हरियाणा के सोनीपत के गोहाना में आज छात्र छात्राओं ने एसडीएम कार्यालय के बाहर हंगामा किया। स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि कॉलेज में फर्जी फ्लाइंग बुलाकर उनको डराया और प्रति छात्र 5 हजार रुपए की डिमांड की गई। जिन स्टूडेंट्स ने रुपए नहीं दिए, उनके पेपर छीन लिए गए। स्टूडेंट्स ने पूरे मामले में एसडीएम को शिकायत देकर कॉलेज प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग की। जानकारी के अनुसार बुधवार को गोहाना के ऋषिकुल संस्कृत महाविद्यालय में परीक्षा करवाने के नाम पर छात्र छात्राओं से रुपयों की डिमांड की गई। मनीषा, निशा व अन्य छात्रों ने बताया कि वे एकता संस्कृत कॉलेज में शास्त्री की पढ़ाई के लिए ग्रेजुएशन कर रहे हैं। आज वे गोहाना के ऋषिकुल संस्कृत महाविद्यालय में परीक्षा देने के लिए पहुंचे थे। परीक्षा के दौरान क्लास रूम में दो युवक पहुंचे। उन्होंने खुद को फ्लाइंग का हवाला दिया। स्टूडेंट्स ने बताया कि इस दौरान वे परीक्षार्थियों की आंसर शीट छीन कर ले गए। परीक्षा शुरू होने के आधा घंटे बाद ही उनकी शीट छीन ली गई। जब विद्यार्थियों ने पेपर छीनने को लेकर कारण पूछा तो उनसे प्रति छात्र 5000 रुपए की डिमांड की गई। आरोप है कि पहले भी इस प्रकार से डिमांड की गई थी। आज सेकेंड लास्ट पेपर था। विद्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि उनको कहा गया है कि पैसे देने पर ही एग्जाम करवाया जाएगा। वहीं विद्यार्थियों ने एसडीएम कार्यालय पहुंचकर शिकायत दी है और मांग की है कि उनकी परीक्षा दोबारा से आयोजित करवाई जाए। पूरे मामले को लेकर कार्रवाई की भी मांग उठाई है। हरियाणा के सोनीपत के गोहाना में आज छात्र छात्राओं ने एसडीएम कार्यालय के बाहर हंगामा किया। स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि कॉलेज में फर्जी फ्लाइंग बुलाकर उनको डराया और प्रति छात्र 5 हजार रुपए की डिमांड की गई। जिन स्टूडेंट्स ने रुपए नहीं दिए, उनके पेपर छीन लिए गए। स्टूडेंट्स ने पूरे मामले में एसडीएम को शिकायत देकर कॉलेज प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग की। जानकारी के अनुसार बुधवार को गोहाना के ऋषिकुल संस्कृत महाविद्यालय में परीक्षा करवाने के नाम पर छात्र छात्राओं से रुपयों की डिमांड की गई। मनीषा, निशा व अन्य छात्रों ने बताया कि वे एकता संस्कृत कॉलेज में शास्त्री की पढ़ाई के लिए ग्रेजुएशन कर रहे हैं। आज वे गोहाना के ऋषिकुल संस्कृत महाविद्यालय में परीक्षा देने के लिए पहुंचे थे। परीक्षा के दौरान क्लास रूम में दो युवक पहुंचे। उन्होंने खुद को फ्लाइंग का हवाला दिया। स्टूडेंट्स ने बताया कि इस दौरान वे परीक्षार्थियों की आंसर शीट छीन कर ले गए। परीक्षा शुरू होने के आधा घंटे बाद ही उनकी शीट छीन ली गई। जब विद्यार्थियों ने पेपर छीनने को लेकर कारण पूछा तो उनसे प्रति छात्र 5000 रुपए की डिमांड की गई। आरोप है कि पहले भी इस प्रकार से डिमांड की गई थी। आज सेकेंड लास्ट पेपर था। विद्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि उनको कहा गया है कि पैसे देने पर ही एग्जाम करवाया जाएगा। वहीं विद्यार्थियों ने एसडीएम कार्यालय पहुंचकर शिकायत दी है और मांग की है कि उनकी परीक्षा दोबारा से आयोजित करवाई जाए। पूरे मामले को लेकर कार्रवाई की भी मांग उठाई है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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निगम से बिना काम कराए लौटे 350 लोग, तहसील में 70 ही रजिस्ट्री हुईं, 30 लोगों को भेजा गया वापस भास्कर न्यूज | रोहतक मांगें पूरी नहीं होने पर दूसरे दिन भी क्लर्क हड़ताल पर रहे। इससे सभी विभागों में काम प्रभावित रहे। नगर निगम में जहां 350 लोग बिना काम कराए लौट गए तो वहीं रजिस्ट्री ऑफिस में दोपहर तक सिर्फ 70 रजिस्ट्री ही हो सकीं। इसके बाद करीब 30 लोगों को वापस कर दिया गया। इसके साथ ही तहसील, लघु सचिवालय स्थित एसडीएम कार्यालय, ई दिशा केंद्र समेत नगर निगम, सिंचाई विभाग, समाज कल्याण विभाग, को-ऑपरेटिव आदि विभागों में अपने कार्य से आए आमजन को मायूस होना पड़ा। अंबेडकर चौक स्थित नगर निगम कार्यालय में हड़ताल से निपटने के लिए अन्य कर्मचारियों के जरिए किया गया वैकल्पिक प्रबंध भी नाकाफी साबित हुआ। हालांकि डीसी कार्यालय के लिपिक दोपहर बाद हड़ताल में शामिल हुए। इससे दोपहर बाद रजिस्ट्री कार्य ठप रहा। रोहतक. लघु सचिवालय के बाहर हड़ताल पर बैठे हुए लिपिक वर्ग। संगठन के जिला प्रधान संदीप दांगी जिला प्रधान ने कहा कि सरकार से लिपिकों की कई बार बैठकें हो चुकी हैं, परंतु सरकार केवल विश्वासघात कर रही है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने मुलाकात में मांगों का समाधान करने का वादा किया था, परंतु इसके एवज में मुख्य सचिव राजेश खुल्लर के कहने पर लिपिकों की कमेटी भी सचिवालय में 5 दिन तक जमा रही। फिर भी कोई नतीजा नहीं निकला। उन्होंने कहा कि यदि मांगों का समाधान नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस में घमासान:सैलजा समर्थक बोले- हमें हराया गया; गोगी ने कहा- सैलजा के अपमान से दलितों ने वोट नहीं दिए
हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस में घमासान:सैलजा समर्थक बोले- हमें हराया गया; गोगी ने कहा- सैलजा के अपमान से दलितों ने वोट नहीं दिए हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। सैलजा के समर्थक नेताओं ने चुनाव में हार का ठीकरा भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सिर फोड़ा है। नेताओं का कहना है कि वे हारे नहीं हैं, उन्हें हराया गया है। आरोप लगाने वाले नेताओं में करनाल के असंध से शमशेर गोगी, कुरुक्षेत्र के जिला अध्यक्ष मधुसूदन बवेजा और अंबाला कैंट से कांग्रेस प्रत्याशी रहे परविंदर परी ने हुड्डा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गोगी ने यहां तक कहा कि सैलजा के अपमान के कारण दलितों ने हमें वोट भी नहीं दिया। सैलजा ने कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं ने पिछले 10 सालों में कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत कुछ सहा है, लेकिन अब हमें इन सब बातों से पीछे हटते हुए एक नए सिरे से आगे सोचना होगा। क्योंकि जैसे अभी चल रहा है वो ऐसे ही तो नहीं चलेगा। चुनाव हारने के बाद कांग्रेस नेता ने क्या कहा? गोगी बोले- हरियाणा में हुड्डा कांग्रेस की हार हुई
करनाल की असंध सीट से 2306 वोटों से हारे शमशेर गोगी ने कहा कि एक बिरादरी की सरकार नहीं बनती। सबको साथ लेकर चलना पड़ता है। अब हरियाणा कांग्रेस में बदलाव की जरूरत है। अगर शीर्ष नेतृत्व ने हार के कारणों की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई तो वह वहां सारी बातें रखेंगे। शमशेर गोगी ने कहा कि हरियाणा में हुड्डा कांग्रेस की हार हुई है, कांग्रेस की नहीं। गोगी ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में कई अहम बातें कहीं। उन्होंने कहा कि करनाल में रैली के लिए मैंने सारे इंतजाम किए थे, लेकिन हुड्डा ने अपने भाषण में मेरा नाम तक नहीं लिया। जब गोगी से पूछा गया कि आप की हार कैसे हुई, तो उन्होंने कहा कि मीडिया और सभी एजेंसियां हमारे पक्ष में स्थिति दिखा रही थीं, लेकिन पिछले दो दिनों में भाजपा ने इसे हिंदू और सिखों का मुद्दा बना दिया। जो अंदर ही अंदर फैल गया। सैलजा पर दिए गए बयान और दलितों के अपमान पर उन्होंने कहा कि लोगों ने इसे प्रदेश स्तर तक पहुंचा दिया। हालांकि सैलजा के गुट से होने के बावजूद दलितों ने हमें वोट नहीं दिया। परविंदर परी बोले- कांग्रेस कैंडिडेट को हराने का काम किया
अंबाला कैंट से हारे परविंदर परी ने कहा कि एक ही छत के नीचे रहने वाले नेता, जो 6 बार चुनाव हारते हैं उसके बाद कांग्रेस पार्टी उन्हें टिकट देती है। बीडी गैंग, यानी भूपेंद्र-दीपेंद्र हुड्डा गैंग ने कई सीटों पर बागी प्रत्याशियों को उतार कांग्रेस कैंडिडेट को हराने का काम किया। चुनाव हारना और चुनाव हराना दोनों में फर्क होता है। पार्टी ने ही बागी उम्मीदवार को कैंडिडेट उतार कर हमें अपनी पूरी मंशा के तहत हराया है। हमें लगता है कि कहीं न कहीं सैलजा जी सही टाइम पर आतीं तो आज चुनाव के नतीजे कुछ और होते। सैलजा बोलीं- तालमेल नहीं रखा गया
कुमारी सैलजा ने कहा कि पार्टी को किस तरह से राज्य में सींचा नहीं गया, तालमेल नहीं रखा गया, कौन से लोग थे जो सबको साथ लेकर चलने के जिम्मेदार थे। ये भी बातें हैं। राज्य में क्या संदेश गया है। किसलिए लोग कांग्रेस की सरकार बनाते हुए पीछे हट गए? ये सब बातें देखनी पड़ेंगी। बवेजा बोले- केवल एक नेता की बातों में आया हाईकमान
कुरुक्षेत्र शहरी से कांग्रेस जिला अध्यक्ष मधुसूदन बवेजा ने पूर्व सीएम हुड्डा का नाम लिए बगैर हाईकमान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हाईकमान केवल एक नेता की बातों में आया। दूसरे किसी भी कुशल नेता की बात नहीं मानी। जिसका खामियाजा आम जन मानस को भुगतना पड़ा और पार्टी को भी बहुत नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व जातीय समीकरण व हरियाणा के दिग्गज नेतागण राज्य सभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला, सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा की रणनीति को ध्यान में रखते, तो ये जो नौबत आज हुई है, वो ना होती। उन्होंने आगे कहा कि यदि अब भी हरियाणा की कमान सही हाथों में नहीं सौंपी और संगठन न बनाया गया, तो आने वाले अन्य प्रदेशों के चुनाव में भी हार का मुंह कांग्रेस पार्टी को देखना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर के हरियाणा कांग्रेस का गठन तुरंत प्रभाव से किया जाए। बवेजा ने कहा कि हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस को कभी बहुमत नहीं मिला है।
हरियाणा के शहीद मेजर की मां बोली-बहू ने तेवर बदले:कहा- सारा फंड लेकर मायके गई; घर ताला लगाया, सरकार उसे नौकरी न दे
हरियाणा के शहीद मेजर की मां बोली-बहू ने तेवर बदले:कहा- सारा फंड लेकर मायके गई; घर ताला लगाया, सरकार उसे नौकरी न दे हरियाणा के पानीपत के शहीद मेजर आशीष धौंचक की शहादत को 1 साल भी पूरा नहीं हुआ है, लेकिन उनके मां-बाप अब इधर-उधर भटकने को मजबूर हो गए हैं। सरकार की ओर से तमाम घोषणाएं की गई। शहादत फंड भी मिला, इसके बाद भी मां-बाप का बुढ़ापा अंधकार में है। क्योंकि इकलौते बेटे की शहादत के बाद मां-बाप की आस उनकी बहू और पोती है, जोकि अब उनसे दूर चली गई। परिवार का आरोप है कि बहू सरकार से मिलने वाली राशि, घर-मकान समेत अन्य लाभ अपने नाम करवा कर मायके चली गई। कई माह बीत जाने के बाद वह वापस नहीं लौटी। यहां तक कि उसने और उसके परिवार वालों ने बातचीत तक करनी बंद कर दी। जिसके बाद मां-बाप ने हरियाणा पंचायत मंत्री एवं पानीपत ग्रामीण विधानसभा से विधायक महीपाल ढांडा के जरिए सीएम नायब सिंह सैनी से गुहार लगाई है। जिसमें उन्होंने सरकारी नौकरी उनकी बहू को न दिए जाने समेत अन्य मांग रखी है। सीएम ने उचित फैसला लिए जाने का आश्वासन दिया है। आखिरी चेक पर साइन करवा कर चली गई बहू
दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में शहीद की मां कमला ने बताया कि 13 सितंबर 2023 को उनका इकलौता बेटा मेजर आशीष धौंचक (36) जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गया था। बेटे की शहादत के बाद से बहू ज्योति ने अपने तेवर बदल लिए थे। जब तक सरकार की ओर से निर्धारित पूरी राशि नहीं मिली वह बहुत प्यार से बात करती थी। आखिर चेक आने पर उसने घर से जाने का प्लान बना लिया था। शहादत के कुछ समय बाद ही उसने जींद स्थित अपने मायका में 7 दिन जाने की बात कही थी। इसके बाद वह अपनी ढाई साल की बेटी वामिनी को लेकर घर से चली गई और वापस नहीं लौटी। 30 तोला सोना भी ले गई ज्योति
ज्योति से जब भी बात करते हैं, वह कभी भी वापस न आने की बात कहती है। उसके मां-बाप से बात की तो उन्होंने भी बात करने से मना कर दिया। इतना ही नहीं पंचायती, सामाजिक तौर पर भी उन्होंने किसी भी तरह की बात करने से मना कर दिया। मां ने कहा कि ज्योति जाते समय घर से 30 तोला सोना भी ले गई है। इसके अलावा फरीदपुर टीडीआई में नवनिर्मित मकान, जोकि आधा आशीष के नाम था वह भी अपने नाम करवा गई। जाते हुए उसने घर के ऊपर वाले हिस्से में ताला लगा दिया था। उन्होंने कहा कि वह सरकार से मांग करती हैं कि उनकी बहू ज्योति को सरकारी नौकरी देने का जो प्रस्ताव मंजूर हुआ था, वह नामंजूर किया जाए। क्योंकि ज्योति उनके साथ नहीं रहती है। वह इस नौकरी को अपनी बेटी को दिलवाना चाहती है। क्योंकि बेटी ही उनकी सेवा कर रही है। ये बात पॉलिसी में भी लिखा है कि जिसे नौकरी दी जाएगी, अगर वह मां-बाप की केयर नहीं करेगा/करेगी, तो उसकी नौकरी को मां-बाप के कहने पर नामंजूर किया जाएगा। इसके अलावा मां ने यह भी कहा कि भारतीय सेना की ओर से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली है। वह अपने कैंटीन कार्ड बनवाने के लिए भी जद्दोजहद कर रही हैं। सेना से कई बार संपर्क किया। सेना की ओर से उन्हें मेडिकल सुविधा भी नहीं दी गई। पंचायत मंत्री ने CM के सामने उठाया मामला
इस मामले को पंचायत मंत्री महीपाल ढांडा ने मुख्यमंत्री नायब सैनी के सामने रखा। उन्होंने कहा कि कि हमारे बिंझौल गांव का रहने वाला शहीद मेजर धौंचक का परिवार भटक गया है। उसकी पत्नी ज्योति ने तेहरवीं रस्म भी नहीं होने दी थी और वह चली गई। वह अपना तमाम हिस्सा ले गई। घर पर भी आकर वह ताला लगा गई। उसकी नौकरी का हरियाणा सरकार ने प्रस्ताव मंजूर कर लिया है, लेकिन अब जब वह यहां है नहीं तो उसकी जगह पर आशीष की बहन को नौकरी दी जाए। शहीद के नाम पर एक पार्क, स्टैच्यू और सरकारी भवन का नाम दिया जाने की भी घोषणा की थी। हमारी मांग है कि पानीपत के बस स्टैंड का नामकरण शहीद मेजर आशीष धौंचक के नाम पर हो। जिस परिवार का बेटा शहीद हुआ था, उसके मां-बाप दर-दर भटकने को मजबूर हैं, उनके साथ न्याय किया जाए। 3 बहनों के इकलौते भाई थे मेजर, चचेरा भाई भी मेजर
मेजर आशीष 3 बहनों के इकलौते भाई थे। उनकी तीनों बहनें अंजू, सुमन और ममता शादीशुदा हैं। उनकी मां कमला गृहिणी और पिता लालचंद NFL से सेवामुक्त हुए हैं। उनके चाचा का बेटा विकास भी भारतीय सेना में मेजर हैं। लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे, प्रमोट होकर मेजर बने
आशीष ने केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई की थी। 12वीं के बाद उन्होंने बरवाला के कॉलेज से बीटेक इलेक्ट्रॉनिक की। इसके बाद वह एमटेक कर रहे थे। इसका एक साल पूरा हुआ था कि 25 साल की उम्र में 2012 में भारतीय सेना में बतौर लेफ्टिनेंट भर्ती हुए थे। इसके बाद वह बठिंडा, बारामूला और मेरठ में तैनात रहे। 2018 में प्रमोट होकर मेजर बन गए। ढाई साल पहले उन्हें मेरठ से राजौरी में पोस्टिंग मिली। जिसके बाद वह परिवार को साथ नहीं ले गए। उन्होंने पानीपत के सेक्टर 7 में मकान लिया और उन्हें यहां छोड़ दिया। सरकार ने ये किया था ऐलान
पूर्व सीएम मनोहर लाल ने शहीद मेजर आशीष धौंचक के नाम पर टीडीआई में पार्क और पैतृक गांव बिंझौल में स्वागत द्वार बनाने की बात कही थी। साथ ही शहीद परिवार को सरकार की तरफ से 50 लाख रुपए नकद और पत्नी ज्योति को योग्यता अनुसार सरकारी नौकरी दिए जाने का ऐलान किया था। ये खबर भी पढ़ें… शहीद मेजर आशीष का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार:मेजर भाई ने मुखाग्नि दी; अंतिम यात्रा में हाथ जोड़े रहीं मां, बहन करती रही सैल्यूट कश्मीर के अनंतनाग में 13 सितंबर को आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद मेजर आशीष धौंचक (36) का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बिंझौल में हुआ। उन्हें चचेरे भाई मेजर विकास ने मुखाग्नि दी। इससे पहले सिख रेजीमेंट के जवानों ने उन्हें गन सैल्यूट दिया। शहीद मेजर की अंतिम यात्रा पानीपत TDI सिटी से 14 किमी दूर उनके गांव बिंझौल पहुंची। यात्रा के साथ एक किलोमीटर लंबे काफिले में करीब 10 हजार लोग शामिल हुए। सड़क के दोनों तरफ खड़े लोगों ने आशीष की पार्थिव देह पर फूल बरसाकर उन्हें विदा किया। (पूरी खबर पढ़ें)