यूपी में 20 जून को आ सकता है मानसून:8 साल में सिर्फ 1 बार टाइम पर आया; पिछले साल से 15-20% ज्यादा होगी बारिश

यूपी में 20 जून को आ सकता है मानसून:8 साल में सिर्फ 1 बार टाइम पर आया; पिछले साल से 15-20% ज्यादा होगी बारिश

मानसून केरल में इस बार तय समय 1 जून से से 4 दिन पहले पहुंच सकता है। मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मानसून 27 मई को केरल तट से टकराएगा। IMD ने बताया कि 1 जून को केरल पहुंचने के बाद मानसून 8 जुलाई तक अन्य राज्यों को कवर करता है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसका असर यूपी में भी दिखेगा। प्रदेश में तय डेट 18 जून से सिर्फ 2 दिन की देरी हो सकती है। इस बार अनुमान है कि 20 जून को मानसून सोनभद्र के रास्ते पूर्वांचल में दस्तक देगा। हालांकि, पिछली बार भी 20 जून को मानसून आने की संभावना जताई गई थी। लेकिन, यह 10 दिन की देरी से आया था। जबकि, केरल में तय डेट से दो दिन पहले 30 मई को एंट्री कर गया था। केरल में एंट्री के बाद यूपी आने में 15 से 30 दिन का समय लगता है
यह जरूरी नहीं कि केरल में 4 दिन पहले मानसून की एंट्री होगी, तो यूपी में भी पहले मानसून आ जाएगा। पिछले 5 साल के आंकड़े इसी ओर इशारा कर रहे हैं। जैसे- 2021 में 3 जून को मानसून केरल में एंट्री कर गया था, लेकिन यूपी में 15 दिन बाद आया। इसी तरह 2024 में 30 मई को केरल आया, लेकिन यूपी में आने में 28 दिन लग गए। जबकि, केरल और यूपी में मानसून की एंट्री की तय डेट में सिर्फ 18 दिन का अंतर है। पिछले साल से ज्यादा बारिश की संभावना
अर्थ एंड साइंस मिनिस्ट्री के सेक्रेटरी एम रविचंद्रन ने कहा- जून से सितंबर के दौरान सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है। बीएचयू के मौसम वैज्ञानिक मनोज श्रीवास्तव कहते हैं- यूपी में इस साल मानसून के दौरान बारिश अच्छी होगी। पिछले मानसून सीजन से करीब 15-20 फीसदी ज्यादा पानी बरसने के आसार हैं। मानसून सीजन के दौरान हर साल औसतन बारिश 947 मिमी. बारिश होती है। पिछले साल औसत के करीब ही बारिश हुई थी। आमतौर पर 96 से 104 फीसदी बारिश को सामान्य माना जाता है। 90 फीसदी से कम बारिश को सामान्य से बहुत कम, 90 से 95 फीसदी के बीच सामान्य से कम, 104 से 110 फीसदी के बीच सामान्य से ज्यादा और 110 फीसदी से ज्यादा बारिश बहुत ज्यादा माना जाता है। पिछली बार बुंदेलखंड के रास्ते मानसून आया था
यूपी में मानसून हमेशा सोनभद्र जिले के रास्ते दस्तक देता रहा है। लेकिन, पिछले साल बुंदेलखंड के ललितपुर के रास्ते मानसून की एंट्री हुई थी। इसकी वजह बंगाल की खाड़ी से उठा मानसून पश्चिम बंगाल और बिहार के बॉर्डर पर अटका रहा था। इससे जून में 41% कम बारिश हुई। 1 से 29 जून तक 53.1 मिमी बारिश हुई, जबकि 89.1 मिमी बारिश होनी थी। अगर मानसून समय से पहले केरल आता है, तो क्या यूपी में भी ऐसा होगा? IMD के एक अधिकारी कहते हैं- मानसून के दौरान देश भर में होने वाली कुल बारिश और शुरुआत की तारीख के बीच कोई सीधा संबंध नहीं। केरल में जल्दी या देर से आने वाले मानसून का मतलब यह नहीं कि देश के अन्य हिस्सों को भी उसी तरह कवर करेगा। BHU के मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञान प्रकाश सिंह कहते हैं- मानसून की चाल हवा और प्रेशर पर डिपेंड करती है। इस बार मौसम में कई तरह के बदलाव देखे गए, इसलिए अभी कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा। इसलिए मानसून के पहुंचने में होती है देरी
मानसून को आगे बढ़ाने के लिए हवाओं की गति बेहद अनुकूल होनी चाहिए। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं जम्मू-कश्मीर तक जाती हैं। अगर राजस्थान, थार मरुस्थल की तरफ से आने वाली हवाएं ज्यादा तेज होती हैं, तो इसकी वजह से मानसून आगे नहीं बढ़ पाता। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं ही मानसून को आगे बढ़ाती हैं। अरब सागर में अगर कोई साइक्लोन आ जाता है, तो मानसून की हवाओं की गति और तेजी से आगे बढ़ने लगती है। 8 साल में एक बार छोड़कर कभी मानसून समय पर नहीं आया
मौसम विभाग के मुताबिक, यूपी में मानसून की एंट्री की डेट 18 जून है। लेकिन, बीते 8 साल में कभी भी मानसून ने तय तारीख पर यूपी में एंट्री नहीं की। पिछले साल 10 दिन की देरी से मानसून आया था। यूपी में कृषि से लेकर उत्सव तक का सीजन है मानसून
मानसून गड़बड़ करे, तो पूरे देश की थाली में चावल का हिसाब गड़बड़ा सकता है। पश्चिम बंगाल के बाद यूपी चावल उगाने वाला दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। देश में कुल चावल का करीब 12 फीसदी यहीं उगता है। लेकिन, धान की बुआई और रोपाई के लिए पानी चाहिए। उस पानी की आपूर्ति मानसून करता है। सामान्य से कम बारिश का सीधा असर खरीफ की फसलों पर पड़ता है। इसके अलावा पेयजल के लिए हम अब भी ग्राउंड वाटर पर निर्भर हैं। मानसून की बारिश से यह रिचार्ज होता है। इसी तरह प्रदेश की 31 नदियों के लिए मानसून बूस्टर का काम करता है। डैम से लेकर छोटे तालाब, कुएं, नहरें इस मानसून की बारिश पर निर्भर रहते हैं। इन सबके अलावा यूपी मानसून कजरी-लोकगीत के लिए जाना जाता है। इसे सिर्फ सावन के महीने में गाया जाता है। माना जाता है कि इसकी शुरुआत पूर्वी उत्तर प्रदेश का मिर्जापुर जिला से हुई थी। कजरी गाने के लिए बनारस घराना मशहूर है। कजरी की महान गायिका गिरिजा देवी इसी घराने से जुड़ी थीं। यूपी का 11% हिस्सा बाढ़ प्रभावित रहता है
उत्तर प्रदेश स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के मुताबिक, सूबे में हर साल करीब 27 लाख हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित होती है। पूरे यूपी के रकबे की बात करें, तो यह 240.93 लाख हेक्टेयर है। यानी कुल क्षेत्रफल का 11 फीसदी बाढ़ से प्रभावित रहता है। बारिश में अमूमन प्रदेश में करीब 20 से 25 जिले बाढ़ की चपेट में आते हैं। इन जिलों में बाढ़ से प्रभावित गांवों की संख्या सैकड़ों में होती है। इससे प्रभावित होने वाली आबादी लाखों में है। ज्यादा बारिश की वजह से जो नदियां बाढ़ के लिए जिम्मेदार बनती हैं, उनमें गंगा, यमुना, रामगंगा, गोमती, शारदा, घाघरा, राप्ती और गंडक शामिल हैं। इन नदियों के आस-पास आने वाले क्षेत्रों में 73.06 लाख हेक्टेयर ऐसा है, जहां बाढ़ आने की संभावना रहती है। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के मुताबिक, इसमें से सिर्फ 58.72 लाख हेक्टेयर एरिया को ही सुरक्षित बनाया जा सका है। डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की मानें तो पूर्वांचल के जिले बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसमें भी जो जिले नेपाल बॉर्डर के साथ लगे हैं, वहां खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इस बाढ़ से हर साल करीब 430 करोड़ रुपए से ऊपर की फसलों और घरों का नुकसान होता है। ———————— यह खबर भी पढ़ें यूपी में चकाचक सड़क के लिए मंगा लिए 6 करोड़, बाबू बोला- मैं फंसा तो सबको घसीटूंगा; खुफिया वीडियो में पूरा खुलासा एशियन डेवलपमेंट बैंक की चकाचक सड़क को खराब बताकर 6 करोड़ रुपए मंजूर कराए। लोक निर्माण विभाग (PWD) के अफसर-इंजीनियर्स और बाबू इस 6 करोड़ रुपए को लूट पाते, उसके पहले इनमें ही फूट पड़ गई। जानिए कैसे 6 करोड़ लूटने की तैयारी थी… मानसून केरल में इस बार तय समय 1 जून से से 4 दिन पहले पहुंच सकता है। मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मानसून 27 मई को केरल तट से टकराएगा। IMD ने बताया कि 1 जून को केरल पहुंचने के बाद मानसून 8 जुलाई तक अन्य राज्यों को कवर करता है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसका असर यूपी में भी दिखेगा। प्रदेश में तय डेट 18 जून से सिर्फ 2 दिन की देरी हो सकती है। इस बार अनुमान है कि 20 जून को मानसून सोनभद्र के रास्ते पूर्वांचल में दस्तक देगा। हालांकि, पिछली बार भी 20 जून को मानसून आने की संभावना जताई गई थी। लेकिन, यह 10 दिन की देरी से आया था। जबकि, केरल में तय डेट से दो दिन पहले 30 मई को एंट्री कर गया था। केरल में एंट्री के बाद यूपी आने में 15 से 30 दिन का समय लगता है
यह जरूरी नहीं कि केरल में 4 दिन पहले मानसून की एंट्री होगी, तो यूपी में भी पहले मानसून आ जाएगा। पिछले 5 साल के आंकड़े इसी ओर इशारा कर रहे हैं। जैसे- 2021 में 3 जून को मानसून केरल में एंट्री कर गया था, लेकिन यूपी में 15 दिन बाद आया। इसी तरह 2024 में 30 मई को केरल आया, लेकिन यूपी में आने में 28 दिन लग गए। जबकि, केरल और यूपी में मानसून की एंट्री की तय डेट में सिर्फ 18 दिन का अंतर है। पिछले साल से ज्यादा बारिश की संभावना
अर्थ एंड साइंस मिनिस्ट्री के सेक्रेटरी एम रविचंद्रन ने कहा- जून से सितंबर के दौरान सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है। बीएचयू के मौसम वैज्ञानिक मनोज श्रीवास्तव कहते हैं- यूपी में इस साल मानसून के दौरान बारिश अच्छी होगी। पिछले मानसून सीजन से करीब 15-20 फीसदी ज्यादा पानी बरसने के आसार हैं। मानसून सीजन के दौरान हर साल औसतन बारिश 947 मिमी. बारिश होती है। पिछले साल औसत के करीब ही बारिश हुई थी। आमतौर पर 96 से 104 फीसदी बारिश को सामान्य माना जाता है। 90 फीसदी से कम बारिश को सामान्य से बहुत कम, 90 से 95 फीसदी के बीच सामान्य से कम, 104 से 110 फीसदी के बीच सामान्य से ज्यादा और 110 फीसदी से ज्यादा बारिश बहुत ज्यादा माना जाता है। पिछली बार बुंदेलखंड के रास्ते मानसून आया था
यूपी में मानसून हमेशा सोनभद्र जिले के रास्ते दस्तक देता रहा है। लेकिन, पिछले साल बुंदेलखंड के ललितपुर के रास्ते मानसून की एंट्री हुई थी। इसकी वजह बंगाल की खाड़ी से उठा मानसून पश्चिम बंगाल और बिहार के बॉर्डर पर अटका रहा था। इससे जून में 41% कम बारिश हुई। 1 से 29 जून तक 53.1 मिमी बारिश हुई, जबकि 89.1 मिमी बारिश होनी थी। अगर मानसून समय से पहले केरल आता है, तो क्या यूपी में भी ऐसा होगा? IMD के एक अधिकारी कहते हैं- मानसून के दौरान देश भर में होने वाली कुल बारिश और शुरुआत की तारीख के बीच कोई सीधा संबंध नहीं। केरल में जल्दी या देर से आने वाले मानसून का मतलब यह नहीं कि देश के अन्य हिस्सों को भी उसी तरह कवर करेगा। BHU के मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञान प्रकाश सिंह कहते हैं- मानसून की चाल हवा और प्रेशर पर डिपेंड करती है। इस बार मौसम में कई तरह के बदलाव देखे गए, इसलिए अभी कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा। इसलिए मानसून के पहुंचने में होती है देरी
मानसून को आगे बढ़ाने के लिए हवाओं की गति बेहद अनुकूल होनी चाहिए। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं जम्मू-कश्मीर तक जाती हैं। अगर राजस्थान, थार मरुस्थल की तरफ से आने वाली हवाएं ज्यादा तेज होती हैं, तो इसकी वजह से मानसून आगे नहीं बढ़ पाता। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं ही मानसून को आगे बढ़ाती हैं। अरब सागर में अगर कोई साइक्लोन आ जाता है, तो मानसून की हवाओं की गति और तेजी से आगे बढ़ने लगती है। 8 साल में एक बार छोड़कर कभी मानसून समय पर नहीं आया
मौसम विभाग के मुताबिक, यूपी में मानसून की एंट्री की डेट 18 जून है। लेकिन, बीते 8 साल में कभी भी मानसून ने तय तारीख पर यूपी में एंट्री नहीं की। पिछले साल 10 दिन की देरी से मानसून आया था। यूपी में कृषि से लेकर उत्सव तक का सीजन है मानसून
मानसून गड़बड़ करे, तो पूरे देश की थाली में चावल का हिसाब गड़बड़ा सकता है। पश्चिम बंगाल के बाद यूपी चावल उगाने वाला दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। देश में कुल चावल का करीब 12 फीसदी यहीं उगता है। लेकिन, धान की बुआई और रोपाई के लिए पानी चाहिए। उस पानी की आपूर्ति मानसून करता है। सामान्य से कम बारिश का सीधा असर खरीफ की फसलों पर पड़ता है। इसके अलावा पेयजल के लिए हम अब भी ग्राउंड वाटर पर निर्भर हैं। मानसून की बारिश से यह रिचार्ज होता है। इसी तरह प्रदेश की 31 नदियों के लिए मानसून बूस्टर का काम करता है। डैम से लेकर छोटे तालाब, कुएं, नहरें इस मानसून की बारिश पर निर्भर रहते हैं। इन सबके अलावा यूपी मानसून कजरी-लोकगीत के लिए जाना जाता है। इसे सिर्फ सावन के महीने में गाया जाता है। माना जाता है कि इसकी शुरुआत पूर्वी उत्तर प्रदेश का मिर्जापुर जिला से हुई थी। कजरी गाने के लिए बनारस घराना मशहूर है। कजरी की महान गायिका गिरिजा देवी इसी घराने से जुड़ी थीं। यूपी का 11% हिस्सा बाढ़ प्रभावित रहता है
उत्तर प्रदेश स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के मुताबिक, सूबे में हर साल करीब 27 लाख हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित होती है। पूरे यूपी के रकबे की बात करें, तो यह 240.93 लाख हेक्टेयर है। यानी कुल क्षेत्रफल का 11 फीसदी बाढ़ से प्रभावित रहता है। बारिश में अमूमन प्रदेश में करीब 20 से 25 जिले बाढ़ की चपेट में आते हैं। इन जिलों में बाढ़ से प्रभावित गांवों की संख्या सैकड़ों में होती है। इससे प्रभावित होने वाली आबादी लाखों में है। ज्यादा बारिश की वजह से जो नदियां बाढ़ के लिए जिम्मेदार बनती हैं, उनमें गंगा, यमुना, रामगंगा, गोमती, शारदा, घाघरा, राप्ती और गंडक शामिल हैं। इन नदियों के आस-पास आने वाले क्षेत्रों में 73.06 लाख हेक्टेयर ऐसा है, जहां बाढ़ आने की संभावना रहती है। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के मुताबिक, इसमें से सिर्फ 58.72 लाख हेक्टेयर एरिया को ही सुरक्षित बनाया जा सका है। डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की मानें तो पूर्वांचल के जिले बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसमें भी जो जिले नेपाल बॉर्डर के साथ लगे हैं, वहां खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इस बाढ़ से हर साल करीब 430 करोड़ रुपए से ऊपर की फसलों और घरों का नुकसान होता है। ———————— यह खबर भी पढ़ें यूपी में चकाचक सड़क के लिए मंगा लिए 6 करोड़, बाबू बोला- मैं फंसा तो सबको घसीटूंगा; खुफिया वीडियो में पूरा खुलासा एशियन डेवलपमेंट बैंक की चकाचक सड़क को खराब बताकर 6 करोड़ रुपए मंजूर कराए। लोक निर्माण विभाग (PWD) के अफसर-इंजीनियर्स और बाबू इस 6 करोड़ रुपए को लूट पाते, उसके पहले इनमें ही फूट पड़ गई। जानिए कैसे 6 करोड़ लूटने की तैयारी थी…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर