खच्चर वाले बोले- सिंदूर-बिंदी हटा लो, बच जाओगे:जौनपुर के पति-पत्नी ने कहा- पहलगाम में 500 मीटर पर चल रही थीं गोलियां

खच्चर वाले बोले- सिंदूर-बिंदी हटा लो, बच जाओगे:जौनपुर के पति-पत्नी ने कहा- पहलगाम में 500 मीटर पर चल रही थीं गोलियां

‘तुरंत खच्चर पर बैठो, मोबाइल से फोटो-वीडियो मत बनाओ। हाथ का कलावा और चोटी काट लो। सिंदूर और बिंदी हटा हटा दो।’ ये कुछ ऐसे निर्देश हैं, जो पहलगाम में हुए आतंकी हमले के दौरान बैसरन घाटी से लौट रहे जौनपुर के अधिवक्ता दंपती को खच्चर वालों ने दिए। जब हमला हुआ, भूपत पट्टी में रहने वाले अधिवक्ता सूर्यमणि पांडेय और उनकी पत्नी विजय लक्ष्मी घाटी में थे। उन्होंने आतंकी हमले का पूरा वाकया बताया। उन्होंने करीब 500 मीटर की दूरी से गोलियां चलने की आवाज सुनी। शुरुआत में खच्चर वालों ने उन्हें बताया कि यह गुब्बारे फटने की आवाज है। लेकिन, कुछ ही देर में धुआं दिखाई दिया। तभी कुछ लोग ‘बचाओ-बचाओ’ चिल्लाते हुए उनकी तरफ भागे। उन लोगों ने बताया कि आतंकी हमला हुआ है। इस पर खच्चर वालों ने दंपती को तुरंत खच्चर पर बैठने को कहा। मोबाइल से फोटो या वीडियो बनाने से मना किया। सुरक्षा के लिए खच्चर वाले ने सूर्यमणि से हाथ का कलावा और शिखा (चोटी) काटने को कहा। विजय लक्ष्मी से सिंदूर और बिंदी हटाने को कहा। विजय लक्ष्मी ने बिंदी निकाल दी और सिंदूर टोपी के नीचे छिपा लिया। रास्ते में भागते हुए लोग बता रहे थे कि आतंकी हिंदुओं की पहचान कर गोली मार रहे हैं। इस दौरान 3-4 बार और गोलियों की आवाजें सुनाई दीं। सूर्यमणि और विजय लक्ष्मी करीब 25 मिनट में खच्चर से पहलगाम पहुंचे। तब तक वहां CRPF के जवान पहुंच चुके थे। आतंकी हमले के खौफ की कहानी उन्होंने दैनिक भास्कर को बताई। पढ़िए उनसे हूबहू बातचीत… पत्नी को चोट लगी, इसलिए हम बच गए सूर्यमणि पांडेय बताते हैं- हम लोग श्रीनगर से कार से पहलगाम गए थे। पहलगाम से 4-5 किलोमीटर ऊंचाई पर चढ़ाई है, वहां सिर्फ खच्चर से जाते हैं। उससे चढ़ कर हम बैसरन घाटी पहुंचे। यहां से 500-700 मीटर की दूरी पर सामने मिनी स्विटजरलैंड दिख रहा था। यह बहुत खूबसूरत जगह है। हम लोग वहीं जाने वाले थे। लेकिन हम लोग चाय-नाश्ता करने के लिए रुक गए थे। मेरी पत्नी विजय लक्ष्मी को हाथ मे चोट में लग गई थी, उनका हाथ सूज आया था। पत्नी ने कहा कि हम अब आगे नहीं जाएंगे। हमने बहुत समझाया, लेकिन वह नहीं मानी। शायद इसी वजह से हम लोग बच गए। हम लोग वहां से उतर आए। खच्चर वाला खच्चर को पानी-चारा कराने के लिए रुका। इस बीच हम लोग मैगी खा रहे थे। तभी फायरिंग की आवाज सुनाई दी। 2-3 बार फायरिंग हुई। हम लोगों ने खच्चर वाले से पूछा कि क्या हुआ? खच्चर वाले ने कहा कि वहां गुब्बारे रखे जाते हैं। गुब्बारे फूटे होंगे। उधर से शोरगुल सुनाई दिया। फिर 5-6 सेकेंड बाद कई राउंड फायरिंग हुई। इसके साथ ही उधर से लोग भागते हुए आते दिखाई दिए। फिर एक व्यक्ति दिखाई दिया, जो कर्नाटक का था। वह हिंदी नहीं बोल पा रहा था, लेकिन उसने कहा कि टेरेरिस्ट अटैक हुआ है। हम लोगों ने मैगी फेंक कर वहां से नीचे की तरफ भागना शुरू कर दिया। लोग भागते हुए कह रहे थे- पूछ-पूछ कर गोली मार रहे
पत्नी को चोट लगी थी, वह दौड़ नहीं पा रही थी। मैं दौड़ सकता था। उस समय कुछ नौजवान ऐसे थे, जो हम लोगों को क्रॉस करके आगे निकल रहे थे। हमने उनसे पूछा, तो उन लोगों ने बताया कि नाम पूछ-पूछ कर गोली मार रहे हैं। सिर्फ हिंदुओं को टारगेट कर रहे हैं। कलमा पढ़ने के लिए कह रहे हैं। जो नहीं पढ़ पा रहे, उनको गोली मार दे रहे। फिर खच्चर वाले आ गए। उन्होंने कहा कि आप खच्चर पर बैठ जाएं, हम आपको जल्दी पहुंचा देंगे। शिखा और कलावा काट कर फेंका
हम लोग खच्चर पर बैठ गए। खच्चर वाले ने कहा कि आप अपनी शिखा और कलावा काट कर निकाल दें। पत्नी से कहा कि आप बिंदी को हटा दें और सिंदूर को पोंछ दें। पत्नी ने सिंदूर को नहीं पोंछा, उसको टोपी से ढक दिया। बिंदी निकाल दी। मैंने शिखा और कलावा को काट कर फेंक दिया। उस समय बहुत दहशत का माहौल था। वीडियो बनाने से खच्चर वाले ने मना किया
हम लोग किसी तरह 20 से 30 मिनट में नीचे उतरे। मैं पेशे से पत्रकार भी हूं। हमने जैसे ही वीडियो बनाने के लिए जेब से मोबाइल को निकाला, तो खच्चर वाले ने तुरंत मना कर दिया। बोला- फोटो रिकार्डिंग एकदम नहीं करिएगा। वो लोग पहले उसी को टारगेट करते हैं, जो वीडियो-फोटो बनाते हैं। आप लोग ये गलती एकदम नहीं करिएगा। 18 अप्रैल को गए थे श्रीनगर
सूर्यमणि पांडेय बताते हैं- 18 अप्रैल को हम पति-पत्नी बाबतपुर से हवाई जहाज से निकले। दोपहर करीब 3 बजे श्रीनगर पहुंचे थे। वहां पर हम लोग 4 दिन थे। गुलमर्ग, सोनमर्ग, दूधपथरी और श्रीनगर घूमा। पांचवें दिन 22 अप्रैल को (जिस दिन घटना हुई थी) पहलगाम के रिवरव्यू रिजॉर्ट होटल में हम लोगों की पहले से बुकिंग थी। हम लोगों को होटल में शाम को चेक-इन करना था। चंदनबाड़ी (पहलगाम) में हमला हो गया। उसके बाद सीआरपीएफ के जवानों ने हम लोगों को कवर करके होटल पहुंचाया। तब जाकर जान में जान आई। 24 अप्रैल को हम लोग जौनपुर आ गए। हम लोग जहां खड़े थे, वहां से मात्र 500 मीटर की दूरी पर हमला हुआ था। अब पढ़िए पत्नी ने क्या कहा… विजय लक्ष्मी ने बताया- हम लोग ऊपर खच्चर पर बैठ कर जा रहे थे। मुझे खच्चर की रस्सी से हाथ मे चोट लग गई। हमने पति से कहा कि हम अब ऊपर नही जाएंगे। पति ने कहा- क्यों नहीं जाओगी? थोड़ी-सी चोट लग गई, तो क्या हो गया? लेकिन मैंने कहा कि अब ऊपर जाने का मेरा मन नहीं, हम नहीं जाएंगे। पहले खच्चर वाले ने बताया- गुब्बारा फटा, फिर कहा कि टेरेरिस्ट अटैक है
फिर हम लोग नीचे चाय-नाश्ते के लिए उतर गए। नाश्ता करने लगे, तभी ऊपर से आवाज आई। खच्चर वाला बोला कि आप डरिए नहीं, गुब्बारा फूटा है। लेकिन, उसके बाद फिर आवाज आई। तब मैंने कहा कि ये गुब्बारे फूटने की आवाज नहीं है। ऊपर से लोग भागते हुए नीचे आने लगे। हमने पूछा कि ये क्या हो रहा, तो खच्चर वाला बोला कि आप लोग भागिए, टेरेरिस्ट अटैक हुआ है। पहलगाम में आतंकियों ने 26 पर्यटकों की जान ली जम्मू-कश्मीर में 2019 के पुलवामा अटैक के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ। आतंकियों ने मंगलवार, 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर फायरिंग की, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में एक यूएई और एक नेपाल का पर्यटक और 2 स्थानीय नागरिक शामिल थे। बाकी पर्यटक यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के थे। घटना मंगलवार दोपहर करीब 2.45 बजे पहलगाम की बैसरन घाटी में हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकियों ने यूपी के कानपुर से आए शुभम द्विवेदी से नाम पूछा, फिर उसके सिर में गोली मार दी। शुभम की दो महीने पहले ही शादी हुई थी। वो हनीमून पर यहां आया था। आतंकी दूसरे पर्यटकों पर फायरिंग करते हुए भाग निकले। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी। प्रशासन ने आतंकी हमले में एक मौत की बात कही थी, लेकिन करीब 4 घंटे बाद न्यूज एजेंसी ने 26 मौतों की जानकारी दी। घटना में 20 से ज्यादा लोग घायल हैं। घटना के बाद सुरक्षाबलों ने पहलगाम में हमले वाले इलाके को घेर लिया। ———————— यह खबर भी पढ़ें… कश्मीर में खच्चर वाला अरेस्ट, टूरिस्ट से पूछा था धर्म, जौनपुर में मॉडल बोलीं- दो दिन पहले हो जाता हमला; 35 बंदूकों की कर रहे थे बात
‘जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 20 अप्रैल को दो संदिग्ध लोग धर्म पूछ रहे थे। इसे लेकर हमारा उनसे झगड़ा भी हुआ। वे हथियारों की भी बातें कर रहे थे। इसीलिए 20 लोगों का हमारा ग्रुप ऊपर जाने के बजाय नीचे लौट आया।’ पढ़ें पूरी खबर… ‘तुरंत खच्चर पर बैठो, मोबाइल से फोटो-वीडियो मत बनाओ। हाथ का कलावा और चोटी काट लो। सिंदूर और बिंदी हटा हटा दो।’ ये कुछ ऐसे निर्देश हैं, जो पहलगाम में हुए आतंकी हमले के दौरान बैसरन घाटी से लौट रहे जौनपुर के अधिवक्ता दंपती को खच्चर वालों ने दिए। जब हमला हुआ, भूपत पट्टी में रहने वाले अधिवक्ता सूर्यमणि पांडेय और उनकी पत्नी विजय लक्ष्मी घाटी में थे। उन्होंने आतंकी हमले का पूरा वाकया बताया। उन्होंने करीब 500 मीटर की दूरी से गोलियां चलने की आवाज सुनी। शुरुआत में खच्चर वालों ने उन्हें बताया कि यह गुब्बारे फटने की आवाज है। लेकिन, कुछ ही देर में धुआं दिखाई दिया। तभी कुछ लोग ‘बचाओ-बचाओ’ चिल्लाते हुए उनकी तरफ भागे। उन लोगों ने बताया कि आतंकी हमला हुआ है। इस पर खच्चर वालों ने दंपती को तुरंत खच्चर पर बैठने को कहा। मोबाइल से फोटो या वीडियो बनाने से मना किया। सुरक्षा के लिए खच्चर वाले ने सूर्यमणि से हाथ का कलावा और शिखा (चोटी) काटने को कहा। विजय लक्ष्मी से सिंदूर और बिंदी हटाने को कहा। विजय लक्ष्मी ने बिंदी निकाल दी और सिंदूर टोपी के नीचे छिपा लिया। रास्ते में भागते हुए लोग बता रहे थे कि आतंकी हिंदुओं की पहचान कर गोली मार रहे हैं। इस दौरान 3-4 बार और गोलियों की आवाजें सुनाई दीं। सूर्यमणि और विजय लक्ष्मी करीब 25 मिनट में खच्चर से पहलगाम पहुंचे। तब तक वहां CRPF के जवान पहुंच चुके थे। आतंकी हमले के खौफ की कहानी उन्होंने दैनिक भास्कर को बताई। पढ़िए उनसे हूबहू बातचीत… पत्नी को चोट लगी, इसलिए हम बच गए सूर्यमणि पांडेय बताते हैं- हम लोग श्रीनगर से कार से पहलगाम गए थे। पहलगाम से 4-5 किलोमीटर ऊंचाई पर चढ़ाई है, वहां सिर्फ खच्चर से जाते हैं। उससे चढ़ कर हम बैसरन घाटी पहुंचे। यहां से 500-700 मीटर की दूरी पर सामने मिनी स्विटजरलैंड दिख रहा था। यह बहुत खूबसूरत जगह है। हम लोग वहीं जाने वाले थे। लेकिन हम लोग चाय-नाश्ता करने के लिए रुक गए थे। मेरी पत्नी विजय लक्ष्मी को हाथ मे चोट में लग गई थी, उनका हाथ सूज आया था। पत्नी ने कहा कि हम अब आगे नहीं जाएंगे। हमने बहुत समझाया, लेकिन वह नहीं मानी। शायद इसी वजह से हम लोग बच गए। हम लोग वहां से उतर आए। खच्चर वाला खच्चर को पानी-चारा कराने के लिए रुका। इस बीच हम लोग मैगी खा रहे थे। तभी फायरिंग की आवाज सुनाई दी। 2-3 बार फायरिंग हुई। हम लोगों ने खच्चर वाले से पूछा कि क्या हुआ? खच्चर वाले ने कहा कि वहां गुब्बारे रखे जाते हैं। गुब्बारे फूटे होंगे। उधर से शोरगुल सुनाई दिया। फिर 5-6 सेकेंड बाद कई राउंड फायरिंग हुई। इसके साथ ही उधर से लोग भागते हुए आते दिखाई दिए। फिर एक व्यक्ति दिखाई दिया, जो कर्नाटक का था। वह हिंदी नहीं बोल पा रहा था, लेकिन उसने कहा कि टेरेरिस्ट अटैक हुआ है। हम लोगों ने मैगी फेंक कर वहां से नीचे की तरफ भागना शुरू कर दिया। लोग भागते हुए कह रहे थे- पूछ-पूछ कर गोली मार रहे
पत्नी को चोट लगी थी, वह दौड़ नहीं पा रही थी। मैं दौड़ सकता था। उस समय कुछ नौजवान ऐसे थे, जो हम लोगों को क्रॉस करके आगे निकल रहे थे। हमने उनसे पूछा, तो उन लोगों ने बताया कि नाम पूछ-पूछ कर गोली मार रहे हैं। सिर्फ हिंदुओं को टारगेट कर रहे हैं। कलमा पढ़ने के लिए कह रहे हैं। जो नहीं पढ़ पा रहे, उनको गोली मार दे रहे। फिर खच्चर वाले आ गए। उन्होंने कहा कि आप खच्चर पर बैठ जाएं, हम आपको जल्दी पहुंचा देंगे। शिखा और कलावा काट कर फेंका
हम लोग खच्चर पर बैठ गए। खच्चर वाले ने कहा कि आप अपनी शिखा और कलावा काट कर निकाल दें। पत्नी से कहा कि आप बिंदी को हटा दें और सिंदूर को पोंछ दें। पत्नी ने सिंदूर को नहीं पोंछा, उसको टोपी से ढक दिया। बिंदी निकाल दी। मैंने शिखा और कलावा को काट कर फेंक दिया। उस समय बहुत दहशत का माहौल था। वीडियो बनाने से खच्चर वाले ने मना किया
हम लोग किसी तरह 20 से 30 मिनट में नीचे उतरे। मैं पेशे से पत्रकार भी हूं। हमने जैसे ही वीडियो बनाने के लिए जेब से मोबाइल को निकाला, तो खच्चर वाले ने तुरंत मना कर दिया। बोला- फोटो रिकार्डिंग एकदम नहीं करिएगा। वो लोग पहले उसी को टारगेट करते हैं, जो वीडियो-फोटो बनाते हैं। आप लोग ये गलती एकदम नहीं करिएगा। 18 अप्रैल को गए थे श्रीनगर
सूर्यमणि पांडेय बताते हैं- 18 अप्रैल को हम पति-पत्नी बाबतपुर से हवाई जहाज से निकले। दोपहर करीब 3 बजे श्रीनगर पहुंचे थे। वहां पर हम लोग 4 दिन थे। गुलमर्ग, सोनमर्ग, दूधपथरी और श्रीनगर घूमा। पांचवें दिन 22 अप्रैल को (जिस दिन घटना हुई थी) पहलगाम के रिवरव्यू रिजॉर्ट होटल में हम लोगों की पहले से बुकिंग थी। हम लोगों को होटल में शाम को चेक-इन करना था। चंदनबाड़ी (पहलगाम) में हमला हो गया। उसके बाद सीआरपीएफ के जवानों ने हम लोगों को कवर करके होटल पहुंचाया। तब जाकर जान में जान आई। 24 अप्रैल को हम लोग जौनपुर आ गए। हम लोग जहां खड़े थे, वहां से मात्र 500 मीटर की दूरी पर हमला हुआ था। अब पढ़िए पत्नी ने क्या कहा… विजय लक्ष्मी ने बताया- हम लोग ऊपर खच्चर पर बैठ कर जा रहे थे। मुझे खच्चर की रस्सी से हाथ मे चोट लग गई। हमने पति से कहा कि हम अब ऊपर नही जाएंगे। पति ने कहा- क्यों नहीं जाओगी? थोड़ी-सी चोट लग गई, तो क्या हो गया? लेकिन मैंने कहा कि अब ऊपर जाने का मेरा मन नहीं, हम नहीं जाएंगे। पहले खच्चर वाले ने बताया- गुब्बारा फटा, फिर कहा कि टेरेरिस्ट अटैक है
फिर हम लोग नीचे चाय-नाश्ते के लिए उतर गए। नाश्ता करने लगे, तभी ऊपर से आवाज आई। खच्चर वाला बोला कि आप डरिए नहीं, गुब्बारा फूटा है। लेकिन, उसके बाद फिर आवाज आई। तब मैंने कहा कि ये गुब्बारे फूटने की आवाज नहीं है। ऊपर से लोग भागते हुए नीचे आने लगे। हमने पूछा कि ये क्या हो रहा, तो खच्चर वाला बोला कि आप लोग भागिए, टेरेरिस्ट अटैक हुआ है। पहलगाम में आतंकियों ने 26 पर्यटकों की जान ली जम्मू-कश्मीर में 2019 के पुलवामा अटैक के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ। आतंकियों ने मंगलवार, 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर फायरिंग की, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में एक यूएई और एक नेपाल का पर्यटक और 2 स्थानीय नागरिक शामिल थे। बाकी पर्यटक यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के थे। घटना मंगलवार दोपहर करीब 2.45 बजे पहलगाम की बैसरन घाटी में हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकियों ने यूपी के कानपुर से आए शुभम द्विवेदी से नाम पूछा, फिर उसके सिर में गोली मार दी। शुभम की दो महीने पहले ही शादी हुई थी। वो हनीमून पर यहां आया था। आतंकी दूसरे पर्यटकों पर फायरिंग करते हुए भाग निकले। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी। प्रशासन ने आतंकी हमले में एक मौत की बात कही थी, लेकिन करीब 4 घंटे बाद न्यूज एजेंसी ने 26 मौतों की जानकारी दी। घटना में 20 से ज्यादा लोग घायल हैं। घटना के बाद सुरक्षाबलों ने पहलगाम में हमले वाले इलाके को घेर लिया। ———————— यह खबर भी पढ़ें… कश्मीर में खच्चर वाला अरेस्ट, टूरिस्ट से पूछा था धर्म, जौनपुर में मॉडल बोलीं- दो दिन पहले हो जाता हमला; 35 बंदूकों की कर रहे थे बात
‘जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 20 अप्रैल को दो संदिग्ध लोग धर्म पूछ रहे थे। इसे लेकर हमारा उनसे झगड़ा भी हुआ। वे हथियारों की भी बातें कर रहे थे। इसीलिए 20 लोगों का हमारा ग्रुप ऊपर जाने के बजाय नीचे लौट आया।’ पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर