<p style=”text-align: justify;”><strong>Lucknow News:</strong> उत्तर प्रदेश में किसानों की आमदनी बढ़ाने और खेती को लाभकारी बनाने के लिए योगी सरकार ने मक्के की खेती को खास प्राथमिकता दी है. मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> ने वर्ष 2027 तक प्रदेश में मक्के का उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है. इसके तहत सरकार किसानों को मक्का उगाने के लिए लगातार प्रेरित कर रही है. राज्य स्तरीय खरीफ गोष्ठी में प्रदेश के कृषि मंत्री ने भी किसानों से अपील की कि वे अरहर, सरसों और मक्का जैसी फसलों की खेती बढ़ाएं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस अपील का असर भी दिख रहा है, क्योंकि मक्का अब यूपी के किसानों को खूब भा रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021-22 में राज्य में मक्के का उत्पादन 14.67 लाख मीट्रिक टन रहा, जिसे 2027 तक बढ़ाकर 27.30 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हर मौसम और हर जमीन में होती है मक्के की खेती</strong><br />मक्का एक ऐसी फसल है जिसे तीनों फसली मौसम (खरीफ, रबी और जायद) में उगाया जा सकता है. इसकी खास बात यह है कि यह लगभग हर तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है, बस खेत में पानी निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/R0ICAohLYKw?si=RwRicRJkHlM8H7TL” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मक्के के कई रूप- भुट्टा, आटा, पॉपकॉर्न और बेबीकॉर्न</strong><br />मक्के का उपयोग खाने के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र में भी खूब होता है. इससे इथेनॉल बनता है, जो पेट्रोल का विकल्प है. यह पशुओं और मुर्गियों के लिए पोषक आहार है. दवा, एल्कोहल और पेपर उद्योग में भी इसका प्रयोग होता है. बाजार में मक्के की अच्छी मांग रहती है, जिससे किसान को फसल के बेहतर दाम मिलते हैं. सरकार मक्के को पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में ला चुकी है. यानी किसानों को अब इसकी फसल का उचित मूल्य मिल रहा है. इसके अलावा उन्नत बीज, खाद, कीटनाशक और प्रशिक्षण की सुविधाएं भी दी जा रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मक्का न सिर्फ आमदनी बढ़ाने वाली फसल है, बल्कि इसमें पोषक तत्वों की भी भरपूर मात्रा होती है. इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज (मिनरल्स) पाए जाते हैं. इसी वजह से इसे ‘फसलों की रानी’ भी कहा जाता है. देश के कई राज्यों में मक्के की प्रति हेक्टेयर उपज यूपी से कहीं ज्यादा है. जैसे, तमिलनाडु में यह करीब 59.39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि यूपी में यह 21.63 क्विंटल है. कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि उन्नत तकनीक और वैज्ञानिक तरीके अपनाकर यूपी में मक्के की उपज को काफी बढ़ाया जा सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>खरीफ मौसम में जून-जुलाई है बोआई का सही समय</strong><br />गोरखपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. एस.के. तोमर के अनुसार, मक्के की खरीफ फसल की बुआई जून के मध्य से जुलाई तक करना बेहतर रहता है. अगर खेत में सिंचाई की सुविधा है तो मई के दूसरे सप्ताह से भी इसकी बुआई की जा सकती है. प्रति एकड़ 8 किलो बीज की जरूरत होती है और अच्छी उपज के लिए लाइन से लाइन की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी रखनी चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/tomb-mazar-found-in-a-hindu-family-house-in-pilibhit-hindu-organizations-demolished-ann-2938160″><strong>पीलीभीत में हिंदुओं के घर मिली अवैध मजारें, हिंदू संगठनों ने पुलिस की मौजूदगी में किया ध्वस्त</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Lucknow News:</strong> उत्तर प्रदेश में किसानों की आमदनी बढ़ाने और खेती को लाभकारी बनाने के लिए योगी सरकार ने मक्के की खेती को खास प्राथमिकता दी है. मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> ने वर्ष 2027 तक प्रदेश में मक्के का उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है. इसके तहत सरकार किसानों को मक्का उगाने के लिए लगातार प्रेरित कर रही है. राज्य स्तरीय खरीफ गोष्ठी में प्रदेश के कृषि मंत्री ने भी किसानों से अपील की कि वे अरहर, सरसों और मक्का जैसी फसलों की खेती बढ़ाएं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस अपील का असर भी दिख रहा है, क्योंकि मक्का अब यूपी के किसानों को खूब भा रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021-22 में राज्य में मक्के का उत्पादन 14.67 लाख मीट्रिक टन रहा, जिसे 2027 तक बढ़ाकर 27.30 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हर मौसम और हर जमीन में होती है मक्के की खेती</strong><br />मक्का एक ऐसी फसल है जिसे तीनों फसली मौसम (खरीफ, रबी और जायद) में उगाया जा सकता है. इसकी खास बात यह है कि यह लगभग हर तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है, बस खेत में पानी निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/R0ICAohLYKw?si=RwRicRJkHlM8H7TL” width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मक्के के कई रूप- भुट्टा, आटा, पॉपकॉर्न और बेबीकॉर्न</strong><br />मक्के का उपयोग खाने के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र में भी खूब होता है. इससे इथेनॉल बनता है, जो पेट्रोल का विकल्प है. यह पशुओं और मुर्गियों के लिए पोषक आहार है. दवा, एल्कोहल और पेपर उद्योग में भी इसका प्रयोग होता है. बाजार में मक्के की अच्छी मांग रहती है, जिससे किसान को फसल के बेहतर दाम मिलते हैं. सरकार मक्के को पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में ला चुकी है. यानी किसानों को अब इसकी फसल का उचित मूल्य मिल रहा है. इसके अलावा उन्नत बीज, खाद, कीटनाशक और प्रशिक्षण की सुविधाएं भी दी जा रही हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मक्का न सिर्फ आमदनी बढ़ाने वाली फसल है, बल्कि इसमें पोषक तत्वों की भी भरपूर मात्रा होती है. इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज (मिनरल्स) पाए जाते हैं. इसी वजह से इसे ‘फसलों की रानी’ भी कहा जाता है. देश के कई राज्यों में मक्के की प्रति हेक्टेयर उपज यूपी से कहीं ज्यादा है. जैसे, तमिलनाडु में यह करीब 59.39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि यूपी में यह 21.63 क्विंटल है. कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि उन्नत तकनीक और वैज्ञानिक तरीके अपनाकर यूपी में मक्के की उपज को काफी बढ़ाया जा सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>खरीफ मौसम में जून-जुलाई है बोआई का सही समय</strong><br />गोरखपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. एस.के. तोमर के अनुसार, मक्के की खरीफ फसल की बुआई जून के मध्य से जुलाई तक करना बेहतर रहता है. अगर खेत में सिंचाई की सुविधा है तो मई के दूसरे सप्ताह से भी इसकी बुआई की जा सकती है. प्रति एकड़ 8 किलो बीज की जरूरत होती है और अच्छी उपज के लिए लाइन से लाइन की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी रखनी चाहिए.</p>
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यूपी में मक्के की फसल से बढ़ेगी किसानों की आमदनी, 2027 तक उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य
