वसुंधरा ताल से जुड़ी इन बातों को जानकर आप भी रह जाएंगे दंग, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य

वसुंधरा ताल से जुड़ी इन बातों को जानकर आप भी रह जाएंगे दंग, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य

<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड की संवेदनशील झीलों में शामिल वसुंधरा ताल के संबंध में हाल ही में हुए एक विस्तृत अध्ययन में कई अहम जानकारियां सामने आई हैं. इस अध्ययन के मुताबिक वसुंधरा ताल का प्रमुख जलस्रोत रायकाना ग्लेशियर है. ताल की अधिकतम गहराई 38 मीटर आंकी गई है, जबकि इसकी लंबाई लगभग 900 मीटर और चौड़ाई 600 मीटर है. राज्य में कुल 13 संवेदनशील झीलों की पहचान की गई है, जिनमें वसुंधरा ताल भी शामिल है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह झील समुद्रतल से लगभग 4702 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसे ग्लेशियर से बनी झील (ग्लेशियर लेक) माना जाता है और इसके ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) खतरे का आकलन करने के लिए बीते वर्ष अक्टूबर में एक 15 सदस्यीय टीम को अध्ययन के लिए भेजा गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/uK0fN-kA-bE?si=QjHgHT2-Z9cwNmQ9″ width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इस टीम में ये लोग रहे शामिल</strong><br />इस टीम में वाडिया संस्थान, उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएडीएमए), यूएलएमएमसी, आईआईआरएस, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के विशेषज्ञ शामिल थे. दल ने सोनार आधारित इको साउंडर नाव तथा अन्य आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करते हुए ताल की संरचना, जल स्रोत, निकासी मार्ग और संभावित आपदाओं का आकलन किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अध्ययन में यह भी पता चला कि वसुंधरा ताल से जल निकासी के दो प्रमुख बिंदु हैं. पहला बिंदु लगभग चार मीटर चौड़ा और 1.3 मीटर गहरा है, जबकि दूसरा बिंदु दो छोटी झीलों के माध्यम से जल को बाहर निकालता है. यह स्थिति भविष्य में अचानक जल निकासी या बाढ़ की आशंका को लेकर महत्वपूर्ण मानी जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ताल के आसपास भूस्खलन और हिमस्खलन की संभावनाओं का विश्लेषण</strong><br />रिपोर्ट में ताल के आसपास भूस्खलन और हिमस्खलन की संभावनाओं का भी विश्लेषण किया गया है. बीते महीने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में इस अध्ययन के निष्कर्षों को साझा किया गया. झील की संवेदनशीलता को देखते हुए इस क्षेत्र में विशेष निगरानी और सतर्कता की आवश्यकता बताई गई है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड की संवेदनशील झीलों में शामिल वसुंधरा ताल के संबंध में हाल ही में हुए एक विस्तृत अध्ययन में कई अहम जानकारियां सामने आई हैं. इस अध्ययन के मुताबिक वसुंधरा ताल का प्रमुख जलस्रोत रायकाना ग्लेशियर है. ताल की अधिकतम गहराई 38 मीटर आंकी गई है, जबकि इसकी लंबाई लगभग 900 मीटर और चौड़ाई 600 मीटर है. राज्य में कुल 13 संवेदनशील झीलों की पहचान की गई है, जिनमें वसुंधरा ताल भी शामिल है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यह झील समुद्रतल से लगभग 4702 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसे ग्लेशियर से बनी झील (ग्लेशियर लेक) माना जाता है और इसके ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) खतरे का आकलन करने के लिए बीते वर्ष अक्टूबर में एक 15 सदस्यीय टीम को अध्ययन के लिए भेजा गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><iframe title=”YouTube video player” src=”https://www.youtube.com/embed/uK0fN-kA-bE?si=QjHgHT2-Z9cwNmQ9″ width=”560″ height=”315″ frameborder=”0″ allowfullscreen=”allowfullscreen”></iframe></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इस टीम में ये लोग रहे शामिल</strong><br />इस टीम में वाडिया संस्थान, उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएडीएमए), यूएलएमएमसी, आईआईआरएस, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के विशेषज्ञ शामिल थे. दल ने सोनार आधारित इको साउंडर नाव तथा अन्य आधुनिक तकनीकों का प्रयोग करते हुए ताल की संरचना, जल स्रोत, निकासी मार्ग और संभावित आपदाओं का आकलन किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अध्ययन में यह भी पता चला कि वसुंधरा ताल से जल निकासी के दो प्रमुख बिंदु हैं. पहला बिंदु लगभग चार मीटर चौड़ा और 1.3 मीटर गहरा है, जबकि दूसरा बिंदु दो छोटी झीलों के माध्यम से जल को बाहर निकालता है. यह स्थिति भविष्य में अचानक जल निकासी या बाढ़ की आशंका को लेकर महत्वपूर्ण मानी जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ताल के आसपास भूस्खलन और हिमस्खलन की संभावनाओं का विश्लेषण</strong><br />रिपोर्ट में ताल के आसपास भूस्खलन और हिमस्खलन की संभावनाओं का भी विश्लेषण किया गया है. बीते महीने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में इस अध्ययन के निष्कर्षों को साझा किया गया. झील की संवेदनशीलता को देखते हुए इस क्षेत्र में विशेष निगरानी और सतर्कता की आवश्यकता बताई गई है.</p>  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पाकिस्तान को बूंद-बूंद पानी के लिए तड़पाने का भारत ने दिया ट्रेलर, नदी बन गया सेल्फी प्वाइंट