यूपी में पंचायत चुनाव अगले साल जनवरी-फरवरी में कराए जाने की संभावना है। ऐसे में राजनीतिक दलों ने इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी है। समाजवादी पार्टी ने भी पंचायत चुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानते हुए तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। सपा की रणनीति क्या होगी? सपा चुनाव चिह्न के साथ मैदान में उतरेगी या समर्थित प्रत्याशी लड़ाएगी? ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के सीधे चुनाव जैसे मुद्दों पर पार्टी का रुख क्या है? इस खास खबर में जानिए… क्या है समाजवादी पार्टी की तैयारी? सपा पंचायत चुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के रूप में देख रही है। उत्तर प्रदेश की लगभग दो-तिहाई (269) विधानसभा सीटें ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। पंचायत चुनाव में प्रदर्शन इन क्षेत्रों में सियासी ताकत का आकलन करने का एक बड़ा मंच है। सपा का मानना है कि ग्राम प्रधान, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्षों का नेटवर्क ग्रामीण मतदाताओं को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए पार्टी इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है। परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया पर नजर
समाजवादी पार्टी ने पंचायत चुनाव को लेकर काम शुरू कर दिया है। कार्यकर्ताओं से आरक्षण और परिसीमन प्रक्रिया पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा गया है। पिछले अनुभवों के आधार पर सपा को लगता है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी परिसीमन में जातीय आंकड़ों को प्रभावित करने की कोशिश कर सकती है। यही वजह है कि सपा ने हर जिले में अपने पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। जिससे आरक्षण और परिसीमन में किसी भी तरह की गड़बड़ी को तुरंत पकड़ा जाए और इसकी शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग से की जाए। पीडीए फॉर्मूले पर फिर दांव खेलेगी सपा
सपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को आधार बनाकर रणनीति बनाई है। तब उसने पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (PDA) फॉर्मूले के जरिए अच्छा प्रदर्शन किया था। सपा इस फॉर्मूले को पंचायत चुनाव में भी दोहराने की कोशिश करेगी। जिससे 2027 के विधानसभा चुनाव में ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी स्थिति को और मजबूत कर सके। मतदाता जागरूकता पर रहेगा जोर
सपा ने ग्रामीण स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जातीय सर्वेक्षण और मंडल राजनीति का सहारा लेने की रणनीति बनाई है। पार्टी सूत्रों का कहना है, इस चुनाव से सपा संगठनात्मक स्तर पर बूथ मैनेजमेंट और मतदाता जागरूकता कर लोगों तक पहुंचना चाहती है। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी की पैठ और मजबूत की जा सके। पार्टी इसके जरिए विधानसभा चुनाव 2027 में अपनी पैठ और मजबूत करना चाहती है। अखिलेश बोले- हम पूरी तरह तैयार
पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने हाल ही में कहा था- हम पंचायत चुनाव को लेकर पूरी तरह तैयार हैं। हमारे कार्यकर्ता तैयार रहेंगे। भाजपा कोई भी षडयंत्र कर सकती है। उनके पास डाटा है, तकनीक है, हायर्ड लोग हैं। पैसे दे रहे हैं। वो ये पहचान कर लेंगे कि कौन-सी ग्रामसभा या कौन सा बूथ डिस्टर्ब करना है। कौन-सी ग्रामसभा का वोट इधर-उधर करना है, जिससे समीकरण बदल जाए। वो तैयारी कर रहे होंगे, हम भी उसके लिए तैयार हैं। क्या अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेगी सपा?
पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत (बीडीसी) और जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव आमतौर पर बिना पार्टी सिंबल के होते हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनावों में पार्टी चिह्न का उपयोग होता है। 2021 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और भाजपा दोनों ने अपने-अपने सिंबल पर चुनाव लड़ा था। सपा इस बार भी अपने सिंबल साइकिल पर चुनाव लड़ सकती है। हालांकि पार्टी के प्रवक्ता मनोज यादव कहते हैं- इसका आधिकारिक फैसला चुनाव की तारीख आने के बाद होगा। शीर्ष स्तर पर होने वाले फैसले के बारे में अभी से कुछ कहना जल्दबाजी होगी। सीधे चुनाव वाले मुद्दे पर पार्टी का रुख क्या?
यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पद के चुनाव इस बार डायरेक्ट कराने की चर्चा चल रही है। इसे लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव कहते हैं- इसके लिए सरकार को एक्ट में बदलाव करना होगा। लेकिन, अगर ऐसे चुनाव होता है तो हम सब सहमत हैं। कम से कम सदस्यों की खरीद-फरोख्त तो नहीं होगी। मौजूदा दौर में ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जनता की ओर से चुने गए सदस्य करते हैं। हालांकि, इसे लेकर भारी खरीद-फरोख्त का इल्जाम सरकारों पर लगता रहा है। पिछली बार कैसा प्रदर्शन, इस बार कितनी चुनौती?
2021 में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा के 67 और सपा के 4 जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे। लेकिन, जिला पंचायत सदस्य की 3,050 सीटों में से सपा ने 759 पर जीत दर्ज की थी। वह भाजपा की 768 सीटों के काफी करीब थी। हालांकि, निर्दलीय प्रत्याशियों ने 944 सीटें जीतकर दोनों प्रमुख दलों को कड़ी टक्कर दी थी। ग्राम पंचायत और क्षेत्र पंचायत स्तर पर भी सपा को निर्दलीय और भाजपा से कड़ी चुनौती मिली थी, लेकिन पार्टी ने कई क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनाए रखी। इसके अलावा कई जिला पंचायत सदस्य की सीट पर सपा ने प्रत्याशी नहीं उतारे थे, निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन दिया था। वरिष्ठ पत्रकार अशोक त्रिपाठी कहते हैं कि सपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती सत्तारूढ़ भाजपा की संगठनात्मक ताकत और सत्ता के प्रभाव को काउंटर करना है। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था। ——————— ये खबर भी पढ़ें… गाजीपुर में सोनम को पुलिस दौड़ाते हुए अस्पताल ले गई, ढाबा संचालक से बोली- लुटेरों ने पति को मारा इंदौर की सोनम रघुवंशी 17 दिन बाद यूपी के गाजीपुर में एक ढाबे पर बदहवास हालत में मिली। उसे वन स्टॉप सेंटर में पुलिस की निगरानी में रखा गया है। सोनम ने काले रंग की टी-शर्ट और लोअर पहन रखा है। बाल बिखरे हुए हैं। ऐसा लग रहा है कि वह कई दिनों से सोई नहीं है। सोनम अपने पति राजा रघुवंशी के साथ मेघालय हनीमून पर गई थी। पढ़ें पूरी खबर यूपी में पंचायत चुनाव अगले साल जनवरी-फरवरी में कराए जाने की संभावना है। ऐसे में राजनीतिक दलों ने इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी है। समाजवादी पार्टी ने भी पंचायत चुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानते हुए तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। सपा की रणनीति क्या होगी? सपा चुनाव चिह्न के साथ मैदान में उतरेगी या समर्थित प्रत्याशी लड़ाएगी? ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के सीधे चुनाव जैसे मुद्दों पर पार्टी का रुख क्या है? इस खास खबर में जानिए… क्या है समाजवादी पार्टी की तैयारी? सपा पंचायत चुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के रूप में देख रही है। उत्तर प्रदेश की लगभग दो-तिहाई (269) विधानसभा सीटें ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। पंचायत चुनाव में प्रदर्शन इन क्षेत्रों में सियासी ताकत का आकलन करने का एक बड़ा मंच है। सपा का मानना है कि ग्राम प्रधान, ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्षों का नेटवर्क ग्रामीण मतदाताओं को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए पार्टी इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में है। परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया पर नजर
समाजवादी पार्टी ने पंचायत चुनाव को लेकर काम शुरू कर दिया है। कार्यकर्ताओं से आरक्षण और परिसीमन प्रक्रिया पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा गया है। पिछले अनुभवों के आधार पर सपा को लगता है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी परिसीमन में जातीय आंकड़ों को प्रभावित करने की कोशिश कर सकती है। यही वजह है कि सपा ने हर जिले में अपने पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। जिससे आरक्षण और परिसीमन में किसी भी तरह की गड़बड़ी को तुरंत पकड़ा जाए और इसकी शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग से की जाए। पीडीए फॉर्मूले पर फिर दांव खेलेगी सपा
सपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को आधार बनाकर रणनीति बनाई है। तब उसने पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (PDA) फॉर्मूले के जरिए अच्छा प्रदर्शन किया था। सपा इस फॉर्मूले को पंचायत चुनाव में भी दोहराने की कोशिश करेगी। जिससे 2027 के विधानसभा चुनाव में ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी स्थिति को और मजबूत कर सके। मतदाता जागरूकता पर रहेगा जोर
सपा ने ग्रामीण स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जातीय सर्वेक्षण और मंडल राजनीति का सहारा लेने की रणनीति बनाई है। पार्टी सूत्रों का कहना है, इस चुनाव से सपा संगठनात्मक स्तर पर बूथ मैनेजमेंट और मतदाता जागरूकता कर लोगों तक पहुंचना चाहती है। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी की पैठ और मजबूत की जा सके। पार्टी इसके जरिए विधानसभा चुनाव 2027 में अपनी पैठ और मजबूत करना चाहती है। अखिलेश बोले- हम पूरी तरह तैयार
पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने हाल ही में कहा था- हम पंचायत चुनाव को लेकर पूरी तरह तैयार हैं। हमारे कार्यकर्ता तैयार रहेंगे। भाजपा कोई भी षडयंत्र कर सकती है। उनके पास डाटा है, तकनीक है, हायर्ड लोग हैं। पैसे दे रहे हैं। वो ये पहचान कर लेंगे कि कौन-सी ग्रामसभा या कौन सा बूथ डिस्टर्ब करना है। कौन-सी ग्रामसभा का वोट इधर-उधर करना है, जिससे समीकरण बदल जाए। वो तैयारी कर रहे होंगे, हम भी उसके लिए तैयार हैं। क्या अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेगी सपा?
पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत (बीडीसी) और जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव आमतौर पर बिना पार्टी सिंबल के होते हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के चुनावों में पार्टी चिह्न का उपयोग होता है। 2021 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और भाजपा दोनों ने अपने-अपने सिंबल पर चुनाव लड़ा था। सपा इस बार भी अपने सिंबल साइकिल पर चुनाव लड़ सकती है। हालांकि पार्टी के प्रवक्ता मनोज यादव कहते हैं- इसका आधिकारिक फैसला चुनाव की तारीख आने के बाद होगा। शीर्ष स्तर पर होने वाले फैसले के बारे में अभी से कुछ कहना जल्दबाजी होगी। सीधे चुनाव वाले मुद्दे पर पार्टी का रुख क्या?
यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पद के चुनाव इस बार डायरेक्ट कराने की चर्चा चल रही है। इसे लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव कहते हैं- इसके लिए सरकार को एक्ट में बदलाव करना होगा। लेकिन, अगर ऐसे चुनाव होता है तो हम सब सहमत हैं। कम से कम सदस्यों की खरीद-फरोख्त तो नहीं होगी। मौजूदा दौर में ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जनता की ओर से चुने गए सदस्य करते हैं। हालांकि, इसे लेकर भारी खरीद-फरोख्त का इल्जाम सरकारों पर लगता रहा है। पिछली बार कैसा प्रदर्शन, इस बार कितनी चुनौती?
2021 में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा के 67 और सपा के 4 जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे। लेकिन, जिला पंचायत सदस्य की 3,050 सीटों में से सपा ने 759 पर जीत दर्ज की थी। वह भाजपा की 768 सीटों के काफी करीब थी। हालांकि, निर्दलीय प्रत्याशियों ने 944 सीटें जीतकर दोनों प्रमुख दलों को कड़ी टक्कर दी थी। ग्राम पंचायत और क्षेत्र पंचायत स्तर पर भी सपा को निर्दलीय और भाजपा से कड़ी चुनौती मिली थी, लेकिन पार्टी ने कई क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनाए रखी। इसके अलावा कई जिला पंचायत सदस्य की सीट पर सपा ने प्रत्याशी नहीं उतारे थे, निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन दिया था। वरिष्ठ पत्रकार अशोक त्रिपाठी कहते हैं कि सपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती सत्तारूढ़ भाजपा की संगठनात्मक ताकत और सत्ता के प्रभाव को काउंटर करना है। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था। ——————— ये खबर भी पढ़ें… गाजीपुर में सोनम को पुलिस दौड़ाते हुए अस्पताल ले गई, ढाबा संचालक से बोली- लुटेरों ने पति को मारा इंदौर की सोनम रघुवंशी 17 दिन बाद यूपी के गाजीपुर में एक ढाबे पर बदहवास हालत में मिली। उसे वन स्टॉप सेंटर में पुलिस की निगरानी में रखा गया है। सोनम ने काले रंग की टी-शर्ट और लोअर पहन रखा है। बाल बिखरे हुए हैं। ऐसा लग रहा है कि वह कई दिनों से सोई नहीं है। सोनम अपने पति राजा रघुवंशी के साथ मेघालय हनीमून पर गई थी। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
पंचायत चुनाव क्या सपा सिंबल पर लड़ेगी?:2027 की कसौटी से पहले क्या कर रही पार्टी, अखिलेश बोले- हम पूरी तरह तैयार
