बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर मंदिर के पुजारी देवेंद्र नाथ गोस्वामी ने रिव्यू पिटिशन दाखिल की है। जज अब पिटिशन को सुनने पर सहमत हो गई है। उनके वकील सीनियर एडवोकेट अमित आनंद तिवारी ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह के सामने कहा- मंदिर के फंड को उपयोग करके 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने के फैसले में हमारा पक्ष नहीं सुना गया, इसलिए यह निर्णय एकपक्षीय है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को यूपी सरकार को वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर के फंड का उपयोग कॉरिडोर विकास के लिए करने की अनुमति दी थी। इस फंड से मंदिर के आसपास 5 एकड़ भूमि अधिग्रहण की जानी है। शर्त यह रखी गई कि अधिगृहीत भूमि देवता के नाम पर रजिस्टर होगी। मंदिर के सेवायत हैं पुजारी देवेंद्र
सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल करने वाले आवेदक देवेंद्र नाथ गोस्वामी मंदिर के पुजारी हैं। सेवायत की राजभोग सेवा से हैं। देवेंद्र नाथ गोस्वामी ने कहा है- मैं मूल संस्थापक स्वामी श्री हरि दास जी गोस्वामी के वंशज हूं और हमारा परिवार सदियों पुरानी रीति-रिवाजों के अनुसार 500 से ज्यादा वर्षों से मंदिर से जुड़ा है। देवेंद्र नाथ गोस्वामी ने अर्जी में कहा है- मंदिर के मामलों और धन के और प्रबंधन का मुद्दा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। मंदिर के कोष के उपयोग की अनुमति देते समय हमें पक्षकार नहीं बनाया गया। अब मंदिर के खजाने से कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदने का मामला समझिए… बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने के लिए प्रदेश सरकार मंदिर के खजाने की राशि से कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदना चाहती थी। लेकिन, इसका मंदिर के गोस्वामियों ने विरोध किया और मामला हाइकोर्ट पहुंच गया। हाइकोर्ट ने मंदिर के खजाने की राशि के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। इसके बाद याचिकाकर्ता ईश्वर चंद्र शर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और कॉरिडोर को लेकर याचिका दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को दिए आदेश में कहा कि मंदिर के खजाने से कॉरिडोर की जमीन खरीदने के लिए पैसा लिया जा सकेगा। सरकार को जमीन मंदिर के नाम लेनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सार्थक चतुर्वेदी ने बताया कि सरकार सिर्फ जमीन खरीदने के लिए बांके बिहारी मंदिर के खजाने से पैसा ले सकती है। 500 करोड़ रुपए से बनेगा कॉरिडोर
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होगा। यह खर्च भूमि अधिग्रहण के लिए किया जाएगा। बांके बिहारी मंदिर के खजाने में करीब 450 करोड़ रुपए हैं। इसी धनराशि से कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदी जाएगी। इस जमीन को अधिगृहीत करने में जिनके मकान और दुकान आएंगे, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। मंदिरों में अधिवक्ता नहीं बन सकेंगे रिसीवर
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिए फैसले में यह भी कहा कि मथुरा वृंदावन के मंदिरों में अब अधिवक्ता रिसीवर नहीं बन सकेंगे। एक ऐसा रिसीवर नियुक्त किया जाए जो मंदिर के प्रबंधन से जुड़ा हो, जिसका धार्मिक झुकाव हो। वह वेदों- शास्त्रों का अच्छी तरह से ज्ञान रखता हो। साथ ही वैष्णव संप्रदाय से जुड़ा हुआ हो। जिला प्रशासन और अधिवक्ताओं को मंदिर प्रबंधन से दूर रखा जाना चाहिए। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच न्यायाधीश बेला त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा ने दिया। हाईकोर्ट ने खारिज की थी यूपी सरकार की याचिका
बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण मामले में 20 नवंबर, 2023 को हाईकोर्ट ने यूपी सरकार की याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था- कॉरिडोर का निर्माण हो, लेकिन इसमें मंदिर फंड का इस्तेमाल न करें। सरकार अपने स्तर से इसका खर्च उठाए। वहीं, प्रदेश सरकार का कहना था कि अगर हम अपने खर्च से जमीन खरीदेंगे तो उस पर सरकार का मालिकाना हक होगा। इस तरह कॉरिडोर के निर्माण पर खर्च करने पर उस पर भी सरकार का अधिकार होगा। कॉरिडोर को मंदिर से क्लब किया जा सके और मंदिर प्रबंधन कमेटी इसका संचालन कर सके, इसके लिए जरूरी है कि मंदिर फंड से ही कॉरिडोर का निर्माण कराया जाए। ….
यह भी पढ़ें : 500 साल पुरानी कुंज गलियों पर संकट:बांके बिहारी कॉरिडोर पर पुजारी बोले- ठाकुरजी के पैसों पर सरकार की नजर मथुरा-वृंदावन में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जद में आने वाले 3500 लोग परेशान हैं। 600 करोड़ के प्रोजेक्ट को लेकर कमिश्नर और DM ने कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी के साथ मिलकर ब्लू प्रिंट फाइनल कर दिया गया। अब मंदिर के आसपास के 300 मकान और 100 दुकान का सर्वे शुरू हो रहा है। पढ़िए पूरी खबर… बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर मंदिर के पुजारी देवेंद्र नाथ गोस्वामी ने रिव्यू पिटिशन दाखिल की है। जज अब पिटिशन को सुनने पर सहमत हो गई है। उनके वकील सीनियर एडवोकेट अमित आनंद तिवारी ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह के सामने कहा- मंदिर के फंड को उपयोग करके 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने के फैसले में हमारा पक्ष नहीं सुना गया, इसलिए यह निर्णय एकपक्षीय है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को यूपी सरकार को वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर के फंड का उपयोग कॉरिडोर विकास के लिए करने की अनुमति दी थी। इस फंड से मंदिर के आसपास 5 एकड़ भूमि अधिग्रहण की जानी है। शर्त यह रखी गई कि अधिगृहीत भूमि देवता के नाम पर रजिस्टर होगी। मंदिर के सेवायत हैं पुजारी देवेंद्र
सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल करने वाले आवेदक देवेंद्र नाथ गोस्वामी मंदिर के पुजारी हैं। सेवायत की राजभोग सेवा से हैं। देवेंद्र नाथ गोस्वामी ने कहा है- मैं मूल संस्थापक स्वामी श्री हरि दास जी गोस्वामी के वंशज हूं और हमारा परिवार सदियों पुरानी रीति-रिवाजों के अनुसार 500 से ज्यादा वर्षों से मंदिर से जुड़ा है। देवेंद्र नाथ गोस्वामी ने अर्जी में कहा है- मंदिर के मामलों और धन के और प्रबंधन का मुद्दा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। मंदिर के कोष के उपयोग की अनुमति देते समय हमें पक्षकार नहीं बनाया गया। अब मंदिर के खजाने से कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदने का मामला समझिए… बांके बिहारी कॉरिडोर बनाने के लिए प्रदेश सरकार मंदिर के खजाने की राशि से कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदना चाहती थी। लेकिन, इसका मंदिर के गोस्वामियों ने विरोध किया और मामला हाइकोर्ट पहुंच गया। हाइकोर्ट ने मंदिर के खजाने की राशि के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। इसके बाद याचिकाकर्ता ईश्वर चंद्र शर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और कॉरिडोर को लेकर याचिका दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को दिए आदेश में कहा कि मंदिर के खजाने से कॉरिडोर की जमीन खरीदने के लिए पैसा लिया जा सकेगा। सरकार को जमीन मंदिर के नाम लेनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सार्थक चतुर्वेदी ने बताया कि सरकार सिर्फ जमीन खरीदने के लिए बांके बिहारी मंदिर के खजाने से पैसा ले सकती है। 500 करोड़ रुपए से बनेगा कॉरिडोर
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर बनाने के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होगा। यह खर्च भूमि अधिग्रहण के लिए किया जाएगा। बांके बिहारी मंदिर के खजाने में करीब 450 करोड़ रुपए हैं। इसी धनराशि से कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदी जाएगी। इस जमीन को अधिगृहीत करने में जिनके मकान और दुकान आएंगे, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। मंदिरों में अधिवक्ता नहीं बन सकेंगे रिसीवर
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिए फैसले में यह भी कहा कि मथुरा वृंदावन के मंदिरों में अब अधिवक्ता रिसीवर नहीं बन सकेंगे। एक ऐसा रिसीवर नियुक्त किया जाए जो मंदिर के प्रबंधन से जुड़ा हो, जिसका धार्मिक झुकाव हो। वह वेदों- शास्त्रों का अच्छी तरह से ज्ञान रखता हो। साथ ही वैष्णव संप्रदाय से जुड़ा हुआ हो। जिला प्रशासन और अधिवक्ताओं को मंदिर प्रबंधन से दूर रखा जाना चाहिए। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच न्यायाधीश बेला त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा ने दिया। हाईकोर्ट ने खारिज की थी यूपी सरकार की याचिका
बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण मामले में 20 नवंबर, 2023 को हाईकोर्ट ने यूपी सरकार की याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था- कॉरिडोर का निर्माण हो, लेकिन इसमें मंदिर फंड का इस्तेमाल न करें। सरकार अपने स्तर से इसका खर्च उठाए। वहीं, प्रदेश सरकार का कहना था कि अगर हम अपने खर्च से जमीन खरीदेंगे तो उस पर सरकार का मालिकाना हक होगा। इस तरह कॉरिडोर के निर्माण पर खर्च करने पर उस पर भी सरकार का अधिकार होगा। कॉरिडोर को मंदिर से क्लब किया जा सके और मंदिर प्रबंधन कमेटी इसका संचालन कर सके, इसके लिए जरूरी है कि मंदिर फंड से ही कॉरिडोर का निर्माण कराया जाए। ….
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बांके बिहारी कॉरिडोर केस फिर सुप्रीम कोर्ट सुनेगा:दाखिल पुनर्विचार याचिका में कहा- हमारा पक्ष बिना सुने दिया निर्णय, जज ने कहा- हम सहमत
