुधार अवधि को बरकरार रखा है। अब उसे सेक्टर-25 स्थित बाल सुधार गृह में रहकर सजा पूरी करनी होगी। कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म के आरोपी की वर्तमान उम्र 16 साल 3 महीने 11 दिन है और केस रिकॉर्ड व स्कूल सर्टिफिकेट से यह तथ्य स्पष्ट है। सीएफएसएल रिपोर्ट (PX) में दर्ज डीएनए विश्लेषण से यह पुष्टि होती है कि पीड़िता के गर्भ में पल रहे भ्रूण का जैविक पिता वही है। कोर्ट ने कहा कि यह रिपोर्ट अपने आप में उसके जघन्य अपराध को प्रमाणित करती है। ऐसे में उसे सुधारगृह भेजने का आदेश यथावत रहेगा। दोषी पक्ष ने दिया ये तर्क युवक के वकील ने दलील दी थी कि लड़की की उम्र उससे अधिक थी और उसने ही आरोपी को बहलाया-फुसलाया। आरोप लगाया कि लड़की गंदे वीडियो दिखाकर युवक को अपने घर बुलाती थी और उसके कोमल मन को इस अपराध के लिए उकसाया गया। साथ ही यह भी कहा कि आरोपी उस समय केवल 13 साल का था और पीड़िता की उम्र लगभग 17 साल थी, ऐसे में धमकी देने का आरोप भी झूठा है। वकील ने याचिका में सुधार अवधि रद्द कर आरोपी को बरी करने की मांग की थी। सरकारी पक्ष ने दिया तर्क सरकारी पक्ष के वकील ने कहा कि पीड़िता ने अदालत में सही तरीके से गवाही दी है और आरोपों की पूरी कहानी के अनुसार अपने बयान दिए हैं। उन्होंने अपीलकर्ता के खिलाफ सभी आरोपों को साबित किया। वकील ने यह भी कहा कि पीड़िता, उसकी मां, सरकारी गवाहों और मेडिकल रिपोर्ट से आरोपों की पुष्टि होती है। अपीलकर्ता ने कोई नया तर्क नहीं दिया है, जिससे उसके खिलाफ दिए गए आदेश को रद्द किया जा सके। इसलिए, अपीलकर्ता को सही तरीके से दोषी ठहराया गया है और उसे विशेष गृह में भेजने का आदेश दिया गया है। पंजाब | दैनिक भास्कर
