एक वॉट्सऐप मैसेज ने लगाया IPS के करियर पर ब्रेक:रिटायरमेंट से डेढ़ साल पहले मांगा VRS, अखिलेश क्यों योगी सरकार को घेर रहे?

एक वॉट्सऐप मैसेज ने लगाया IPS के करियर पर ब्रेक:रिटायरमेंट से डेढ़ साल पहले मांगा VRS, अखिलेश क्यों योगी सरकार को घेर रहे?

यूपी कैडर के IPS अधिकारी आशीष गुप्ता 10 जून को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने निजी कारण बताते हुए रिटायरमेंट से डेढ़ साल पहले ही VRS (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले लिया। आशीष गुप्ता यूपी पुलिस में मौजूदा समय में सबसे वरिष्ठ आईपीएस अफसर हैं। उनके फैसले को डीजीपी न बन पाने से भी जोड़ा जा रहा है। हालांकि, आशीष गुप्ता ने 3 महीने पहले ही VRS के लिए आवेदन कर दिया था। डीजीपी पर फैसला बाद में आया। आशीष गुप्ता का 10 जून को पुलिस सेवा में आखिरी दिन होगा। वैसे उनका रिटायरमेंट दिसंबर 2026 में होना था। बताया जा रहा है कि वॉट्सऐप ग्रुप पर किए गए एक मैसेज ने उनके पूरे करियर पर ब्रेक लगा दिया। क्या है पूरी कहानी? आशीष गुप्ता के फैसले पर सियासत क्यों हो रही? पढ़िए… पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि आशीष गुप्ता काबिल और ईमानदार अफसर रहे हैं। मुझे लगता है कि उनको जिस तरह से अपमानित किया गया, उससे क्षुब्ध होकर उन्होंने यह फैसला लिया है। सुलखान सिंह बताते हैं कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से किसी नाराजगी की वजह से आशीष गुप्ता को वापस कर दिया गया था। यूपी में उन्हें 6 महीने तक कोई पोस्टिंग ही नहीं दी गई, वेटिंग में रखा गया। इस दौरान कोई वेतन नहीं मिलता है। हालांकि जब किसी यूनिट में रेगुलर पोस्टिंग हो जाती है, तो बकाया वेतन दिया भी जाता है। वेटिंग के बाद जब उन्हें पोस्टिंग दी भी गई तो रूल्स एंड मैन्युअल में भेज दिया गया, जहां काम न के बराबर होता है। इस तरह की परंपरा गलत है, सरकार को अफसरों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए। एक अन्य पुलिस अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आशीष गुप्ता को एनकाउंटर पॉलिसी के खिलाफ वॉट्सऐप ग्रुप में लिखना महंगा पड़ा। वह जब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे तो यूपी में उस समय के जिम्मेदार अफसरों ने शीर्ष स्तर पर उनका वॉट्सऐप मैसेज पहुंचा दिया। बताया जाता है कि मैसेज एनकाउंटर पॉलिसी को लेकर था। बस तभी से आशीष गुप्ता के पूरे करियर पर ही ब्रेक लग गया। शायद यही वजह रही कि उन्हें सरकार ने कोई अहम पोस्टिंग नहीं दी। जानिए कौन हैं आशीष गुप्ता आशीष गुप्ता 1989 बैच के IPS अफसर हैं। वह डीजी रूल्स एंड मैन्युअल पद पर तैनात हैं। वह शुरू से ही पढ़ाई में तेज थे। कानपुर आईआईटी से इंजीनियरिंग के बाद यूपीएससी की तैयारी की। पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्रैक कर 23 साल की उम्र में आईपीएस बन गए। आशीष की छवि शुरू से ही ईमानदार और काम के प्रति कर्मठ अफसर के रूप में रही है। नेताओं के दबाव में काम न करना उनकी कार्यशैली का हिस्सा था। यही वजह है, शुरू से ही किसी भी जिले में ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सके। वे किसी भी जिले में अधिकतम 9 महीने तक ही कप्तान रहे। उनकी ज्यादातर नौकरी साइड लाइन में कटी। शुरुआती 11 साल में 22 ट्रांसफर
आशीष गुप्ता की पहली पोस्टिंग यूपी में अंडर ट्रेनी आईपीएस के रूप में बतौर सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP), वाराणसी में हुई। 10 महीने के बाद तबादला सीबीसीआईडी कर दिया गया। लेकिन, अगले ही दिन शाहजहांपुर के सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में भेज दिया गया। वहां इनकी तैनाती करीब 7 महीने रही। इसके बाद फिर वाराणसी भेज दिया गया। वाराणसी में 7 महीने रहने के बाद दोबारा शाहजहांपुर भेजा गया, जहां कार्यकाल 4 महीने का रहा। 27 मई, 1994 को कप्तानी की जिम्मेदारी सौंपते हुए ललितपुर भेज दिया गया। ललितपुर में 7 महीने रहने के बाद इनका तबादला कर दिया गया। आशीष को अगला जिला पौड़ी गढ़वाल मिला, जो अब उत्तराखंड में है। यहां तैनाती साढ़े चार महीने रही। इसी तरह वे बलिया में दो महीने, उन्नाव में 8 महीने, गोंडा में दो महीने, प्रतापगढ़ में लगभग 9 महीने, शाहजहांपुर में 1 महीने कप्तान रहे। आईजी रेंज लखनऊ के तौर पर इनकी तैनाती एक महीने 6 दिन रही। दो बार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहे
आशीष गुप्ता 2 बार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहे। पहली बार 22 सितंबर, 2006 से 23 जुलाई, 2011 तक पीएम ऑफिस (PMO) में रहे। इसके अलावा नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड में 22 सितंबर, 2014 से 10 जून, 2022 तक और बीएसएफ में स्पेशल डीजी के रूप में 10 जून, 2022 से दिसंबर, 2022 तक रहे। यूपी लौटने के बाद 2 दिसंबर, 2022 से 22 जून, 2023 तक वेटिंग में रहे। 23 जून को इन्हें रूल्स एंड मैन्युअल का डीजी बना दिया गया। जहां से अब रिटायर होने जा रहे हैं। आशीष के बहाने अखिलेश ने साधा निशाना
आशीष गुप्ता के VRS को लेकर सियासत भी तेज है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ‘एक्स’ पोस्ट पर लिखा- ये चिंताजनक है कि यूपी पुलिस के वरिष्ठतम लोग, जो वर्तमान व्यवस्था में महत्वपूर्ण पदों से वंचित रखे गए, वो इन अनैच्छिक परिस्थितियों में ‘ऐच्छिक सेवानिवृत्ति’ लेने पर मजबूर हैं। इससे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों का मनोबल टूटता है। जिसका खामियाजा प्रदेश की कानून-व्यवस्था और जनता को भुगतना पड़ता है। भाजपा सरकार में जब वरिष्ठ-कनिष्ठ का कोई मतलब ही नहीं बचा है तो ‘वरिष्ठता क्रम की सूची’ बनाने का क्या मतलब। किसी अधिकारी को किसी पद पर चुनने का आधार व्यक्तिगत पंसद, विचारधारा या सत्ता का अंदरूनी झगड़ा नहीं होना चाहिए। मनोबल गिराकर कुछ भी हासिल नहीं होगा
अखिलेश ने अपनी पोस्ट में लिखा- भाजपा सरकार अधिकारियों का मनोबल गिरा कर कुछ भी हासिल नहीं कर सकती है। हाल की कुछ घटनाओं में ये देखा गया है कि कुछ अधिकारियों की पहचान करके, उनके विभाग के अंदर और सोशल मीडिया के स्तर पर बाहर से, उनको या उनके परिवारों को प्रताड़ित-अपमानित किया गया है। ये चलन बंद होना चाहिए। ———————- ये खबर भी पढ़ें… योगी सरकार में कहां है IAS-IPS एसोसिएशन?:दुर्गा शक्ति नागपाल मामले में झुक गई थी सपा सरकार; एक्सपर्ट बोले- अधिकारी डरपोक हो गए ब्यूरोक्रेसी की महत्वपूर्ण कड़ी IAS और IPS अफसरों की एसोसिएशन सात साल से निष्क्रिय है। इसकी आखिरी बैठक कब हुई, ये न तो सेवा में आए नए आईएएस अफसरों को याद है और न ही आईपीएस को। वजह- प्रदेश में 2017 में भाजपा सरकार आने के बाद से केवल एक बार ही बैठक हुई। इसके बाद न तो कभी आईएएस वीक मनाया गया और न ही कोई बैठक हुई। पहले यही IAS अपनों को बचाने के लिए सरकार से मोर्चा लेते थे। किसी को पोस्टिंग नहीं मिलती थी तो सीधे सरकार से सवाल करते थे। मगर अब ऐसा नहीं है। पढ़ें पूरी खबर यूपी कैडर के IPS अधिकारी आशीष गुप्ता 10 जून को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने निजी कारण बताते हुए रिटायरमेंट से डेढ़ साल पहले ही VRS (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले लिया। आशीष गुप्ता यूपी पुलिस में मौजूदा समय में सबसे वरिष्ठ आईपीएस अफसर हैं। उनके फैसले को डीजीपी न बन पाने से भी जोड़ा जा रहा है। हालांकि, आशीष गुप्ता ने 3 महीने पहले ही VRS के लिए आवेदन कर दिया था। डीजीपी पर फैसला बाद में आया। आशीष गुप्ता का 10 जून को पुलिस सेवा में आखिरी दिन होगा। वैसे उनका रिटायरमेंट दिसंबर 2026 में होना था। बताया जा रहा है कि वॉट्सऐप ग्रुप पर किए गए एक मैसेज ने उनके पूरे करियर पर ब्रेक लगा दिया। क्या है पूरी कहानी? आशीष गुप्ता के फैसले पर सियासत क्यों हो रही? पढ़िए… पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि आशीष गुप्ता काबिल और ईमानदार अफसर रहे हैं। मुझे लगता है कि उनको जिस तरह से अपमानित किया गया, उससे क्षुब्ध होकर उन्होंने यह फैसला लिया है। सुलखान सिंह बताते हैं कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से किसी नाराजगी की वजह से आशीष गुप्ता को वापस कर दिया गया था। यूपी में उन्हें 6 महीने तक कोई पोस्टिंग ही नहीं दी गई, वेटिंग में रखा गया। इस दौरान कोई वेतन नहीं मिलता है। हालांकि जब किसी यूनिट में रेगुलर पोस्टिंग हो जाती है, तो बकाया वेतन दिया भी जाता है। वेटिंग के बाद जब उन्हें पोस्टिंग दी भी गई तो रूल्स एंड मैन्युअल में भेज दिया गया, जहां काम न के बराबर होता है। इस तरह की परंपरा गलत है, सरकार को अफसरों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए। एक अन्य पुलिस अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आशीष गुप्ता को एनकाउंटर पॉलिसी के खिलाफ वॉट्सऐप ग्रुप में लिखना महंगा पड़ा। वह जब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे तो यूपी में उस समय के जिम्मेदार अफसरों ने शीर्ष स्तर पर उनका वॉट्सऐप मैसेज पहुंचा दिया। बताया जाता है कि मैसेज एनकाउंटर पॉलिसी को लेकर था। बस तभी से आशीष गुप्ता के पूरे करियर पर ही ब्रेक लग गया। शायद यही वजह रही कि उन्हें सरकार ने कोई अहम पोस्टिंग नहीं दी। जानिए कौन हैं आशीष गुप्ता आशीष गुप्ता 1989 बैच के IPS अफसर हैं। वह डीजी रूल्स एंड मैन्युअल पद पर तैनात हैं। वह शुरू से ही पढ़ाई में तेज थे। कानपुर आईआईटी से इंजीनियरिंग के बाद यूपीएससी की तैयारी की। पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्रैक कर 23 साल की उम्र में आईपीएस बन गए। आशीष की छवि शुरू से ही ईमानदार और काम के प्रति कर्मठ अफसर के रूप में रही है। नेताओं के दबाव में काम न करना उनकी कार्यशैली का हिस्सा था। यही वजह है, शुरू से ही किसी भी जिले में ज्यादा दिनों तक नहीं टिक सके। वे किसी भी जिले में अधिकतम 9 महीने तक ही कप्तान रहे। उनकी ज्यादातर नौकरी साइड लाइन में कटी। शुरुआती 11 साल में 22 ट्रांसफर
आशीष गुप्ता की पहली पोस्टिंग यूपी में अंडर ट्रेनी आईपीएस के रूप में बतौर सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP), वाराणसी में हुई। 10 महीने के बाद तबादला सीबीसीआईडी कर दिया गया। लेकिन, अगले ही दिन शाहजहांपुर के सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में भेज दिया गया। वहां इनकी तैनाती करीब 7 महीने रही। इसके बाद फिर वाराणसी भेज दिया गया। वाराणसी में 7 महीने रहने के बाद दोबारा शाहजहांपुर भेजा गया, जहां कार्यकाल 4 महीने का रहा। 27 मई, 1994 को कप्तानी की जिम्मेदारी सौंपते हुए ललितपुर भेज दिया गया। ललितपुर में 7 महीने रहने के बाद इनका तबादला कर दिया गया। आशीष को अगला जिला पौड़ी गढ़वाल मिला, जो अब उत्तराखंड में है। यहां तैनाती साढ़े चार महीने रही। इसी तरह वे बलिया में दो महीने, उन्नाव में 8 महीने, गोंडा में दो महीने, प्रतापगढ़ में लगभग 9 महीने, शाहजहांपुर में 1 महीने कप्तान रहे। आईजी रेंज लखनऊ के तौर पर इनकी तैनाती एक महीने 6 दिन रही। दो बार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहे
आशीष गुप्ता 2 बार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहे। पहली बार 22 सितंबर, 2006 से 23 जुलाई, 2011 तक पीएम ऑफिस (PMO) में रहे। इसके अलावा नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड में 22 सितंबर, 2014 से 10 जून, 2022 तक और बीएसएफ में स्पेशल डीजी के रूप में 10 जून, 2022 से दिसंबर, 2022 तक रहे। यूपी लौटने के बाद 2 दिसंबर, 2022 से 22 जून, 2023 तक वेटिंग में रहे। 23 जून को इन्हें रूल्स एंड मैन्युअल का डीजी बना दिया गया। जहां से अब रिटायर होने जा रहे हैं। आशीष के बहाने अखिलेश ने साधा निशाना
आशीष गुप्ता के VRS को लेकर सियासत भी तेज है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ‘एक्स’ पोस्ट पर लिखा- ये चिंताजनक है कि यूपी पुलिस के वरिष्ठतम लोग, जो वर्तमान व्यवस्था में महत्वपूर्ण पदों से वंचित रखे गए, वो इन अनैच्छिक परिस्थितियों में ‘ऐच्छिक सेवानिवृत्ति’ लेने पर मजबूर हैं। इससे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों का मनोबल टूटता है। जिसका खामियाजा प्रदेश की कानून-व्यवस्था और जनता को भुगतना पड़ता है। भाजपा सरकार में जब वरिष्ठ-कनिष्ठ का कोई मतलब ही नहीं बचा है तो ‘वरिष्ठता क्रम की सूची’ बनाने का क्या मतलब। किसी अधिकारी को किसी पद पर चुनने का आधार व्यक्तिगत पंसद, विचारधारा या सत्ता का अंदरूनी झगड़ा नहीं होना चाहिए। मनोबल गिराकर कुछ भी हासिल नहीं होगा
अखिलेश ने अपनी पोस्ट में लिखा- भाजपा सरकार अधिकारियों का मनोबल गिरा कर कुछ भी हासिल नहीं कर सकती है। हाल की कुछ घटनाओं में ये देखा गया है कि कुछ अधिकारियों की पहचान करके, उनके विभाग के अंदर और सोशल मीडिया के स्तर पर बाहर से, उनको या उनके परिवारों को प्रताड़ित-अपमानित किया गया है। ये चलन बंद होना चाहिए। ———————- ये खबर भी पढ़ें… योगी सरकार में कहां है IAS-IPS एसोसिएशन?:दुर्गा शक्ति नागपाल मामले में झुक गई थी सपा सरकार; एक्सपर्ट बोले- अधिकारी डरपोक हो गए ब्यूरोक्रेसी की महत्वपूर्ण कड़ी IAS और IPS अफसरों की एसोसिएशन सात साल से निष्क्रिय है। इसकी आखिरी बैठक कब हुई, ये न तो सेवा में आए नए आईएएस अफसरों को याद है और न ही आईपीएस को। वजह- प्रदेश में 2017 में भाजपा सरकार आने के बाद से केवल एक बार ही बैठक हुई। इसके बाद न तो कभी आईएएस वीक मनाया गया और न ही कोई बैठक हुई। पहले यही IAS अपनों को बचाने के लिए सरकार से मोर्चा लेते थे। किसी को पोस्टिंग नहीं मिलती थी तो सीधे सरकार से सवाल करते थे। मगर अब ऐसा नहीं है। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर