हरियाणा लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार में साथ नहीं मिलने के कारण अब बड़े चेहरों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। हिसार से कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश (JP) के सवाल उठाए जाने के बाद हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने पलटवार किया है। उन्होंने दिल्ली में कहा है कि इस चुनाव में लोग कांग्रेस के पक्ष मे तो थे, लेकिन JP के पक्ष मे नही थे। कांग्रेस कैंडिडेट के आरोपों पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं इतना जरूर कहूंगा, कि जो दो-तीन असेंबली के हल्के हैं, जिसमें उचाना भी है ,उन्ही हलकों में जेपी को ज्यादा से ज्यादा जीत मिलेगी। नतीजों के बाद जेपी देंगे जवाब जेपी के बयान पर बीरेंद्र सिंह ने कहा कि जेपी को इस कमेंट से बचना चाहिए। हालांकि जब 4 जून को नतीजा आएगा तो इसका जवाब भी जेपी ही देंगे। उन्होंने कहा कि मैं पहले ही कहा चुका हूं, जहां मुझे बुलाया जाएगा मैं वहां जरूर जाऊंगा। कुरुक्षेत्र, सिरसा तमाम क्षेत्रों पर मैं सक्रिय रहा हूं। इसके अलावा भी यदि कोई मुझे बुलाता तो मैं वहां भी जरूर जाता। हमारे चुनाव क्षेत्र में बहुत बड़ा जनमत कांग्रेस के पक्ष में था, लेकिन यह जरूर हो सकता है कि उसे जनमत में बहुत सारे लोग कांग्रेस के पक्ष में तो थे, लेकिन जेपी के पक्ष में नहीं थे। जेपी ने क्या कहा था? हरियाणा में हिसार लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश उर्फ जेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह पर पहले ही भड़ास निकाल चुके हैं। जेपी ने हाल ही में बीरेंद्र सिंह का नाम लिए बगैर कहा था कि उचाना में धोखा देने वालों के पल्ले कुछ नहीं निकला। लोगों ने सीधे उनको वोट दिए हैं। जो इस तरह के लोग पहले घूम रहे थे, लोगों की इनकी असलियत का पला चल गया। उचाना में उनके वोटों में एक प्रतिशत भी किसी का फर्क नहीं पड़ा। यहां से शुरू हुआ दोनों के बीच विवाद जयप्रकाश ने हिसार लोकसभा से टिकट मिलने के बाद सबसे पहले बीरेंद्र सिंह को फोन कर समर्थन मांगा था। मगर, बीरेंद्र सिंह ने घर आकर मिलने की बात कही। इसके बाद जयप्रकाश ने घर मिलने का समय मांगा तो बीरेंद्र सिंह ने समर्थकों के बीच समर्थन मांगने की बात कही। जयप्रकाश उचाना मीटिंग में समर्थकों के बीच भी गए मगर फिर भी बीरेंद्र सिंह प्रचार से गायब रहे। अब मतदान खत्म होने के बाद जयप्रकाश ने बीरेंद्र सिंह पर खुलकर अपनी भड़ास निकाली है। कांग्रेस में सबसे ज्यादा गुटबाजी हिसार सीट पर दिखी हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी का सबसे ज्यादा प्रभाव हिसार लोकसभा सीट से देखने को मिला। यहां गुटबाजी इतनी चरम पर थी कि पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही केवल जेपी का प्रचार करने आए। इसके अलावा हिसार से ही बड़ी नेता कुमारी सैलजा, चौधरी बीरेंद्र सिंह, बृजेंद्र सिंह एक दिन भी प्रचार करने नहीं आए। इतना ही नहीं किरण चौधरी और रणदीप सुरजेवाला भी यहां नहीं आए। इसके अलावा इनके समर्थकों ने भी पूरे प्रचार से गायब दिखे। हरियाणा लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार में साथ नहीं मिलने के कारण अब बड़े चेहरों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। हिसार से कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश (JP) के सवाल उठाए जाने के बाद हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने पलटवार किया है। उन्होंने दिल्ली में कहा है कि इस चुनाव में लोग कांग्रेस के पक्ष मे तो थे, लेकिन JP के पक्ष मे नही थे। कांग्रेस कैंडिडेट के आरोपों पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं इतना जरूर कहूंगा, कि जो दो-तीन असेंबली के हल्के हैं, जिसमें उचाना भी है ,उन्ही हलकों में जेपी को ज्यादा से ज्यादा जीत मिलेगी। नतीजों के बाद जेपी देंगे जवाब जेपी के बयान पर बीरेंद्र सिंह ने कहा कि जेपी को इस कमेंट से बचना चाहिए। हालांकि जब 4 जून को नतीजा आएगा तो इसका जवाब भी जेपी ही देंगे। उन्होंने कहा कि मैं पहले ही कहा चुका हूं, जहां मुझे बुलाया जाएगा मैं वहां जरूर जाऊंगा। कुरुक्षेत्र, सिरसा तमाम क्षेत्रों पर मैं सक्रिय रहा हूं। इसके अलावा भी यदि कोई मुझे बुलाता तो मैं वहां भी जरूर जाता। हमारे चुनाव क्षेत्र में बहुत बड़ा जनमत कांग्रेस के पक्ष में था, लेकिन यह जरूर हो सकता है कि उसे जनमत में बहुत सारे लोग कांग्रेस के पक्ष में तो थे, लेकिन जेपी के पक्ष में नहीं थे। जेपी ने क्या कहा था? 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रोहतक में ‘सुनो नहर की पुकार’ मुहिम:प्रदूषित पानी देख आया ख्याल; थैले, खंडित मूर्तियां, पूजन सामग्री की बनाई व्यवस्था; 50-60 सदस्य सक्रिय रोहतक में ‘सुनो नहरों की पुकार’ मिशन पिछले 3 साल 2 महीने से पानी को दूषित होने से बचाने में लगा हुआ है। जिसकी शुरुआत सितंबर 2021 में हुई थी। एक व्यक्ति द्वारा शुरू की गई मुहिम से अब लोग जुड़ रहे हैं। फिलहाल 100 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं, जो नहरों को साफ रखने की इस मुहिम में सक्रिय हैं। ‘सुनो नहरों की पुकार’ मिशन के तहत नहरों में फेंके जाने वाले सामान, प्लास्टिक की थैलियां, टूटी मूर्तियां, पूजा सामग्री व अन्य सामान से पानी बचाने का काम किया जाता है। खासकर त्योहारी सीजन में ज्यादा सक्रिय रहना पड़ता है। मिशन के मुख्य संरक्षक डॉ. जसमेर हुड्डा ने बताया कि 2021 में वह दिल्ली बाईपास के पास स्थित जेएलएल व बीएसपी नहर पुल के ऊपर से गुजर रहे थे। इस दौरान उन्होंने देखा कि हर कोई नहर में प्लास्टिक की थैलियां फेंक रहा है। जिसे देखकर लगता है कि हम अपनी नहरों को गंदा कर रहे हैं। इसके बाद निर्णय लिया कि नहरों की सफाई के लिए काम किया जाए। ‘सुनो नहरों की पुकार’ के 100 से ज्यादा सदस्य इसलिए उन्होंने लोगों को समझाने की कोशिश की, लेकिन लोगों ने कहा कि यह उनकी आस्था है। इसके बाद उन्होंने रोजाना सुबह-शाम डेढ़-दो घंटे नहर पर खड़े होकर लोगों को जागरूक करना शुरू किया। शुरुआत में वे ज्यादा समय नहीं दे पाते थे। लेकिन अब उनके साथ कई लोग जुड़ गए हैं। ‘सुनो नहरों की पुकार’ के 100 से ज्यादा सदस्य हैं, जिनमें से 50-60 सदस्य सक्रिय हैं। जो अब रोजाना नहरों पर जाकर लोगों को जागरूक करते हैं कि वे नहरों में कोई भी सामग्री न डालें। अब लोग भी उनकी बात से सहमत हो रहे हैं। नहर के पानी को शुद्ध रखने के लिए तैयार किया विकल्प ‘सुनो नहरों की पुकार’ मिशन के महासचिव मुकेश नैनकवाल ने बताया कि लोगों की आस्था को देखते हुए वे नहरों के पास गड्ढा खोदते हैं। वे लोगों से अपील करते हैं कि वे अपनी आस्था की वस्तुएं इस गड्ढे में डालें। इसके बाद गड्ढे में गंगाजल डालकर ऊपर से मिट्टी डाल दी जाती है। जो खंडित मूर्तियां आती हैं, उन्हें एकत्र करके जींद जिले के दातौली धाम ले जाया जाता है। वहां पूर्णिमा के दिन हवन यज्ञ के बाद मूर्तियों को कुचलकर उनसे ईंटें बनाई जाती हैं। इन ईंटों का इस्तेमाल देश में कहीं भी बनने वाले मंदिरों में किया जाता है। इससे न तो लोगों की आस्था को ठेस पहुंचती है और न ही नहर का पानी प्रदूषित होता है। लोग पेड़-पौधों की जड़ों में भी डाल रहे सामग्री डॉ. जसमेर हुड्डा ने बताया कि इस अभियान के बाद लोगों में काफी बदलाव आया है। लोग अब पूजा सामग्री जलाकर उसकी राख को अपने घर में लगे पेड़ों की जड़ों में या पार्क में लगे पेड़-पौधों में डाल देते हैं। साथ ही मुट्ठी भर सामग्री लेकर नहरों में जाकर विसर्जित कर देते हैं। पहले लोग पूरी सामग्री नहरों में प्रवाहित करने आते थे। अब नहरों पर खड़े होकर ही नहीं बल्कि स्कूलों आदि में जाकर भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
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पलवल के श्री विश्वकर्मा विश्वविद्यालय को मिला दूसरा स्थान:स्किल यूनिवर्सिटी एनआईआरएफ रैंकिंग जारी, शिक्षक बोले- नंबर 1 की तैयारी में जुटे पलवल के श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) की स्किल यूनिवर्सिटी कैटेगरी में दूसरा रैंक हासिल कर इतिहास रच दिया है। केवल 8 साल की विकास यात्रा में इस मुकाम पर पहुंचने वाला यह पहला विश्वविद्यालय बन गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा यह रैंकिंग जारी किए जाने पर विश्वविद्यालय में जश्न का माहौल है। सभी ने इस उपलब्धि का श्रेय श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति डॉ. राज नेहरू की नेतृत्व क्षमता को दिया। उन्होंने कहा कि यह सभी शिक्षकों और गैर शिक्षक कर्मचारियों की अथक मेहनत का परिणाम है। नंबर वन रैंक के लिए तैयारी करेंगे कुलसचिव प्रो. ज्योति राणा को सभी डीन और विभागाध्यक्षों ने बधाई दी और भविष्य के लिए और बड़े लक्ष्य अर्जित करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि बहुत ही गौरवपूर्ण है। इतने कम समय में विश्वविद्यालय ने यह मुकाम हासिल किया है। यह सब शिक्षकों और कर्मचारियों की मेहनत से संभव हो पाया है। भविष्य में हम नंबर वन रैंक के लिए तैयारी करेंगे। उन्होंने कहा कि बतौर कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कौशल शिक्षा का मॉडल पूरे देश को दिया है। आज देश भर से दूसरे राज्य भी उच्च शिक्षा में कौशल के लिए श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय का अनुसरण कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में जश्न का माहौल श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के अकादमिक अधिष्ठाता प्रो. आरएस राठौड़ ने बताया कि इस रैंकिंग के लिए टीचिंग लर्निंग, रिसर्च व अकादमिक उपलब्धि सहित कई अन्य मानक बनाए गए हैं। इन सब में श्रेष्ठता प्रमाणित कर श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने यह उपलब्धि प्राप्त की है। इस अवसर पर डीन प्रो. ऋषिपाल, आशीष श्रीवास्तव, कुलवंत सिंह, ऊषा बत्रा, जॉय कुरियाकोजे, प्रो. एके वाटल, उप कुलसचिव डॉ. ललित शर्मा, चंचल भारद्वाज व अंजू मलिक, डॉ. श्रुति गुप्ता, डॉ. संजय सिंह राठौर, डॉ. समर्थ सिंह, डॉ. सविता शर्मा, निदेशक डॉ. मनी कंवर सिंह, असिस्टेंट देवेंद्र गिरी व पीआरओ डॉ. राजेश चौहान उपस्थित थे।
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