बुलंदियों पर पहुंचना कोई कमाल नहीं, बुलंदियों पर ठहरना कमाल होता है… किसी शायर का यह शेर 2002 बैच की महिला आईपीएस अफसर अपर्णा कुमार पर बिल्कुल सटीक बैठता है। अपर्णा दुनिया के सातों महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटियों और साउथ पोल को फतह करने वाली दुनिया की इकलौती अफसर हैं। अपर्णा कुमार ने एवरेस्ट से लेकर दुनिया की हर चोटी पर देश का तिरंगा फहराया। यूपी पुलिस का झंडा गाड़ा। अपर्णा कुमार इस वक्त लखनऊ में आईजी मानवाधिकार के पद पर तैनात हैं। उनका अगला लक्ष्य नार्थ पोल है। दैनिक भास्कर एप की स्पेशल सीरीज खाकी वर्दी में आज महिला IPS अफसर की कहानी 7 चैप्टर में पढ़िए… कर्नाटक के शिमोगा शहर में 30 अगस्त 1974 काे एचएन शिवराज के घर में एक बेटी ने जन्म लिया। मां एस अश्वनी ने बेटी का नाम रखा अपर्णा। अपर्णा 9 साल की ही थीं कि उनके पिता उनका साथ छोड़ गए। मां अश्वनी बैंगलुरू के विक्टोरिया हास्पिटल में सुपरिटेंडेंट ऑफ नर्स थीं। मां ने अपर्णा की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी। बैंगलुरू और मैसूर में स्कूलिंग हुई। अपर्णा कुमार ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (NLSIU), बेंगलुरु से बीए, एलएलबी (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की। 1999 में उनका सिलेक्शन नेशनल प्रेस्टीजियस इंटीग्रेटेड लॉ कोर्स के लिए हो गया। यहां से निकलने के बाद अपर्णा ने इंफोसिस की लीगल टीम में जॉइन किया और यहीं से वो सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गईं। अपर्णा कुमार ने 2002 में पहले प्रयास में ही यूपीएससी क्वालिफाई किया। उन्हें यूपी में आईपीएस कैडर मिल गया। 2002 में मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में 72वें फाउंडेशन कोर्स में पॉलिटिकल कॉन्सेप्ट और भारतीय संविधान में सर्वोच्च अंक (60 में 54) प्राप्त कर डायरेक्टर गोल्ड मेडल जीता। वह LBSNAA और सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (SVPNPA) में सर्वश्रेष्ठ एथलीट रहीं। उन्होंने अनआर्म्ड कॉम्बैट में पहली पोजिशन हासिल की। मसूरी में प्रशिक्षण के दौरान अपर्णा की मुलाकात बिहार के रहने वाले संजय से हुई। संजय ने भी UPSC क्वालिफाई किया था। तीन साल की सर्विस पूरी करने के बाद संजय और अपर्णा विवाह के बंधन में बंध गए। हैदराबाद नेशनल पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग पूरी हुई तो अपर्णा की पोस्टिंग बतौर सहायक पुलिस अधीक्षक के तौर पर 29 दिसंबर 2003 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुई। 25 फरवरी 2006 तक उनकी तैनाती इसी जिले में रही। अपर्णा कुमार को 25 फरवरी को पहली बार हमीरपुर जिले की कमान सौंपी गई। मगर पांच महीने बाद ही उन्हें लखनऊ में इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर में तैनाती दे दी गई। 2007 में यूपी विधानसभा के चुनाव हुए। प्रदेश में बसपा की सरकार बनी। इसके बाद अपर्णा को इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर से हटाकर संत कबीर नगर का पुलिस कप्तान बना दिया गया। उन्होंने चित्रकूट, सीतापुर और फिरोजाबाद जैसे जिलों की कमान भी संभाली। 17 फरवरी 2013 को फिरोजाबाद से अपर्णा का तबादला 9वीं बटालियन पीएसी मुरादाबाद हो गया। फिरोजाबाद से पीएसी मुरादाबाद ट्रांसफर अपर्णा के जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। उस समय मुरादाबाद में ही इनके पति संजय कुमार बतौर जिलाधिकारी तैनात थे। 2013 में मुरादाबाद की 9वीं बटालियन PAC के कमांडेंट के रूप में उनकी बटालियन को सर्वश्रेष्ठ बटालियन का पुरस्कार मिला। 2016 में DIG (टेक्निकल सर्विसेज) और बाद में ITBP (उत्तरी सीमा, देहरादून) में DIG के रूप में काम किया। 2020 में वह ITBP अकादमी, मसूरी की निदेशक बनीं। मुरादाबाद की जिस बटालियन में अपर्णा का ट्रांसफर हुआ, वह बटालियन कभी भारत-चीन सीमा की चौकसी करती थी। इसके पास बर्फीले पहाड़ों पर दुश्मन से लड़ने के उपकरणों का भंडार था। मसूरी में ट्रेनिंग के दौरान हिमालय की ट्रैकिंग और बटालियन में पर्वतारोहण के उपकरणों ने अपर्णा के मन में एक जिज्ञासा जगा दी। इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि मुझे पर्वतारोही भी बनना है। अपर्णा ने पर्वतारोही बनने की ख्वाहिश पर पति से चर्चा की। फिर एक महीने की छुट्टी लेकर हिमाचल प्रदेश के मनाली में अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट आफ माउंटेनियरिंग एंड अलाइड स्पोर्ट्स से एक महीने का कोर्स किया। इस कोर्स ने उनके जीवन की तस्वीर ही बदल दी। 2013 में ही उन्होंने लद्दाख के स्टोक कांगड़ी (20,182 फीट) को फतह किया। वह ऐसा करने वाली पहली अखिल भारतीय सेवा अधिकारी बन गईं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। अपर्णा कुमार ने 2014 में एडवांस माउंटेनियरिंग का कोर्स पूरा किया और ए+ ग्रेड हासिल की। इस जज्बे ने उन्हें बड़े अभियानों के लिए तैयार किया। अपर्णा ने सात महाद्वीप के सबसे ऊंचे शिखर को फतह करने की ठानी। यह हर पर्वतारोही का सपना होता है। अपर्णा ने इस चुनौती को स्वीकार किया और फिर नहीं रुकीं। माउंट किलिमंजारो (अफ्रीका, 2014) अपर्णा ने अगस्त 2014 में तंजानिया के माउंट किलिमंजारो (5,895 मीटर) को फतह किया, जो अफ्रीका का सबसे ऊंचा शिखर है। यह सेवन समिट्स में सबसे कम चुनौतीपूर्ण माना जाता है। मगर रोज 20 किमी की ट्रेकिंग के बाद शिखर पर पहुंचकर उन्होंने भारत और यूपी पुलिस का झंडा फहराकर इतिहास रचा। कार्स्टेन्स पिरामिड (इंडोनेशिया, 2014) नवंबर 2014 में अपर्णा ने इंडोनेशिया के पश्चिम पापुआ प्रांत में स्थित कार्स्टेन्स पिरामिड (4,884 मीटर) को फतह किया, जो ऑस्ट्रेलिया-ओशिनिया क्षेत्र का सबसे ऊंचा शिखर है। यह चढ़ाई तकनीकी रूप से बेहद कठिन थी। इसके लिए अपर्णा को खड़ी चट्टानों और दुर्गम रास्तों से गुजरना पड़ा। माउंट अकोंकागुआ (दक्षिण अमेरिका, 2015) जनवरी 2015 में अपर्णा ने अर्जेंटीना के माउंट अकोंकागुआ (6,962 मीटर) को फतह किया, जो दक्षिण अमेरिका का सबसे ऊंचा शिखर है। 19 घंटे की लंबी उड़ान और जेट लैग के बाद शुरू हुआ यह 20-दिवसीय अभियान -35 डिग्री तापमान और कम ऑक्सीजन स्तर के बीच चुनौतीपूर्ण था। माउंट एल्ब्रुस (यूरोप, 2015) अगस्त 2015 में रूस के माउंट एल्ब्रुस (5,642 मीटर) को फतह कर अपर्णा ने यूरोप के सबसे ऊंचे शिखर पर तिरंगा और यूपी पुलिस का झंडा फहराया। नेपाल में भूकंप के कारण एवरेस्ट अभियान रद्द होने के बाद यह सफलता उनके लिए विशेष थी। माउंट विन्सन मासिफ (अंटार्कटिका, 2016) अपर्णा ने जनवरी 2016 में अंटार्कटिका के माउंट विन्सन मासिफ (4,892 मीटर) को फतह किया। -40 डिग्री तापमान और 100-120 किमी/घंटा की बर्फीली हवाओं के बीच 30 किलो का स्लेज खींचना एक बड़ी चुनौती थी। इस अभियान में अपर्णा ने पांच किलो वजन कम किया और हल्का फ्रॉस्टबाइट भी झेला। माउंट डेनाली (उत्तर अमेरिका, 2019) उत्तर अमेरिका की माउंट डेनाली पर चढ़ाई में अपर्णा 2017 और 2018 में खराब मौसम के कारण असफल रहीं। मगर उन्होंने हार नहीं मानी। अपर्णा ने जून 2019 में अलास्का के माउंट डेनाली (6,190 मीटर) को फतह कर सेवन समिट्स की चुनौती पूरी की। यह उनकी दृढ़ता का प्रतीक था। माउंट एवरेस्ट (2016) माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर) को फतह करना हर पर्वतारोही का अंतिम सपना होता है। अपर्णा ने 2014 और 2015 में हिमस्खलन और भूकंप के कारण असफल प्रयासों के बाद 2016 में तीसरे प्रयास में इसे हासिल किया। 9 अप्रैल 2016 को शुरू हुआ यह अभियान 45 दिनों तक चला, जिसमें -45 डिग्री तापमान, 150 किमी/घंटा की हवाओं और फ्रॉस्ट बाइट का सामना करना पड़ा। 21 मई 2016 को सुबह 11:02 बजे (IST) अपर्णा कुमार ने शिखर पर कदम रखा। वह पहली महिला आईपीएस अफसर बनीं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। चीन की ओर से उत्तरी मार्ग पर चढ़ाई के दौरान उन्होंने 13.5 किलो वजन कम किया और सनबर्न जकड़न का सामना किया। बुद्ध पूर्णिमा के दिन हुई यह चढ़ाई उनके लिए ईश्वरीय आशीर्वाद जैसी थी। सैटेलाइट फोन से पति संजय को दी गई सूचना ने परिवार और दोस्तों में खुशी की लहर दौड़ा दी। अगला टारगेट एक्सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम अपर्णा कुमार ने सेवन समिट्स पूरा करने के बाद ‘एक्सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम’ का लक्ष्य रखा, जिसमें सात शिखरों के अलावा उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव की यात्रा शामिल है। जनवरी 2019 में उन्होंने 111 मील की बर्फीली ट्रेकिंग कर दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर भारत और आईटीबीपी का झंडा फहराया। वह पहली आईपीएस अधिकारी बनीं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। महिला IPS KE उत्तरी ध्रुव का लक्ष्य पिछले पांच सालों से रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अधूरा है। अपर्णा को दो बार नॉर्वे से लौटना पड़ा, लेकिन उनका संकल्प अटल है। इस उपलब्धि के साथ वह विश्व के उन चुनिंदा लोगों में शामिल हो जाएंगी, जिन्होंने यह दुर्लभ सम्मान हासिल किया। IPS बोलीं- अनुशासित प्रशिक्षण से मिली सक्सेस अपर्णा कहती हैं कि मेरी सफलता के पीछे कठिन मेहनत और अनुशासित प्रशिक्षण है। सुबह 4:30 बजे शुरू होने वाला उनका दिन केडी सिंह बाबू स्टेडियम में सहनशक्ति और वजन प्रशिक्षण से भरा होता था। सामाजिक समारोहों और पारिवारिक आयोजनों को त्यागकर उन्होंने अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखा। महिला IPS के पति संजय कुमार मौजूदा समय में डीजी पब्लिक इंटरप्राइज के पद पर तैनात हैं। उनके दो बच्चे हैं। बड़ी बेटी स्पंदना भारद्वाज यूएस की पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर रही है। बेटा नील कंठ भारद्वाज लखनऊ में सीएमएस में 10वीं में पढ़ाई कर रहा है। अचीवमेंट्स दैनिक भास्कर एप की ‘खाकी वर्दी’ सीरीज की यह स्टोरी भी पढ़ें… 58 बदमाश ढेर करने वाले IPS अशोक शुक्ला, रामपुर में आजम खान पर एक्शन लिया, सबसे ज्यादा वाराणसी में किए एनकाउंटर IPS अशोक कुमार शुक्ला, यूपी पुलिस फोर्स में वह अफसर, जिनके नाम से अपराधी थर-थर कांपते नजर आए। 35 साल की सर्विस में IPS अफसर का सिद्धांत नो कंप्रोमाइज का रहा। वो जहां भी तैनात रहे, अपराधियों पर कहर बनकर टूटे। 90 के दशक में सपा सांसद के खिलाफ छापेमारी करते ही उनका नाम सुर्खियों में आ गया। पूरी खबर पढ़ें बुलंदियों पर पहुंचना कोई कमाल नहीं, बुलंदियों पर ठहरना कमाल होता है… किसी शायर का यह शेर 2002 बैच की महिला आईपीएस अफसर अपर्णा कुमार पर बिल्कुल सटीक बैठता है। अपर्णा दुनिया के सातों महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटियों और साउथ पोल को फतह करने वाली दुनिया की इकलौती अफसर हैं। अपर्णा कुमार ने एवरेस्ट से लेकर दुनिया की हर चोटी पर देश का तिरंगा फहराया। यूपी पुलिस का झंडा गाड़ा। अपर्णा कुमार इस वक्त लखनऊ में आईजी मानवाधिकार के पद पर तैनात हैं। उनका अगला लक्ष्य नार्थ पोल है। दैनिक भास्कर एप की स्पेशल सीरीज खाकी वर्दी में आज महिला IPS अफसर की कहानी 7 चैप्टर में पढ़िए… कर्नाटक के शिमोगा शहर में 30 अगस्त 1974 काे एचएन शिवराज के घर में एक बेटी ने जन्म लिया। मां एस अश्वनी ने बेटी का नाम रखा अपर्णा। अपर्णा 9 साल की ही थीं कि उनके पिता उनका साथ छोड़ गए। मां अश्वनी बैंगलुरू के विक्टोरिया हास्पिटल में सुपरिटेंडेंट ऑफ नर्स थीं। मां ने अपर्णा की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी। बैंगलुरू और मैसूर में स्कूलिंग हुई। अपर्णा कुमार ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (NLSIU), बेंगलुरु से बीए, एलएलबी (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की। 1999 में उनका सिलेक्शन नेशनल प्रेस्टीजियस इंटीग्रेटेड लॉ कोर्स के लिए हो गया। यहां से निकलने के बाद अपर्णा ने इंफोसिस की लीगल टीम में जॉइन किया और यहीं से वो सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गईं। अपर्णा कुमार ने 2002 में पहले प्रयास में ही यूपीएससी क्वालिफाई किया। उन्हें यूपी में आईपीएस कैडर मिल गया। 2002 में मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में 72वें फाउंडेशन कोर्स में पॉलिटिकल कॉन्सेप्ट और भारतीय संविधान में सर्वोच्च अंक (60 में 54) प्राप्त कर डायरेक्टर गोल्ड मेडल जीता। वह LBSNAA और सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (SVPNPA) में सर्वश्रेष्ठ एथलीट रहीं। उन्होंने अनआर्म्ड कॉम्बैट में पहली पोजिशन हासिल की। मसूरी में प्रशिक्षण के दौरान अपर्णा की मुलाकात बिहार के रहने वाले संजय से हुई। संजय ने भी UPSC क्वालिफाई किया था। तीन साल की सर्विस पूरी करने के बाद संजय और अपर्णा विवाह के बंधन में बंध गए। हैदराबाद नेशनल पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग पूरी हुई तो अपर्णा की पोस्टिंग बतौर सहायक पुलिस अधीक्षक के तौर पर 29 दिसंबर 2003 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुई। 25 फरवरी 2006 तक उनकी तैनाती इसी जिले में रही। अपर्णा कुमार को 25 फरवरी को पहली बार हमीरपुर जिले की कमान सौंपी गई। मगर पांच महीने बाद ही उन्हें लखनऊ में इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर में तैनाती दे दी गई। 2007 में यूपी विधानसभा के चुनाव हुए। प्रदेश में बसपा की सरकार बनी। इसके बाद अपर्णा को इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर से हटाकर संत कबीर नगर का पुलिस कप्तान बना दिया गया। उन्होंने चित्रकूट, सीतापुर और फिरोजाबाद जैसे जिलों की कमान भी संभाली। 17 फरवरी 2013 को फिरोजाबाद से अपर्णा का तबादला 9वीं बटालियन पीएसी मुरादाबाद हो गया। फिरोजाबाद से पीएसी मुरादाबाद ट्रांसफर अपर्णा के जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। उस समय मुरादाबाद में ही इनके पति संजय कुमार बतौर जिलाधिकारी तैनात थे। 2013 में मुरादाबाद की 9वीं बटालियन PAC के कमांडेंट के रूप में उनकी बटालियन को सर्वश्रेष्ठ बटालियन का पुरस्कार मिला। 2016 में DIG (टेक्निकल सर्विसेज) और बाद में ITBP (उत्तरी सीमा, देहरादून) में DIG के रूप में काम किया। 2020 में वह ITBP अकादमी, मसूरी की निदेशक बनीं। मुरादाबाद की जिस बटालियन में अपर्णा का ट्रांसफर हुआ, वह बटालियन कभी भारत-चीन सीमा की चौकसी करती थी। इसके पास बर्फीले पहाड़ों पर दुश्मन से लड़ने के उपकरणों का भंडार था। मसूरी में ट्रेनिंग के दौरान हिमालय की ट्रैकिंग और बटालियन में पर्वतारोहण के उपकरणों ने अपर्णा के मन में एक जिज्ञासा जगा दी। इसके बाद उन्होंने ठान लिया कि मुझे पर्वतारोही भी बनना है। अपर्णा ने पर्वतारोही बनने की ख्वाहिश पर पति से चर्चा की। फिर एक महीने की छुट्टी लेकर हिमाचल प्रदेश के मनाली में अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट आफ माउंटेनियरिंग एंड अलाइड स्पोर्ट्स से एक महीने का कोर्स किया। इस कोर्स ने उनके जीवन की तस्वीर ही बदल दी। 2013 में ही उन्होंने लद्दाख के स्टोक कांगड़ी (20,182 फीट) को फतह किया। वह ऐसा करने वाली पहली अखिल भारतीय सेवा अधिकारी बन गईं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। अपर्णा कुमार ने 2014 में एडवांस माउंटेनियरिंग का कोर्स पूरा किया और ए+ ग्रेड हासिल की। इस जज्बे ने उन्हें बड़े अभियानों के लिए तैयार किया। अपर्णा ने सात महाद्वीप के सबसे ऊंचे शिखर को फतह करने की ठानी। यह हर पर्वतारोही का सपना होता है। अपर्णा ने इस चुनौती को स्वीकार किया और फिर नहीं रुकीं। माउंट किलिमंजारो (अफ्रीका, 2014) अपर्णा ने अगस्त 2014 में तंजानिया के माउंट किलिमंजारो (5,895 मीटर) को फतह किया, जो अफ्रीका का सबसे ऊंचा शिखर है। यह सेवन समिट्स में सबसे कम चुनौतीपूर्ण माना जाता है। मगर रोज 20 किमी की ट्रेकिंग के बाद शिखर पर पहुंचकर उन्होंने भारत और यूपी पुलिस का झंडा फहराकर इतिहास रचा। कार्स्टेन्स पिरामिड (इंडोनेशिया, 2014) नवंबर 2014 में अपर्णा ने इंडोनेशिया के पश्चिम पापुआ प्रांत में स्थित कार्स्टेन्स पिरामिड (4,884 मीटर) को फतह किया, जो ऑस्ट्रेलिया-ओशिनिया क्षेत्र का सबसे ऊंचा शिखर है। यह चढ़ाई तकनीकी रूप से बेहद कठिन थी। इसके लिए अपर्णा को खड़ी चट्टानों और दुर्गम रास्तों से गुजरना पड़ा। माउंट अकोंकागुआ (दक्षिण अमेरिका, 2015) जनवरी 2015 में अपर्णा ने अर्जेंटीना के माउंट अकोंकागुआ (6,962 मीटर) को फतह किया, जो दक्षिण अमेरिका का सबसे ऊंचा शिखर है। 19 घंटे की लंबी उड़ान और जेट लैग के बाद शुरू हुआ यह 20-दिवसीय अभियान -35 डिग्री तापमान और कम ऑक्सीजन स्तर के बीच चुनौतीपूर्ण था। माउंट एल्ब्रुस (यूरोप, 2015) अगस्त 2015 में रूस के माउंट एल्ब्रुस (5,642 मीटर) को फतह कर अपर्णा ने यूरोप के सबसे ऊंचे शिखर पर तिरंगा और यूपी पुलिस का झंडा फहराया। नेपाल में भूकंप के कारण एवरेस्ट अभियान रद्द होने के बाद यह सफलता उनके लिए विशेष थी। माउंट विन्सन मासिफ (अंटार्कटिका, 2016) अपर्णा ने जनवरी 2016 में अंटार्कटिका के माउंट विन्सन मासिफ (4,892 मीटर) को फतह किया। -40 डिग्री तापमान और 100-120 किमी/घंटा की बर्फीली हवाओं के बीच 30 किलो का स्लेज खींचना एक बड़ी चुनौती थी। इस अभियान में अपर्णा ने पांच किलो वजन कम किया और हल्का फ्रॉस्टबाइट भी झेला। माउंट डेनाली (उत्तर अमेरिका, 2019) उत्तर अमेरिका की माउंट डेनाली पर चढ़ाई में अपर्णा 2017 और 2018 में खराब मौसम के कारण असफल रहीं। मगर उन्होंने हार नहीं मानी। अपर्णा ने जून 2019 में अलास्का के माउंट डेनाली (6,190 मीटर) को फतह कर सेवन समिट्स की चुनौती पूरी की। यह उनकी दृढ़ता का प्रतीक था। माउंट एवरेस्ट (2016) माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर) को फतह करना हर पर्वतारोही का अंतिम सपना होता है। अपर्णा ने 2014 और 2015 में हिमस्खलन और भूकंप के कारण असफल प्रयासों के बाद 2016 में तीसरे प्रयास में इसे हासिल किया। 9 अप्रैल 2016 को शुरू हुआ यह अभियान 45 दिनों तक चला, जिसमें -45 डिग्री तापमान, 150 किमी/घंटा की हवाओं और फ्रॉस्ट बाइट का सामना करना पड़ा। 21 मई 2016 को सुबह 11:02 बजे (IST) अपर्णा कुमार ने शिखर पर कदम रखा। वह पहली महिला आईपीएस अफसर बनीं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। चीन की ओर से उत्तरी मार्ग पर चढ़ाई के दौरान उन्होंने 13.5 किलो वजन कम किया और सनबर्न जकड़न का सामना किया। बुद्ध पूर्णिमा के दिन हुई यह चढ़ाई उनके लिए ईश्वरीय आशीर्वाद जैसी थी। सैटेलाइट फोन से पति संजय को दी गई सूचना ने परिवार और दोस्तों में खुशी की लहर दौड़ा दी। अगला टारगेट एक्सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम अपर्णा कुमार ने सेवन समिट्स पूरा करने के बाद ‘एक्सप्लोरर्स ग्रैंड स्लैम’ का लक्ष्य रखा, जिसमें सात शिखरों के अलावा उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव की यात्रा शामिल है। जनवरी 2019 में उन्होंने 111 मील की बर्फीली ट्रेकिंग कर दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर भारत और आईटीबीपी का झंडा फहराया। वह पहली आईपीएस अधिकारी बनीं, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की। महिला IPS KE उत्तरी ध्रुव का लक्ष्य पिछले पांच सालों से रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अधूरा है। अपर्णा को दो बार नॉर्वे से लौटना पड़ा, लेकिन उनका संकल्प अटल है। इस उपलब्धि के साथ वह विश्व के उन चुनिंदा लोगों में शामिल हो जाएंगी, जिन्होंने यह दुर्लभ सम्मान हासिल किया। IPS बोलीं- अनुशासित प्रशिक्षण से मिली सक्सेस अपर्णा कहती हैं कि मेरी सफलता के पीछे कठिन मेहनत और अनुशासित प्रशिक्षण है। सुबह 4:30 बजे शुरू होने वाला उनका दिन केडी सिंह बाबू स्टेडियम में सहनशक्ति और वजन प्रशिक्षण से भरा होता था। सामाजिक समारोहों और पारिवारिक आयोजनों को त्यागकर उन्होंने अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखा। महिला IPS के पति संजय कुमार मौजूदा समय में डीजी पब्लिक इंटरप्राइज के पद पर तैनात हैं। उनके दो बच्चे हैं। बड़ी बेटी स्पंदना भारद्वाज यूएस की पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर रही है। बेटा नील कंठ भारद्वाज लखनऊ में सीएमएस में 10वीं में पढ़ाई कर रहा है। अचीवमेंट्स दैनिक भास्कर एप की ‘खाकी वर्दी’ सीरीज की यह स्टोरी भी पढ़ें… 58 बदमाश ढेर करने वाले IPS अशोक शुक्ला, रामपुर में आजम खान पर एक्शन लिया, सबसे ज्यादा वाराणसी में किए एनकाउंटर IPS अशोक कुमार शुक्ला, यूपी पुलिस फोर्स में वह अफसर, जिनके नाम से अपराधी थर-थर कांपते नजर आए। 35 साल की सर्विस में IPS अफसर का सिद्धांत नो कंप्रोमाइज का रहा। वो जहां भी तैनात रहे, अपराधियों पर कहर बनकर टूटे। 90 के दशक में सपा सांसद के खिलाफ छापेमारी करते ही उनका नाम सुर्खियों में आ गया। पूरी खबर पढ़ें उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
दुनिया की हर चोटी पर तिरंगा फहराने वाली IPS:फर्स्ट अटैंप्ट में सिलेक्ट हुईं, 9 साल की उम्र में पिता का साथ छूटा
