यूपी में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम कब सामने आएगा? इंतजार बढ़ता जा रहा है। पार्टी की ओर से निर्धारित तारीख के 5 महीने बाद भी नया भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नहीं मिला है। सियासी गलियारों में इसे लेकर चर्चा तेज है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा पंचायत और विधानसभा चुनाव- 2027 का गुणा-भाग करने के बाद बड़ा वोट बैंक साधने वाले को प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी। भाजपा अध्यक्ष चुनने में देरी की वजह क्या है?। रेस में कौन-कौन नेता हैं? देरी का कार्यकर्ताओं और भाजपा के अभियान पर क्या असर है? इन सवालों के जवाब इस खबर में जानिए… 29 अगस्त, 2022 को उस समय के पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। चौधरी का कार्यकाल यूं तो जेपी नड्डा के कार्यकाल के साथ ही जनवरी, 2023 में समाप्त हो गया था। लेकिन, जैसे-जैसे नड्डा का कार्यकाल बढ़ा, भूपेंद्र चौधरी का कार्यकाल भी बढ़ता जा रहा है। यूपी में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 16 मार्च को 98 में से 70 जिलों में नए जिलाध्यक्ष नियुक्त हो गए थे। जिलाध्यक्ष नियुक्ति के करीब पौने तीन महीने बीतने के बाद भी प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर तैयारी नहीं है। 5 महीने बाद भी बने नए प्रदेश अध्यक्ष
बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष ने जनवरी में लखनऊ दौरे के दौरान 15 जनवरी तक नया प्रदेश अध्यक्ष घोषित होने की बात कही थी। संतोष की बात को कार्यकर्ताओं ने भी ब्रह्म वाक्य माना। सभी उम्मीद कर रहे थे कि 15 जनवरी नहीं, तो कम से कम 30 जनवरी तक नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। लेकिन, अब 5 महीने बीतने के बाद भी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है। न ही पार्टी की ओर से कोई संकेत हैं कि चुनाव कब तक होगा। केंद्र में चर्चा तक नहीं, नेता कर रहे दावेदारी
यूपी में बीजेपी के नए अध्यक्ष को लेकर पिछड़े वर्ग में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह, राज्यसभा सदस्य बाबूराम निषाद, एमएलसी अशोक कटारिया के नाम रेस में हैं। एससी वर्ग में पूर्व मंत्री रामशंकर कठेरिया और एमएलसी विद्यासागर सोनकर पर चर्चा है। ब्राह्मण समाज से बस्ती के पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी, राज्यसभा सदस्य डॉ. दिनेश शर्मा, विधायक श्रीकांत शर्मा, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय के नाम प्रमुख हैं। हालांकि बीजेपी के एक बडे़ पदाधिकारी ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व ने इस संबंध में अभी कोई चर्चा भी शुरू नहीं की है। लेकिन, नेता केंद्रीय नेतृत्व और आरएसएस के जरिए अपनी दावेदारी जता रहे हैं। नाम तय करने में देरी की वजह क्या?
वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय का कहना है कि भाजपा रणनीति पर काम करती है। हर एक्शन के पीछे निहितार्थ छिपा होता है। बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंचायत चुनाव हैं। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति भी उसी को देखते हुए होगी। पार्टी पंचायत चुनाव के गुणा-भाग को जानने में लगी है। भाजपा में कुछ भी तय करना कठिन होता है। बहुत मशक्कत के बाद तय होता है कि किसे प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए? कई फोरम हैं, हर जगह से एनओसी मिलने के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष पद पर फैसला होगा। आनंद राय कहते हैं- पहलगाम की घटना ने भी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में अड़चन पैदा की है। पहलगाम घटना के बाद पार्टी दूसरे कार्यक्रम में लग गई। लेकिन, अब अगर ज्यादा देर लगी तो पंचायत चुनाव की तैयारी प्रभावित होगी। दूसरे दल भी असमंजस में हैं कि पार्टी अपने पत्ते क्यों नहीं खोल रही? बीजेपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ दूसरे दलों के लोग भी जानना चाहते हैं कि बीजेपी का अध्यक्ष कौन बन रहा? वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल का कहना है कि कार्यकर्ता मायूस तो होता है, लेकिन भाजपा की इतिहास रहा है कि कोई निर्णय जल्दबाजी में नहीं होता। पार्टी के कार्यकर्ता ने भी मन बना लिया है कि अब टाइम लगेगा ही, वह केवल इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष न चुने जाने का असर क्या? 1- बेमन से काम कर रहे क्षेत्रीय अध्यक्ष
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, अवध, काशी, ब्रज, पश्चिम, गोरखपुर और कानपुर क्षेत्र में से 4 क्षेत्रों के क्षेत्रीय अध्यक्ष भी बदले जाने हैं। एक-दो क्षेत्रीय अध्यक्ष के खिलाफ काफी शिकायत हैं। एक क्षेत्रीय अध्यक्ष का वीडियो वायरल हुआ था। क्षेत्रीय अध्यक्षों को भी पता नहीं कि उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा? ऐसे में वह भी बेमन से ही पार्टी के कार्यक्रम और अभियान को अंजाम दे रहे हैं। उनका पूरा फोकस भी किसी न किसी तरह दोबारा क्षेत्रीय अध्यक्ष बनने या प्रदेश की नई टीम में जगह पाने पर है। 2- क्षेत्रीय अध्यक्ष नहीं बना सके टीम
बीजेपी के एक पदाधिकारी ने बताया कि बीते डेढ़ दशक में ऐसा पहली बार हुआ है, जब बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष अपनी टीम नहीं बना सके। क्षेत्रीय अध्यक्षों को टीम बनाने का मौका नहीं दिया गया। उन्हें 2021 में बनी टीम के साथ ही काम करना पड़ा। जानकार मानते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व को शिकायत मिली थी कि क्षेत्रीय टीम और जिलों की टीम बनाने में गड़बड़ी हो रही है। लिहाजा केंद्र ने ही कार्यकारिणी घोषित करने पर अघोषित रोक लगाई थी। 3- पार्टी के कामकाज हो रहे प्रभावित
भाजपा के एक पदाधिकारी का कहना है कि नए प्रदेश अध्यक्ष और 28 जिलों में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने से कार्यकर्ताओं की सक्रियता में कमी है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी पूरी तरह सक्रिय हैं। सभी कार्यक्रमों और बैठकों में दिलचस्पी ले रहे हैं। लेकिन कार्यकर्ताओं की मनोस्थिति है कि वो ज्यादा रुचि नहीं ले रहे। नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद ही पार्टी और कार्यकर्ताओं में सक्रियता बढ़ेगी। 4- मोर्चों में भी मायूसी
भाजपा महिला मोर्चा, युवा मोर्चा, ओबीसी मोर्चा, किसान मोर्चा, एससी मोर्चा, एसटी मोर्चा और अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष करीब 4 साल से काम कर रहे हैं। मौजूदा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के कार्यकाल में मोर्चों के अध्यक्ष नहीं बदले गए थे। बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद सभी मोर्चों के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जाएंगे। युवा मोर्चा में तो अध्यक्ष पद के प्रमुख दावेदारों की आयु ही 40 साल के पार हो गई है। युवा मोर्चा के पदाधिकारी ने बताया कि मौजूदा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं अपना राजनीतिक भविष्य संवारना चाहते हैं। लेकिन, मौजूदा स्थिति में वह अपनी दिशा तय नहीं कर पा रहे हैं। वो तलाश कर रहे हैं कि कौन नया प्रदेश अध्यक्ष बनेगा, ताकि उनसे अभी से ही संपर्क और संबंध मजबूत कर आगे की राह आसान की जा सके। प्रदेश अध्यक्ष का दावा- अभियान अच्छे चल रहे
हालांकि, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कहना है कि हर घर तिरंगा, योगी सरकार के 3 साल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद तिरंगा यात्रा और अहिल्या बाई होल्कर की जयंती के त्रिशताब्दी समारोह का आयोजन बहुत अच्छा हुआ है। ———————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी में पंचायत चुनाव ने मुख्यमंत्री तक दिए, 2026 में क्रिकेट और राजनीति का IPL साथ-साथ; जानिए भाजपा-सपा और दलों की कितनी तैयारी? IPL- 2025 समाप्त हो चुका है। यूपी में अगला IPL और पंचायत चुनाव 2026 साथ-साथ ही चलेंगे। एक ओर क्रिकेट के मैदान में दिन-रात रोमांच होगा वहीं, यूपी की राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी भी पंचायत चुनाव के मैदान में अपनी किस्मत आजमाएंगे। खासतौर पर भाजपा और समाजवादी पार्टी पंचायत चुनाव के विधानसभा चुनाव 2027 का सेमीफाइनल मानकर लड़ेंगे। इसमें राजनीतिक दलों के साथ विधायकों और सांसदों की भी अग्नि-परीक्षा होगी। पढ़ें पूरी खबर यूपी में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम कब सामने आएगा? इंतजार बढ़ता जा रहा है। पार्टी की ओर से निर्धारित तारीख के 5 महीने बाद भी नया भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नहीं मिला है। सियासी गलियारों में इसे लेकर चर्चा तेज है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा पंचायत और विधानसभा चुनाव- 2027 का गुणा-भाग करने के बाद बड़ा वोट बैंक साधने वाले को प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी। भाजपा अध्यक्ष चुनने में देरी की वजह क्या है?। रेस में कौन-कौन नेता हैं? देरी का कार्यकर्ताओं और भाजपा के अभियान पर क्या असर है? इन सवालों के जवाब इस खबर में जानिए… 29 अगस्त, 2022 को उस समय के पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। चौधरी का कार्यकाल यूं तो जेपी नड्डा के कार्यकाल के साथ ही जनवरी, 2023 में समाप्त हो गया था। लेकिन, जैसे-जैसे नड्डा का कार्यकाल बढ़ा, भूपेंद्र चौधरी का कार्यकाल भी बढ़ता जा रहा है। यूपी में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 16 मार्च को 98 में से 70 जिलों में नए जिलाध्यक्ष नियुक्त हो गए थे। जिलाध्यक्ष नियुक्ति के करीब पौने तीन महीने बीतने के बाद भी प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर तैयारी नहीं है। 5 महीने बाद भी बने नए प्रदेश अध्यक्ष
बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष ने जनवरी में लखनऊ दौरे के दौरान 15 जनवरी तक नया प्रदेश अध्यक्ष घोषित होने की बात कही थी। संतोष की बात को कार्यकर्ताओं ने भी ब्रह्म वाक्य माना। सभी उम्मीद कर रहे थे कि 15 जनवरी नहीं, तो कम से कम 30 जनवरी तक नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। लेकिन, अब 5 महीने बीतने के बाद भी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है। न ही पार्टी की ओर से कोई संकेत हैं कि चुनाव कब तक होगा। केंद्र में चर्चा तक नहीं, नेता कर रहे दावेदारी
यूपी में बीजेपी के नए अध्यक्ष को लेकर पिछड़े वर्ग में जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह, राज्यसभा सदस्य बाबूराम निषाद, एमएलसी अशोक कटारिया के नाम रेस में हैं। एससी वर्ग में पूर्व मंत्री रामशंकर कठेरिया और एमएलसी विद्यासागर सोनकर पर चर्चा है। ब्राह्मण समाज से बस्ती के पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी, राज्यसभा सदस्य डॉ. दिनेश शर्मा, विधायक श्रीकांत शर्मा, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय के नाम प्रमुख हैं। हालांकि बीजेपी के एक बडे़ पदाधिकारी ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व ने इस संबंध में अभी कोई चर्चा भी शुरू नहीं की है। लेकिन, नेता केंद्रीय नेतृत्व और आरएसएस के जरिए अपनी दावेदारी जता रहे हैं। नाम तय करने में देरी की वजह क्या?
वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय का कहना है कि भाजपा रणनीति पर काम करती है। हर एक्शन के पीछे निहितार्थ छिपा होता है। बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पंचायत चुनाव हैं। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति भी उसी को देखते हुए होगी। पार्टी पंचायत चुनाव के गुणा-भाग को जानने में लगी है। भाजपा में कुछ भी तय करना कठिन होता है। बहुत मशक्कत के बाद तय होता है कि किसे प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए? कई फोरम हैं, हर जगह से एनओसी मिलने के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष पद पर फैसला होगा। आनंद राय कहते हैं- पहलगाम की घटना ने भी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में अड़चन पैदा की है। पहलगाम घटना के बाद पार्टी दूसरे कार्यक्रम में लग गई। लेकिन, अब अगर ज्यादा देर लगी तो पंचायत चुनाव की तैयारी प्रभावित होगी। दूसरे दल भी असमंजस में हैं कि पार्टी अपने पत्ते क्यों नहीं खोल रही? बीजेपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ दूसरे दलों के लोग भी जानना चाहते हैं कि बीजेपी का अध्यक्ष कौन बन रहा? वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल का कहना है कि कार्यकर्ता मायूस तो होता है, लेकिन भाजपा की इतिहास रहा है कि कोई निर्णय जल्दबाजी में नहीं होता। पार्टी के कार्यकर्ता ने भी मन बना लिया है कि अब टाइम लगेगा ही, वह केवल इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष न चुने जाने का असर क्या? 1- बेमन से काम कर रहे क्षेत्रीय अध्यक्ष
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, अवध, काशी, ब्रज, पश्चिम, गोरखपुर और कानपुर क्षेत्र में से 4 क्षेत्रों के क्षेत्रीय अध्यक्ष भी बदले जाने हैं। एक-दो क्षेत्रीय अध्यक्ष के खिलाफ काफी शिकायत हैं। एक क्षेत्रीय अध्यक्ष का वीडियो वायरल हुआ था। क्षेत्रीय अध्यक्षों को भी पता नहीं कि उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा? ऐसे में वह भी बेमन से ही पार्टी के कार्यक्रम और अभियान को अंजाम दे रहे हैं। उनका पूरा फोकस भी किसी न किसी तरह दोबारा क्षेत्रीय अध्यक्ष बनने या प्रदेश की नई टीम में जगह पाने पर है। 2- क्षेत्रीय अध्यक्ष नहीं बना सके टीम
बीजेपी के एक पदाधिकारी ने बताया कि बीते डेढ़ दशक में ऐसा पहली बार हुआ है, जब बीजेपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष अपनी टीम नहीं बना सके। क्षेत्रीय अध्यक्षों को टीम बनाने का मौका नहीं दिया गया। उन्हें 2021 में बनी टीम के साथ ही काम करना पड़ा। जानकार मानते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व को शिकायत मिली थी कि क्षेत्रीय टीम और जिलों की टीम बनाने में गड़बड़ी हो रही है। लिहाजा केंद्र ने ही कार्यकारिणी घोषित करने पर अघोषित रोक लगाई थी। 3- पार्टी के कामकाज हो रहे प्रभावित
भाजपा के एक पदाधिकारी का कहना है कि नए प्रदेश अध्यक्ष और 28 जिलों में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने से कार्यकर्ताओं की सक्रियता में कमी है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी पूरी तरह सक्रिय हैं। सभी कार्यक्रमों और बैठकों में दिलचस्पी ले रहे हैं। लेकिन कार्यकर्ताओं की मनोस्थिति है कि वो ज्यादा रुचि नहीं ले रहे। नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद ही पार्टी और कार्यकर्ताओं में सक्रियता बढ़ेगी। 4- मोर्चों में भी मायूसी
भाजपा महिला मोर्चा, युवा मोर्चा, ओबीसी मोर्चा, किसान मोर्चा, एससी मोर्चा, एसटी मोर्चा और अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष करीब 4 साल से काम कर रहे हैं। मौजूदा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के कार्यकाल में मोर्चों के अध्यक्ष नहीं बदले गए थे। बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद सभी मोर्चों के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जाएंगे। युवा मोर्चा में तो अध्यक्ष पद के प्रमुख दावेदारों की आयु ही 40 साल के पार हो गई है। युवा मोर्चा के पदाधिकारी ने बताया कि मौजूदा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं अपना राजनीतिक भविष्य संवारना चाहते हैं। लेकिन, मौजूदा स्थिति में वह अपनी दिशा तय नहीं कर पा रहे हैं। वो तलाश कर रहे हैं कि कौन नया प्रदेश अध्यक्ष बनेगा, ताकि उनसे अभी से ही संपर्क और संबंध मजबूत कर आगे की राह आसान की जा सके। प्रदेश अध्यक्ष का दावा- अभियान अच्छे चल रहे
हालांकि, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कहना है कि हर घर तिरंगा, योगी सरकार के 3 साल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद तिरंगा यात्रा और अहिल्या बाई होल्कर की जयंती के त्रिशताब्दी समारोह का आयोजन बहुत अच्छा हुआ है। ———————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी में पंचायत चुनाव ने मुख्यमंत्री तक दिए, 2026 में क्रिकेट और राजनीति का IPL साथ-साथ; जानिए भाजपा-सपा और दलों की कितनी तैयारी? IPL- 2025 समाप्त हो चुका है। यूपी में अगला IPL और पंचायत चुनाव 2026 साथ-साथ ही चलेंगे। एक ओर क्रिकेट के मैदान में दिन-रात रोमांच होगा वहीं, यूपी की राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी भी पंचायत चुनाव के मैदान में अपनी किस्मत आजमाएंगे। खासतौर पर भाजपा और समाजवादी पार्टी पंचायत चुनाव के विधानसभा चुनाव 2027 का सेमीफाइनल मानकर लड़ेंगे। इसमें राजनीतिक दलों के साथ विधायकों और सांसदों की भी अग्नि-परीक्षा होगी। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
पंचायत चुनाव के गुणा-भाग से तय होगा BJP प्रदेश अध्यक्ष:चुनावी फायदे पर नजर, कोर वोट बैंक साधने वाले को ही मिलेगी यूपी की कमान
