<p style=”text-align: justify;”><strong>MP News:</strong> मध्य प्रदेश 2023 पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में बड़ा घोटाला सामने आया है. इस बार मामला सिर्फ सॉल्वर गैंग या पेपर लीक का नहीं, बल्कि सीधे आधार डेटा और बायोमेट्रिक हेरफेर से जुड़ा है. जांच एजेंसियां सच्चाई तक पहुंचना चाहती हैं, लेकिन UIDAI की सख्त नीति उनके रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट बन रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अभी तक की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि कई उम्मीदवारों ने खुद परीक्षा नहीं दी. उनकी जगह सॉल्वर बैठे. इसके लिए आधार कार्ड में फिंगरप्रिंट तक बदलवाए गए. यानी फॉर्म किसी और ने भरा, परीक्षा किसी और ने दी. मगर UIDAI का बायोमेट्रिक डेटा जांच एजेंसियों को मिलना इतना आसान नहीं है. नियमों के मुताबिक कोर्ट की मंजूरी के बिना किसी का डाटा नहीं दिया जा सकता.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’UIDAI का सहयोग है जरूरी'</strong><br />कर्मचारी चयन बोर्ड (ESB) ने जब कुछ अभ्यर्थियों के दस्तावेजों में अंतर पाया, तो उसने खुद पुलिस को जांच के आदेश दिए. शुरुआती पूछताछ में कुछ उम्मीदवारों ने धोखाधड़ी की बात भी कबूल की. लेकिन अब पूरे घोटाले को साबित करने के लिए UIDAI का सहयोग जरूरी है. बिना इसके यह तय करना मुश्किल है कि कितने लोगों ने फर्जीवाड़ा किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जांच एजेंसियों को न तो अभी तक सभी अभ्यर्थियों का डेटा मिल पाया है और न ही UIDAI से बायोमेट्रिक मिलान की अनुमति. कोर्ट से मंजूरी लेने की प्रक्रिया लंबी है, और तब तक जांच अधूरी ही रहेगी. एजेंसियों के पास पक्के सबूत भी नहीं हैं कि हर अभ्यर्थी ने गड़बड़ी की है, ऐसे में UIDAI से सीधे सभी उम्मीदवारों डेटा मांगना और भी कठिन हो जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फेस रिकग्निशन तकनीक को लाने की तैयारी में</strong><br />अब कर्मचारी चयन बोर्ड ने भविष्य की परीक्षाओं में फिंगरप्रिंट के साथ साथ चेहरे की पहचान (Face Recognition) तकनीक लागू करने पर विचार कर रहा है. इसका मकसद है कि कोई भी फर्जी उम्मीदवार परीक्षा में बैठ ही न सके. इससे हर कैंडिडेट की पहचान पक्की रहेगी. लेकिन यह तकनीक महंगी होने की वजह से, परीक्षार्थियों को ज्यादा फीस देनी पड़ सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अब तक 19 FIR, कई जिलों में जांच जारी </strong><br />अब तक इस मामले में ग्वालियर, मुरैना, शिवपुर और अलीराजपुर सहित कुल 5 से 6 जिलों में कुल 19 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं. जांच एजेंसियां कोर्ट से मंजूरी लेने की कोशिश में हैं ताकि UIDAI से जरूरी डेटा लिया जा सके. माना जा रहा है कि अगर डेटा मिल गया, तो घोटाले की असली परतें खुलेंगी. आशंका जताई जा रही है कि इस पूरे मामले में कई दूसरे राज्यों के गिरोह भी शामिल हो सकते हैं .</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”MP: जबलपुर मेडिकल कॉलेज MBBS छात्र की सुसाइड पर उठे सवाल, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप, क्या है मामला?” href=”https://www.abplive.com/states/madhya-pradesh/jabalpur-mbbs-student-suicide-case-family-members-raised-serious-allegations-on-administrationb-negligence-ann-2958116″ target=”_self”>MP: जबलपुर मेडिकल कॉलेज MBBS छात्र की सुसाइड पर उठे सवाल, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप, क्या है मामला?</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>MP News:</strong> मध्य प्रदेश 2023 पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में बड़ा घोटाला सामने आया है. इस बार मामला सिर्फ सॉल्वर गैंग या पेपर लीक का नहीं, बल्कि सीधे आधार डेटा और बायोमेट्रिक हेरफेर से जुड़ा है. जांच एजेंसियां सच्चाई तक पहुंचना चाहती हैं, लेकिन UIDAI की सख्त नीति उनके रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट बन रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अभी तक की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि कई उम्मीदवारों ने खुद परीक्षा नहीं दी. उनकी जगह सॉल्वर बैठे. इसके लिए आधार कार्ड में फिंगरप्रिंट तक बदलवाए गए. यानी फॉर्म किसी और ने भरा, परीक्षा किसी और ने दी. मगर UIDAI का बायोमेट्रिक डेटा जांच एजेंसियों को मिलना इतना आसान नहीं है. नियमों के मुताबिक कोर्ट की मंजूरी के बिना किसी का डाटा नहीं दिया जा सकता.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’UIDAI का सहयोग है जरूरी'</strong><br />कर्मचारी चयन बोर्ड (ESB) ने जब कुछ अभ्यर्थियों के दस्तावेजों में अंतर पाया, तो उसने खुद पुलिस को जांच के आदेश दिए. शुरुआती पूछताछ में कुछ उम्मीदवारों ने धोखाधड़ी की बात भी कबूल की. लेकिन अब पूरे घोटाले को साबित करने के लिए UIDAI का सहयोग जरूरी है. बिना इसके यह तय करना मुश्किल है कि कितने लोगों ने फर्जीवाड़ा किया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>जांच एजेंसियों को न तो अभी तक सभी अभ्यर्थियों का डेटा मिल पाया है और न ही UIDAI से बायोमेट्रिक मिलान की अनुमति. कोर्ट से मंजूरी लेने की प्रक्रिया लंबी है, और तब तक जांच अधूरी ही रहेगी. एजेंसियों के पास पक्के सबूत भी नहीं हैं कि हर अभ्यर्थी ने गड़बड़ी की है, ऐसे में UIDAI से सीधे सभी उम्मीदवारों डेटा मांगना और भी कठिन हो जाता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>फेस रिकग्निशन तकनीक को लाने की तैयारी में</strong><br />अब कर्मचारी चयन बोर्ड ने भविष्य की परीक्षाओं में फिंगरप्रिंट के साथ साथ चेहरे की पहचान (Face Recognition) तकनीक लागू करने पर विचार कर रहा है. इसका मकसद है कि कोई भी फर्जी उम्मीदवार परीक्षा में बैठ ही न सके. इससे हर कैंडिडेट की पहचान पक्की रहेगी. लेकिन यह तकनीक महंगी होने की वजह से, परीक्षार्थियों को ज्यादा फीस देनी पड़ सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अब तक 19 FIR, कई जिलों में जांच जारी </strong><br />अब तक इस मामले में ग्वालियर, मुरैना, शिवपुर और अलीराजपुर सहित कुल 5 से 6 जिलों में कुल 19 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं. जांच एजेंसियां कोर्ट से मंजूरी लेने की कोशिश में हैं ताकि UIDAI से जरूरी डेटा लिया जा सके. माना जा रहा है कि अगर डेटा मिल गया, तो घोटाले की असली परतें खुलेंगी. आशंका जताई जा रही है कि इस पूरे मामले में कई दूसरे राज्यों के गिरोह भी शामिल हो सकते हैं .</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”MP: जबलपुर मेडिकल कॉलेज MBBS छात्र की सुसाइड पर उठे सवाल, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप, क्या है मामला?” href=”https://www.abplive.com/states/madhya-pradesh/jabalpur-mbbs-student-suicide-case-family-members-raised-serious-allegations-on-administrationb-negligence-ann-2958116″ target=”_self”>MP: जबलपुर मेडिकल कॉलेज MBBS छात्र की सुसाइड पर उठे सवाल, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप, क्या है मामला?</a></strong></p> मध्य प्रदेश केदारनाथ जा रहे हेलीकॉप्टर की बीच हाईवे पर हुई इमरजेंसी लैंडिंग, 7 लोग थे सवार, एक वाहन क्षतिग्रस्त
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