करनाल में मंत्री के सामने उठा मंडी सिलाई घोटाला मामला:गंगवा बोले- जांच के बाद होगी कार्रवाई; एसडीएम ने DFSC से मांगा हिसाब

करनाल में मंत्री के सामने उठा मंडी सिलाई घोटाला मामला:गंगवा बोले- जांच के बाद होगी कार्रवाई; एसडीएम ने DFSC से मांगा हिसाब

करनाल की नई अनाज मंडी में बोरियों की सिलाई में घोटाले का मामला जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में कैबिनेट मिनिस्टर रणबीर गंगवा के सामने भी उठा। हालांकि गंगवा ने भरोसा जरूर दिलाया है कि सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है और किसी भी घोटाले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और घोटालेबाजों के खिलाफ सरकार सख्त एक्शन लेगी। मामला सुर्खियों में आने के बाद करनाल के SDM अनुभव मेहता ने भी इसकी गहनता से जांच की बात कही है। उन्होंने डीएफएसी की ओर से जारी की गई राशि की रिपोर्ट मांगी है। एसडीएम की माने तो रिपोर्ट की पड़ताल करने के बाद आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। जानें क्या है पूरा मामला, प्रति कट्‌टा 1 रुपए 12 पैसे का झोल मंडी में आढ़तियों ने सरकार से प्रति कट्टा सिलाई के लिए 2 रुपए 12 पैसे लिए, लेकिन मजदूरों को और ठेकेदारों को महज एक रुपया प्रति कट्टा दिया गया। करनाल मंडी में अब तक करीब 26 लाख कट्टों की सिलाई हो चुकी है। ऐसे में लाखों रुपए का घोटाला सामने आया है। आरोप है कि मंडी प्रधान और आढ़तियों की आपसी “एडजस्टमेंट” से पैसा डकार लिया गया। इससे करनाल में सरकार की जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी की धज्जियां उड़ी। सिर्फ एक रुपए में सिलाई और सब कुछ हमारा सिलाई का ठेका करने वाले चंद्रवली यादव ने बताया था कि करनाल मंडी में अब तक 30 लाख कट्टों की आवक हुई है। इनमें से 26 लाख से अधिक कट्टों की सिलाई हो चुकी है। इस काम के लिए उन्होंने लगभग 100 कर्मचारियों को लगाया और 120 सिलाई मशीनें लेकर आए। चंद्रवली का कहना है कि एक कट्टे की सिलाई का रेट एक रुपया दिया गया, जबकि सारा मटेरियल – धागा, मशीन और लेबर उनकी ओर से था। उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक उन्हें सिर्फ सात से आठ लाख रुपए ही मिले हैं, बाकी पैसे लेने के लिए वह चक्कर काट रहे हैं। मंडी प्रधान की कार्यप्रणाली पर सवाल चंद्रवली ने यह भी खुलासा किया था कि मंडी में जब ठेका मिलता है, तो आढ़तियों की पंचायत होती है, जिसमें 5-7 ठेकेदार हिस्सा लेते हैं। इनमें बोली लगती है और मंडी एसोसिएशन प्रधान सुरेंद्र त्यागी का इसमें मुख्य रोल होता है। वही तय करते हैं कि किसे ठेका देना है और कितना रेट देना है। प्रधान बोले- बचा पैसा आढ़ती के पास ही जाता है मंडी प्रधान सुरेंद्र त्यागी से इसको लेकर बातचीत की गई तो उन्होंने यह माना था कि सरकार से तो 2 रुपए 12 पैसे प्रति कट्टा मिलते हैं। ठेकेदार को सिर्फ एक रुपया क्यों दिया गया, तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। 2.12 रुपए में से एक रुपया दिया गया तो बचा हुआ पैसा कहां गया, तो मंडी प्रधान ने जवाब दिया कि वह पैसा सरकार के पास नहीं जाता, बल्कि आढ़ती के पास ही आता है और वही उसे रखता है। कम से कम में छोड़ा जाता है ठेका ​​​​​​​ठेकेदार चंद्रवली यादव ने यह भी खुलासा किया था कि मजदूरों को काम देने के लिए हमें ही रेट कम करने पड़ते हैं। हम सोचते हैं कि मजदूर आदमी है, खाली बैठेगा तो क्या खाएगा, इसलिए जैसे-तैसे काम करवा रहे हैं। लेकिन इस व्यवस्था में असली नुकसान तो मजदूरों और ठेकेदारों का ही हो रहा है। करनाल की नई अनाज मंडी में बोरियों की सिलाई में घोटाले का मामला जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में कैबिनेट मिनिस्टर रणबीर गंगवा के सामने भी उठा। हालांकि गंगवा ने भरोसा जरूर दिलाया है कि सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है और किसी भी घोटाले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और घोटालेबाजों के खिलाफ सरकार सख्त एक्शन लेगी। मामला सुर्खियों में आने के बाद करनाल के SDM अनुभव मेहता ने भी इसकी गहनता से जांच की बात कही है। उन्होंने डीएफएसी की ओर से जारी की गई राशि की रिपोर्ट मांगी है। एसडीएम की माने तो रिपोर्ट की पड़ताल करने के बाद आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। जानें क्या है पूरा मामला, प्रति कट्‌टा 1 रुपए 12 पैसे का झोल मंडी में आढ़तियों ने सरकार से प्रति कट्टा सिलाई के लिए 2 रुपए 12 पैसे लिए, लेकिन मजदूरों को और ठेकेदारों को महज एक रुपया प्रति कट्टा दिया गया। करनाल मंडी में अब तक करीब 26 लाख कट्टों की सिलाई हो चुकी है। ऐसे में लाखों रुपए का घोटाला सामने आया है। आरोप है कि मंडी प्रधान और आढ़तियों की आपसी “एडजस्टमेंट” से पैसा डकार लिया गया। इससे करनाल में सरकार की जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी की धज्जियां उड़ी। सिर्फ एक रुपए में सिलाई और सब कुछ हमारा सिलाई का ठेका करने वाले चंद्रवली यादव ने बताया था कि करनाल मंडी में अब तक 30 लाख कट्टों की आवक हुई है। इनमें से 26 लाख से अधिक कट्टों की सिलाई हो चुकी है। इस काम के लिए उन्होंने लगभग 100 कर्मचारियों को लगाया और 120 सिलाई मशीनें लेकर आए। चंद्रवली का कहना है कि एक कट्टे की सिलाई का रेट एक रुपया दिया गया, जबकि सारा मटेरियल – धागा, मशीन और लेबर उनकी ओर से था। उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक उन्हें सिर्फ सात से आठ लाख रुपए ही मिले हैं, बाकी पैसे लेने के लिए वह चक्कर काट रहे हैं। मंडी प्रधान की कार्यप्रणाली पर सवाल चंद्रवली ने यह भी खुलासा किया था कि मंडी में जब ठेका मिलता है, तो आढ़तियों की पंचायत होती है, जिसमें 5-7 ठेकेदार हिस्सा लेते हैं। इनमें बोली लगती है और मंडी एसोसिएशन प्रधान सुरेंद्र त्यागी का इसमें मुख्य रोल होता है। वही तय करते हैं कि किसे ठेका देना है और कितना रेट देना है। प्रधान बोले- बचा पैसा आढ़ती के पास ही जाता है मंडी प्रधान सुरेंद्र त्यागी से इसको लेकर बातचीत की गई तो उन्होंने यह माना था कि सरकार से तो 2 रुपए 12 पैसे प्रति कट्टा मिलते हैं। ठेकेदार को सिर्फ एक रुपया क्यों दिया गया, तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। 2.12 रुपए में से एक रुपया दिया गया तो बचा हुआ पैसा कहां गया, तो मंडी प्रधान ने जवाब दिया कि वह पैसा सरकार के पास नहीं जाता, बल्कि आढ़ती के पास ही आता है और वही उसे रखता है। कम से कम में छोड़ा जाता है ठेका ​​​​​​​ठेकेदार चंद्रवली यादव ने यह भी खुलासा किया था कि मजदूरों को काम देने के लिए हमें ही रेट कम करने पड़ते हैं। हम सोचते हैं कि मजदूर आदमी है, खाली बैठेगा तो क्या खाएगा, इसलिए जैसे-तैसे काम करवा रहे हैं। लेकिन इस व्यवस्था में असली नुकसान तो मजदूरों और ठेकेदारों का ही हो रहा है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर