<p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने 16वें वित्त आयोग से हिमालयी राज्यों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की है. रावत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक विस्तृत पोस्ट साझा करते हुए स्पष्ट किया कि उत्तराखंड को ग्रीन बोनस, वन टाइम ग्रांट और विशेष वित्तीय दृष्टिकोण की सख्त आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार आज जब वित्त आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने जा रही है, तो उसे पूरे दम से राज्य के हितों की बात रखनी चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हरीश रावत ने कहा कि केंद्र सरकार और वित्त आयोग को यह समझना होगा कि हिमालयी राज्य, विशेष रूप से उत्तराखंड, देश के पर्यावरण संतुलन के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. राज्य के जंगलों से पूरे देश को ऑक्सीजन मिलती है, जल स्रोतों का संरक्षण होता है, और जैव विविधता बनी रहती है. इसके बावजूद इन राज्यों को पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाती. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2013-14 में एक हजार करोड़ रुपये की राशि हिमालयी राज्यों के लिए स्वीकृत की थी, जिसे ‘ग्रीन बोनस’ या ‘ऑक्सीजन सर्विसेज’ कहा जा सकता है, लेकिन उसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रावत ने जोर देते हुए कहा कि जब हमसे अपेक्षा की जाती है कि हम जंगलों का आवरण बनाए रखें, तो इसके लिए हमें प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिए. ग्रीन बोनस एक ऐसी राशि होनी चाहिए जो राज्यों को इस दिशा में काम करने के लिए उत्साहित करे. जलवायु परिवर्तन के इस दौर में सबसे बड़ा असर पर्वतीय राज्यों पर ही पड़ रहा है. लगातार आपदाएं, भूस्खलन, बादल फटना, बर्फबारी में असामान्यता आदि घटनाएं राज्य की अर्थव्यवस्था पर भारी असर डालती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में जो मुआवजा नीति है, उसमें सभी राज्यों के लिए एक समान मानक अपनाया गया है, जबकि हिमालयी क्षेत्रों में किसी भी तरह की क्षति की भरपाई करना मैदानी क्षेत्रों की तुलना में तीन से चार गुना अधिक खर्चीला होता है. इसलिए मुआवजा मानकों में बदलाव की आवश्यकता है. उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के लिए विशेष राष्ट्रीय दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए, जिससे इनकी अर्थव्यवस्था को संभाला जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रावत ने जताई वित्तीय स्थिति पर भी चिंता</strong><br />उन्होंने उत्तराखंड की वित्तीय स्थिति पर भी चिंता जताई. रावत ने कहा कि जब राज्य का गठन हुआ, तब उत्तर प्रदेश से वित्तीय घाटा भी साथ में मिला. कांग्रेस सरकार के समय राज्य का कर्ज लगभग 25 हजार करोड़ रुपये था, लेकिन आज यह कर्ज बढ़कर 1.20 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. यह स्थिति चिंताजनक है और इसके लिए केंद्र सरकार को हिमालयी राज्यों की वित्तीय स्थिति को देखते हुए कदम उठाने चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हरीश रावत ने वन टाइम ग्रांट की भी मांग की, जिससे उत्तराखंड जैसे राज्यों में जंगली जानवरों से खेती को बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि जंगलों से सटे क्षेत्रों में जंगली जानवरों का आतंक बढ़ता जा रहा है और इससे किसानों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है. खेती करना अब आसान नहीं रह गया है. इसलिए सरकार को चाहिए कि जंगलों की घेराबंदी के लिए एकमुश्त अनुदान राशि राज्य को दी जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रावत ने कहा कि यदि सरकार ऐसी पड़ी-पड़ी जमीन को फिर से कृषि योग्य बनाना चाहती है तो इसके लिए भी वन टाइम ग्रांट की आवश्यकता है, क्योंकि यह काम अत्यधिक धन-साध्य है. उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे स्वयं 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया को एक ई-लेटर भेजकर इन सभी सुझावों को औपचारिक रूप से प्रस्तुत करेंगे.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Uttarakhand News:</strong> उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने 16वें वित्त आयोग से हिमालयी राज्यों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की है. रावत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक विस्तृत पोस्ट साझा करते हुए स्पष्ट किया कि उत्तराखंड को ग्रीन बोनस, वन टाइम ग्रांट और विशेष वित्तीय दृष्टिकोण की सख्त आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार आज जब वित्त आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखने जा रही है, तो उसे पूरे दम से राज्य के हितों की बात रखनी चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हरीश रावत ने कहा कि केंद्र सरकार और वित्त आयोग को यह समझना होगा कि हिमालयी राज्य, विशेष रूप से उत्तराखंड, देश के पर्यावरण संतुलन के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. राज्य के जंगलों से पूरे देश को ऑक्सीजन मिलती है, जल स्रोतों का संरक्षण होता है, और जैव विविधता बनी रहती है. इसके बावजूद इन राज्यों को पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाती. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2013-14 में एक हजार करोड़ रुपये की राशि हिमालयी राज्यों के लिए स्वीकृत की थी, जिसे ‘ग्रीन बोनस’ या ‘ऑक्सीजन सर्विसेज’ कहा जा सकता है, लेकिन उसके बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रावत ने जोर देते हुए कहा कि जब हमसे अपेक्षा की जाती है कि हम जंगलों का आवरण बनाए रखें, तो इसके लिए हमें प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिए. ग्रीन बोनस एक ऐसी राशि होनी चाहिए जो राज्यों को इस दिशा में काम करने के लिए उत्साहित करे. जलवायु परिवर्तन के इस दौर में सबसे बड़ा असर पर्वतीय राज्यों पर ही पड़ रहा है. लगातार आपदाएं, भूस्खलन, बादल फटना, बर्फबारी में असामान्यता आदि घटनाएं राज्य की अर्थव्यवस्था पर भारी असर डालती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में जो मुआवजा नीति है, उसमें सभी राज्यों के लिए एक समान मानक अपनाया गया है, जबकि हिमालयी क्षेत्रों में किसी भी तरह की क्षति की भरपाई करना मैदानी क्षेत्रों की तुलना में तीन से चार गुना अधिक खर्चीला होता है. इसलिए मुआवजा मानकों में बदलाव की आवश्यकता है. उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के लिए विशेष राष्ट्रीय दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए, जिससे इनकी अर्थव्यवस्था को संभाला जा सके.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रावत ने जताई वित्तीय स्थिति पर भी चिंता</strong><br />उन्होंने उत्तराखंड की वित्तीय स्थिति पर भी चिंता जताई. रावत ने कहा कि जब राज्य का गठन हुआ, तब उत्तर प्रदेश से वित्तीय घाटा भी साथ में मिला. कांग्रेस सरकार के समय राज्य का कर्ज लगभग 25 हजार करोड़ रुपये था, लेकिन आज यह कर्ज बढ़कर 1.20 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. यह स्थिति चिंताजनक है और इसके लिए केंद्र सरकार को हिमालयी राज्यों की वित्तीय स्थिति को देखते हुए कदम उठाने चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>हरीश रावत ने वन टाइम ग्रांट की भी मांग की, जिससे उत्तराखंड जैसे राज्यों में जंगली जानवरों से खेती को बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि जंगलों से सटे क्षेत्रों में जंगली जानवरों का आतंक बढ़ता जा रहा है और इससे किसानों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है. खेती करना अब आसान नहीं रह गया है. इसलिए सरकार को चाहिए कि जंगलों की घेराबंदी के लिए एकमुश्त अनुदान राशि राज्य को दी जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रावत ने कहा कि यदि सरकार ऐसी पड़ी-पड़ी जमीन को फिर से कृषि योग्य बनाना चाहती है तो इसके लिए भी वन टाइम ग्रांट की आवश्यकता है, क्योंकि यह काम अत्यधिक धन-साध्य है. उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे स्वयं 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया को एक ई-लेटर भेजकर इन सभी सुझावों को औपचारिक रूप से प्रस्तुत करेंगे.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे का कांग्रेस नेता पर निशाना, कहा- ‘राहुल गांधी देशभक्ति से ज्यादा…’
16वें वित्त आयोग से हरीश रावत ने की बड़ी मांग, कहा- राज्य को मिले ग्रीन बोनस और वन टाइम ग्रांट
