<p style=”text-align: justify;”><strong>Maulana Qari Ishaq Gora on Bakrid 2025 Qurbani:</strong> देवबंदी उलेमा व जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा ने बकरीद के मौके पर मुसलमानों और इंसानियत से मुहब्बत रखने वालों को दिली मुबारकबाद दी है. उन्होंने कहा कि ‘ईद-ए-क़ुर्बां’ सिर्फ जानवर की कुर्बानी देने का नाम नहीं है, बल्कि यह अपने दिल की बुराइयों को मिटाकर इंसानियत की सेवा करने का पैगाम भी देता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मौलाना ने कहा कि यह त्योहार हमें सिखाता है कि हम घमंड, चुगली, मक्कारी और दिलों में पनप रही नफरत को भी कुर्बान करें. जब हम अपने अंदर की बुराइयों को खत्म करेंगे, तभी हमारा समाज साफ-सुथरा, अमनपसंद और रहमतों से भरपूर होगा. ईद-उल-अज़हा के इस मौके पर हमें आपसी भाईचारे को और मज़बूत करने का संकल्प लेना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’सलीके से करें कुर्बानी’- मौलाना कारी इसहाक गोरा</strong><br />उन्होंने खासतौर पर सफाई और सलीकेदारी पर जोर देते हुए कहा कि कुर्बानी के वक्त गलियों, सड़कों और रास्तों को गंदा करना गलत है. हमें यह याद रखना चाहिए कि सफाई भी इस्लाम का अहम हिस्सा है. कुर्बानी के जानवरों के खून और बाकी हिस्सों को खुले में फेंककर दूसरों को तकलीफ न दें. यह न सिर्फ इस त्यौहार की रूह के खिलाफ है, बल्कि इससे समाज में गंदगी और बीमारियां भी फैल सकती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मौलाना कारी इसहाक गोरा ने लोगों से अपील की कि कुर्बानी के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी राहगीर को परेशानी न हो. न कुर्बानी की जगह से, न जानवरों की आवाज़ से और न ही अपने बर्ताव से. हमारा हर कदम ऐसा होना चाहिए कि उससे दूसरों को राहत और आसानी महसूस हो.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्यों मनाई जाती है बकरीद?</strong><br />ईद-उल-अज़हा इस्लाम के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. इसे बकरीद भी कहा जाता है. यह त्योहार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की उस याद को ताज़ा करता है, जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने का इरादा किया था. उसी की याद में हर साल मुस्लिम समाज जानवरों की कुर्बानी देता है. इस्लाम में कुर्बानी के जरिए अल्लाह की राह में सब कुछ देने की मिसाल दी गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’यह ईद बरकत और कामयाबी का जरिया बने’- मौलाना इसहाक गोरा</strong><br />आखिर में मौलाना ने दुआ करते हुए कहा कि अल्लाह तआला इस ईद को हम सब के लिए खैर, बरकत और कामयाबी का जरिया बनाए. हर घर में सुकून हो, हर दिल में मुहब्बत हो और हर काम में ईमानदारी और नेकनीयती हो. उन्होंने कहा, “आमीन.” इस पैग़ाम ने लोगों को एक बार फिर याद दिलाया कि ईद-उल-अज़हा का असल मकसद सिर्फ रस्में निभाना नहीं, बल्कि इंसानियत और समाज की भलाई के लिए काम करना है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Maulana Qari Ishaq Gora on Bakrid 2025 Qurbani:</strong> देवबंदी उलेमा व जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा ने बकरीद के मौके पर मुसलमानों और इंसानियत से मुहब्बत रखने वालों को दिली मुबारकबाद दी है. उन्होंने कहा कि ‘ईद-ए-क़ुर्बां’ सिर्फ जानवर की कुर्बानी देने का नाम नहीं है, बल्कि यह अपने दिल की बुराइयों को मिटाकर इंसानियत की सेवा करने का पैगाम भी देता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मौलाना ने कहा कि यह त्योहार हमें सिखाता है कि हम घमंड, चुगली, मक्कारी और दिलों में पनप रही नफरत को भी कुर्बान करें. जब हम अपने अंदर की बुराइयों को खत्म करेंगे, तभी हमारा समाज साफ-सुथरा, अमनपसंद और रहमतों से भरपूर होगा. ईद-उल-अज़हा के इस मौके पर हमें आपसी भाईचारे को और मज़बूत करने का संकल्प लेना चाहिए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’सलीके से करें कुर्बानी’- मौलाना कारी इसहाक गोरा</strong><br />उन्होंने खासतौर पर सफाई और सलीकेदारी पर जोर देते हुए कहा कि कुर्बानी के वक्त गलियों, सड़कों और रास्तों को गंदा करना गलत है. हमें यह याद रखना चाहिए कि सफाई भी इस्लाम का अहम हिस्सा है. कुर्बानी के जानवरों के खून और बाकी हिस्सों को खुले में फेंककर दूसरों को तकलीफ न दें. यह न सिर्फ इस त्यौहार की रूह के खिलाफ है, बल्कि इससे समाज में गंदगी और बीमारियां भी फैल सकती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>मौलाना कारी इसहाक गोरा ने लोगों से अपील की कि कुर्बानी के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी राहगीर को परेशानी न हो. न कुर्बानी की जगह से, न जानवरों की आवाज़ से और न ही अपने बर्ताव से. हमारा हर कदम ऐसा होना चाहिए कि उससे दूसरों को राहत और आसानी महसूस हो.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्यों मनाई जाती है बकरीद?</strong><br />ईद-उल-अज़हा इस्लाम के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. इसे बकरीद भी कहा जाता है. यह त्योहार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की उस याद को ताज़ा करता है, जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने का इरादा किया था. उसी की याद में हर साल मुस्लिम समाज जानवरों की कुर्बानी देता है. इस्लाम में कुर्बानी के जरिए अल्लाह की राह में सब कुछ देने की मिसाल दी गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’यह ईद बरकत और कामयाबी का जरिया बने’- मौलाना इसहाक गोरा</strong><br />आखिर में मौलाना ने दुआ करते हुए कहा कि अल्लाह तआला इस ईद को हम सब के लिए खैर, बरकत और कामयाबी का जरिया बनाए. हर घर में सुकून हो, हर दिल में मुहब्बत हो और हर काम में ईमानदारी और नेकनीयती हो. उन्होंने कहा, “आमीन.” इस पैग़ाम ने लोगों को एक बार फिर याद दिलाया कि ईद-उल-अज़हा का असल मकसद सिर्फ रस्में निभाना नहीं, बल्कि इंसानियत और समाज की भलाई के लिए काम करना है.</p> उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ग्रेटर नोएडा: फिल्म सिटी के पास बनेगा डिज्नी-थीम इंटरटेनमेंट पार्क, ग्लोबल टूरिज्म पर है फोकस
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