हरियाणा में प्रॉपर्टी ID से ₹4.5 करोड़ का घोटाला:जॉइंट कमिश्नर की PA ने निगम में गिरोह बनाया, आईडी का मिसयूज किया

हरियाणा में प्रॉपर्टी ID से ₹4.5 करोड़ का घोटाला:जॉइंट कमिश्नर की PA ने निगम में गिरोह बनाया, आईडी का मिसयूज किया

पानीपत नगर निगम की प्रॉपर्टी टैक्स शाखा में टैक्स राशि में 4.50 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद अब प्रॉपर्टी आईडी में फेरबदल का बड़ा खेल सामने आया है। कमिश्नर के आदेश पर जांच कर रही कई विभागों की स्पेशल टीम की जांच में इसका खुलासा हुआ है। पता चला है कि जॉइंट कमिश्नर (JC) की PA रही कुसुम का गिरोह एक ही तारीख में दो-तीन बार प्रॉपर्टी को लिंक या डी-लिंक कर देता था। यहां तक ​​कि मालिकाना हक परिवर्तन के एक मामले में भी कचरौली गांव की एक प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन का दस्तावेज जमा करवा दिया, जबकि वह गांव नगर निगम की सीमा में नहीं था। टैक्स चोरी के साथ-साथ प्रॉपर्टी आईडी में जालसाजी सामने आने के बाद अब नगर निगम कमिश्नर ने पुलिस केस दर्ज करने और इस केस को विजिलेंस ब्यूरो को भेजने की सिफारिश की है, ताकि उन अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम भी सामने आ सके, जो इस गिरोह से जुड़े थे। बता दें कि हेराफेरी के इस मामले में जॉइंट कमिश्नर की PA कुसुम बर्खास्त हो चुकी है। इस मामले की जांच निगम के वरिष्ठ अधिकारियों की जॉइंट टीम कर रही है, जिनकी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं हैं। यहां सिलसिलेवार तरीके से जानिए कैसे हुआ खुलासा… जॉइंट कमिश्नर के आदेश का महिला PA ने उठाया फायदा
पानीपत नगर निगम के जॉइंट कमिश्नर संजय कुमार ने अपनी PA कुसुम को प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़े कार्यों को करवाने के लिए एडमिन आईडी चलाने की अनुमति दी हुई थी। कुसुम हरियाणा कौशल रोजगार निगम के अंतर्गत लगी थी। आरोप है कि कुसुम ने जॉइंट कमिश्नर की अनुमति का गलत फायदा उठाते हुए खेल करना शुरू कर दिया। वह प्रॉपर्टी टैक्स के बड़े बकायदारों की राशि कम दिखाने लगी। किसी बकायादार का पांच लाख का बकाया था तो उसको 5 हजार कर दिया, जिसकी एवज में मोटी रकम ली जा रही थी है। बड़ी संख्या में ऐसे प्रॉपर्टी टैक्स बिलों में गड़बड़ियां की गई। कमिश्नर के सामने पहुंची शिकायत तो जांच बैठाई
कमिश्नर डॉ पंकज यादव के सामने इस प्रकार के कई मामले आए। कुछ प्रॉपर्टी टैक्स बिलों को क्लेरिकल गलती मानकर अनदेखा किया गया, लेकिन बिलों से संबंधित कई शिकायतें उनके पास पहुंची तो नगर आयुक्त ने इसकी जांच जॉइंट कमिश्नर संजय कुमार को सौंपी। जॉइंट कमिश्नर ने जांच शुरू की तो पानीपत नगर निगम की प्रॉपर्टी टैक्स शाखा में करीब 4.5 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया। इसमें मुख्य किरदार PA कुसुम का ही सामने आया। महिला PA को बर्खास्त कर स्पेशल टीम बनाई
प्रॉपर्टी टैक्स शाखा में 4.5 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आने के बाद नगर आयुक्त ने जॉइंट कमिश्नर की PA कुसुम को जून के प्रथम सप्ताह में ही बर्खास्त कर दिया। कुसुम पर आरोप है कि उसने प्रॉपर्टी आईडी में सुधार, स्वामित्व में परिवर्तन, श्रेणियों में परिवर्तन, टैक्स में सुधार, नो-ड्यूज सर्टिफिकेट (एनडीसी) जारी करने और प्रॉपर्टी से संबंधित अन्य कार्यों में जॉइंट कमिश्नर की एडमिन आईडी का गलत तरीके से इस्तेमाल किया। 1 महिला इतना बड़ा खेल नहीं कर सकती? तो पूरे गिरोह का पता लगाने के लिए नगर आयुक्त ने तुरंत अतिरिक्त आयुक्त विवेक चौधरी, संयुक्त आयुक्त मणि त्यागी और विभिन्न विंगों के विशेषज्ञ सदस्यों के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया है। अब यहां जानिए स्पेशल टीम को क्या-क्या मिला… महिला पीए ने बिना अनुमति के 400 प्रविष्टियां कीं
स्पेशल टीम की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि जॉइंट कमिश्नर संजय कुमार ने केवल 74 फाइलों को ही आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी है, जबकि महिला पीए कुसुम ने कंप्यूटर में कुल 400 प्रविष्टियां की हैं। 74 आधिकारिक फाइलों को छोड़कर, पीए कुसुम की ओर से की गई अन्य सभी प्रविष्टियां बिना किसी आधिकारिक अनुमति के की गई थीं। क्योंकि इन प्रविष्टियों का नगर निगम में कोई रिकॉर्ड नहीं था। जांच में यह भी बताया गया कि संपत्तियों की लिंक और डी-लिंक एंट्री सबसे ज्यादा 24 अप्रैल और 5 मई को की गई। फर्जी दस्तावेजों से बदल दिया मालिकाना हक
टीम की जांच में यह भी सामने आया है कि एक व्यक्ति ने नगर निगम में मालिकाना हक बदलने के लिए आवेदन किया और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध एंट्री करके उसका मालिकाना हक बदल दिया गया। क्योंकि जमा किए गए दस्तावेज कचरौली गांव की संपत्ति के थे, जबकि गांव नगर निगम की सीमा में नहीं था। वहां पंचायत थी। इसके अलावा, संपत्तियों के लिंक और डी-लिंक का खेल करके दत्ता कॉलोनी में मंजू के नाम पर 147 वर्ग गज का एक अवैध प्लॉट संयुक्त आयुक्त के आधिकारिक आईडी का दुरुपयोग करके 24 अप्रैल को ही अधिकृत कर दिया गया। नगर निगम और तहसील कार्यालयों की मिलीभगत
जांच कमेटी को संदेह है कि यह बड़ा घोटाला अन्य शाखाओं के अधिकारियों के अलावा नगर निगम व तहसील कार्यालय में सक्रिय एजेंटों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता है। इस मामले की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से गहन जांच कराई जानी चाहिए। इसी कारण नगर निगम आयुक्त ने पुलिस केस दर्ज करने और इस केस को विजिलेंस ब्यूरो को भेजने की सिफारिश की है। कमिश्नर बोलें- शाखा की व्यवस्था बदली
नगर निगम कमिश्नर डॉ. पंकज यादव ने कहा कि यह एक बड़ा घोटाला है और हमने पुलिस विभाग को आपराधिक मामला दर्ज करने और मामले की गहन जांच करने के लिए लिखा है। आयुक्त ने कहा कि हमने कर शाखा में भी व्यवस्था बदल दी है और एक वार्ड के लिए एक ही व्यक्ति को नियुक्त किया है। इस तरह के सभी भ्रष्टाचार के मामलों को रोकने के लिए उन पर चार विशेष जांचकर्ता भी नियुक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि मैंने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि यदि किसी भी कर्मचारी पर 10 से अधिक मामले लंबित पाए गए तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। आयुक्त ने कहा कि इसके अलावा शाखा से दैनिक आधार पर रिपोर्ट भी मांगी जा रही है। पानीपत नगर निगम की प्रॉपर्टी टैक्स शाखा में टैक्स राशि में 4.50 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद अब प्रॉपर्टी आईडी में फेरबदल का बड़ा खेल सामने आया है। कमिश्नर के आदेश पर जांच कर रही कई विभागों की स्पेशल टीम की जांच में इसका खुलासा हुआ है। पता चला है कि जॉइंट कमिश्नर (JC) की PA रही कुसुम का गिरोह एक ही तारीख में दो-तीन बार प्रॉपर्टी को लिंक या डी-लिंक कर देता था। यहां तक ​​कि मालिकाना हक परिवर्तन के एक मामले में भी कचरौली गांव की एक प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन का दस्तावेज जमा करवा दिया, जबकि वह गांव नगर निगम की सीमा में नहीं था। टैक्स चोरी के साथ-साथ प्रॉपर्टी आईडी में जालसाजी सामने आने के बाद अब नगर निगम कमिश्नर ने पुलिस केस दर्ज करने और इस केस को विजिलेंस ब्यूरो को भेजने की सिफारिश की है, ताकि उन अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम भी सामने आ सके, जो इस गिरोह से जुड़े थे। बता दें कि हेराफेरी के इस मामले में जॉइंट कमिश्नर की PA कुसुम बर्खास्त हो चुकी है। इस मामले की जांच निगम के वरिष्ठ अधिकारियों की जॉइंट टीम कर रही है, जिनकी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं हैं। यहां सिलसिलेवार तरीके से जानिए कैसे हुआ खुलासा… जॉइंट कमिश्नर के आदेश का महिला PA ने उठाया फायदा
पानीपत नगर निगम के जॉइंट कमिश्नर संजय कुमार ने अपनी PA कुसुम को प्रॉपर्टी टैक्स से जुड़े कार्यों को करवाने के लिए एडमिन आईडी चलाने की अनुमति दी हुई थी। कुसुम हरियाणा कौशल रोजगार निगम के अंतर्गत लगी थी। आरोप है कि कुसुम ने जॉइंट कमिश्नर की अनुमति का गलत फायदा उठाते हुए खेल करना शुरू कर दिया। वह प्रॉपर्टी टैक्स के बड़े बकायदारों की राशि कम दिखाने लगी। किसी बकायादार का पांच लाख का बकाया था तो उसको 5 हजार कर दिया, जिसकी एवज में मोटी रकम ली जा रही थी है। बड़ी संख्या में ऐसे प्रॉपर्टी टैक्स बिलों में गड़बड़ियां की गई। कमिश्नर के सामने पहुंची शिकायत तो जांच बैठाई
कमिश्नर डॉ पंकज यादव के सामने इस प्रकार के कई मामले आए। कुछ प्रॉपर्टी टैक्स बिलों को क्लेरिकल गलती मानकर अनदेखा किया गया, लेकिन बिलों से संबंधित कई शिकायतें उनके पास पहुंची तो नगर आयुक्त ने इसकी जांच जॉइंट कमिश्नर संजय कुमार को सौंपी। जॉइंट कमिश्नर ने जांच शुरू की तो पानीपत नगर निगम की प्रॉपर्टी टैक्स शाखा में करीब 4.5 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया। इसमें मुख्य किरदार PA कुसुम का ही सामने आया। महिला PA को बर्खास्त कर स्पेशल टीम बनाई
प्रॉपर्टी टैक्स शाखा में 4.5 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आने के बाद नगर आयुक्त ने जॉइंट कमिश्नर की PA कुसुम को जून के प्रथम सप्ताह में ही बर्खास्त कर दिया। कुसुम पर आरोप है कि उसने प्रॉपर्टी आईडी में सुधार, स्वामित्व में परिवर्तन, श्रेणियों में परिवर्तन, टैक्स में सुधार, नो-ड्यूज सर्टिफिकेट (एनडीसी) जारी करने और प्रॉपर्टी से संबंधित अन्य कार्यों में जॉइंट कमिश्नर की एडमिन आईडी का गलत तरीके से इस्तेमाल किया। 1 महिला इतना बड़ा खेल नहीं कर सकती? तो पूरे गिरोह का पता लगाने के लिए नगर आयुक्त ने तुरंत अतिरिक्त आयुक्त विवेक चौधरी, संयुक्त आयुक्त मणि त्यागी और विभिन्न विंगों के विशेषज्ञ सदस्यों के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया है। अब यहां जानिए स्पेशल टीम को क्या-क्या मिला… महिला पीए ने बिना अनुमति के 400 प्रविष्टियां कीं
स्पेशल टीम की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि जॉइंट कमिश्नर संजय कुमार ने केवल 74 फाइलों को ही आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी है, जबकि महिला पीए कुसुम ने कंप्यूटर में कुल 400 प्रविष्टियां की हैं। 74 आधिकारिक फाइलों को छोड़कर, पीए कुसुम की ओर से की गई अन्य सभी प्रविष्टियां बिना किसी आधिकारिक अनुमति के की गई थीं। क्योंकि इन प्रविष्टियों का नगर निगम में कोई रिकॉर्ड नहीं था। जांच में यह भी बताया गया कि संपत्तियों की लिंक और डी-लिंक एंट्री सबसे ज्यादा 24 अप्रैल और 5 मई को की गई। फर्जी दस्तावेजों से बदल दिया मालिकाना हक
टीम की जांच में यह भी सामने आया है कि एक व्यक्ति ने नगर निगम में मालिकाना हक बदलने के लिए आवेदन किया और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध एंट्री करके उसका मालिकाना हक बदल दिया गया। क्योंकि जमा किए गए दस्तावेज कचरौली गांव की संपत्ति के थे, जबकि गांव नगर निगम की सीमा में नहीं था। वहां पंचायत थी। इसके अलावा, संपत्तियों के लिंक और डी-लिंक का खेल करके दत्ता कॉलोनी में मंजू के नाम पर 147 वर्ग गज का एक अवैध प्लॉट संयुक्त आयुक्त के आधिकारिक आईडी का दुरुपयोग करके 24 अप्रैल को ही अधिकृत कर दिया गया। नगर निगम और तहसील कार्यालयों की मिलीभगत
जांच कमेटी को संदेह है कि यह बड़ा घोटाला अन्य शाखाओं के अधिकारियों के अलावा नगर निगम व तहसील कार्यालय में सक्रिय एजेंटों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता है। इस मामले की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से गहन जांच कराई जानी चाहिए। इसी कारण नगर निगम आयुक्त ने पुलिस केस दर्ज करने और इस केस को विजिलेंस ब्यूरो को भेजने की सिफारिश की है। कमिश्नर बोलें- शाखा की व्यवस्था बदली
नगर निगम कमिश्नर डॉ. पंकज यादव ने कहा कि यह एक बड़ा घोटाला है और हमने पुलिस विभाग को आपराधिक मामला दर्ज करने और मामले की गहन जांच करने के लिए लिखा है। आयुक्त ने कहा कि हमने कर शाखा में भी व्यवस्था बदल दी है और एक वार्ड के लिए एक ही व्यक्ति को नियुक्त किया है। इस तरह के सभी भ्रष्टाचार के मामलों को रोकने के लिए उन पर चार विशेष जांचकर्ता भी नियुक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि मैंने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि यदि किसी भी कर्मचारी पर 10 से अधिक मामले लंबित पाए गए तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। आयुक्त ने कहा कि इसके अलावा शाखा से दैनिक आधार पर रिपोर्ट भी मांगी जा रही है।   हरियाणा | दैनिक भास्कर