अखिलेश यादव ने राजा भैया को क्यों निशाने पर लिया:मायावती के पोटा लगाने की पूरी कहानी समझिए, भविष्य में क्या संभावना?

अखिलेश यादव ने राजा भैया को क्यों निशाने पर लिया:मायावती के पोटा लगाने की पूरी कहानी समझिए, भविष्य में क्या संभावना?

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर से रघुराज प्रताप उर्फ राजा भैया को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा- बसपा ने जो फैसला किया था, वह हमें नहीं बदलना चाहिए था। अखिलेश का इशारा मायावती सरकार के दौरान लगाए गए आतंकवाद निवारण अधिनियम, 2002 (POTA Act) की तरफ था। जिसे मुलायम सरकार ने बाद में हटा लिया था। यह बातें अखिलेश ने 6 मई को पार्टी के लखनऊ ऑफिस में मीडिया से कहीं। पोटा एक्ट क्या है, क्यों मायावती ने इसे रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) पर लगाया था। मुलायम सिंह यादव ने इसे क्यों हटाया, इसकी पूरी कहानी भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए- सवाल 1- अखिलेश यादव ने POTA और राजा भैया को लेकर क्या बयान दिया? जवाब- समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने 6 मई को लखनऊ ऑफिस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें प्रतापगढ़ में सपा नेता गुलशन यादव पर हो रही कार्रवाई को लेकर अखिलेश से सवाल पूछा गया। जवाब में अखिलेश ने कहा- यह तो हम सब जानते हैं कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों हो रही? आर्थिक रूप से भी जितना तोड़ा जा सकता है, तोड़ा जा रहा है। टाइमलाइन देखिए मुकदमे कब दर्ज हुए हैं? पुलिस कप्तान जो थे, उनसे बात की तो लगा कि उनके ऊपर दबाव है। एफआईआर कौन लोग करवा रहे हैं? वो घबराए हुए लोग हैं। जिन्हें चुनाव हारना निश्चित है। वो लोग चुनाव हारेंगे। उन्हें कोई भी गणित चुनाव नहीं जिता सकती। मैं आपको वो बातें याद दिला दूं, जो याद नहीं दिलानी चाहिए। बहुजन समाज पार्टी ने कोई फैसला लिया था उस जिले में, वो फैसला हम लोगों को नहीं बदलना चाहिए था। अखिलेश यादव का इशारा राजा भैया पर लगे पोटा एक्ट की ओर था। इससे पहले 25 अप्रैल को भी अखिलेश ने राजा भैया को लेकर तंज कसा था। दरअसल, राजा भैया ने कश्मीर में टूरिज्म को बायकॉट करने की बात कही थी। अखिलेश यादव से इसको लेकर सवाल पूछा गया था। इस पर उन्होंने कहा था- मेरा उनसे कोई परिचय नहीं है। बता दें कि राजा भैया अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे हैं। वह मुलायम सरकार में मंत्री भी रहे। सवाल 2- अखिलेश ने जिस मामले का जिक्र किया वह क्या है, क्यों राजा भैया के मायावती से रिश्ते खराब हुए थे? जवाब- साल 2002 में प्रदेश में भाजपा-बसपा की गठबंधन की सरकार थी। राजा भैया पर आरोप लगा कि वह भाजपा-बसपा गठबंधन वाली सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे थे, सरकार गिराना चाहते थे। 2 नवंबर, 2002 को मायावती सरकार ने राजा भैया को पोटा एक्ट के तहत गिरफ्तार करवाया। राजा भैया को करीब 11 महीने तक जेल में रहना पड़ा। इस दौरान उनकी भदरी रियासत की हवेली में पुलिस ने छापेमारी की। उनकी संपत्ति को कुर्क करने की कार्रवाई भी की। 2003 में मायावती सरकार ने प्रतापगढ़ में राजा भैया की भदरी रियासत के पास स्थित बेंती तालाब को सरकारी कब्जे में ले लिया। इसे भीमराव अंबेडकर पक्षी विहार घोषित कर दिया। बाद में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ। मुलायम सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते ही राजा भइया की रिहाई के आदेश जारी कर दिए। साथ ही, बसपा सरकार द्वारा लगाया गया पोटा भी हटा दिया। सवाल 3- मायावती ने राजा भैया पर POTA कानून क्यों लगाया था? जवाब- साल 1997 में बसपा और भाजपा की गठबंधन की सरकार थी। दोनों के बीच डील थी कि छह-छह महीने दोनों पार्टियों के मुख्यमंत्री रहेंगे। लेकिन डील के मुताबिक छह महीने मुख्यमंत्री रहने के बाद मायावती ने भाजपा को सीएम पद देने से मना कर दिया। इसके बाद राज्य में सियासी उथल-पुथल शुरू हो गई। जोड़तोड़ के दबाव में आकर मायावती ने सीएम कुर्सी तो छोड़ी लेकिन कुछ ही महीने बाद उस गठबंधन सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया। इसी घटनाक्रम के बीच हुकुम के इक्के की तरह तब प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह की एंट्री हुई। कहा जाता है कि उन्होंने तब बसपा और कांग्रेस के कुछ विधायकों और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से बीजेपी की सरकार गिरने से बचाई थी। इसके बाद बीजेपी के सीएम कल्याण सिंह ने राजा भैया को अपनी सरकार में मंत्री पद भी दिया। फिर आया साल 2002। एक बार फिर 1997 की कहानी दोहराई गई। बसपा और भाजपा ने फिर गठबंधन की सरकार बनाई। लेकिन कुछ ही समय में फिर अंदरखाने की खींचतान होने लगी। तब मायावती ने सरकार को अस्थिर करने का आरोप राजा भैया पर लगाते हुए आतंकवाद निरोधक कानून यानी POTA लगाते हुए जेल में डलवा दिया। इसे ही मायावती का राजा भैया से 1997 की घटना का सियासी बदला माना जाता है। POTA लगाने के पीछे मायावती ने छापेमारी में उनके हवेली से हथियार बरामद होने की बात कही थी। POTA लगने से छह महीने तक जमानत नहीं मिल सकती थी। सवाल 4- मुलायम सिंह ने राजा भैया पर से POTA क्यों हटाया था? जवाब- साल 1995 के गेस्ट हाउस कांड के बाद से ही तत्कालीन सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती के बीच राजनीतिक खाई और गहरी हो चुकी थी। ऐसे में, जब साल 2003 में मायावती की सरकार गिरी और कांग्रेस व निर्दलीय विधायकों के सहयोग से मुलायम सीएम बने, तब उनके लिए राजा भैया पर मेहरबान होना लाजमी था। यह मेहरबानी इस हद तक थी कि मुलायम सिंह यादव ने सीएम पद के शपथग्रहण के आधे घंटे के अंदर ही राजा भैया की रिहाई का ऐलान कर दिया। उन पर और उनके पिता पर लगाए गए POTA एक्ट को हटाने की बात भी कही। मायावती ने राजा भैया की रियासत के तालाब को पक्षी विहार में बदल दिया था, मुलायम सिंह यादव ने उस फैसले को भी पलट दिया। और तो और बाद में राजा भैया को अपनी सरकार में खाद्य मंत्री का पद भी दिया। सवाल 5- राजा भैया और अखिलेश के रिश्ते क्यों बिगड़े? जवाब- अखिलेश सरकार में मंत्री रहे राजा भैया के साल 2022 के चुनाव में सपा से रिश्ते खराब हो गए। मायावती के साथ गठबंधन वाली सपा के राज्यसभा उम्मीदवार को वोट देने से राजा भैया ने इनकार कर दिया था। इससे अखिलेश काफी खफा हुए थे। उन्होंने कुंडा में राजा भैया के खिलाफ न सिर्फ सपा प्रत्याशी गुलशन यादव को खड़ा किया, बल्कि उनके लिए चुनाव प्रचार भी किया। उन्होंने कुंडा में कुंडी लगाने की बात कही, जिस पर पलटवार करते हुए राजा भैया ने कहा ‘किसी माई के लाल में दम नहीं जो कुंडा में कुंडी लगा दे।’ राजा भैया ने अखिलेश के खास और प्रतापगढ़ के जिलाध्यक्ष गुलशन यादव के खिलाफ FIR लिखाई थी। इसके बाद 4 मई को सरकार ने गुलशन की 7 करोड़ की प्रॉपर्टी कुर्क की थी। इसको लेकर अखिलेश काफी नाराज हैं। सवाल 6- राजा भैया से पोटा हटाने पर मुलायम सिंह को क्या फायदा हुआ? जवाब- इसको लेकर अलग-अलग बातें सामने आती हैं। कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि मुलायम सिंह के राजा भैया से पोटा हटाने पर क्षत्रिय वोट सपा को मिलने लगे थे। वहीं, सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट राजेंद्र कुमार कहते हैं कि सपा को इससे कोई फायदा नहीं हुआ। पूरा फायदा राजा भैया को हुआ और वह जेल से बाहर आ गए। अब जब अखिलेश इसकी एनालिसिस करते हैं तो उनको यह बात समझ में आती है। इसलिए वह ऐसा कह रहे हैं। सवाल 7- भविष्य में क्या अखिलेश और राजा भैया साथ आ सकते हैं? जवाब- सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट राजेंद्र कुमार के मुताबिक, अखिलेश मुलायम सिंह से अलग राजनीति करते हैं। उन्होंने अपनी लाइन क्लियर कर दी है। वह अपने साथ राजा भैया को क्यों लेंगे? उन्होंने उनके खिलाफ गुलशन यादव को खड़ा कर दिया है। जहां तक पिछले लोकसभा चुनाव में राजा भैया के सपा को समर्थन देने वाली बात है तो वे भाजपा को यह जताना चाहते हैं कि उनके पास ऑप्शन है। राजा भैया पर मुलायम सिंह का बड़ा एहसान है। ——————— ये खबर भी पढ़ें… राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल:क्यों सरकार पेश नहीं कर पाई सबूत; क्या भारत में रहते कोई दूसरे देश का नागरिक बन सकता है इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताने वाले केस को बंद कर दिया। बता दें, दो देशों की नागरिकता मामले में राहुल गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में केस चल रहा था। इस याचिका में राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को चुनौती दी गई थी। क्या राहुल गांधी के पास दोहरी नागरिकता है? उनके पास और किस देश की नागरिकता होने का सवाल उठाया जाता है? भारत में नागरिकता को लेकर क्या नियम हैं? पढ़ें पूरी खबर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर से रघुराज प्रताप उर्फ राजा भैया को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा- बसपा ने जो फैसला किया था, वह हमें नहीं बदलना चाहिए था। अखिलेश का इशारा मायावती सरकार के दौरान लगाए गए आतंकवाद निवारण अधिनियम, 2002 (POTA Act) की तरफ था। जिसे मुलायम सरकार ने बाद में हटा लिया था। यह बातें अखिलेश ने 6 मई को पार्टी के लखनऊ ऑफिस में मीडिया से कहीं। पोटा एक्ट क्या है, क्यों मायावती ने इसे रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) पर लगाया था। मुलायम सिंह यादव ने इसे क्यों हटाया, इसकी पूरी कहानी भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए- सवाल 1- अखिलेश यादव ने POTA और राजा भैया को लेकर क्या बयान दिया? जवाब- समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने 6 मई को लखनऊ ऑफिस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें प्रतापगढ़ में सपा नेता गुलशन यादव पर हो रही कार्रवाई को लेकर अखिलेश से सवाल पूछा गया। जवाब में अखिलेश ने कहा- यह तो हम सब जानते हैं कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों हो रही? आर्थिक रूप से भी जितना तोड़ा जा सकता है, तोड़ा जा रहा है। टाइमलाइन देखिए मुकदमे कब दर्ज हुए हैं? पुलिस कप्तान जो थे, उनसे बात की तो लगा कि उनके ऊपर दबाव है। एफआईआर कौन लोग करवा रहे हैं? वो घबराए हुए लोग हैं। जिन्हें चुनाव हारना निश्चित है। वो लोग चुनाव हारेंगे। उन्हें कोई भी गणित चुनाव नहीं जिता सकती। मैं आपको वो बातें याद दिला दूं, जो याद नहीं दिलानी चाहिए। बहुजन समाज पार्टी ने कोई फैसला लिया था उस जिले में, वो फैसला हम लोगों को नहीं बदलना चाहिए था। अखिलेश यादव का इशारा राजा भैया पर लगे पोटा एक्ट की ओर था। इससे पहले 25 अप्रैल को भी अखिलेश ने राजा भैया को लेकर तंज कसा था। दरअसल, राजा भैया ने कश्मीर में टूरिज्म को बायकॉट करने की बात कही थी। अखिलेश यादव से इसको लेकर सवाल पूछा गया था। इस पर उन्होंने कहा था- मेरा उनसे कोई परिचय नहीं है। बता दें कि राजा भैया अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे हैं। वह मुलायम सरकार में मंत्री भी रहे। सवाल 2- अखिलेश ने जिस मामले का जिक्र किया वह क्या है, क्यों राजा भैया के मायावती से रिश्ते खराब हुए थे? जवाब- साल 2002 में प्रदेश में भाजपा-बसपा की गठबंधन की सरकार थी। राजा भैया पर आरोप लगा कि वह भाजपा-बसपा गठबंधन वाली सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे थे, सरकार गिराना चाहते थे। 2 नवंबर, 2002 को मायावती सरकार ने राजा भैया को पोटा एक्ट के तहत गिरफ्तार करवाया। राजा भैया को करीब 11 महीने तक जेल में रहना पड़ा। इस दौरान उनकी भदरी रियासत की हवेली में पुलिस ने छापेमारी की। उनकी संपत्ति को कुर्क करने की कार्रवाई भी की। 2003 में मायावती सरकार ने प्रतापगढ़ में राजा भैया की भदरी रियासत के पास स्थित बेंती तालाब को सरकारी कब्जे में ले लिया। इसे भीमराव अंबेडकर पक्षी विहार घोषित कर दिया। बाद में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ। मुलायम सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते ही राजा भइया की रिहाई के आदेश जारी कर दिए। साथ ही, बसपा सरकार द्वारा लगाया गया पोटा भी हटा दिया। सवाल 3- मायावती ने राजा भैया पर POTA कानून क्यों लगाया था? जवाब- साल 1997 में बसपा और भाजपा की गठबंधन की सरकार थी। दोनों के बीच डील थी कि छह-छह महीने दोनों पार्टियों के मुख्यमंत्री रहेंगे। लेकिन डील के मुताबिक छह महीने मुख्यमंत्री रहने के बाद मायावती ने भाजपा को सीएम पद देने से मना कर दिया। इसके बाद राज्य में सियासी उथल-पुथल शुरू हो गई। जोड़तोड़ के दबाव में आकर मायावती ने सीएम कुर्सी तो छोड़ी लेकिन कुछ ही महीने बाद उस गठबंधन सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया। इसी घटनाक्रम के बीच हुकुम के इक्के की तरह तब प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह की एंट्री हुई। कहा जाता है कि उन्होंने तब बसपा और कांग्रेस के कुछ विधायकों और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से बीजेपी की सरकार गिरने से बचाई थी। इसके बाद बीजेपी के सीएम कल्याण सिंह ने राजा भैया को अपनी सरकार में मंत्री पद भी दिया। फिर आया साल 2002। एक बार फिर 1997 की कहानी दोहराई गई। बसपा और भाजपा ने फिर गठबंधन की सरकार बनाई। लेकिन कुछ ही समय में फिर अंदरखाने की खींचतान होने लगी। तब मायावती ने सरकार को अस्थिर करने का आरोप राजा भैया पर लगाते हुए आतंकवाद निरोधक कानून यानी POTA लगाते हुए जेल में डलवा दिया। इसे ही मायावती का राजा भैया से 1997 की घटना का सियासी बदला माना जाता है। POTA लगाने के पीछे मायावती ने छापेमारी में उनके हवेली से हथियार बरामद होने की बात कही थी। POTA लगने से छह महीने तक जमानत नहीं मिल सकती थी। सवाल 4- मुलायम सिंह ने राजा भैया पर से POTA क्यों हटाया था? जवाब- साल 1995 के गेस्ट हाउस कांड के बाद से ही तत्कालीन सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती के बीच राजनीतिक खाई और गहरी हो चुकी थी। ऐसे में, जब साल 2003 में मायावती की सरकार गिरी और कांग्रेस व निर्दलीय विधायकों के सहयोग से मुलायम सीएम बने, तब उनके लिए राजा भैया पर मेहरबान होना लाजमी था। यह मेहरबानी इस हद तक थी कि मुलायम सिंह यादव ने सीएम पद के शपथग्रहण के आधे घंटे के अंदर ही राजा भैया की रिहाई का ऐलान कर दिया। उन पर और उनके पिता पर लगाए गए POTA एक्ट को हटाने की बात भी कही। मायावती ने राजा भैया की रियासत के तालाब को पक्षी विहार में बदल दिया था, मुलायम सिंह यादव ने उस फैसले को भी पलट दिया। और तो और बाद में राजा भैया को अपनी सरकार में खाद्य मंत्री का पद भी दिया। सवाल 5- राजा भैया और अखिलेश के रिश्ते क्यों बिगड़े? जवाब- अखिलेश सरकार में मंत्री रहे राजा भैया के साल 2022 के चुनाव में सपा से रिश्ते खराब हो गए। मायावती के साथ गठबंधन वाली सपा के राज्यसभा उम्मीदवार को वोट देने से राजा भैया ने इनकार कर दिया था। इससे अखिलेश काफी खफा हुए थे। उन्होंने कुंडा में राजा भैया के खिलाफ न सिर्फ सपा प्रत्याशी गुलशन यादव को खड़ा किया, बल्कि उनके लिए चुनाव प्रचार भी किया। उन्होंने कुंडा में कुंडी लगाने की बात कही, जिस पर पलटवार करते हुए राजा भैया ने कहा ‘किसी माई के लाल में दम नहीं जो कुंडा में कुंडी लगा दे।’ राजा भैया ने अखिलेश के खास और प्रतापगढ़ के जिलाध्यक्ष गुलशन यादव के खिलाफ FIR लिखाई थी। इसके बाद 4 मई को सरकार ने गुलशन की 7 करोड़ की प्रॉपर्टी कुर्क की थी। इसको लेकर अखिलेश काफी नाराज हैं। सवाल 6- राजा भैया से पोटा हटाने पर मुलायम सिंह को क्या फायदा हुआ? जवाब- इसको लेकर अलग-अलग बातें सामने आती हैं। कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि मुलायम सिंह के राजा भैया से पोटा हटाने पर क्षत्रिय वोट सपा को मिलने लगे थे। वहीं, सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट राजेंद्र कुमार कहते हैं कि सपा को इससे कोई फायदा नहीं हुआ। पूरा फायदा राजा भैया को हुआ और वह जेल से बाहर आ गए। अब जब अखिलेश इसकी एनालिसिस करते हैं तो उनको यह बात समझ में आती है। इसलिए वह ऐसा कह रहे हैं। सवाल 7- भविष्य में क्या अखिलेश और राजा भैया साथ आ सकते हैं? जवाब- सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट राजेंद्र कुमार के मुताबिक, अखिलेश मुलायम सिंह से अलग राजनीति करते हैं। उन्होंने अपनी लाइन क्लियर कर दी है। वह अपने साथ राजा भैया को क्यों लेंगे? उन्होंने उनके खिलाफ गुलशन यादव को खड़ा कर दिया है। जहां तक पिछले लोकसभा चुनाव में राजा भैया के सपा को समर्थन देने वाली बात है तो वे भाजपा को यह जताना चाहते हैं कि उनके पास ऑप्शन है। राजा भैया पर मुलायम सिंह का बड़ा एहसान है। ——————— ये खबर भी पढ़ें… राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल:क्यों सरकार पेश नहीं कर पाई सबूत; क्या भारत में रहते कोई दूसरे देश का नागरिक बन सकता है इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी को ब्रिटिश नागरिक बताने वाले केस को बंद कर दिया। बता दें, दो देशों की नागरिकता मामले में राहुल गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में केस चल रहा था। इस याचिका में राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता को चुनौती दी गई थी। क्या राहुल गांधी के पास दोहरी नागरिकता है? उनके पास और किस देश की नागरिकता होने का सवाल उठाया जाता है? भारत में नागरिकता को लेकर क्या नियम हैं? पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर