शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल: एडीएम को नहीं मिले स्कूलों में शिक्षक, खुद कराई बच्चों से प्रार्थना

शिक्षा व्यवस्था की खुली पोल: एडीएम को नहीं मिले स्कूलों में शिक्षक, खुद कराई बच्चों से प्रार्थना

<p style=”text-align: justify;”><strong>UP News:</strong> उत्तर प्रदेश में एक बार फिर सरकारी स्कूलों की बदहाल शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई सामने आई है. जनपद शाहजहांपुर के भावलखेड़ा विकासखंड में अपर जिलाधिकारी अरविंद कुमार ने रविवार सुबह कई प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान कई स्कूलों में या तो ताला लटका मिला या फिर बच्चे तो पहुंचे लेकिन शिक्षक नदारद रहे. स्थिति इतनी चिंताजनक थी कि एडीएम को खुद बच्चों के साथ खड़े होकर प्रार्थना करानी पड़ी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>एडीएम अरविंद कुमार सुबह 8 बजे निरीक्षण के लिए निकले. सबसे पहले वे पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिशौवा पहुंचे, जहां 8:25 बजे तक कोई अध्यापक नहीं था, जबकि बच्चे स्कूल पहुंच चुके थे. बच्चों को बिना देखरेख के देख एडीएम ने खुद उन्हें लाइन में खड़ा कर प्रार्थना कराई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फतियापुर स्कूल में लटका मिला ताला<br /></strong>इसके बाद वह पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरसावा पहुंचे, यहां 8:40 बजे तक भी कोई शिक्षक नहीं मिला. इसके अलावा कुआं डोडो में 8:05 बजे और पूर्व माध्यमिक विद्यालय फतियापुर में 9:00 बजे स्कूल में ताला लटका मिला. खास बात यह रही कि फतियापुर स्कूल में उन्होंने 11:00 बजे तक इंतजार किया. लेकिन न कोई शिक्षक पहुंचा और न ही कोई छात्र.</p>
<p style=”text-align: justify;”>स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल कभी-कभार ही खुलता है. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानाध्यापिका महीने में एक या दो बार ही स्कूल आती हैं. बच्चों की पढ़ाई ठप है और अभिभावक बेहद परेशान है. ग्रामीणों ने बताया कि शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती, जिससे शिक्षक मनमानी कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एडीएम ने जताई नाराजगी</strong><br />निरीक्षण के बाद एडीएम अरविंद कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह बेहद निराशाजनक और अक्षम्य स्थिति है. शिक्षकों की यह लापरवाही बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे समय से स्कूल पहुंचे और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दें. एडीएम ने पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है.</p>
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<p style=”text-align: justify;”>उत्तर प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में सरकारी स्कूलों की हालत लगातार सवालों के घेरे में रही है. कहीं शिक्षक समय पर नहीं आते, तो कहीं पढ़ाई के बजाय स्कूल का इस्तेमाल अन्य गतिविधियों के लिए होता है. केंद्र और राज्य सरकारें सरकारी शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए योजनाएं चला रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग दिखती है.</p>
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<p style=”text-align: justify;”>एडीएम अरविंद कुमार सुबह 8 बजे निरीक्षण के लिए निकले. सबसे पहले वे पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिशौवा पहुंचे, जहां 8:25 बजे तक कोई अध्यापक नहीं था, जबकि बच्चे स्कूल पहुंच चुके थे. बच्चों को बिना देखरेख के देख एडीएम ने खुद उन्हें लाइन में खड़ा कर प्रार्थना कराई.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फतियापुर स्कूल में लटका मिला ताला<br /></strong>इसके बाद वह पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरसावा पहुंचे, यहां 8:40 बजे तक भी कोई शिक्षक नहीं मिला. इसके अलावा कुआं डोडो में 8:05 बजे और पूर्व माध्यमिक विद्यालय फतियापुर में 9:00 बजे स्कूल में ताला लटका मिला. खास बात यह रही कि फतियापुर स्कूल में उन्होंने 11:00 बजे तक इंतजार किया. लेकिन न कोई शिक्षक पहुंचा और न ही कोई छात्र.</p>
<p style=”text-align: justify;”>स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल कभी-कभार ही खुलता है. उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानाध्यापिका महीने में एक या दो बार ही स्कूल आती हैं. बच्चों की पढ़ाई ठप है और अभिभावक बेहद परेशान है. ग्रामीणों ने बताया कि शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती, जिससे शिक्षक मनमानी कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एडीएम ने जताई नाराजगी</strong><br />निरीक्षण के बाद एडीएम अरविंद कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यह बेहद निराशाजनक और अक्षम्य स्थिति है. शिक्षकों की यह लापरवाही बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे समय से स्कूल पहुंचे और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दें. एडीएम ने पूरी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है.</p>
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<p style=”text-align: justify;”>उत्तर प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में सरकारी स्कूलों की हालत लगातार सवालों के घेरे में रही है. कहीं शिक्षक समय पर नहीं आते, तो कहीं पढ़ाई के बजाय स्कूल का इस्तेमाल अन्य गतिविधियों के लिए होता है. केंद्र और राज्य सरकारें सरकारी शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए योजनाएं चला रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग दिखती है.</p>
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