हिमाचल के अस्पतालों में मुफ्त सेवा खत्म, अब पर्ची बनाने के लिए लगेगा इतना चार्ज, 133 टेस्ट पर भी शुल्क

हिमाचल के अस्पतालों में मुफ्त सेवा खत्म, अब पर्ची बनाने के लिए लगेगा इतना चार्ज, 133 टेस्ट पर भी शुल्क

<p style=”text-align: justify;”><strong>Sukhvinder Singh Sukhu:</strong> आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने जनता पर बोझ डालने वाला एक ओर बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने प्रदेश भर के सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी पर्ची बनाने पर शुल्क लगाने का निर्णय लिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पर्ची के लिए&nbsp; शुल्क देना होगा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>5 जून से मरीजों को अभी तक निःशुल्क मिलने वाली पर्ची के लिए ₹10 शुल्क देना होगा. &nbsp;स्वास्थ्य विभाग के सचिव की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसके अलावा अस्पतालों में किए जाने वाले 133 विभिन्न टेस्ट भी अब मुफ्त नहीं होंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सरकार ने जांचों के लिए भी निर्धारित शुल्क लागू करने का फैसला किया है. हालांकि सरकार ने सामाजिक और स्वास्थ्य कारणों को ध्यान में रखते हुए कुल 14 श्रेणियों के लोगों को इस शुल्क में छूट देने का प्रावधान किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बिजली, पानी और बस किराए में बढ़ोतरी के बाद अब स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुक्खू सरकार ने शुल्क लगाने का फैसला लिया है. हिमाचल सरकार का घाटा लगातार बढ़ रहा है. जानकारी के मुताबिक प्रदेश में कर्ज 1 लाख करोड़ को पार कर गया है. कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है. कर्मचारियों के वेतन पर इतना पैसा खर्च हो रहा है कि उसके लिए लोन लेना पड़ रहा है. बावजूद इसके कर्मचारियों की करोड़ों की देनदारियां लंबित पड़ी हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>केंद्र सरकार पर लगाया भेदभाव का आरोप</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सुक्खू सरकार लगातार केन्द्र से भेदभाव का आरोप लगा रही है और हिमाचल सरकार का कहना&nbsp; कह रही है कि केंद्र ने हिमाचल को मिलने वाली ग्रांट पर कट लगा दिया है. यही वजह है कि मुफ्त की रेवड़ियों का वायदा कर सरकार अब पैसे के अभाव में पीछे हट रही है. ऐसे में इस तरह के शुल्क लगाने के अलावा सरकार के पास दूसरा विकल्प नहीं है. आने वाले सामने में ऐसे ओर भी शुल्क जनता पर लगाए जा सकते हैं. जिसके संकेत कई बार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह दे चुके हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इसे भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/himachal-pradesh-corona-advisory-issued-covid-ward-prepared-at-igmc-shimla-mask-mandatory-ann-2956521″>हिमाचल में कोविड को लेकर सरकार अलर्ट, मास्क अनिवार्य, IGMC में 150 ऑक्सीजन बेड तैयार</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Sukhvinder Singh Sukhu:</strong> आर्थिक संकट से जूझ रही हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने जनता पर बोझ डालने वाला एक ओर बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने प्रदेश भर के सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी पर्ची बनाने पर शुल्क लगाने का निर्णय लिया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पर्ची के लिए&nbsp; शुल्क देना होगा</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>5 जून से मरीजों को अभी तक निःशुल्क मिलने वाली पर्ची के लिए ₹10 शुल्क देना होगा. &nbsp;स्वास्थ्य विभाग के सचिव की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसके अलावा अस्पतालों में किए जाने वाले 133 विभिन्न टेस्ट भी अब मुफ्त नहीं होंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सरकार ने जांचों के लिए भी निर्धारित शुल्क लागू करने का फैसला किया है. हालांकि सरकार ने सामाजिक और स्वास्थ्य कारणों को ध्यान में रखते हुए कुल 14 श्रेणियों के लोगों को इस शुल्क में छूट देने का प्रावधान किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बिजली, पानी और बस किराए में बढ़ोतरी के बाद अब स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुक्खू सरकार ने शुल्क लगाने का फैसला लिया है. हिमाचल सरकार का घाटा लगातार बढ़ रहा है. जानकारी के मुताबिक प्रदेश में कर्ज 1 लाख करोड़ को पार कर गया है. कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है. कर्मचारियों के वेतन पर इतना पैसा खर्च हो रहा है कि उसके लिए लोन लेना पड़ रहा है. बावजूद इसके कर्मचारियों की करोड़ों की देनदारियां लंबित पड़ी हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>केंद्र सरकार पर लगाया भेदभाव का आरोप</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>सुक्खू सरकार लगातार केन्द्र से भेदभाव का आरोप लगा रही है और हिमाचल सरकार का कहना&nbsp; कह रही है कि केंद्र ने हिमाचल को मिलने वाली ग्रांट पर कट लगा दिया है. यही वजह है कि मुफ्त की रेवड़ियों का वायदा कर सरकार अब पैसे के अभाव में पीछे हट रही है. ऐसे में इस तरह के शुल्क लगाने के अलावा सरकार के पास दूसरा विकल्प नहीं है. आने वाले सामने में ऐसे ओर भी शुल्क जनता पर लगाए जा सकते हैं. जिसके संकेत कई बार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह दे चुके हैं.</p>
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