34 साल की सर्विस में 57 ट्रांसफर और इनमें 8 पोस्ट ऐसी, जिनमें एक माह का भी कार्यकाल पूरा नहीं हो सका। इसी रिपोर्ट कार्ड के साथ ही हरियाणा के सबसे चर्चित IAS अधिकारी अशोक खेमका आज रिटायर हो रहे हैं। हरियाणा की IAS एसोसिएशन की ओर से बाकायदा उनके विदाई समारोह का एक लेटर भी जारी किया गया है। अभी अशोक खेमका हरियाणा परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) हैं। 1991 बैच के सीनियर IAS अशोक खेमका पूरे देश में अपने ट्रांसफर को लेकर चर्चा में रहे हैं। मगर, उनका नाम ज्यादा चर्चा में तब आया जब उन्होंने कांग्रेस की लोकसभा सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी और डीएलएफ के बीच 2012 में गुरुग्राम के मानेसर-शिकोहपुर में 3.5 एकड़ जमीन के सौदे के म्यूटेशन को रद्द कर दिया। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार के दौरान इस लैंड डील का मुद्दा उठाया था। ये मुद्दा देशव्यापी मुद्दा बन गया, भाजपा ने हर प्रांत में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। हरियाणा IAS एसोसिएशन का लेटर… अब पढ़िए कौन हैं अशोक खेमका और क्यों चर्चा में रहे… कोलकाता में जन्म, पिता जूट मिल में क्लर्क थे
खेमका कोलकाता के रहने वाले हैं। उनका जन्म 30 अप्रैल 1965 को हुआ। खेमका के पिता शंकरलाल खेमका जूट मिल में क्लर्क थे। अशोक खेमका ने IIT खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और फाइनेंस में MBA की। सिविल सेवा में आने से पहले उन्होंने IIT खड़गपुर में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में टॉप किया था। 1990 में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विसेज परीक्षा पास की। 1991 बैच के IAS अधिकारी बने और हरियाणा कैडर अलॉट किया गया। 2012 में रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े जमीन के सौदे के म्यूटेशन को रद्द किया
साल 2012 में अशोक खेमका उस समय सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े एक जमीन के सौदे के म्यूटेशन को रद्द कर दिया। रॉबर्ट वाड्रा और DLF के बीच ये सौदा फरवरी 2008 में हुआ था। रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुरुग्राम के मानेसर-शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपए में करीब 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। इस प्लॉट का म्यूटेशन अगले ही दिन स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी के पक्ष में कर दिया गया और 24 घंटे के अंदर जमीन का मालिकाना हक रॉबर्ट वाड्रा को ट्रांसफर कर दिया गया। उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे। 2014 में बड़े वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था
साल 2014 में, जब खेमका परिवहन आयुक्त थे, तो उन्होंने ऑटोमोबाइल और सफेद वस्तुओं के परिवहन के लिए बड़े आकार के ट्रकों और ट्रेलरों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया था। उनके इस फैसले से ट्रक चालकों ने हड़ताल कर दी थी। बाद में राज्य सरकार ने उन्हें केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली (सीएमवीआर) 1989 के अनुसार अपने वाहनों में फेरबदल करने के लिए एक साल का समय दिया था। इसके बाद ट्रक संचालकों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली थी। 2023 में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सतर्कता विभाग में तैनाती की मांगी थी
साल 2023 में अशोक खेमका ने पूर्व सीएम मनोहर लाल को पत्र लिखकर सतर्कता विभाग में तैनात करने की मांग की थी। पत्र में खेमका ने कहा था कि आप जानते हैं कि भ्रष्टाचार सर्वव्यापी है। जब मैं भ्रष्टाचार देखता हूं, तो यह मेरी आत्मा को पीड़ा देता है। कैंसर को जड़ से खत्म करने के उत्साह में मैंने अपने करियर का त्याग कर दिया है। कथित सरकारी नीति के अनुसार भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किए बिना, एक नागरिक का अपनी वास्तविक क्षमता हासिल करने का सपना कभी भी साकार नहीं हो सकता है। खेमका के बारे में अफसरों-मंत्रियों की राय… ये अच्छी बात है कि सिविल ऑफिसर की और IPS ऑफिसर की ट्रेनिंग अलग किस्म की होती है। अशोक खेमका अगर एक जगह होते तो, IAS से भी दौड़ें लगवाते, उनसे भी हाथ ऊंचे करके डंड बैठकें लगवाते। इसलिए इनको अलग काम दिया गया, ये अलग काम वो अपने तरीके से करते हैं। संजीव वर्मा से भी खेमका की नहीं बनी
अशोक खेमका का हरियाणा के IAS अधिकारी संजीव वर्मा के साथ लड़ाई ब्यूरोक्रेसी में चर्चा का विषय बनी रही। दोनों अधिकारियों के बीच विवाद तब बढ़ा जब अशोक खेमका ने लैंड डील की जांच को लेकर सवाल खड़े किए। इसके बाद संजीव वर्मा ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उन पर निशाना साधा। हालांकि दोनों ने एक-दूसरे के नाम नहीं लिखे हैं। इन दोनों IAS अधिकारियों के बीच पहले भी लड़ाई चलती रही है। जिसकी शिकायतें तक सरकार के पास पहुंच चुकी हैं। एक साल पहले इन दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाए थे। इसके बाद तत्कालीन सीएस टीवीएसएन प्रसाद की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करने के निर्देश दिए गए थे। सरकार की ओर से इसको लेकर ऑर्डर भी जारी किए गए थे। 5 महीने पहले ही मिला था महत्वपूर्ण विभाग
रिटायरमेंट डेट से मात्र 5 महीने पहले ही अशोक खेमका को हरियाणा सरकार की ओर से परिवहन विभाग में ACS पद पर तैनाती दी गई थी। वर्तमान में अनिल विज इस विभाग को संभाल रहे हैं। मंत्री ने ही सरकार को पत्र लिखा था कि अशोक खेमका को परिवहन विभाग में लगाया जाए। खेमका इससे पहले मुद्रण और स्टेशनरी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे। परिवहन विभाग में 1994 बैच के IAS अधिकारी नवदीप विर्क के स्थान पर खेमका को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कासनी के नाम है 70 बार ट्रांसफर का रिकॉर्ड
हरियाणा में 57 ट्रांसफर के लिए चर्चा में रहने वाले अशोक खेमका पहले IAS नहीं है, उनसे पहले IAS अधिकारी रहे प्रदीप कासनी के नाम 70 बार ट्रांसफर का रिकॉर्ड है। 33 साल की सेवा अवधि के बाद प्रदीप कासनी 28 फरवरी 2018 को रिटायर हुए थे। रिटायरमेंट से पहले प्रदीप का ट्रांसफर हरियाणा लैंड यूज बोर्ड में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के पद पर किया गया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए प्रदीप कासनी सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल गए थे। पिछले 6 महीने की नौकरी के लिए उन्हें सैलरी भी नहीं मिली थी। 34 साल की सर्विस में 57 ट्रांसफर और इनमें 8 पोस्ट ऐसी, जिनमें एक माह का भी कार्यकाल पूरा नहीं हो सका। इसी रिपोर्ट कार्ड के साथ ही हरियाणा के सबसे चर्चित IAS अधिकारी अशोक खेमका आज रिटायर हो रहे हैं। हरियाणा की IAS एसोसिएशन की ओर से बाकायदा उनके विदाई समारोह का एक लेटर भी जारी किया गया है। अभी अशोक खेमका हरियाणा परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) हैं। 1991 बैच के सीनियर IAS अशोक खेमका पूरे देश में अपने ट्रांसफर को लेकर चर्चा में रहे हैं। मगर, उनका नाम ज्यादा चर्चा में तब आया जब उन्होंने कांग्रेस की लोकसभा सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी और डीएलएफ के बीच 2012 में गुरुग्राम के मानेसर-शिकोहपुर में 3.5 एकड़ जमीन के सौदे के म्यूटेशन को रद्द कर दिया। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार के दौरान इस लैंड डील का मुद्दा उठाया था। ये मुद्दा देशव्यापी मुद्दा बन गया, भाजपा ने हर प्रांत में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। हरियाणा IAS एसोसिएशन का लेटर… अब पढ़िए कौन हैं अशोक खेमका और क्यों चर्चा में रहे… कोलकाता में जन्म, पिता जूट मिल में क्लर्क थे
खेमका कोलकाता के रहने वाले हैं। उनका जन्म 30 अप्रैल 1965 को हुआ। खेमका के पिता शंकरलाल खेमका जूट मिल में क्लर्क थे। अशोक खेमका ने IIT खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और फाइनेंस में MBA की। सिविल सेवा में आने से पहले उन्होंने IIT खड़गपुर में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में टॉप किया था। 1990 में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विसेज परीक्षा पास की। 1991 बैच के IAS अधिकारी बने और हरियाणा कैडर अलॉट किया गया। 2012 में रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े जमीन के सौदे के म्यूटेशन को रद्द किया
साल 2012 में अशोक खेमका उस समय सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े एक जमीन के सौदे के म्यूटेशन को रद्द कर दिया। रॉबर्ट वाड्रा और DLF के बीच ये सौदा फरवरी 2008 में हुआ था। रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुरुग्राम के मानेसर-शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपए में करीब 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। इस प्लॉट का म्यूटेशन अगले ही दिन स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी के पक्ष में कर दिया गया और 24 घंटे के अंदर जमीन का मालिकाना हक रॉबर्ट वाड्रा को ट्रांसफर कर दिया गया। उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे। 2014 में बड़े वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था
साल 2014 में, जब खेमका परिवहन आयुक्त थे, तो उन्होंने ऑटोमोबाइल और सफेद वस्तुओं के परिवहन के लिए बड़े आकार के ट्रकों और ट्रेलरों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर दिया था। उनके इस फैसले से ट्रक चालकों ने हड़ताल कर दी थी। बाद में राज्य सरकार ने उन्हें केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली (सीएमवीआर) 1989 के अनुसार अपने वाहनों में फेरबदल करने के लिए एक साल का समय दिया था। इसके बाद ट्रक संचालकों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली थी। 2023 में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सतर्कता विभाग में तैनाती की मांगी थी
साल 2023 में अशोक खेमका ने पूर्व सीएम मनोहर लाल को पत्र लिखकर सतर्कता विभाग में तैनात करने की मांग की थी। पत्र में खेमका ने कहा था कि आप जानते हैं कि भ्रष्टाचार सर्वव्यापी है। जब मैं भ्रष्टाचार देखता हूं, तो यह मेरी आत्मा को पीड़ा देता है। कैंसर को जड़ से खत्म करने के उत्साह में मैंने अपने करियर का त्याग कर दिया है। कथित सरकारी नीति के अनुसार भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किए बिना, एक नागरिक का अपनी वास्तविक क्षमता हासिल करने का सपना कभी भी साकार नहीं हो सकता है। खेमका के बारे में अफसरों-मंत्रियों की राय… ये अच्छी बात है कि सिविल ऑफिसर की और IPS ऑफिसर की ट्रेनिंग अलग किस्म की होती है। अशोक खेमका अगर एक जगह होते तो, IAS से भी दौड़ें लगवाते, उनसे भी हाथ ऊंचे करके डंड बैठकें लगवाते। इसलिए इनको अलग काम दिया गया, ये अलग काम वो अपने तरीके से करते हैं। संजीव वर्मा से भी खेमका की नहीं बनी
अशोक खेमका का हरियाणा के IAS अधिकारी संजीव वर्मा के साथ लड़ाई ब्यूरोक्रेसी में चर्चा का विषय बनी रही। दोनों अधिकारियों के बीच विवाद तब बढ़ा जब अशोक खेमका ने लैंड डील की जांच को लेकर सवाल खड़े किए। इसके बाद संजीव वर्मा ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उन पर निशाना साधा। हालांकि दोनों ने एक-दूसरे के नाम नहीं लिखे हैं। इन दोनों IAS अधिकारियों के बीच पहले भी लड़ाई चलती रही है। जिसकी शिकायतें तक सरकार के पास पहुंच चुकी हैं। एक साल पहले इन दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाए थे। इसके बाद तत्कालीन सीएस टीवीएसएन प्रसाद की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करने के निर्देश दिए गए थे। सरकार की ओर से इसको लेकर ऑर्डर भी जारी किए गए थे। 5 महीने पहले ही मिला था महत्वपूर्ण विभाग
रिटायरमेंट डेट से मात्र 5 महीने पहले ही अशोक खेमका को हरियाणा सरकार की ओर से परिवहन विभाग में ACS पद पर तैनाती दी गई थी। वर्तमान में अनिल विज इस विभाग को संभाल रहे हैं। मंत्री ने ही सरकार को पत्र लिखा था कि अशोक खेमका को परिवहन विभाग में लगाया जाए। खेमका इससे पहले मुद्रण और स्टेशनरी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे। परिवहन विभाग में 1994 बैच के IAS अधिकारी नवदीप विर्क के स्थान पर खेमका को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कासनी के नाम है 70 बार ट्रांसफर का रिकॉर्ड
हरियाणा में 57 ट्रांसफर के लिए चर्चा में रहने वाले अशोक खेमका पहले IAS नहीं है, उनसे पहले IAS अधिकारी रहे प्रदीप कासनी के नाम 70 बार ट्रांसफर का रिकॉर्ड है। 33 साल की सेवा अवधि के बाद प्रदीप कासनी 28 फरवरी 2018 को रिटायर हुए थे। रिटायरमेंट से पहले प्रदीप का ट्रांसफर हरियाणा लैंड यूज बोर्ड में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के पद पर किया गया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए प्रदीप कासनी सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल गए थे। पिछले 6 महीने की नौकरी के लिए उन्हें सैलरी भी नहीं मिली थी। हरियाणा | दैनिक भास्कर
