पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने अचानक हरियाणा को मिल रहे पानी को रोकने का फैसला कर दिया। पंजाब CM भगवंत मान ने खुद वीडियो जारी कर इसकी जानकारी दी। जिसमें सीएम भगवंत मान ने कहा कि अब हमारे पास एक भी बूंद अतिरिक्त पानी नहीं है, जिसे हरियाणा को दे सकें। पंजाब CM के अचानक लिए इस फैसले से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे वक्त में जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता तोड़ दिया तो फिर अचानक 2 राज्यों के बीच पानी की लड़ाई कैसे छिड़ गई? यूं तो पंजाब के CM भगवंत मान ने इसकी वजह बताई कि पानी देने का कोटा 21 मई से अगले साल 21 मई तक का होता है। हरियाणा ने मार्च महीने में ही अपने कोटे का पूरा पानी यूज कर लिया। इस वजह से रोजाना साढ़े 9 हजार क्यूसिक पानी को घटाकर 4 हजार क्यूसिक कर दिया, ताकि पेयजल की किल्लत न हो। मगर, इससे हरियाणा को सिंचाई में दिक्कत होनी तय है। वहीं दैनिक भास्कर से बातचीत में पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स इसे हरियाणा के CM नायब सैनी की पंजाब में बढ़ती एक्टिविटी से जोड़ रहे हैं। पंजाब की राजनीति पर कई किताबें लिख चुके मोहाली के सीनियर पत्रकार डॉ. भूपिंदर सिंह कहते हैं- पानी के इश्यू ने पंजाब-हरियाणा की राजनीति गर्मा दी है। मीटिंग में पंजाब के अफसर अपना पक्ष रख चुके थे। वहीं, अब मोर्चा मुख्यमंत्री भगवंत मान ने संभाला है। वे आगे कहते हैं… इसके पीछे की असली वजह हरियाणा के CM नायब सैनी की पंजाब में बढ़ती सक्रियता है, क्योंकि वह पिछले कुछ समय से लगातार एक्टिव हैं। ऐसे में मान खुद को पंजाब का सबसे बड़ा रक्षक बताने में जुटे हैं, जिसके चलते वह सख्त रुख अपना रहे हैं। पंजाब में 30 साल पत्रकारिता कर चुके अमृतसर के सीनियर पत्रकार एस. पुरुषोत्तम कहते हैं- पंजाब और हरियाणा में पानी का विवाद लंबे समय से चल रहा है। निरंतर दोनों पक्षों की मीटिंग भी होती रही है। मगर, हरियाणा के सीएम पंजाब में लगातार सक्रिय हो रहे हैं, जो कि आने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए चुनौती रहने वाले हैं। ऐसे में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को राजनीतिक अवसर की तरह भुनाया है।
वे आगे कहते हैं…. इससे आम आदमी एक तीर से दो निशाने कर रही है। एक तरफ सैनी को उन्होंने घर में घेरने की कोशिश की है। दूसरी तरफ, बीजेपी को बैकफुट लाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में पानी के मुद्दे में फायदा पंजाब का रहने वाला है। बता दें कि जनवरी से लेकर अप्रैल तक यानी 4 महीने में CM नायब सैनी की पंजाब में इंटरेस्ट दिखाने के 7 मौके आए। जिसमें वह पंजाब में भाजपा की मेंबरशिप ड्राइव से लेकर वहां के सरपंचों से तक मुलाकात करते नजर आए। इस साल 7 मौके, जब CM नायब सैनी पंजाब की पॉलिटिक्स में नजर आए पंजाब की सियासत में AAP की चुनौती क्या
अकेला पंजाब ही ऐसा राज्य है, जहां आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार है। दिल्ली में इसी साल हुए चुनाव में AAP दस साल बाद सत्ता से बाहर हो गई। यहां भाजपा ने 27 साल बाद सरकार बना ली। पंजाब में 2 साल बाद 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिलहाल बेअदबी-गोलीकांड जैसे आरोपों से घिरे अकाली दल की स्थिति यहां मुकाबले वाली नहीं हो पाई है। वहीं कांग्रेस भी ग्रुपों में बंटी हुई है। हालांकि भाजपा का भी पंजाब में बहुत बड़ा जनाधार नहीं है, लेकिन AAP कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, जिससे कोई पार्टी उनके वोट काटकर भी नुकसान पहुंचाए। ऐसी सूरत में दूसरे दलों को लेकर AAP लगातार आक्रामक रुख दिखाती रही है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट हरियाणा के पानी को लेकर की गई कार्रवाई को इसी से जोड़कर देख रहे हैं। इससे एक तरफ CM ने भाजपा को झटका दिया है तो दूसरी तरफ पंजाब के किसानों को भी खुश करने की कोशिश की कि उनके पानी के लिए वह सख्त फैसले ले रहे हैं। पंजाब और हरियाणा के बीच पानी का क्या विवाद हुआ हरियाणा पर इसका कितना असर पड़ेगा
पंजाब सरकार ने 15 दिन पहले पानी रोका। हालांकि हरियाणा के सिंचाई अधिकारियों का कहना है कि इसका ज्यादा असर 20 मई तक दिखेगा। हालांकि 22 मई से हरियाणा सरकार का नया कोटा चालू हो जाएगा तो पंजाब फिर से डेली साढ़े 9 हजार क्यूसिक पानी छोड़ सकता है। हालांकि तब तक हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, रोहतक, महेंद्रगढ़ में पेयजल और सिंचाई के पानी का संकट हो सकता है। पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने अचानक हरियाणा को मिल रहे पानी को रोकने का फैसला कर दिया। पंजाब CM भगवंत मान ने खुद वीडियो जारी कर इसकी जानकारी दी। जिसमें सीएम भगवंत मान ने कहा कि अब हमारे पास एक भी बूंद अतिरिक्त पानी नहीं है, जिसे हरियाणा को दे सकें। पंजाब CM के अचानक लिए इस फैसले से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे वक्त में जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता तोड़ दिया तो फिर अचानक 2 राज्यों के बीच पानी की लड़ाई कैसे छिड़ गई? यूं तो पंजाब के CM भगवंत मान ने इसकी वजह बताई कि पानी देने का कोटा 21 मई से अगले साल 21 मई तक का होता है। हरियाणा ने मार्च महीने में ही अपने कोटे का पूरा पानी यूज कर लिया। इस वजह से रोजाना साढ़े 9 हजार क्यूसिक पानी को घटाकर 4 हजार क्यूसिक कर दिया, ताकि पेयजल की किल्लत न हो। मगर, इससे हरियाणा को सिंचाई में दिक्कत होनी तय है। वहीं दैनिक भास्कर से बातचीत में पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स इसे हरियाणा के CM नायब सैनी की पंजाब में बढ़ती एक्टिविटी से जोड़ रहे हैं। पंजाब की राजनीति पर कई किताबें लिख चुके मोहाली के सीनियर पत्रकार डॉ. भूपिंदर सिंह कहते हैं- पानी के इश्यू ने पंजाब-हरियाणा की राजनीति गर्मा दी है। मीटिंग में पंजाब के अफसर अपना पक्ष रख चुके थे। वहीं, अब मोर्चा मुख्यमंत्री भगवंत मान ने संभाला है। वे आगे कहते हैं… इसके पीछे की असली वजह हरियाणा के CM नायब सैनी की पंजाब में बढ़ती सक्रियता है, क्योंकि वह पिछले कुछ समय से लगातार एक्टिव हैं। ऐसे में मान खुद को पंजाब का सबसे बड़ा रक्षक बताने में जुटे हैं, जिसके चलते वह सख्त रुख अपना रहे हैं। पंजाब में 30 साल पत्रकारिता कर चुके अमृतसर के सीनियर पत्रकार एस. पुरुषोत्तम कहते हैं- पंजाब और हरियाणा में पानी का विवाद लंबे समय से चल रहा है। निरंतर दोनों पक्षों की मीटिंग भी होती रही है। मगर, हरियाणा के सीएम पंजाब में लगातार सक्रिय हो रहे हैं, जो कि आने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए चुनौती रहने वाले हैं। ऐसे में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को राजनीतिक अवसर की तरह भुनाया है।
वे आगे कहते हैं…. इससे आम आदमी एक तीर से दो निशाने कर रही है। एक तरफ सैनी को उन्होंने घर में घेरने की कोशिश की है। दूसरी तरफ, बीजेपी को बैकफुट लाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में पानी के मुद्दे में फायदा पंजाब का रहने वाला है। बता दें कि जनवरी से लेकर अप्रैल तक यानी 4 महीने में CM नायब सैनी की पंजाब में इंटरेस्ट दिखाने के 7 मौके आए। जिसमें वह पंजाब में भाजपा की मेंबरशिप ड्राइव से लेकर वहां के सरपंचों से तक मुलाकात करते नजर आए। इस साल 7 मौके, जब CM नायब सैनी पंजाब की पॉलिटिक्स में नजर आए पंजाब की सियासत में AAP की चुनौती क्या
अकेला पंजाब ही ऐसा राज्य है, जहां आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार है। दिल्ली में इसी साल हुए चुनाव में AAP दस साल बाद सत्ता से बाहर हो गई। यहां भाजपा ने 27 साल बाद सरकार बना ली। पंजाब में 2 साल बाद 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिलहाल बेअदबी-गोलीकांड जैसे आरोपों से घिरे अकाली दल की स्थिति यहां मुकाबले वाली नहीं हो पाई है। वहीं कांग्रेस भी ग्रुपों में बंटी हुई है। हालांकि भाजपा का भी पंजाब में बहुत बड़ा जनाधार नहीं है, लेकिन AAP कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, जिससे कोई पार्टी उनके वोट काटकर भी नुकसान पहुंचाए। ऐसी सूरत में दूसरे दलों को लेकर AAP लगातार आक्रामक रुख दिखाती रही है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट हरियाणा के पानी को लेकर की गई कार्रवाई को इसी से जोड़कर देख रहे हैं। इससे एक तरफ CM ने भाजपा को झटका दिया है तो दूसरी तरफ पंजाब के किसानों को भी खुश करने की कोशिश की कि उनके पानी के लिए वह सख्त फैसले ले रहे हैं। पंजाब और हरियाणा के बीच पानी का क्या विवाद हुआ हरियाणा पर इसका कितना असर पड़ेगा
पंजाब सरकार ने 15 दिन पहले पानी रोका। हालांकि हरियाणा के सिंचाई अधिकारियों का कहना है कि इसका ज्यादा असर 20 मई तक दिखेगा। हालांकि 22 मई से हरियाणा सरकार का नया कोटा चालू हो जाएगा तो पंजाब फिर से डेली साढ़े 9 हजार क्यूसिक पानी छोड़ सकता है। हालांकि तब तक हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, रोहतक, महेंद्रगढ़ में पेयजल और सिंचाई के पानी का संकट हो सकता है। पंजाब | दैनिक भास्कर
