कैथल में गांव खाली कराने को लेकर आज बैठक:प्रशासन से मिलेंगे ग्रामीण, 206 परिवारों को नोटिस, महिला की हुई मौत

कैथल में गांव खाली कराने को लेकर आज बैठक:प्रशासन से मिलेंगे ग्रामीण, 206 परिवारों को नोटिस, महिला की हुई मौत

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा गांव पोलड़ को खाली करने के आदेशों के विरोध में ग्रामीण आज कैथल में बैठक करेंगे। बैठक में आदेशों के विरोध में आगामी रणनीति बनाई जाएगी। इस दौरान ग्रामीण प्रशासनिक अधिकारियों से मिलने की योजना भी बनाएंगे। इस संबंध में ग्रामीणों ने कहा है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे न्यायपालिका का भी सहारा लेंगे। गौरतलब है कि एएसआई ने ग्रामीणों को कोर्ट का नोटिस भेजकर जल्द से जल्द गांव खाली करने की बात कही है। इसके चलते गांव में तनाव का माहौल है। एएसआई इस गांव की खुदाई करना चाहता है। इसके आसपास पहले भी कई बार खुदाई हो चुकी है। अब एएसआई को वहां खुदाई करनी है जहां घर बने हुए हैं। दरअसल विभाग को लगता है कि गांव में कई ऐतिहासिक चीजें मिल सकती हैं, क्योंकि यह जमीन रावण की जन्मस्थली और उसके दादा की तपस्थली है। यहां मिलने वाली चीजों को संरक्षित रखना जरूरी है। कोर्ट का आदेश सुनते ही महिला को पड़ा दिल का दौरा इधर, ASI की ओर से दिए गए कोर्ट के आदेश के बाद गांव में रविवार को एक महिला की मौत हो गई। ग्रामीणों के अनुसार, गांव को खाली करने का नोटिस मिलने के बाद अलसुबह हार्ट अटैक आया था, जिससे उसने दम तोड़ दिया। ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक से अपील की है कि उन्हें बेघर होने से बचाया जाए। गांव कैथल-पटियाला रोड पर सीवन कस्बे के पास स्थित है। ग्रामीणों ने बताया है कि उनके पास गुरुवार को नोटिस आया था कि गांव खाली कर दिया जाए। गांव में कुल 206 घर हैं। सभी को गांव छोड़ने के लिए बोला गया है। इससे महेंद्र सिंह की पत्नी गुरमीत कौर (65) तनाव में आ गई। रविवार सुबह करीब 3 बजे गुरमीत कौर को दिल का दौरा पड़ गया, जिससे उनकी मौत हो गई। इसके बाद गांव के लोग इकट्‌ठा होकर गुहला के विधायक देवेंद्र हंस के पास पहुंचे। उनसे मांग की है कि इस कार्रवाई को रोका जाए और लोगों की जमीनें बचाई जाएं। गांव के बाहर यह नहर है, जिसे गांव वाले सरस्वती नदी मानते हैं। उनकी मान्यता है कि इसकी के तट पर पुलस्त्य मुनि ने तपस्या की थी। रावण के पूर्वजों का आश्रम ग्रामीण श्रवण कुमार, दिलबाग सिंह, सुनील सिंह और जगजीत सिंह बताते हैं कि ASI ने गांव में अब तक 3 बार खुदाई की है। उनके बुजुर्ग बताते हैं कि सबसे पहले गांव में साल 1833 में खुदाई हुई थी। तब कुछ भी बरामद नहीं हुआ था। इसके बाद 1960 के आसपास और अंतिम बार साल 2013 में खुदाई की गई थी। तीनों ही बार में कुछ नहीं मिला। गांववालों का कहना है कि आज भी यहां आश्रम है जो रावण के पूर्वजों का बताया जाता है। ASI बताता है कि यह उसकी जमीन है। जबकि, लोग यहां पार्टीशन के समय से रह रहे हैं। अब ASI यहां से निकालने के नोटिस तो दे रहा है, लेकिन लोगों को बसाने की कहीं व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें 15 मई से नोटिस मिलने लगे थे। जिस महिला की मौत हुई है, उसके यहां भी 15 मई को नोटिस आया था। उसके बाद से ही वह मानसिक रूप से परेशान थी। अब आज उसकी मौत हो गई। गांव वाले उसका अंतिम संस्कार कर आ गए हैं। लोग बताते हैं कि यह पहला मौका नहीं जब ASI ने गांव वालों को गांव खाली करने के नोटिस भेजे हैं। इस प्रकार के नोटिस साल 2019 में भी ASI की ओर से भेजे गए थे। हालांकि, उस समय कोरोना का वायरस हावी हो गया था, इसलिए तब लोगों पर दबाव नहीं बनाया गया। अब कुछ भी हो सकता है। गांव में मां सरस्वती का मंदिर, सरस्वती के तट पर स्थित है इतिहासकारों के अनुसार, गांव पोलड़ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह स्थल रावण के दादा पुलस्त्य मुनि की तपोस्थली रहा है। ग्रामीणों में ऐसी मान्यता है कि पुलस्त्य मुनि ने यहां सरस्वती नदी के किनारे स्थित इक्षुपति तीर्थ पर तपस्या की थी। वहीं, रावण का बचपन भी यहीं बीता था। ग्रामीणों के अनुसार, गांव में एक सरस्वती मंदिर है और सदियों पुराना एक शिवलिंग है, जिसका पुलस्त्य मुनि के काल से जुड़ाव है। इस मंदिर की देखरेख नागा साधु महंत देवीदास कर रहे हैं। वह बताते हैं कि मंदिर का निर्माण महंत राघवदास ने करवाया था। महंत देवीदास ने बताया कि महंत राघवदास को एक सपना आया था। उसके आधार पर उन्होंने यह मंदिर बनवाया। वहीं, इतिहासकार प्रोफेसर बीबी भारद्वाज बताते हैं कि यह स्थान एक नगर हुआ करता था, जो प्राकृतिक आपदा में उजड़ गया। बाद में इसे फिर से बसाया गया। तब इसका नाम ‘थेह पोलड़’ पड़ा। थेह का मतलब, वह स्थान जहां कभी कोई बस्ती रही हो। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा गांव पोलड़ को खाली करने के आदेशों के विरोध में ग्रामीण आज कैथल में बैठक करेंगे। बैठक में आदेशों के विरोध में आगामी रणनीति बनाई जाएगी। इस दौरान ग्रामीण प्रशासनिक अधिकारियों से मिलने की योजना भी बनाएंगे। इस संबंध में ग्रामीणों ने कहा है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वे न्यायपालिका का भी सहारा लेंगे। गौरतलब है कि एएसआई ने ग्रामीणों को कोर्ट का नोटिस भेजकर जल्द से जल्द गांव खाली करने की बात कही है। इसके चलते गांव में तनाव का माहौल है। एएसआई इस गांव की खुदाई करना चाहता है। इसके आसपास पहले भी कई बार खुदाई हो चुकी है। अब एएसआई को वहां खुदाई करनी है जहां घर बने हुए हैं। दरअसल विभाग को लगता है कि गांव में कई ऐतिहासिक चीजें मिल सकती हैं, क्योंकि यह जमीन रावण की जन्मस्थली और उसके दादा की तपस्थली है। यहां मिलने वाली चीजों को संरक्षित रखना जरूरी है। कोर्ट का आदेश सुनते ही महिला को पड़ा दिल का दौरा इधर, ASI की ओर से दिए गए कोर्ट के आदेश के बाद गांव में रविवार को एक महिला की मौत हो गई। ग्रामीणों के अनुसार, गांव को खाली करने का नोटिस मिलने के बाद अलसुबह हार्ट अटैक आया था, जिससे उसने दम तोड़ दिया। ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक से अपील की है कि उन्हें बेघर होने से बचाया जाए। गांव कैथल-पटियाला रोड पर सीवन कस्बे के पास स्थित है। ग्रामीणों ने बताया है कि उनके पास गुरुवार को नोटिस आया था कि गांव खाली कर दिया जाए। गांव में कुल 206 घर हैं। सभी को गांव छोड़ने के लिए बोला गया है। इससे महेंद्र सिंह की पत्नी गुरमीत कौर (65) तनाव में आ गई। रविवार सुबह करीब 3 बजे गुरमीत कौर को दिल का दौरा पड़ गया, जिससे उनकी मौत हो गई। इसके बाद गांव के लोग इकट्‌ठा होकर गुहला के विधायक देवेंद्र हंस के पास पहुंचे। उनसे मांग की है कि इस कार्रवाई को रोका जाए और लोगों की जमीनें बचाई जाएं। गांव के बाहर यह नहर है, जिसे गांव वाले सरस्वती नदी मानते हैं। उनकी मान्यता है कि इसकी के तट पर पुलस्त्य मुनि ने तपस्या की थी। रावण के पूर्वजों का आश्रम ग्रामीण श्रवण कुमार, दिलबाग सिंह, सुनील सिंह और जगजीत सिंह बताते हैं कि ASI ने गांव में अब तक 3 बार खुदाई की है। उनके बुजुर्ग बताते हैं कि सबसे पहले गांव में साल 1833 में खुदाई हुई थी। तब कुछ भी बरामद नहीं हुआ था। इसके बाद 1960 के आसपास और अंतिम बार साल 2013 में खुदाई की गई थी। तीनों ही बार में कुछ नहीं मिला। गांववालों का कहना है कि आज भी यहां आश्रम है जो रावण के पूर्वजों का बताया जाता है। ASI बताता है कि यह उसकी जमीन है। जबकि, लोग यहां पार्टीशन के समय से रह रहे हैं। अब ASI यहां से निकालने के नोटिस तो दे रहा है, लेकिन लोगों को बसाने की कहीं व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें 15 मई से नोटिस मिलने लगे थे। जिस महिला की मौत हुई है, उसके यहां भी 15 मई को नोटिस आया था। उसके बाद से ही वह मानसिक रूप से परेशान थी। अब आज उसकी मौत हो गई। गांव वाले उसका अंतिम संस्कार कर आ गए हैं। लोग बताते हैं कि यह पहला मौका नहीं जब ASI ने गांव वालों को गांव खाली करने के नोटिस भेजे हैं। इस प्रकार के नोटिस साल 2019 में भी ASI की ओर से भेजे गए थे। हालांकि, उस समय कोरोना का वायरस हावी हो गया था, इसलिए तब लोगों पर दबाव नहीं बनाया गया। अब कुछ भी हो सकता है। गांव में मां सरस्वती का मंदिर, सरस्वती के तट पर स्थित है इतिहासकारों के अनुसार, गांव पोलड़ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह स्थल रावण के दादा पुलस्त्य मुनि की तपोस्थली रहा है। ग्रामीणों में ऐसी मान्यता है कि पुलस्त्य मुनि ने यहां सरस्वती नदी के किनारे स्थित इक्षुपति तीर्थ पर तपस्या की थी। वहीं, रावण का बचपन भी यहीं बीता था। ग्रामीणों के अनुसार, गांव में एक सरस्वती मंदिर है और सदियों पुराना एक शिवलिंग है, जिसका पुलस्त्य मुनि के काल से जुड़ाव है। इस मंदिर की देखरेख नागा साधु महंत देवीदास कर रहे हैं। वह बताते हैं कि मंदिर का निर्माण महंत राघवदास ने करवाया था। महंत देवीदास ने बताया कि महंत राघवदास को एक सपना आया था। उसके आधार पर उन्होंने यह मंदिर बनवाया। वहीं, इतिहासकार प्रोफेसर बीबी भारद्वाज बताते हैं कि यह स्थान एक नगर हुआ करता था, जो प्राकृतिक आपदा में उजड़ गया। बाद में इसे फिर से बसाया गया। तब इसका नाम ‘थेह पोलड़’ पड़ा। थेह का मतलब, वह स्थान जहां कभी कोई बस्ती रही हो।   हरियाणा | दैनिक भास्कर