आगरा में मगरमच्छ से नदी में भिड़ने वाले की आपबीती:हाथ खाया तो लड़ गया, लगातार मुंह पर मुक्के मारे..तब जाकर बची जान

आगरा में मगरमच्छ से नदी में भिड़ने वाले की आपबीती:हाथ खाया तो लड़ गया, लगातार मुंह पर मुक्के मारे..तब जाकर बची जान

‘मगरमच्छ ने पीठ पर हमला किया। मैं घबरा गया। मैं भागने की कोशिश करने लगा। मगरमच्छ ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मेरा आधा सिर उसके जबड़े में था, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। खुद को पूरी ताकत से आगे की तरफ खींचा। फिर मगरमच्छ के मुंह में लगातार 2 से 3 मिनट तक मुक्के मारता रहा। उसकी पकड़ कमजोर पड़ गई। मैंने खुद को उसकी पकड़ से छुड़ाया और पल भर में तैरकर बाहर निकल गया।’ यह कहना है आगरा के 18 साल के करन कुमार का, जिसे 13 मई को चंबल नदी में नहाते समय मगरमच्छ ने पकड़ लिया था। घटना में मगरमच्छ ने उसके हाथ का मांस खा लिया था। पैर और सिर पर भी हमला किया था। करन अभी अस्पताल में भर्ती है। उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। दैनिक भास्कर टीम ने करन से बातचीत की।घटना के वक्त उनके दिमाग में क्या चल रहा था? किस तरह मगरमच्छ के चंगुल से बचे? यह सबकुछ जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… मगरमच्छ ने अचानक हमला किया, मैं घबरा गया करन ने बताया- 13 मई को सुबह 9 बजे मैं चंबल नदी के कैंजरा घाट पर नहाने पहुंचा। मैं नहा रहा था, तभी अचानक मगरमच्छ ने पीठ पर हमला किया। मैं बिल्कुल घबरा गया। उसने मेरा पैर अपने मुंह में दबोच लिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं।उसके दांत काफी नुकीले थे। मेरे पैर से खून निकलने लगा। फिर उसका अटैक बढ़ता चला गया। मैं चिल्लाने लगा। वहां मौजूद लोग कहने लगे – ‘बचाओ… बचाओ,’ लेकिन कोई पास आने की हिम्मत नहीं कर सका। मगरमच्छ ने दोबारा मेरे हाथ पर हमला कर दिया और मांस का एक टुकड़ा उखाड़ लिया। मैं दर्द से चीखने लगा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी मैं दर्द से चीखने लगा। मेरे हाथ से लगातार खून बह रहा था। मगरमच्छ की पकड़ और मजबूत हो रही थी, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। मैं उल्टी दिशा में घूमा। फिर पैर पर जोर लगाया। लगातार 2 से 3 मिनट तक दाएं हाथ से मगरमच्छ के मुंह पर घूंसे मारता रहा। इससे उसकी पकड़ ढीली पड़ने लगी। उस दिन मैं मौत से लड़कर आया था एक समय ऐसा आया कि उसके जबड़े से मेरा हाथ बाहर आ गया। मैंने छलांग लगाई और किनारे पर पहुंच गया। इसके बाद वहां मौजूद लोग मुझे अस्पताल लेकर पहुंचे। मेरे घरवालों को सूचना दी। उस दिन मैं सच में मौत से लड़कर आया था। मैंने 400 मीटर दौड़ में दो गोल्ड मेडल जीते हैं 2 साल पहले मैंने इंटर पास किया। इसके बाद से रोज दौड़ने की प्रैक्टिस करता हूं। मैंने 4-5 रेस में भाग लिया था। 400 मीटर दौड़ में दो गोल्ड मेडल भी जीते हैं। चोट की वजह से डॉक्टर ने कुछ दिन आराम करने के लिए कहा है। इसके बाद मैं फिर से प्रैक्टिस शुरू करूंगा। ——————————- ये खबर भी पढ़िए- 500 करोड़ के बांके बिहारी कॉरिडोर को SC की मंजूरी:पैसा मंदिर के खजाने से लिया जाएगा, भगवान के नाम पर होगी जमीन बांके बिहारी मंदिर के खजाने से कॉरिडोर बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दे दी। अब 5 एकड़ में भव्य कॉरिडोर बनाया जाएगा। कोर्ट ने यूपी सरकार को मंदिर के 500 करोड़ रुपए से कॉरिडोर के लिए मंदिर के पास 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की इजाजत दी। साथ ही शर्त लगाई कि अधिगृहीत भूमि भगवान के नाम पर पंजीकृत होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को भी संशोधित किया। पढ़ें पूरी खबर ‘मगरमच्छ ने पीठ पर हमला किया। मैं घबरा गया। मैं भागने की कोशिश करने लगा। मगरमच्छ ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मेरा आधा सिर उसके जबड़े में था, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। खुद को पूरी ताकत से आगे की तरफ खींचा। फिर मगरमच्छ के मुंह में लगातार 2 से 3 मिनट तक मुक्के मारता रहा। उसकी पकड़ कमजोर पड़ गई। मैंने खुद को उसकी पकड़ से छुड़ाया और पल भर में तैरकर बाहर निकल गया।’ यह कहना है आगरा के 18 साल के करन कुमार का, जिसे 13 मई को चंबल नदी में नहाते समय मगरमच्छ ने पकड़ लिया था। घटना में मगरमच्छ ने उसके हाथ का मांस खा लिया था। पैर और सिर पर भी हमला किया था। करन अभी अस्पताल में भर्ती है। उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। दैनिक भास्कर टीम ने करन से बातचीत की।घटना के वक्त उनके दिमाग में क्या चल रहा था? किस तरह मगरमच्छ के चंगुल से बचे? यह सबकुछ जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… मगरमच्छ ने अचानक हमला किया, मैं घबरा गया करन ने बताया- 13 मई को सुबह 9 बजे मैं चंबल नदी के कैंजरा घाट पर नहाने पहुंचा। मैं नहा रहा था, तभी अचानक मगरमच्छ ने पीठ पर हमला किया। मैं बिल्कुल घबरा गया। उसने मेरा पैर अपने मुंह में दबोच लिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं।उसके दांत काफी नुकीले थे। मेरे पैर से खून निकलने लगा। फिर उसका अटैक बढ़ता चला गया। मैं चिल्लाने लगा। वहां मौजूद लोग कहने लगे – ‘बचाओ… बचाओ,’ लेकिन कोई पास आने की हिम्मत नहीं कर सका। मगरमच्छ ने दोबारा मेरे हाथ पर हमला कर दिया और मांस का एक टुकड़ा उखाड़ लिया। मैं दर्द से चीखने लगा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी मैं दर्द से चीखने लगा। मेरे हाथ से लगातार खून बह रहा था। मगरमच्छ की पकड़ और मजबूत हो रही थी, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। मैं उल्टी दिशा में घूमा। फिर पैर पर जोर लगाया। लगातार 2 से 3 मिनट तक दाएं हाथ से मगरमच्छ के मुंह पर घूंसे मारता रहा। इससे उसकी पकड़ ढीली पड़ने लगी। उस दिन मैं मौत से लड़कर आया था एक समय ऐसा आया कि उसके जबड़े से मेरा हाथ बाहर आ गया। मैंने छलांग लगाई और किनारे पर पहुंच गया। इसके बाद वहां मौजूद लोग मुझे अस्पताल लेकर पहुंचे। मेरे घरवालों को सूचना दी। उस दिन मैं सच में मौत से लड़कर आया था। मैंने 400 मीटर दौड़ में दो गोल्ड मेडल जीते हैं 2 साल पहले मैंने इंटर पास किया। इसके बाद से रोज दौड़ने की प्रैक्टिस करता हूं। मैंने 4-5 रेस में भाग लिया था। 400 मीटर दौड़ में दो गोल्ड मेडल भी जीते हैं। चोट की वजह से डॉक्टर ने कुछ दिन आराम करने के लिए कहा है। इसके बाद मैं फिर से प्रैक्टिस शुरू करूंगा। ——————————- ये खबर भी पढ़िए- 500 करोड़ के बांके बिहारी कॉरिडोर को SC की मंजूरी:पैसा मंदिर के खजाने से लिया जाएगा, भगवान के नाम पर होगी जमीन बांके बिहारी मंदिर के खजाने से कॉरिडोर बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दे दी। अब 5 एकड़ में भव्य कॉरिडोर बनाया जाएगा। कोर्ट ने यूपी सरकार को मंदिर के 500 करोड़ रुपए से कॉरिडोर के लिए मंदिर के पास 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की इजाजत दी। साथ ही शर्त लगाई कि अधिगृहीत भूमि भगवान के नाम पर पंजीकृत होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को भी संशोधित किया। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर